भजन
आसाप का सुरीला गीत।+
79 हे परमेश्वर, दूसरे राष्ट्रों ने तेरी विरासत+ पर हमला कर दिया है,
उन्होंने तेरे पवित्र मंदिर को दूषित कर दिया है,+
यरूशलेम को खंडहर बना दिया है।+
2 उन्होंने तेरे सेवकों की लाशें आकाश के पक्षियों को खिला दी हैं,
तेरे वफादार जनों का माँस धरती के जंगली जानवरों को दे दिया है।+
5 हे यहोवा, तू कब तक हमसे भड़का रहेगा?
क्या सदा के लिए?+
कब तक तेरे गुस्से की आग धधकती रहेगी?+
6 तू अपने क्रोध का प्याला उन राष्ट्रों पर उँडेल दे जो तुझे नहीं जानते,
उन राज्यों पर जो तेरा नाम नहीं पुकारते।+
8 हमारे पुरखों के गुनाहों के लिए हमें जवाबदेह न ठहरा।+
हम पर दया करने में देर न कर,+
क्योंकि हमें बिलकुल नीचे गिरा दिया गया है।
10 राष्ट्रों को क्यों यह कहने का मौका मिले, “कहाँ गया इनका परमेश्वर?”+
हमारी आँखों के सामने राष्ट्रों को जता दे
कि तूने अपने सेवकों के खून का बदला लिया है।+
11 तू कैदियों का कराहना सुने।+
अपनी महाशक्ति* से उन्हें बचा ले* जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है।+