प्रधान अधिकारियों के विषय में मसीही का दृष्टिकोण
“हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए अपने अपने सापेक्ष स्थानों पर हैं।”—रोमियों १३:१, न्यू.व.
१, २. (अ) पौलुस रोम में एक कैदी क्यों था? (ब) क़ैसर से किए पौलुस की निवेदन से कौन-कौनसे प्रश्न उत्पन्न होते हैं?
सामान्य युग के तक़रीबन वर्ष ५६ में, प्रेरित पौलुस ने रोमियों को ऊपरोक्त शब्द लिखे। कुछ वर्ष बाद, उसने अपने आप को रोम में एक क़ैदी के रूप में पाया। क्यों? यरूशलेम में एक उत्तेजित भीड़ ने उस पर हमला किया था और रोमी सैनिकों ने उसे बचाया था। उसे क़ैसरिया ले जाया गया, जहाँ उसने झूठे आरोपों का सामना किया, परन्तु उसने रोमी हाकिम फेलिक्स के सामने कुशलता से अपना बचाव किया। फेलिक्स ने, जो घूस की अपेक्षा कर रहा था, उसे दो वर्षों तक क़ैद में रखा। आख़िरकार, पौलुस ने अगले हाकिम, फेस्तुस, से माँग की कि उसका मुक़द्दमा क़ैसर के सामने पेश हो।—प्रेरितों २१:२७-३२; २४:१-२५:१२.
२ एक रोमी नागरिक होने के नाते यह उसका हक़ था। लेकिन क्या यह संगत था कि पौलुस उस शाही अधिकार से निवेदन करे, जब यीशु ने शैतान का ज़िक्र ‘इस संसार का’ असली ‘सरदार’ के तौर से किया था और खुद पौलुस ने शैतान को “इस संसार का ईश्वर” कहा था? (यूहन्ना १४:३०; २ कुरिन्थियों ४:४) या क्या रोमी अधिकार एक ‘सापेक्षिक स्थानों’ में था, जिस से पौलुस का अपने हक़ के संरक्षण के लिए उस अधिकार से अपेक्षा रखना उचित हुआ? वास्तव में, प्रेरितों के पहले कहे शब्दों से, कि “हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही चाहिए,” क्या इस बात की अनुमति मिलती है, कि मानवीय शासकों के प्रति मसीहियों के रूप में आज्ञाकारी होना तब-तब ठीक है जब परमेश्वर के प्रति अवज्ञा संबद्ध न हों?—प्रेरितों ५:२९.
३. पौलुस कौनसा पूर्ण विकसित दृष्टिकोण प्रकट करता है, और इस में अन्तःकरण किस प्रकार संबद्ध है?
३ पौलुस रोमियों को लिखी अपनी चिट्ठी में हमें इन सवालों के जवाब देने की मदद करता है, जहाँ वह मानवीय शासकत्व के विषय में एक पूर्ण विकसित दृष्टिकोण प्रकट करता है। रोमियों १३:१-७ में, सर्वोच्च अधिकार, यहोवा परमेश्वर, के प्रति संपूर्ण आज्ञाकारिता के साथ, “प्रधान अधिकारियों” के प्रति सापेक्षिक आज्ञाकारिता को सन्तुलित करने में, एक मसीही के अन्तःकरण को कैसी भूमिका अदा करनी है, इस विषय में पौलुस स्पष्ट करता है।
प्रधान अधिकारियों की पहचान करना
४. १९६२ में दृष्टिकोण में कौनसा समन्वय लाया गया, जिस से कौनसे सवाल उत्पन्न हुए?
४ कुछ सालों से, १९६२ तक, यहोवा के गवाह मानते थे कि प्रधान अधिकारी यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह थे। परन्तु, नीतिवचन ४:१८ के अनुरूप, प्रकाश बढ़ता गया, और इस दृष्टिकोण में समन्वय लाया गया, जिससे कुछ लोगों के मन में प्रश्न उत्पन्न होंगे। क्या यह कहने में हम अब सही हैं कि ये अधिकारी राजा, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपाल, दण्डाधिकारी, और अन्य हैं, जो दुनिया में सांसारिक, राजनीतिक सत्ता चलाते हैं और हमें उन्हें एक सापेक्षिक रूप से अधीनता देनी चाहिए?
५. रोमियों १३:१ के संदर्भ से प्रधान अधिकारियों की पहचान करने में हमारी मदद कैसे होती है, और विविध बाइबल अनुवाद इस पहचान का समर्थन किस प्रकार करते हैं?
५ आइरेनियस, सामान्य युग की दूसरी शताब्दी के एक लेखक, ने कहा कि उसके समय के कुछेक लोगों के अनुसार, रोमियों १३:१ में पौलुस “देवदूतीय अधिकारियों [या] अदृश्य शासकों के संबंध में” बोल रहा था। फिर भी, आइरेनियस खुद प्रधान अधिकारियों का विचार “वास्तविक मानवीय अधिकारियों” के तौर से करता था। पौलुस के शब्दों के संदर्भ से दिखाई देता है कि आइरेनियस सही था। रोमियों अध्याय १२ के आख़री आयतों में, पौलुस समझाता है कि मसीहियों को ‘बैरियों’ के भी साथ प्रेम और लिहाज़ से व्यवहार करते हुए, “सब लोगों” के सामने किस तरह बरताव करना चाहिए। (रोमियों १२:१७-२१) स्पष्ट रूप से, “सब लोगों,” यह अभिव्यक्ति मसीही कलीसिया के बाहर के मनुष्यों से संबंध रखती है। इसलिए, जिन “प्रधान अधिकारियों” पर पौलुस आगे जाकर विचार-विमर्श करता है, वे भी मसीही कलीसिया के बाहर ही होंगे। इसी के अनुरूप, ग़ौर करें कि विविध अनुवाद रोमियों १३:१ के पहले हिस्से को किस तरह व्यक्त करते हैं: “हर एक को राज्य के अधिकारियों का आज्ञापालन अवश्य करना चाहिए।” (टुडेज़ इंग्लिश वर्शन); “प्रत्येक अपने आप को अवश्य सरकारी अधिकारियों के अधीन करे।” (न्यू इन्टरनॅशनल वर्शन); “हर किसी को नगर-अधिकारियों का आज्ञापालन करना ही चाहिए।”—फिल्लिप्स का न्यू टेस्टामेन्ट इन मॉडर्न इंग्लिश.
६. कर और महसूल चुकाने के बारे में पौलुस के शब्दों से यह किस तरह स्पष्ट है कि प्रधान अधिकारी सांसारिक अधिकार ही होंगे?
६ पौलुस आगे जाकर कहता है कि ये अधिकारी कर और महसूल माँगते हैं। (रोमियों १३:६, ७) मसीही कलीसिया न तो कर की माँग करती है और न ही महसूल की; और न ही यहोवा या यीशु या कोई और “अदृश्य शासक” इसकी माँग करते हैं। (२ कुरिन्थियों ९:७) कर सिर्फ़ सांसारिक अधिकारियों को चुकाया जाता है। इसके अनुरूप, रोमियों १३:७ में “कर” और “महसूल” के लिए पौलुस द्वारा इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द विशेष रूप से राज्य को दी रक़म का ज़िक्र करते हैं।a
७, ८. (अ) कई शास्त्रपद किस तरह इस दृष्टिकोण के अनुरूप हैं कि मसीहियों को इस संसार के राजनीतिक अधिकारियों के अधीन होना चाहिए? (ब) सिर्फ़ कौनसी परिस्थिति में एक मसीही इस “अधिकारी” के आदेशों को पूरा नहीं करेगा?
७ इसके अतिरिक्त, प्रधान अधिकारियों के अधीन रहने के विषय में पौलुस का प्रोत्साहन यीशु की आज्ञा के अनुरूप है, कि “जो कैसर का है, वह कैसर को दो,” और जिस में “कैसर” सांसारिक अधिकारियों को चित्रण करता है। (मत्ती २२:२१) यह तीतुस को पौलुस द्वारा बाद में लिखे शब्दों के अनुरूप भी है: “लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्छे काम के लिए तैयार रहें।” (तीतुस ३:१) इसलिए, जब सरकारें मसीहियों को सामुदायिक कार्यों में हिस्सा लेने का आदेश देते हैं, वे उचित रूप से इसका पालन करते हैं, जब तक कि ये कार्य किसी बाइबल-विरुद्ध सेवा के लिए एक समझौता-रूपी अनुकल्प के बराबर नहीं, या ये किसी प्रकार से धर्मशास्त्रीय सिद्धान्तों का उल्लंघन नहीं करते, उदाहरण के तौर पर, वह सिद्धान्त जो यशायाह २:४ में पाया जाता है।
८ पतरस ने भी इस बात की पुष्टि की कि हमें इस दुनिया के सांसारिक अधिकारियों के अधीन रहना चाहिए, जब उसने कहा: “प्रभु के लिए मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिए कि वह सब पर प्रधान है। और हाकिमों के, क्योंकि वे कुकर्मियों को दण्ड देने और सुकर्मियों को प्रशंसा के लिए उसके भेजे हुए हैं।” (१ पतरस २:१३, १४) इसके अनुरूप, मसीही तीमुथियुस को दिए पौलुस के इस प्रबोधन की ओर भी ध्यान देते: “अब मैं सब से पहले यह उपदेश देता हूँ, कि बिनती, प्रार्थना, निवेदन, और धन्यवाद, सब तरह के मनुष्यों के लिए किए जाएँ। राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएँ।”b—१ तीमुथियुस २:१, २, न्यू.व.
९. मानवी अधिकारियों का उल्लेख “प्रधान” के तौर से करना, यहोवा की महिमा को क्यों नहीं घटाता?
९ सांसारिक अधिकारियों को “प्रधान” कहकर, क्या हम किसी तरह से उस आदर को घटा रहे हैं जो यहोवा को मिलना चाहिए? नहीं, इसलिए कि यहोवा केवल प्रधान होने से कहीं अधिक हैं। वह “सर्वश्रेष्ठ प्रभु,” “परमप्रधान” हैं। (भजन ७३:२८, न्यू.व.; दानिय्येल ७:१८, २२, २५, २७; प्रकाशितवाक्य ४:११; ६:१०) मानवी अधिकारियों को दी उचित अधीनता, परमप्रधान अधिकारी, सर्वश्रेष्ठ प्रभु यहोवा को दी हमारी उपासना को किसी भी तरह से नहीं घटाती। तो फिर, ये अधिकारी किस हद तक प्रधान हैं? ये सिर्फ़ अन्य मनुष्यों के संबंध में और उनके अपने कार्यक्षेत्र में प्रधान हैं। वे मानवी समुदायों पर शासन करने और उनकी रक्षा करने के लिए ज़िम्मेदार है, और इसके लिए वे राजकीय मामलों के कार्य-संचालन के विषय में नियम निर्धारित करते हैं।
“परमेश्वर के ठहराए हुए अपने अपने सापेक्ष स्थानों पर हैं”
१०. (अ) प्रधान अधिकारियों को ‘ठहराने’ के विषय में पौलुस का कथन खुद यहोवा के अधिकार के बारे में क्या साबित करता है? (ब) कुछेक शासकों के ‘ठहराए’ जाने के बारे में यहोवा ने किस बात की अनुमति दी है, और इस प्रकार उनके सेवकों की परीक्षा किस तरह ली जाती है?
१० प्रधान अधिकारियों के ऊपर भी यहोवा परमेश्वर की परमप्रधानता इस बात से देखी जा सकती है कि ये अधिकारी “परमेश्वर के ठहराए हुए अपने अपने सापेक्ष स्थानों पर हैं।” बहरहाल, इस कथन से एक सवाल उठता है। पौलुस द्वारा इन शब्दों के लिखे जाने के कुछ साल बाद, रोमी सम्राट् नीरो ने मसीहियों के विरुद्ध द्वेषपूर्ण उत्पीड़न का एक अभियान प्रवर्तित किया। क्या परमेश्वर ने खुद नीरो को उसके पद पर रखा? बिल्कुल नहीं! ऐसा नहीं कि हर एक शासक परमेश्वर द्वारा चुना जाता है, और ‘परमेश्वर की कृपा से’ पद पर रखा जाता है। उलटा, शैतान कभी-कभी पैंतरेबाज़ी करके क्रूर मानवों को शासकों के तौर से पद पर रखता है, और यहोवा इसकी अनुमति, और अन्य परीक्षाओं की अनुमति देते हैं, जो ऐसे शासक उनके ख़राई रखनेवाले सेवकों पर लाते हैं।—अय्यूब २:२-१० से तुलना करें।
११, १२. इतिहास में ऐसे कौनसे उदाहरण हैं जब यहोवा ने स्वयं सांसारिक अधिकारियों को अपने स्थानों पर रखा और हटाया?
११ फिर भी, कुछेक शासकों या सरकारों के विषय में यहोवा ने व्यक्तिगत रूप से दख़ल अवश्य दिया है, ताकि उनका उच्च उद्देश्य पूरा हो। मिसाल के तौर पर, इब्राहीम के समय में, कनानियों को कनान देश में रहने दिया गया। यद्यपि, बाद में यहोवा ने उन्हें उखाड़कर उस देश को इब्राहीम के वंश को दिया। इस्राएलियों के बंजर भूमि के निवास के दौरान, यहोवा ने उन्हें अम्मोन, मोआब और सेइर पर्वत को रौंदने नहीं दिया। परन्तु उन्होंने उन्हें सीहोन और ओग को मिटा देने की आज्ञा ज़रूर दी।—उत्पत्ति १५:१८-२१; २४:३७; निर्गमन ३४:११; व्यवस्थाविवरण २:४, ५, ९, १९, २४; ३:१, २.
१२ कनान देश में इस्राएलियों के बसने के बाद, यहोवा उन अधिकारियों में सीधी दिलचस्पी लेते रहे जो उनकी प्रजा को प्रभावित करते थे। कभी-कभी, जब इस्राएल ने पाप किया, यहोवा ने उन्हें किसी मूर्तिपूजक अधिकार के अधीन आने दिया। जब उन्होंने प्रायश्चित किया, उन्होंने देश से उस अधिकार को निकाल दिया। (न्यायियों २:११-२३) आख़िरकार, उन्होंने, कई अन्य राष्ट्रों के साथ, यहूदा को भी बाबेलोन के प्रभुत्व के अधीन आने दिया। (यशायाह १४:२८-१९:१७; २३:१-१२; ३९:५-७) बाबेलोन में इस्राएल के निर्वासित होने के बाद, यहोवा ने उन विश्व शक्तियों के उत्थान-पतन पूर्वबतलाए, जो बाबेलोन के समय से खुद हमारे समय तक उनके लोगों को प्रभावित करते।—दानिय्येल, अध्याय २, ७, ८ और ११.
१३. (अ) मूसा के गीत के अनुसार, यहोवा ने देश देश के लोगों के सिवाने क्यों ठहराए? (ब) परमेश्वर ने बाद में इस्राएल को उसके देश में पुनःस्थापित क्यों किया?
१३ मूसा ने यहोवा के बारे में यह गाकर सुनाया: “जब परमप्रधान ने एक एक जाति को निज निज भाग बाँट दिया, और आदमियों को अलग अलग बसाया, तब उस ने देश देश के लोगों के सिवाने इस्राएलियों की गिनती के अनुसार ठहराए। क्योंकि यहोवा का अंश उसकी प्रजा है, याक़ूब उसका नपा हुआ निज भाग है।” (व्यवस्थाविवरण ३२:८, ९; प्रेरितों १७:२६ से तुलना करें।) जी हाँ, अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, परमेश्वर ने वहाँ निर्धारित किया कि कौन-कौनसे अधिकारी वहीं रहते और कौनसे नष्ट किए जाते। इस रीति से, उन्होंने इब्राहीम के वंश के लिए एक भूमि निर्धारित की, और बाद में उन्हें उस देश में पुनःस्थापित किया, ताकि आख़िर में प्रतिज्ञात वंश वहाँ प्रकट हो सके, उसी तरह जैसे भविष्यवाणी की गई थी।—दानिय्येल ९:२५, २६; मीका ५:२.
१४. अधिकांशतः, यहोवा मानवी अधिकारियों को उनके सापेक्ष स्थानों पर किस अर्थ से रखते हैं?
१४ बहरहाल, अधिकांश स्थितियों में, यहोवा शासकों को अपने सापेक्ष स्थानों पर ठहराते हैं, इस अर्थ से कि वह मानवों को एक दूसरे से सापेक्ष, पर हमेशा ही अपने आप से निम्न अधिकार के पद लेने देते हैं। इस प्रकार, जब यीशु पुन्तियुस पीलातुस के सामने खड़ा हुआ, तब उसने उस शासक से कहा: “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता।” (यूहन्ना १९:११) इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्वर ने खुद पीलातुस को उसके स्थान पर रखा, लेकिन इसका मतलब यह था कि यीशु पर उसका जीवन-मृत्यु का अधिकार सिर्फ़ परमेश्वर की अनुमति से ही था।
“इस संसार का ईश्वर”
१५. किस रीति से शैतान इस संसार में शासन करता है?
१५ यद्यपि, बाइबल के उस कथन का क्या, जो कहता है कि शैतान इस संसार का ईश्वर, या सरदार है? (यूहन्ना १२:३१; २ कुरिन्थियों ४:४) सचमुच, यीशु के सामने शैतान की उस डींग का क्या, जब उसने यीशु को संसार के सभी राज्य दिखाए और कहा: “यह सब अधिकार, . . . मुझे सौंपा गया है, और जिसे चाहता हूँ उसी को दे देता हूँ।” (लूका ४:६) यीशु ने शैतान की उस डींग का खण्डन नहीं किया। और शैतान के शब्द उस के अनुरूप है जो पौलुस ने बाद में इफिसियों को लिखा: “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और माँस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।” (इफिसियों ६:१२) इसके अतिरिक्त, प्रकाशितवाक्य की किताब शैतान को एक बड़े अजगर के रूप में चित्रित करती है, जो इस संसार की राजनीतिक व्यवस्था के एक पाशविक प्रतीक को “अपनी सामर्थ, और अपना सिंहासन, और बड़ा अधिकार” देता है।—प्रकाशितवाक्य १३:२.
१६. (अ) यह किस तरह देखा जा सकता है कि शैतान का अधिकार सीमित है? (ब) यहोवा क्यों शैतान को मनुष्यजाति के बीच अधिकार चलाने की अनुमति देते हैं?
१६ फिर भी, यह ग़ौर करें कि यीशु को कहे शैतान का यह कथन, कि “यह सब अधिकार . . . मुझे सौंपा गया है,” दिखाता है कि वह भी सिर्फ़ अनुमति से ही अधिकार चलाता है। परमेश्वर यह अनुमति क्यों देते हैं? एक विश्व शासक के रूप में शैतान का जीवन वहाँ अदन में शुरु हुआ, जब उसने सब के सामने परमेश्वर पर झूठ बोलने और अन्यायी रूप से अपनी प्रभुसत्ता को प्रयोग में लाने का आरोप लगाया। (उत्पत्ति ३:१-६) आदम और हव्वा ने शैतान का अनुसरण करके यहोवा परमेश्वर की अवज्ञा की। उस समय यहोवा, पूर्ण न्याय के साथ, शैतान और उसके दो नए अनुयायियों को प्राणदण्डित कर सकते थे। (उत्पत्ति २:१६, १७) परन्तु शैतान के शब्द वास्तव में यहोवा के लिए एक निजी चुनौती थी। तो अपनी बुद्धि में परमेश्वर ने शैतान को कुछ समय ज़िन्दा रहने दिया, और आदम तथा हव्वा को मरने से पहले बच्चे जनने की अनुमति दी गई। इस रीति से, परमेश्वर ने शैतान की चुनौती की असत्यता साबित करने के लिए समय और मौक़ा दिया।—उत्पत्ति ३:१५-१९.
१७, १८. (अ) हम क्यों कह सकते हैं कि शैतान इस संसार का ईश्वर है? (ब) किस रीति से इस संसार में “कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो?”
१७ अदन के समय से हुई घटनाओं ने दिखाया है, कि शैतान के आरोप पूर्णतया झूठ थे। आदम के वंशजों ने ना शैतान के शासन और ना ही मनुष्य के शासन के अधीन सुख पाया है। (सभोपदेशक ८:९) दूसरी ओर, परमेश्वर के खुद अपने लोगों से किए व्यवहार से ईश्वरीय शासन की श्रेष्ठता दिखाई दी है। (यशायाह ३३:२२) पर चूँकि आदम के अधिकांश वंशज यहोवा की प्रभुसत्ता को स्वीकार नहीं करते, वे जानबूझकर या अनजाने में अपने ईश्वर के तौर से शैतान ही की सेवा करते हैं।—भजन १४:१; १ यूहन्ना ५:१९.
१८ जल्द ही, अदन में उठाए गए वाद-विषय तै किए जाएँगे। परमेश्वर का राज्य मनुष्यजाति के मामलों के प्रशासन का भार पूर्ण रूप से ले लेगा, और शैतान को अथाह कुण्ड में डाला जाएगा। (यशायाह ११:१-५; प्रकाशितवाक्य २०:१-६) यद्यपि, इसी बीच, एक तरह की व्यवस्था, या ढ़ाँचा मनुष्यजाति के बीच आवश्यक हुआ है, ताकि एक नियंत्रित जीवन संभव हो सके। यहोवा “परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं परन्तु शान्ति का कर्त्ता है।” (१ कुरिन्थियों १४:३३) इसलिए, उन्होंने अदन के बाहर विकसित होनेवाले समुदायों में अधिकार के ढ़ाँचों को अस्तित्व में आने दिया, और उन्होंने मनुष्यों को इस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिकार चलाने दिया है। इस रीति से “कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो।”
निष्पक्ष अधिकारी
१९. क्या हर एक मानवी शासक शैतान के सीधे नियंत्रण में है?
१९ अदन के समय से, शैतान को मनुष्यजाति में फिरने की खुली छूट रही है, और, यीशु के सामने किए उसकी डींग के अनुरूप, उसने पृथ्वी पर घटनाओं के विषय में पैंतरेबाज़ी करके इस स्वतंत्रता का प्रयोग किया है। (अय्यूब १:७; मत्ती ४:१-१०) परन्तु, इसका मतलब यह नहीं कि इस संसार का हर एक शासक सीधे रूप से शैतान के नियंत्रण में होता है। पहली शताब्दी में नीरो और हमारी सदी में एडॉल्फ हिट्लर के जैसे—कुछेकों ने एक सचमुच ही शैतानी मनोवृत्ति दर्शायी है। लेकिन दूसरों ने ऐसा नहीं किया है। सिरगियुस पौलुस, कुप्रुस का सूबेदार, एक “बुद्धिमान पुरुष” था जिसने “परमेश्वर का वचन सुनना चाहा।” (प्रेरितों १३:७) अखाया देश का हाकिम, गल्लियो ने पौलुस के यहूदी आरोप लेगानेवालों के दबाव से दब जाने से इन्कार किया। (प्रेरितों १८:१२-१७) कई और शासकों ने बड़ी ईमानदारी से अपने अधिकार का उपयोग किया है।—रोमियों २:१५ से तुलना करें।
२०, २१. २०वीं सदी में कौनसी घटनाओं से यह दर्शाया जाता है कि मानवी शासक हमेशा ही शैतान की इच्छानुसार नहीं करते?
२० प्रकाशितवाक्य की किताब में यह पूर्वबतलाया गया कि “प्रभु के दिन” में, जो १९१४ में शुरु होनेवाला था, यहोवा पैंतरेबाज़ी करके मानवी अधिकारियों से काम निकालते ताकि शैतान के उद्देश्यों को व्यर्थ कर सकें। प्रकाशितवाक्य अभिषिक्त मसीहियों के ख़िलाफ़ शैतान द्वारा प्रवर्तित किए गए उत्पीड़न का मानो एक सैलाब का वर्णन करता है, जो कि “पृथ्वी” द्वारा समा लिया जाता। (प्रकाशितवाक्य १:१०; १२:१६) “पृथ्वी” के भीतर के शक्तियाँ, यानी, पृथ्वी पर अब विद्यमान मानवी समाज, यहोवा के लोगों को शैतान के उत्पीड़न से बचा लेता।
२१ क्या यह वास्तव में हुआ है? जी हाँ। मिसाल के तौर पर, १९३० और १९४० के दशकों में, अमेरीका में यहोवा के गवाहों पर बड़ा दबाव डाला गया, और वे उत्तेजित भीड़ों के हमले और बार बार के अन्यायी गिरफ़्तारियाँ झेल रहे थे। उन्हें राहत तब मिली जब यू.एस. के सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णय दिए जो उनके कार्य की वैधता को मान्यता प्रदान करते थे। अन्य जगहों में भी, अधिकारी वर्ग परमेश्वर के लोगों की सहायता को आए हैं। आयरलैंड में लगभग ४० साल पहले, एक रोमन कैथोलिक उत्तेजित भीड़ ने कॉर्क नामक शहर में दो गवाहों पर हमला किया। एक स्थानीय पुलिस सिपाही गवाहों की सहायता को आया, और एक न्यायालय ने हमलावरों को दण्ड दिया। १९८९ में फिजि में, प्रधान सामंतों की एक सभा में यहोवा के गवाहों के कार्य को निषेध करने का एक प्रस्ताव पेश किया गया। एक सामंत निडरता से गवाहों के पक्ष में बोला, और प्रस्ताव को आसानी से व्यर्थ किया गया।
२२. इसके आगे कौनसे सवालों पर विचार किया जाएगा?
२२ नहीं, सांसारिक अधिकारी हमेशा ही शैतान के उद्देश्यों को पूरा नहीं करते। मसीही स्वयं शैतान के अधीन हुए बिना प्रधान अधिकारियों के अधीन हो सकते हैं। वास्तव में, वे तब तक इन अधिकारियों के अधीन रहेंगे जब तक परमेश्वर इन अधिकारियों को अस्तित्व में रहने की अनुमति देते हैं। फिर भी, ऐसी अधीनता का मतलब क्या है? और वापसी में मसीही प्रधान अधिकारियों से कैसी अपेक्षा रख सकते हैं? अगले लेखों में इन सवालों पर विचार किया जाएगा।
[फुटनोट]
a उदाहरणार्थ, लूका २०:२२ में “कर” (फोʹरॉस) शब्द का प्रयोग देखें। और यूनानी शब्द (टीʹलॉस) का प्रयोग भी देखें, जिसे यहाँ “महसूल” अनुवादित किया गया है, और मत्ती १७:२५ में, जहाँ इसे “कर्तव्य” अनुवादित किया गया है।
b जिस यूनानी संज्ञा का अनुवाद “ऊँचा पद,” हाय·परो·खेʹ, किया गया है, वह क्रिया हाय·प·रेʹखो से संबंधित है। “प्रधान अधिकारी” में “प्रधान” शब्द इसी यूनानी क्रिया से व्युत्पन्न है, जो कि इस सबूत को बढ़ाता है कि प्रधान अधिकारी ही सांसारिक अधिकारी हैं। द न्यू इंग्लिश बाइबल में रोमियों १३:१ का अनुवाद, कि “हर व्यक्ति को सर्वोच्च अधिकारियों के आधीन होना चाहिए,” ग़लत है। “ऊँचे पदों” पर बैठनेवाले मनुष्य सर्वोच्च नहीं होते, हालाँकि वे शायद अन्य मनुष्यों से वरिष्ठ होंगे।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ प्रधान अधिकारी कौन हैं?
◻ हम कैसे कह सकते हैं कि “कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो”?
◻ यहोवा इस संसार को शैतान के अधिकार के अधीन होने का अनुमति क्यों देते हैं?
◻ परमेश्वर किस रीति से मानवी अधिकारियों को “अपने अपने सापेक्ष स्थानों पर” ठहराते हैं?
[पेज 13 पर तसवीरें]
रोम के दाहन के बाद, नीरो ने एक सचमुच ही शैतानी मनोवृत्ति दर्शायी
[पेज 15 पर तसवीरें]
सिरगियुस पौलुस, कुप्रुस के सुबेदार, ने परमेश्वर का वचन सुनना चाहा