भजन
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए। मश्कील।*
2 मुझ पर ध्यान दे और मुझे जवाब दे,+
मैं चिंता के मारे बेचैन हूँ,+
दुख से बेहाल हूँ,
3 क्योंकि दुश्मन चुभनेवाली बातें कहते हैं,
दुष्ट मुझ पर दबाव डालते हैं।
एक-के-बाद-एक मुसीबत खड़ी करते हैं।
वे गुस्से से भरे हुए हैं और मन में दुश्मनी पालते हैं।+
5 मैं डर से काँप रहा हूँ, थरथरा रहा हूँ।
6 रह-रहकर एक ही खयाल आता है,
“काश, फाख्ते की तरह मेरे भी पर होते!
मैं उड़कर किसी महफूज़ जगह जा बसता।
किसी वीराने में बसेरा करता।+ (सेला )
8 मैं इस तेज़ आँधी और भयानक तूफान से बचकर
किसी महफूज़ जगह भाग जाता।”
9 हे यहोवा, उन्हें उलझन में डाल दे,
क्योंकि मैंने शहर में खून-खराबा और झगड़े देखे हैं।
मेरे खिलाफ उठनेवाला अगर मेरा बैरी होता,
तो मैं उससे छिप जाता।
14 हमने दोस्ती के कितने मीठे पल बिताए थे,
भीड़ के साथ हम परमेश्वर के भवन में जाया करते थे।
15 मेरे दुश्मनों पर मुसीबत टूट पड़े!+
वे ज़िंदा ही कब्र में चले जाएँ,
क्योंकि उनके बीच और उनके अंदर बुराई बसी है।
19 परमेश्वर, जो युग-युग से अपनी राजगद्दी पर विराजमान है,+
मेरी दुहाई सुनेगा और उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।+ (सेला )
उन्हें बदलना गवारा नहीं,
वे परमेश्वर का डर नहीं मानते।+
उसके बोल तेल से भी चिकने हैं,
मगर पैनी तलवार की तरह काटते हैं।+
वह नेक जन को कभी गिरने* नहीं देगा।+
23 मगर हे परमेश्वर, तू उन दुष्टों को गहरी खाई में गिरा देगा।+