यशायाह
53 हमारे संदेश पर* किसने विश्वास किया है?+
यहोवा ने अपनी ताकत*+ किस पर ज़ाहिर की है?+
2 वह टहनी की तरह उसके* सामने उगेगा,+ सूखी ज़मीन में जड़ की तरह फैलेगा।
जब हम उसे देखते हैं, तो उसमें कोई सुंदरता, कोई शान नज़र नहीं आती,+
न उसके रूप में ऐसी खासियत है कि हम उसकी तरफ खिंचे चले जाएँ।
3 लोगों ने उसे तुच्छ जाना, उससे किनारा किया।+
वह अच्छी तरह जानता था कि दर्द क्या होता है, बीमारी क्या होती है।
उसका चेहरा मानो हमसे छिपा हुआ था।*
हमने उसे तुच्छ जाना और बेकार समझा।+
पर हमने समझा कि उस पर परमेश्वर की मार पड़ी है,
उसी ने उसे घायल किया और दुख दिया है।
6 हम सब भेड़ों की तरह भटके हुए थे,+
हर कोई अपनी राह चल रहा था।
लेकिन यहोवा ने हमारे गुनाहों का बोझ उस पर लाद दिया।+
वह भेड़ की तरह बलि होने के लिए लाया गया।+
जैसे मेम्ना अपने ऊन कतरनेवाले के सामने चुपचाप रहता है,
वैसे ही उसने अपने मुँह से एक शब्द नहीं निकाला।+
8 ज़ुल्म और अन्याय से उसकी जान ले ली गयी।*
मगर क्या किसी ने यह जानना चाहा कि वह कौन है, कहाँ से आया है?*
हे परमेश्वर, अगर तू उसकी जान दोष-बलि के तौर पर दे,+
उसी से यहोवा की मरज़ी* पूरी होगी।+
11 उसने जो पीड़ाएँ सहीं, उन्हें देखकर उसे संतोष मिलेगा।
वह उनके गुनाह अपने ऊपर ले लेगा।+