यशायाह
55 हे सब प्यासे लोगो, आओ!+ पानी के पास आओ!+
जिसके पास पैसा नहीं, वह भी आए और आकर खाए-पीए!
आओ और बिना पैसे दिए, मुफ्त में+ दाख-मदिरा और दूध ले जाओ।+
2 जिस खाने से भूख नहीं मिटती, उस पर तुम क्यों पैसा खर्च करते हो?
जिस खाने से जी नहीं भरता, उस पर अपनी कमाई* क्यों उड़ाते हो?
3 मेरे पास आओ,+ मेरी बातों पर कान लगाओ।
मेरी सुनो, तब तुम जीवित रहोगे।
5 देख, तू उस राष्ट्र को बुलाएगा जिसे तू नहीं जानता
और जो राष्ट्र तुझे नहीं जानता वह तेरे पास दौड़ा चला आएगा।
वह इसराएल के पवित्र परमेश्वर, तेरे परमेश्वर यहोवा की वजह से आएगा,+
क्योंकि परमेश्वर तेरा गौरव बढ़ाएगा।+
6 जब तक यहोवा मिल सकता है उसकी खोज करते रहो,+
जब तक वह करीब है उसे पुकारते रहो।+
7 दुष्ट इंसान अपनी दुष्ट राह छोड़ दे,+
बुरा इंसान अपने बुरे विचारों को त्याग दे।
वह यहोवा के पास लौट आए जो उस पर दया करेगा,+
हमारे परमेश्वर के पास लौट आए क्योंकि वह दिल खोलकर माफ करता है।+
9 जिस तरह आकाश पृथ्वी से ऊँचा है,
उसी तरह मेरी राहें तुम्हारी राहों से
और मेरी सोच तुम्हारी सोच से ऊँची है।+
10 जैसे आसमान से बारिश और बर्फ गिरती है और यूँ ही नहीं लौट जाती,
बल्कि धरती को सींचती है और फसल उपजाती है,
जिससे बोनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है,
वह बिना पूरा हुए मेरे पास नहीं लौटेगा,+
बल्कि हर हाल में मेरी मरज़ी पूरी करेगा+
और जिस काम के लिए मैंने उसे भेजा है उसे ज़रूर अंजाम देगा।
इन सारी बातों से यहोवा का नाम रौशन होगा+
और यह ऐसी निशानी होगी जो कभी नहीं मिटेगी।”