भजन
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 हे प्रार्थना के सुननेवाले, सब किस्म के लोग तेरे पास आएँगे।+
हम तेरे भवन की,+ तेरे पवित्र मंदिर* की अच्छी चीज़ों से संतुष्ट होंगे।+
5 हे परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता,
तू हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देगा और नेकी की खातिर विस्मयकारी काम करेगा,+
तू धरती के कोने-कोने तक बसनेवालों का,
सागर के पार दूर-दूर तक रहनेवालों का भरोसा है।+
7 तूफानी समुंदर को, साहिल से टकराती लहरों को तू शांत कर देता है,+
होहल्ला मचाते राष्ट्रों को खामोश कर देता है।+
8 दूर-दराज़ इलाकों के लोग तेरे चिन्ह देखकर दंग रह जाएँगे,+
उदयाचल से अस्ताचल तक रहनेवालों को तू ऐसी खुशी देगा कि वे जयजयकार करेंगे।
10 तू इसके कूँड़ों में पानी भरता है, जुती हुई ज़मीन* समतल करता है,
तू पानी बरसाकर मिट्टी नरम करता है और उसकी पैदावार पर आशीष देता है।+
वे जीत का जश्न मनाते हैं, हाँ, गीत गाते हैं।+