अध्ययन लेख 45
यहोवा की मदद से हम अच्छी तरह प्रचार कर सकते हैं!
‘उन्हें ज़रूर पता चल जाएगा कि उनके बीच एक भविष्यवक्ता हुआ करता था।’—यहे. 2:5.
गीत 67 “वचन का प्रचार कर”
एक झलकa
1. (क) जब हम लोगों को प्रचार करते हैं, तो क्या हो सकता है? (ख) लेकिन हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?
जब हम लोगों को प्रचार करते हैं, तो कई बार वे हमारा विरोध करते हैं। और यह देखकर हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए, आगे चलकर तो शायद ऐसा और भी होगा। (दानि. 11:44; 2 तीमु. 3:12; प्रका. 16:21) लेकिन हम यकीन रख सकते हैं कि ऐसे में यहोवा हमारी मदद करेगा। वह जब भी अपने सेवकों को कोई ज़िम्मेदारी देता है, तो उसे पूरा करने में उनकी मदद भी करता है। बीते ज़माने में कई बार ऐसा हुआ कि यहोवा के सेवकों को अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना मुश्किल लगा, पर उसकी मदद से वे उसे पूरा कर पाए। उन्हीं में से एक था, भविष्यवक्ता यहेजकेल। उसे उन यहूदियों को प्रचार करना था जिन्हें बैबिलोन में बंदी बनाकर लाया गया था। आइए देखें कि यहोवा ने कैसे उसकी मदद की।
2. (क) यहेजकेल को जिन लोगों को प्रचार करना था, उनके बारे में यहोवा ने क्या कहा? (यहेजकेल 2:3-6) (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 यहेजकेल को जिन लोगों को प्रचार करना था, वे किस तरह के लोग थे? यहोवा ने उनके बारे में कहा कि वे “ढीठ,” “कठोर” और “बगावती” हैं। वे चुभनेवाले काँटों की तरह और खतरनाक बिच्छुओं की तरह थे। इसलिए यहोवा ने यहेजकेल से कई बार कहा, ‘तू उनसे मत डरना।’ (यहेजकेल 2:3-6 पढ़िए।) इस लेख में हम जानेंगे कि यहेजकेल लोगों को अच्छी तरह प्रचार कर पाया, क्योंकि (1) यहोवा ने उसे भेजा था, (2) यहोवा ने उसे अपनी पवित्र शक्ति दी थी और (3) यहोवा ने अपनी बातों से उसका विश्वास बढ़ाया था। हम यह भी जानेंगे कि आज हम इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर कैसे अच्छी तरह प्रचार कर सकते हैं।
यहेजकेल को यहोवा ने भेजा था
3. यहोवा ने कैसे यहेजकेल की हिम्मत बढ़ायी और उसे यकीन दिलाया कि वह उसका साथ देगा?
3 यहोवा ने यहेजकेल से कहा था, ‘मैं तुझे भेज रहा हूँ।’ (यहे. 2:3, 4) यह सुनकर यहेजकेल को बहुत हिम्मत मिली होगी। हो सकता है, उसे याद आया हो कि जब यहोवा ने मूसा और यशायाह को भविष्यवक्ता का काम सौंपा था, तो उसने उनसे भी कुछ ऐसा ही कहा था। (निर्ग. 3:10; यशा. 6:8) वह यह भी जानता था कि उन्हें जो काम सौंपा गया था, वह आसान नहीं था, लेकिन यहोवा की मदद से वे उसे पूरा कर पाए। इसलिए जब यहोवा ने यहेजकेल से दो बार कहा, ‘मैं तुझे भेज रहा हूँ’ तो उसे पूरा यकीन हो गया होगा कि यहोवा उसके साथ है और वह उसकी मदद करेगा। यहेजकेल की किताब में ये शब्द भी कई बार लिखे हैं: “यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा।” (यहे. 3:16) और यहेजकेल ने कई बार ऐसा भी लिखा, “यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा।” (यहे. 6:1) इससे पता चलता है कि यहेजकेल को पूरा यकीन था कि यहोवा ने ही उसे यह काम करने के लिए भेजा है। इसके अलावा हम जानते हैं कि यहेजकेल का पिता एक याजक था। उसने ज़रूर यहेजकेल को बताया होगा कि यहोवा हमेशा अपने भविष्यवक्ताओं को यकीन दिलाता है कि वह उनका साथ देगा। जैसे, यहोवा ने इसहाक, याकूब और यिर्मयाह से कहा था कि वह उनके साथ है।—उत्प. 26:24; 28:15; यिर्म. 1:8.
4. यहेजकेल को क्या सुनकर बहुत दिलासा मिला होगा?
4 यहोवा ने यहेजकेल को यह भी बताया कि जब वह लोगों को प्रचार करेगा, तब ज़्यादातर लोग क्या करेंगे। यहोवा ने कहा, “इसराएल का घराना तेरा संदेश सुनने से इनकार कर देगा क्योंकि वह मेरी बात सुनना ही नहीं चाहता।” (यहे. 3:7) यह सुनकर यहेजकेल समझ गया होगा कि जब लोग उसकी बात पर ध्यान नहीं देंगे, तो असल में वे यहोवा की सुनने से इनकार कर रहे होंगे। ऐसी बात नहीं थी कि यहेजकेल अपना काम अच्छी तरह नहीं कर पाएगा। यहोवा ने यहेजकेल को यह भी बताया कि आगे चलकर जब वह लोगों को सज़ा देगा, तब वे याद करेंगे कि “उनके बीच एक भविष्यवक्ता हुआ करता था।” (यहे. 2:5; 33:33) इससे यहेजकेल को बहुत दिलासा मिला होगा और यहोवा ने उसे जो काम दिया था, उसे पूरा करने की हिम्मत मिली होगी।
हमें भी यहोवा ने भेजा है
5. यशायाह 44:8 के मुताबिक हमें किस बात से हिम्मत मिल सकती है?
5 यहेजकेल की तरह हमें भी यहोवा ने ही प्रचार करने के लिए भेजा है। यह सोचकर हमें कितनी हिम्मत मिलती है। और ज़रा सोचिए, यह कितनी बड़ी बात है कि उसने हमें अपना “साक्षी” कहा है। (यशा. 43:10) पर जब हम लोगों को प्रचार करते हैं, तो कई बार वे हमारा विरोध करते हैं। ऐसे में हमें डरना नहीं चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा ने ही हमें भेजा है और वह हमारे साथ है। जिस तरह यहोवा ने यहेजकेल से कहा था, ‘तू उनसे मत डरना,’ उसी तरह वह हमसे भी कहता है, “खौफ मत खाओ, डर के मारे तुम्हारे हाथ-पैर ढीले न पड़ें।”—यशायाह 44:8 पढ़िए।
6. (क) यहोवा ने हमसे क्या वादा किया है? (ख) हमें किस बात से हिम्मत और दिलासा मिलता है?
6 यहोवा ने हमें यकीन दिलाया है कि वह हमारा साथ देगा। उसने सिर्फ यह नहीं कहा कि हम उसके साक्षी हैं, बल्कि उसने हमसे यह वादा भी किया है, “जब तू पानी में से होकर जाएगा, तो मैं तेरे साथ रहूँगा, जब तू नदियों में से होकर जाएगा, तो वे तुझे डुबा न सकेंगी, जब तू आग में से होकर जाएगा, तो तू नहीं जलेगा, उसकी आँच भी तुझे नहीं लगेगी।” (यशा. 43:2) जब हम लोगों को प्रचार करते हैं, तो कई बार हमारे सामने नदी जैसी रुकावटें आती हैं या हमें आग जैसी परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। (यशा. 41:13) लेकिन यहोवा की मदद से हम इन्हें पार कर पाते हैं और प्रचार करते रहते हैं। और कई बार ऐसा भी होता है कि लोग हमारी बात नहीं सुनते, जैसे उन्होंने यहेजकेल की नहीं सुनी थी। पर इसका यह मतलब नहीं कि हमने अपना काम अच्छी तरह नहीं किया। हम याद रख सकते हैं कि यहोवा यह देखकर खुश होता है कि इतनी मुश्किलें आने पर भी हम प्रचार करने में लगे हुए हैं और कितनी मेहनत कर रहे हैं। पौलुस ने भी कहा था कि “हर कोई अपनी मेहनत का इनाम पाएगा।” (1 कुरिं. 3:8; 4:1, 2) इस बात से हमें कितनी हिम्मत और कितना दिलासा मिलता है। एक बहन जो काफी समय से पायनियर सेवा कर रही हैं, उन्होंने भी कहा, “मुझे यह सोचकर बहुत खुशी होती है कि यहोवा हमारी मेहनत पर ध्यान देता है और इसी मेहनत को देखकर वह हमें इनाम देता है।”
यहोवा ने यहेजकेल को पवित्र शक्ति दी
7. जब भी यहेजकेल यहोवा के स्वर्गीय रथ के दर्शन के बारे में सोचता होगा, तो उसे कैसा लगता होगा? (बाहर दी तसवीर देखें।)
7 यहेजकेल ने एक दर्शन में देखा कि यहोवा की पवित्र शक्ति क्या कुछ कर सकती है। उस दर्शन में उसने देखा कि स्वर्गदूत जो कुछ कर रहे थे, पवित्र शक्ति की वजह से ही कर रहे थे। और स्वर्गीय रथ के बड़े-बड़े पहिए भी पवित्र शक्ति की मदद से ही आगे बढ़ रहे थे। (यहे. 1:20, 21) यह दर्शन इतना हैरतअंगेज़ था कि उसे देखकर यहेजकेल ‘मुँह के बल नीचे गिर पड़ा।’ (यहे. 1:28) जब भी यहेजकेल इस दर्शन के बारे में सोचता होगा, तो उसकी हिम्मत बढ़ जाती होगी। उसे पक्का यकीन हो जाता होगा कि पवित्र शक्ति के दम पर वह अपना काम भी पूरा कर पाएगा।
8-9. (क) जब यहोवा ने यहेजकेल से खड़े होने को कहा, तो क्या हुआ? (ख) यहोवा ने यहेजकेल की कैसे मदद की ताकि वह ढीठ लोगों को भी प्रचार कर पाए?
8 यहोवा ने यह दर्शन दिखाने के बाद यहेजकेल से कहा, “इंसान के बेटे, अपने पैरों के बल खड़ा हो जा। मैं तुझे कुछ बताना चाहता हूँ।” फिर क्या हुआ? यहेजकेल ने लिखा कि ‘पवित्र शक्ति उसके अंदर आयी’ और उसे इतनी ताकत दी कि वह अपने ‘पैरों के बल खड़ा हो पाया।’ (यहे. 2:1, 2) इसके बाद भी यहोवा ने यहेजकेल को पवित्र शक्ति दी और उसे बताया कि उसे क्या करना है। इसी वजह से यहेजकेल ने कई बार लिखा कि यहोवा का “हाथ” उस पर आया। (यहे. 3:22; 8:1; 33:22; 37:1; 40:1) पवित्र शक्ति ने उसे इतनी हिम्मत भी दी कि वह “ढीठ” लोगों को प्रचार कर पाया। (यहे. 3:7) यहोवा ने यहेजकेल से कहा, “वे जितने ढीठ और सख्त हैं, मैंने तुझे भी उतना ही सख्त और मज़बूत किया है। मैंने तुझे हीरे जैसा सख्त कर दिया और चकमक पत्थर से भी कड़ा बना दिया है। तू उन लोगों से डरना मत, न ही उनके चेहरे देखकर खौफ खाना।” (यहे. 3:8, 9) मानो यहोवा उससे कह रहा था, ‘इन ढीठ लोगों की बातें सुनकर मायूस मत हो जाना। मैं हूँ ना, मैं तुझे हिम्मत दूँगा!’
9 इसके बाद यहोवा की शक्ति यहेजकेल को उस इलाके में ले गयी, जहाँ उसे प्रचार करना था। वह बताता है, “यहोवा का हाथ मुझ पर मज़बूती से कायम था।” इसका मतलब, यहोवा की पवित्र शक्ति ने यहेजकेल की मदद की ताकि वह लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाने के लिए खुद को तैयार कर सके। उसे खुद वह संदेश अच्छी तरह समझना था, तभी वह लोगों को अच्छी तरह प्रचार कर पाता। इसलिए वह सात दिन तक उसी जगह पर रहा। (यहे. 3:14, 15) फिर यहोवा ने उसे एक घाटी में जाने को कहा जहाँ ‘पवित्र शक्ति उसके अंदर आयी’। (यहे. 3:23, 24) अब यहेजकेल लोगों को प्रचार करने के लिए तैयार था!
यहोवा हमें भी पवित्र शक्ति देता है
10. प्रचार करने के लिए हमें किसकी ज़रूरत है और क्यों?
10 यहेजकेल को प्रचार करने के लिए यहोवा की पवित्र शक्ति की ज़रूरत थी। आज हम भी यहोवा की पवित्र शक्ति की मदद से ही लोगों को प्रचार कर पाते हैं। क्यों? क्योंकि शैतान हमारा प्रचार काम रोकने के लिए हमसे “युद्ध” कर रहा है। (प्रका. 12:17) देखा जाए तो शैतान इंसानों से कहीं ज़्यादा ताकतवर है। लेकिन प्रचार करके हम दिखाते हैं कि हम शैतान से नहीं डरते। इसलिए जब भी हम प्रचार करते हैं, तो शैतान की हार होती है और हम उस पर जीत हासिल करते हैं। (प्रका. 12:9-11) ज़रा सोचिए, आज हमारा कितना विरोध किया जा रहा है, फिर भी हम प्रचार करने में लगे हुए हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा हमें पवित्र शक्ति दे रहा है और वह हमसे खुश है।—मत्ती 5:10-12; 1 पत. 4:14.
11. पवित्र शक्ति की मदद से हम क्या कर सकते हैं और इसे पाने के लिए हमें क्या करना होगा?
11 याद कीजिए, उन ढीठ लोगों को प्रचार करने के लिए यहोवा ने यहेजकेल को ‘सख्त और मज़बूत’ कर दिया था। उसी तरह यहोवा पवित्र शक्ति देकर हमें भी मज़बूत कर सकता है ताकि प्रचार करते वक्त हम किसी भी मुश्किल का सामना कर पाएँ। (2 कुरिं. 4:7-9) तो पवित्र शक्ति पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? हमें लगातार यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए और यकीन रखना चाहिए कि वह हमारी सुनेगा। यीशु ने भी अपने चेलों से कहा था, ‘माँगते रहो . . . ढूँढ़ते रहो . . . खटखटाते रहो। तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में हैं अपने माँगनेवालों को पवित्र शक्ति क्यों न देगा!’—लूका 11:9, 13; प्रेषि. 1:14; 2:4.
यहोवा की बातों से यहेजकेल का विश्वास बढ़ा
12. यहेजकेल को जो खर्रा दिया गया, वह कहाँ से आया था और उस पर क्या लिखा था? (यहेजकेल 2:9-3:3)
12 यहोवा ने यहेजकेल को पवित्र शक्ति दी ताकि वह हिम्मत से लोगों को प्रचार कर सके। इसके अलावा उसने अपनी बातों से उसका विश्वास भी बढ़ाया। यहोवा ने उसे एक दर्शन दिखाया, जिसमें उसे एक खर्रा दिया गया। (यहेजकेल 2:9–3:3 पढ़िए।) वह खर्रा कहाँ से आया? उस पर क्या लिखा था? और उसमें लिखी बातों से यहेजकेल का विश्वास कैसे बढ़ा? आइए एक-एक करके जानें। वह खर्रा यहोवा की राजगद्दी से आया था। इससे पहले यहेजकेल ने एक दर्शन में जिन चार स्वर्गदूतों को देखा था, शायद उन्हीं में से एक स्वर्गदूत ने उसे यह खर्रा दिया। (यहे. 1:8; 10:7, 20) उस खर्रे में यहोवा ने न्याय का संदेश लिखवाया था जो यहेजकेल को उन बगावती इसराएलियों को सुनाना था जिन्हें बंदी बनाकर लाया गया था। (यहे. 2:7) यह संदेश खर्रे के दोनों तरफ लिखा हुआ था।
13. यहेजकेल को खर्रा देने के बाद यहोवा ने उससे क्या कहा और यहेजकेल को खर्रा मीठा क्यों लगा?
13 यहोवा ने यहेजकेल से कहा कि वह उस खर्रे को खा ले और ‘उससे अपना पेट भर ले।’ यहेजकेल ने यहोवा की बात मानी और उस खर्रे को खा लिया। इस दर्शन का मतलब था कि यहेजकेल को वह संदेश सुनाने से पहले खुद उसे अच्छी तरह समझना था, तभी वह पूरे यकीन के साथ लोगों को उस बारे में बता पाता। और जब यहेजकेल वह खर्रा खाने लगा, तो वह उसे “शहद जैसा मीठा लगा।” (यहे. 3:3) इसका क्या मतलब था? यहेजकेल को वह खर्रा मीठा लगा, क्योंकि वह बहुत खुश था कि यहोवा ने उसे अपना संदेश सुनाने के लिए चुना है।—भज. 19:8-11.
14. लोगों को यहोवा का संदेश सुनाने से पहले यहेजकेल को क्या करना था?
14 इसके बाद यहोवा ने यहेजकेल से कहा, “मैं तुझे जो-जो बता रहा हूँ उसे तू ध्यान से सुन और अपने दिल में बिठा ले।” (यहे. 3:10) यहोवा चाहता था कि यहेजकेल उस खर्रे में लिखी बातों को याद कर ले और उस बारे में सोचे और उस पर मनन करे। जब यहेजकेल ने ऐसा किया तो उसका विश्वास बढ़ा और वह उस कड़े संदेश को समझ पाया जो उसे लोगों को सुनाना था। (यहे. 3:11) यहेजकेल यहोवा के संदेश को अपने दिलो-दिमाग में बिठा चुका था और अब वह उसे पूरे यकीन से लोगों को सुनाने के लिए तैयार था।
यहोवा की बातों से हमारा भी विश्वास बढ़ता है
15. मुश्किलों के बावजूद प्रचार करते रहने के लिए हमें क्या करना होगा?
15 यहेजकेल की तरह हमें भी यहोवा की बातों पर ध्यान देना होगा और उन्हें अपने “दिल में बिठा” लेना होगा। तभी हमारा विश्वास बढ़ेगा और हम मुश्किलों के बावजूद प्रचार करते रह पाएँगे। आज हम उसकी बातें, उसका वचन बाइबल पढ़कर जान सकते हैं। पर अगर हम चाहते हैं कि हमारी सोच, हमारी भावनाएँ और हम जिस इरादे से कोई काम करते हैं, वह बाइबल के मुताबिक हो, तो हमें क्या करना होगा?
16. (क) खर्रे के दर्शन से हमें क्या सीख मिलती है? (ख) हम बाइबल में लिखी बातों को अच्छी तरह समझने के लिए क्या कर सकते हैं?
16 जब हम खाना खाते हैं और उसे पचाते हैं, तो हमें ताकत मिलती है और हम मज़बूत बन जाते हैं। उसी तरह जब हम बाइबल पढ़ते हैं और उस पर मनन करते हैं, तो हमारा विश्वास मज़बूत होता है। खर्रे के उस दर्शन से हम यही सीखते हैं। ठीक जैसे यहेजकेल ने उस खर्रे से ‘अपना पेट भर लिया था,’ उसी तरह यहोवा चाहता है कि हम भी उसका वचन अच्छी तरह समझें, मानो उससे अपना पेट भर लें और उसे पचा लें। ऐसा करने के लिए हमें तीन चीज़ें करनी होंगी। सबसे पहले हमें प्रार्थना करनी होगी ताकि परमेश्वर की बातों को समझने के लिए हम अपने मन को तैयार कर सकें। इसके बाद हमें बाइबल को ध्यान से पढ़ना होगा। फिर हमें बीच-बीच में रुककर मनन करना होगा, ध्यान से उन बातों के बारे में सोचना होगा जो हमने पढ़ी हैं। हम जितना ज़्यादा मनन करेंगे, उतना ही हम बाइबल में लिखी बातों को समझ पाएँगे और हमारा विश्वास मज़बूत होगा।
17. बाइबल में लिखी बातों पर मनन करना क्यों ज़रूरी है?
17 बाइबल पढ़ना और उस पर मनन करना क्यों ज़रूरी है? ऐसा करने से हम आज हिम्मत से प्रचार कर पाएँगे और आनेवाले वक्त में अगर हमें लोगों को न्याय का कड़ा संदेश सुनाना हो, तो हम वह भी सुना पाएँगे। बाइबल पर मनन करने से हम यह भी जान पाते हैं कि यहोवा में कौन-कौन से गुण हैं और वह कैसा परमेश्वर है। ऐसा करके हम यहोवा के और करीब आ पाएँगे और हमें मन की शांति और सुकून मिलेगा। हमारी ज़िंदगी में मानो मिठास आ जाएगी!—भज. 119:103.
यहोवा की मदद से हम मुश्किलें आने पर भी प्रचार करते रहेंगे
18. जब लोगों का न्याय किया जाएगा, तब सबको क्या मानना पड़ेगा और क्यों?
18 हम यहेजकेल की तरह भविष्यवक्ता तो नहीं हैं, लेकिन यहोवा ने हमें भी कुछ वैसा ही काम दिया है। हमें लोगों को यहोवा का संदेश सुनाना है और हमें यह काम तब तक करते रहना है जब तक कि यहोवा की नज़र में यह पूरा ना हो जाए। और जब लोगों को प्रचार किया जा चुका होगा, तब यहोवा लोगों का न्याय करेगा। इसलिए उस वक्त कोई यह नहीं कह पाएगा कि किसी ने उन्हें खबरदार नहीं किया या ईश्वर उन्हें भूल गया। (यहे. 3:19; 18:23) सबको यह मानना पड़ेगा कि उन्हें जो संदेश सुनाया गया था, वह परमेश्वर की तरफ से ही था।
19. किन बातों को ध्यान में रखने से हम हिम्मत से प्रचार कर पाएँगे?
19 यहेजकेल को जिन तीन बातों से हिम्मत मिली, उन्हें याद रखने से आज हम भी हिम्मत से प्रचार कर सकते हैं। हम याद रख सकते हैं कि हमें यहोवा ने भेजा है, वह हमें अपनी पवित्र शक्ति देता है और बाइबल में लिखी उसकी बातों पर ध्यान देने से हमारा विश्वास बढ़ता है। मुश्किलें तो आएँगी, पर याद रखिए कि यहोवा हमारे साथ है। उसकी मदद से हम जोश से प्रचार करते रहेंगे और ‘अंत तक धीरज धर पाएँगे।’—मत्ती 24:13.
गीत 65 आगे बढ़!
a इस लेख में हम जानेंगे कि भविष्यवक्ता यहेजकेल यहोवा की मदद से कैसे अच्छी तरह प्रचार कर पाया। हम ऐसी तीन बातों पर ध्यान देंगे जिनसे यहोवा ने उसकी मदद की। इससे हमारा यकीन बढ़ जाएगा कि यहोवा हमारी भी मदद करेगा और हम लोगों को अच्छी तरह प्रचार कर पाएँगे।