योना
2 फिर योना ने मछली के पेट में अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की।+ 2 उसने कहा,
“मुसीबत में मैंने यहोवा से फरियाद की और उसने मुझे जवाब दिया।+
3 जब तूने मुझे गहरे पानी में, खुले समुंदर की गहराइयों में फेंका,
तब पानी की तरंगों ने मुझे घेर लिया,+
तेरी ऊँची-ऊँची लहरें मुझे डुबाने लगीं।+
4 मैंने कहा, ‘तूने मुझे अपनी नज़रों से दूर कर दिया है,
अब मैं फिर कभी तेरे पवित्र मंदिर को नहीं देख सकूँगा।’
समुद्री पौधों में मेरा सिर उलझ गया।
6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया,
मेरे लिए पृथ्वी के फाटक हमेशा के लिए बंद हो गए।
लेकिन हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मुझे उस गड्ढे से ज़िंदा बाहर निकाला।+
7 जब मेरा दम निकलने पर था, तब मैंने यहोवा को याद किया।+
मेरी प्रार्थना तेरे पास तेरे पवित्र मंदिर में पहुँची।+
8 जो निकम्मी मूरतों को पूजते हैं, वे उस हस्ती को ठुकरा देते हैं, जो उनसे अटल प्यार करता है।*
हे यहोवा, उद्धार करनेवाला तू ही है।”+
10 फिर यहोवा ने मछली को हुक्म दिया और उसने योना को सूखी ज़मीन पर उगल दिया।