यहेजकेल
2 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे,* अपने पैरों के बल खड़ा हो जा। मैं तुझे कुछ बताना चाहता हूँ।”+ 2 जब उसने मुझसे बात की तो पवित्र शक्ति मेरे अंदर आयी और उसने मुझे पैरों के बल खड़ा किया,+ इसलिए जो मुझसे बात कर रहा था मैं उसकी बातें सुन सका।
3 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे इसराएल के लोगों के पास भेज रहा हूँ,+ उन बगावती राष्ट्रों के पास जिन्होंने मुझसे बगावत की है।+ अपने पुरखों की तरह ये लोग भी आज तक मेरी आज्ञाएँ तोड़ते आए हैं।+ 4 मैं तुझे ऐसे लोगों के पास भेज रहा हूँ जो बड़े ही ढीठ* और कठोर हैं।+ तू जाकर उनसे कहना, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’ 5 मगर वे चाहे तेरी सुनें या न सुनें क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं,+ उन्हें इतना ज़रूर पता चल जाएगा कि उनके बीच एक भविष्यवक्ता हुआ करता था।+
6 इंसान के बेटे, तू उनसे बिलकुल मत डरना,+ उनकी बातों से मत घबराना, इसके बावजूद कि तू काँटों और कँटीली झाड़ियों से घिरा है*+ और बिच्छुओं के बीच रहता है। तू उनकी बातों से मत डरना,+ न ही उनके चेहरे देखकर खौफ खाना+ क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं। 7 चाहे वे सुनें या न सुनें, तू उन्हें मेरा संदेश ज़रूर देना क्योंकि वे बगावती लोग हैं।+
8 इंसान के बेटे, मैं तुझे जो बताने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना। इस बगावती घराने की तरह तू भी बागी मत बन जाना। अब तू अपना मुँह खोल और मैं तुझे जो दे रहा हूँ उसे खा ले।”+
9 फिर मैंने देखा कि किसी का हाथ मेरी तरफ बढ़ रहा है+ और उस हाथ में लिखा हुआ एक खर्रा* है।+ 10 जब उसने मेरे सामने खर्रा खोला तो मैंने देखा कि उस पर सामने और पीछे, दोनों तरफ कुछ लिखा हुआ है।+ उस पर शोकगीत और दुख और मातम के शब्द लिखे हुए थे।+