यूहन्ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य
12 फिर स्वर्ग में एक बड़ी निशानी दिखायी दी: एक औरत+ सूरज ओढ़े हुए थी और चाँद उसके पैरों तले था और उसके सिर पर 12 तारों का ताज था 2 और वह गर्भवती थी। वह दर्द से चिल्ला रही थी और बच्चा जनने की पीड़ा से तड़प रही थी।
3 फिर स्वर्ग में एक और निशानी दिखायी दी और देखो! आग जैसे लाल रंग का एक बड़ा भयानक अजगर+ दिखायी दिया, जिसके सात सिर और दस सींग थे और जिसके सिरों पर सात मुकुट थे।* 4 उसने अपनी पूँछ से आकाश के एक-तिहाई तारों+ को घसीटकर धरती पर फेंक दिया।+ और अजगर उस औरत के सामने ही खड़ा रहा+ जो बच्चा जननेवाली थी ताकि जब उसका बच्चा हो तो उस बच्चे को निगल जाए।
5 उस औरत ने एक बेटे यानी एक लड़के को जन्म दिया,+ जो चरवाहे की तरह सब राष्ट्रों को लोहे के छड़ से हाँकेगा।+ उस औरत के बच्चे को छीनकर* परमेश्वर और उसकी राजगद्दी के पास ले जाया गया। 6 वह औरत वीराने में भाग गयी, जहाँ परमेश्वर ने उसके लिए एक जगह तैयार की थी ताकि वहाँ 1,260 दिन तक उसे खिलाया-पिलाया जाए।+
7 और स्वर्ग में युद्ध छिड़ गया: मीकाएल*+ और उसके स्वर्गदूतों ने अजगर से लड़ाई की और अजगर और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों ने उनके साथ लड़ाई की। 8 मगर अजगर और दुष्ट स्वर्गदूत उनका सामना न कर सके* और स्वर्ग में उनके लिए फिर जगह न रही। 9 इसलिए वह बड़ा भयानक अजगर,+ वही पुराना साँप,+ जो इबलीस+ और शैतान+ कहलाता है और जो सारे जगत* को गुमराह करता है,+ वह नीचे धरती पर फेंक दिया गया+ और उसके दुष्ट स्वर्गदूत भी उसके साथ फेंक दिए गए। 10 और मैंने स्वर्ग से एक ज़ोरदार आवाज़ को यह कहते सुना:
“हमारे परमेश्वर की तरफ से उद्धार+ और उसकी शक्ति और उसका राज+ और उसके मसीह का अधिकार अब ज़ाहिर हुआ है क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला नीचे फेंक दिया गया है, जो दिन-रात हमारे परमेश्वर के सामने उन पर दोष लगाया करता था!+ 11 और उन्होंने मेम्ने के खून की वजह से+ और उस संदेश की वजह से जिसकी उन्होंने गवाही दी थी,+ उस पर जीत हासिल की+ और मौत का सामना करते वक्त भी अपनी जान की परवाह नहीं की।+ 12 इसलिए हे स्वर्ग और उसमें रहनेवालो, खुशियाँ मनाओ! हे धरती और समुंदर, तुम पर बड़ी मुसीबत टूट पड़ी है+ क्योंकि शैतान तुम्हारे पास नीचे आ गया है और बड़े क्रोध में है, क्योंकि वह जानता है कि उसका बहुत कम वक्त बाकी रह गया है।”+
13 जब अजगर ने देखा कि उसे धरती पर फेंक दिया गया है+ तो उसने उस औरत पर ज़ुल्म ढाए+ जिसने लड़के को जन्म दिया था। 14 मगर औरत को बड़े उकाब के दो पंख+ दिए गए ताकि वह उड़कर वीराने में उस जगह चली जाए जो उसके लिए तैयार की गयी थी और वह साँप से दूर रहे+ और वहाँ एक काल, दो काल और आधे काल* के लिए उसे खिलाया-पिलाया जाए।+
15 और साँप ने उस औरत के पीछे अपने मुँह से नदी जैसी पानी की धारा छोड़ी ताकि औरत नदी में डूब जाए। 16 मगर पृथ्वी ने औरत की मदद की और पृथ्वी ने अपना मुँह खोला और उस नदी को निगल लिया जो अजगर के मुँह से निकली थी। 17 और अजगर औरत पर भड़क उठा और उस औरत के वंश* के बाकी बचे हुओं से युद्ध करने निकल पड़ा,+ जो परमेश्वर की आज्ञाएँ मानते हैं और जिन्हें यीशु की गवाही देने का काम मिला है।+