यिर्मयाह
17 “यहूदा का पाप लोहे की कलम से लिखा गया है।
हीरे की नोक से उनके दिल की पटिया पर
और उनकी वेदियों के सींगों पर गढ़ दिया गया है,
2 उनके बेटे भी उनकी वेदियों और पूजा-लाठों* को याद करते हैं,+
जो एक घने पेड़ के पास, ऊँची पहाड़ियों पर+
3 और खुले देहात में पहाड़ों पर थीं।
तेरी दौलत, तेरा सारा खज़ाना मैं लूट में दे दूँगा,+
हाँ, तेरी ऊँची जगह लूट में दे दूँगा क्योंकि तूने अपने सारे इलाकों में पाप किया है।+
4 तू अपने ही दोष के कारण मेरी दी हुई विरासत खो बैठेगा।+
मैं तुझे एक अनजान देश में भेज दूँगा जहाँ तू अपने दुश्मनों की गुलामी करेगा,+
यह हमेशा जलती रहेगी।”
5 यहोवा कहता है,
“शापित है वह इंसान* जो अदना इंसानों पर भरोसा करता है,+
जो इंसानी ताकत का सहारा लेता है,+
जिसका दिल यहोवा से दूर हो जाता है।
6 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जो वीराने में अकेला खड़ा रहता है।
वह कभी भलाई नहीं देखेगा,
वह वीराने की सूखी जगहों में ही रहेगा,
नमकवाली जगह में, जहाँ कोई नहीं रह सकता।
8 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जिसे पानी के सोतों के पास लगाया गया है,
जो अपनी जड़ें बहते पानी तक फैलाता है।
उसे तपती गरमी का एहसास नहीं होगा,
उसके पत्ते हमेशा हरे रहेंगे।+
सूखे के साल में उसे कोई चिंता नहीं होगी,
न ही वह फल देना छोड़ेगा।
9 दिल सबसे बड़ा धोखेबाज़* है और यह उतावला* होता है।+
इसे कौन जान सकता है?
10 मैं यहोवा दिल को जाँचता हूँ,+
गहराई में छिपे विचारों* को परखता हूँ
ताकि हरेक को उसके चालचलन
और उसके कामों के नतीजे के मुताबिक फल दूँ।+
11 जैसे एक तीतर उन अंडों को सेती है जो उसने नहीं दिए,
दौलत उसे उसकी अधेड़ उम्र में छोड़ देगी
और आखिर में वह मूर्ख साबित होगा।”
13 हे यहोवा, इसराएल की आशा,
तुझे छोड़नेवाले सब शर्मिंदा किए जाएँगे।
तुझसे* बगावत करनेवालों के नाम धूल पर लिखे जाएँगे,+
क्योंकि उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया है, जो जीवन का जल देता है।+
14 हे यहोवा, मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊँगा।
मुझे बचा ले, तब मैं बच जाऊँगा,+
क्योंकि मैं तेरी ही तारीफ करता हूँ।
15 देख! वे मुझसे कहते हैं,
“यहोवा का वचन अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?”+
16 मगर मैं एक चरवाहे के नाते तेरे पीछे चलना छोड़कर दूर नहीं भागा,
न ही मैंने मुसीबत के दिन की कामना की।
तू अच्छी तरह जानता है कि मेरे होंठों ने क्या-क्या कहा,
यह सब तेरे सामने ही हुआ है!
17 तू मेरे लिए खौफ की वजह न बन।
तू विपत्ति के दिन मेरी पनाह है।
उन पर खौफ छा जाए,
मगर मुझ पर खौफ न छाने दे।
19 यहोवा ने मुझसे कहा, “जाकर इन लोगों के बेटों के फाटक के पास खड़ा हो, जहाँ से यहूदा के राजा आते-जाते हैं और यरूशलेम के सभी फाटकों के पास खड़ा हो।+ 20 तू उनसे कहना, ‘यहूदा के राजाओ, यहूदा के सब लोगो और यरूशलेम के सभी निवासियो, तुम जो इन फाटकों से दाखिल होते हो, यहोवा का संदेश सुनो। 21 यहोवा कहता है, “तुम इस बात का ध्यान रखना: सब्त के दिन कोई बोझ मत ढोना, न ही उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाना।+ 22 सब्त के दिन तुम अपने घरों से कोई बोझ बाहर मत लाना और कोई भी काम मत करना।+ सब्त के दिन को पवित्र मानना, ठीक जैसे मैंने तुम्हारे पुरखों को आज्ञा दी थी।+ 23 मगर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी थी और उस पर कान नहीं लगाया था। उन्होंने ढीठ होकर मेरी आज्ञा मानने और मेरी शिक्षा कबूल करने से इनकार कर दिया था।”’+
24 ‘यहोवा ऐलान करता है, “लेकिन अगर तुम सख्ती से मेरी बात मानोगे और सब्त के दिन इस शहर के फाटकों से कोई बोझ ढोकर नहीं लाओगे और सब्त के दिन कोई भी काम नहीं करोगे और इस तरह उसे पवित्र मानोगे,+ 25 तो दाविद की राजगद्दी+ पर बैठनेवाले राजा और हाकिम, रथ और घोड़ों पर सवार होकर इस शहर के फाटकों से अंदर आ पाएँगे। राजा और उनके हाकिम, यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी अंदर आ पाएँगे+ और यह शहर सदा लोगों से आबाद रहेगा। 26 यहूदा के शहरों, यरूशलेम के आस-पास की जगहों, बिन्यामीन के इलाके,+ निचले प्रदेश,+ पहाड़ी प्रदेश और नेगेब* से लोग आ पाएँगे। वे अपने साथ पूरी होम-बलियाँ,+ बलिदान,+ अनाज के चढ़ावे,+ लोबान और धन्यवाद-बलियाँ लेकर यहोवा के भवन में आ पाएँगे।+
27 लेकिन अगर तुम मेरी आज्ञा तोड़कर सब्त के दिन को पवित्र नहीं मानोगे और सब्त के दिन बोझ ढोओगे और उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाओगे, तो मैं उसके फाटकों पर आग लगा दूँगा और यह आग यरूशलेम की किलेबंद मीनारों को ज़रूर भस्म कर देगी+ और यह बुझायी नहीं जाएगी।”’”+