भजन
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 दिन-भर उसकी तारीफ में उनके बोल उमड़ते हैं,
रात को वे ज्ञान की बातें फैलाते हैं।
3 उनकी न कोई बोली है, न कोई शब्द,
उनकी आवाज़ नहीं सुनायी देती।
परमेश्वर ने आकाश में सूरज के लिए तंबू ताना है,
5 सूरज उस दूल्हे की तरह दमकता है जो अपने कमरे से बाहर आता है,
वह शूरवीर की तरह है जो दौड़ दौड़ने के लिए उमंग से भरा है।
6 वह आसमान के एक छोर से उगता है
और चक्कर काटता हुआ दूसरे छोर तक जाता है,+
कुछ भी ऐसा नहीं जिस तक उसकी गरमी न पहुँचे।
7 यहोवा का कानून खरा* है,+ जान में जान डाल देता है।+
यहोवा जो हिदायत याद दिलाता है वह भरोसेमंद है,+
जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है उन्हें भी बुद्धिमान बना देती है।+
8 यहोवा के आदेश नेक हैं, मन को आनंद से भर देते हैं,+
यहोवा की आज्ञा शुद्ध है, आँखों में चमक लाती है।+
9 यहोवा का डर+ पवित्र है, सदा बना रहता है।
यहोवा के फैसले सच्चे हैं, हर तरह से सही हैं।+
10 वे सोने से भी ज़्यादा चाहने लायक हैं,
ढेर सारे शुद्ध* सोने से भी मनभावने।+
वे मधु से भी मधुर हैं,+
छत्ते से टपकते शहद से भी ज़्यादा मीठे।
12 अपनी गलतियों का एहसास किसे होता है?+
मुझसे अनजाने में जो पाप हुए हैं उन्हें माफ करके मुझे निर्दोष ठहरा।