नीतिवचन
9 सच्ची बुद्धि ने अपना घर बनाया है,
तराशे हुए सात खंभों पर इसे खड़ा किया है।
4 “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।”
जिनमें समझ नहीं, उनसे वह कहती है,
5 “आओ और मेरे यहाँ रोटी खाओ,
आकर दाख-मदिरा पीओ जिसका मैंने स्वाद बढ़ाया है।
7 जो खिल्ली उड़ानेवाले को सुधारता है, वह अपनी ही बेइज़्ज़ती कराता है,+
जो दुष्ट को डाँट लगाता है वह खुद चोट खाता है।
8 खिल्ली उड़ानेवाले को मत डाँट, वह तुझसे नफरत करेगा,+
बुद्धिमान को डाँट, वह तुझसे प्यार करेगा।+
9 बुद्धिमान को समझा, वह और बुद्धिमान बनेगा,+
नेक इंसान को सिखा, वह सीखकर अपना ज्ञान बढ़ाएगा।
10 यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है,+
परम-पवित्र परमेश्वर के बारे में जानना,+ समझ हासिल करना है।
12 अगर तू बुद्धिमान बने तो तेरा ही भला होगा,
लेकिन अगर तू खिल्ली उड़ाए, तो तू ही अंजाम भुगतेगा।
13 मूर्ख औरत बकबक तो करती है,+
मगर जानती कुछ नहीं, बिना जाने बोलती रहती है।
14 वह शहर की ऊँची-ऊँची जगह पर,
अपने घर के सामने बैठी,+
15 आने-जानेवालों को आवाज़ लगाती है,
अपने रास्ते पर सीधे जा रहे लोगों से कहती है,
16 “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।”
जिनमें समझ नहीं, उनसे वह कहती है,+