यहेजकेल
28 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सोर के अगुवे से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“तेरा मन घमंड से फूल गया है,+ तू बार-बार कहता है, ‘मैं एक ईश्वर हूँ।
मैं बीच समुंदर में एक ईश्वर के आसन पर बैठा हूँ।’+
मगर तू जो खुद को ईश्वर समझता है,
तू कोई ईश्वर नहीं, मामूली इंसान है।
3 तू खुद को दानियेल से ज़्यादा बुद्धिमान समझता है।+
तू सोचता है कि ऐसा कोई रहस्य नहीं जो तेरी समझ से बाहर हो।
4 तूने अपनी बुद्धि और पैनी समझ से खूब दौलत बटोरी है,
तू अपने खज़ाने में सोना-चाँदी जमा करता जा रहा है।+
5 तूने बड़ी हुनरमंदी से लेन-देन करके बेशुमार दौलत कमायी है,+
अपनी दौलत की वजह से तेरा मन घमंड से फूल गया है।”’
6 ‘इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“तू मन-ही-मन खुद को ईश्वर समझता है न?
7 इसलिए मैं तेरे खिलाफ परदेसियों को ला रहा हूँ, जो राष्ट्रों में से सबसे खूँखार लोग हैं,+
वे तेरी हर खूबसूरत चीज़ पर तलवारें चलाएँगे जो तूने अपनी बुद्धि से हासिल की है
और तेरी शान मिट्टी में मिलाकर तुझे दूषित कर देंगे।+
9 क्या तब भी तू अपने कातिल से कहेगा, ‘मैं एक ईश्वर हूँ’?
तू अपने दूषित करनेवालों के हाथ में कोई ईश्वर नहीं, अदना इंसान होगा।”’
10 ‘तू परदेसियों के हाथों ऐसे मारा जाएगा मानो तू कोई खतनारहित हो,
क्योंकि यह बात मैंने कही है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
11 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 12 “इंसान के बेटे, सोर के राजा के बारे में एक शोकगीत गा और उससे कह, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
13 तू परमेश्वर के बाग, अदन में था।
तुझे हर तरह के अनमोल रत्न से जड़े कपड़े पहनाए गए थे
—माणिक, पुखराज और यशब, करकेटक, सुलेमानी और मरगज, नीलम, फिरोज़ा+ और पन्ना।
उन्हें सोने के खाँचों में बिठाया गया था।
जिस दिन तुझे सिरजा गया था, उसी दिन तेरे लिए ये तैयार किए गए थे।
14 मैंने तेरा अभिषेक करके तुझे पहरा देनेवाला करूब ठहराया था।
तू परमेश्वर के पवित्र पहाड़ पर था+ और आग से धधकते पत्थरों के बीच चला करता था।
15 जिस दिन तुझे सिरजा गया था, उस दिन से लेकर तब तक तू अपने चालचलन में निर्दोष रहा
जब तक कि तुझमें बुराई न पायी गयी।+
मैं तुझे दूषित जानकर परमेश्वर के पहाड़ से निकाल दूँगा और तेरा नाश कर दूँगा।+
हे पहरा देनेवाले करूब, तुझे मैं धधकते पत्थरों के बीच से निकाल दूँगा।
17 अपनी सुंदरता की वजह से तेरा मन घमंड से फूल गया है।+
अपनी शान की वजह से तूने अपनी बुद्धि भ्रष्ट कर ली है।+
मैं तुझे नीचे ज़मीन पर पटक दूँगा।+
तुझे राजाओं के सामने तमाशा बना दूँगा।
18 तेरे पाप के भारी दोष और व्यापार में तेरी बेईमानी ने तेरे पवित्र-स्थानों को दूषित कर दिया है।
मैं तुझमें आग की ज्वाला भड़काऊँगा जो तुझे भस्म कर देगी।+
मैं धरती पर सबके सामने तुझे जलाकर राख कर दूँगा।
19 देश-देश के सभी लोग जो तुझे जानते थे, तुझे देखकर हक्के-बक्के रह जाएँगे।+
तेरा अंत अचानक और भयानक होगा।
तू हमेशा के लिए मिट जाएगा।”’”+
20 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 21 “इंसान के बेटे, सीदोन की तरफ मुँह कर+ और उसके खिलाफ भविष्यवाणी कर। 22 तू उससे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“हे सीदोन, मैं तेरे खिलाफ हूँ और तेरे यहाँ मेरी महिमा होगी।
जब मैं तेरा न्याय करके तुझे सज़ा दूँगा और तेरे यहाँ खुद को पवित्र ठहराऊँगा, तो लोगों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।
23 मैं सीदोन में महामारी भेजूँगा और उसकी सड़कों पर खून की नदियाँ बहेंगी।
जब उस पर चारों दिशाओं से तलवार चलेगी, तो वहाँ लाशों का ढेर लग जाएगा
और लोगों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+
24 इसके बाद इसराएल का घराना फिर कभी ऐसे लोगों से नहीं घिरा रहेगा जो उनके साथ नीच व्यवहार करते हैं, कँटीली झाड़ियों और काँटों की तरह चुभते हैं।+ और लोगों को जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।”’
25 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “जब मैं इसराएल के घराने को उन सभी देशों से दोबारा इकट्ठा करूँगा जहाँ उन्हें तितर-बितर किया गया है,+ तब मैं सब देशों के देखते उनके बीच पवित्र ठहरूँगा।+ फिर वे अपने देश में जाकर बसेंगे+ जो मैंने अपने सेवक याकूब को दिया था।+ 26 वहाँ वे महफूज़ बसे रहेंगे,+ घर बनाएँगे और अंगूरों के बाग लगाएँगे।+ वे तब महफूज़ बसे रहेंगे जब मैं उनके आस-पास के लोगों का न्याय करके उन्हें सज़ा दूँगा जो उन्हें तुच्छ जानकर उनके साथ नीच व्यवहार करते हैं।+ और उन्हें जानना होगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”’”