आपका आहार—क्या यह आपको मार सकता है?
“तुम्हारे हृदय की धमनी बुरी तरह बंद हो गयी है, लगभग ९५% अवरोधन है . . . तुम्हें जल्द ही दिल का दौरा पड़ने की पूरी संभावना है।”
बत्तीस-वर्षीय जो, हृदय-रोग विशेषज्ञ के इन शब्दों पर यक़ीन नहीं कर पा रहा था, जिसने उसके सीने में दर्द का कारण पता लगाने के लिए उसकी जाँच की थी। हृदय रोग से मरनेवाले लगभग आधे लोगों को पता भी नहीं है कि उन्हें हृदय रोग है।
लेकिन कौन-सी बात जो की इस हालत की ज़िम्मेदार थी? जो दुःखित होकर कहता है, ‘३२ साल तक मैं “गोश्त और दूध” का ठेठ अमरीकी आहार खाता रहा। अमरीकी आहार मेरे स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, इस बात को मैं किसी तरह सुना-अनसुना करता रहा।’
आपका आहार और हृदय रोग
जो के आहार में क्या ख़राबी थी? सबसे बड़ी बात, उसमें बहुत ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल और वसा थी, ख़ासकर संतृप्त वसा। बचपन से, जो लगभग हर निवाले के साथ ख़ुद को हृदय रोग के लिए तैयार कर रहा था। असल में, उच्च वसायुक्त आहार अमरीका में मौत के दस प्रमुख कारणों में से पाँच से जुड़ा हुआ है। इस सूची में सबसे ऊपर है हृदय रोग।
आहार और हृदय रोग के बीच का संबंध, सात देशों में ४० से ४९ के बीच की उम्र के कुछ १२,००० पुरुषों पर चलाए गए अध्ययन से नज़र आता है। दिल के दौरे की दर में अत्यधिक भिन्नता बहुत कुछ उजागर करती है। अध्ययन ने दिखाया कि फिनलैंडवासियों के लहू में—जो अपनी २० प्रतिशत कैलोरियाँ संतृप्त वसा के रूप में खाते हैं—कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज़्यादा था, वहीं जापानियों के लहू में—जो अपनी कैलोरियों का केवल ५ प्रतिशत संतृप्त वसा के रूप में खाते हैं—कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम था। और फिनलैंडवासियों में दिल के दौरे की दर जापानियों से छः गुना ज़्यादा थी!
लेकिन, हृदय रोग अब जापान में आम हो चुका है। पिछले कुछ सालों में, जैसे-जैसे पश्चिमी शैली का झटपट भोजन वहाँ लोकप्रिय हुआ है, गोश्त से प्राप्त वसा का उपभोग ८०० प्रतिशत से बढ़ गया है। अब, जापान के लड़कों के लहू में, उसी उम्र के अमरीकी लड़कों से, कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज़्यादा है! स्पष्ट है, आहार में वसा और कोलेस्ट्रॉल, जीवन को ख़तरे में डालनेवाली स्थितियों में शामिल हैं, ख़ासकर हृदय रोग में।
कोलेस्ट्रॉल की भूमिका
कोलेस्ट्रॉल एक सफ़ेद, चिपचिपा पदार्थ है जो जीवन के लिए ज़रूरी होता है। यह सभी मनुष्यों और जानवरों की कोशिकाओं में पाया जाता है। हमारा कलेजा कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करता है, और जो भोजन-वस्तुएँ हम खाते हैं उनमें विभिन्न मात्राओं में भी यह पाया जाता है। लिपोप्रोटीन नामक अणुओं में लहू कोशिकाओं तक कोलेस्ट्रॉल ले जाता है। ये अणु कोलेस्ट्रॉल, वसा, और प्रोटीन से बने होते हैं। जो दो क़िस्म के लिपोप्रोटीन लहू के कोलेस्ट्रॉल का अधिकांश भाग लिए चलते हैं वे हैं कम घनत्व के लिपोप्रोटीन (LDL) और उच्च घनत्व के लिपोप्रोटीन (HDL)।
LDL में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। जब वे रक्त-वाहिनी से गुज़रते हैं, वे कोशिकाओं की दीवारों पर LDL प्रवेश-द्वार से प्रवेश करते हैं और कोशिका द्वारा प्रयोग किए जाने के लिए विघटित हो जाते हैं। शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में ऐसे प्रवेश-द्वार होते हैं, और वे LDL का कुछ भाग अंदर ले लेते हैं। लेकिन कलेजा इस तरह बनाया गया है कि रक्त-वाहिनी से LDL प्रवेश-द्वार द्वारा LDL का ७० प्रतिशत निकास वहीं होता है।
दूसरी ओर, HDL कोलेस्ट्रॉल के प्यासे अणु हैं। रक्त-वाहिनी से गुज़रते वक़्त वे अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को सोख लेते हैं और कलेजे तक पहुँचा देते हैं। कलेजे में कोलेस्ट्रॉल का विघटन होता है और उसे शरीर से निकाल दिया जाता है। इस प्रकार हमारा शरीर बहुत ही बढ़िया तरीक़े से बनाया गया है ताकि जितनी ज़रूरत है उतने कोलेस्ट्रॉल का प्रयोग करे और बाक़ी को शरीर से निकाल दे।
समस्या तब आती है जब लहू में बहुत ज़्यादा LDL होता है। इससे धमनी की दीवारों पर प्लेक बनने की संभावना बढ़ जाती है। जब प्लेक बन जाता है, तो धमनियाँ तंग हो जाती हैं और ऑक्सीजनयुक्त लहू की जो मात्रा उनसे गुज़र सकती है वह कम हो जाती है। इस स्थिति को धमनीकलाकाठिन्य कहा जाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और चुपचाप चलती रहती है, और प्रत्यक्ष चिन्ह प्रकट करने के लिए दशकों का समय लेती है। एक चिन्ह है हृद्शूल, या सीने में दर्द, जैसा दर्द जो को हुआ।
अकसर लहू के थक्कों से, जब हृदय की एक धमनी पूरी तरह बंद पड़ जाती है, तो हृदय के जिस भाग को उस धमनी से लहू मिलता है वह भाग मर जाता है। इसका परिणाम अचानक होता है, अकसर घातक होता है, स्थानिक अरक्तता—जो दिल के दौरे के रूप में ज़्यादा अच्छी तरह जाना जाता है। हृदय की धमनी के आंशिक रूप से बंद पड़ने से भी हृदय की कोशिकाएँ मर सकती हैं, जो शायद स्पष्ट शारीरिक बेचैनी से ज़ाहिर न हो। शरीर के अन्य भागों में धमनियों का बंद पड़ना, रक्ताघात, पैरों की गैंग्रीन, यहाँ तक कि गुरदे के बंद पड़ जाने का कारण हो सकता है।
इसमें आश्चर्य नहीं, LDL को बुरा कोलेस्ट्रॉल, और HDL को अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। अगर की गयी जाँच में LDL का स्तर ऊँचा है या HDL का स्तर कम है, तो हृदय रोग का ख़तरा ज़्यादा होता है।a इससे बहुत पहले कि व्यक्ति को सुस्पष्ट चिन्ह नज़र आएँ, जैसे कि हृद्शूल, लहू की एक सरल जाँच से अकसर आनेवाले ख़तरे का पता लग जाएगा। तो फिर, यह महत्त्वपूर्ण है कि अपने लहू में कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नज़र रखें। आइए अब देखें कि आपका आहार इस स्तर को कैसे प्रभावित कर सकता है।
लहू में कोलेस्ट्रॉल और आहार
कोलेस्ट्रॉल पशुओं से प्राप्त भोजन-वस्तुओं का एक स्वाभाविक अंश है। गोश्त, अंडे, मछली, मुर्गी, और दूध से बनी वस्तुएँ, सभी में कोलेस्ट्रॉल होता है। दूसरी ओर, पौधों से प्राप्त भोजन-वस्तुएँ कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होती हैं।
हमारा शरीर अपनी ज़रूरत का सारा कोलेस्ट्रॉल पैदा करता है, इसलिए भोजन से लिया गया कोलेस्ट्रॉल अतिरिक्त होता है। हमारे भोजन का ज़्यादातर कोलेस्ट्रॉल कलेजे में पहुँच जाता है। सामान्यतः, जब भोजन का कोलेस्ट्रॉल कलेजे में प्रवेश करता है, तो कलेजा उस पर काम करता है और कोलेस्ट्रॉल की अपनी पैदावार कम कर देता है। यह लहू में कोलेस्ट्रॉल की कुल मात्रा नियंत्रित रखता है।
लेकिन, तब क्या होता है जब आहार में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इतनी अधिक है कि कलेजा उस पर जल्दी से काम नहीं कर पाता? तब धमनी की दीवार की कोशिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के सीधे प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाती है। जब ऐसा होता है तब धमनीकलाकाठिन्य की प्रक्रिया शुरू होती है। यह स्थिति ख़ासकर तब ख़तरनाक होती है जब भोजन द्वारा लिए गए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा चाहे जो भी हो, हमारा शरीर उसी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल बनाना जारी रखता है। अमरीका में, ५ लोगों में १ व्यक्ति को यह समस्या है।
तो फिर, भोजन द्वारा लिए गए कोलेस्ट्रॉल में कटौती करना, बुद्धिमानी का मार्ग है। लेकिन हमारे आहार का एक और भाग है जिसका लहू के कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर और भी बड़ा असर होता है—संतृप्त वसा।
वसा और कोलेस्ट्रॉल
वसा दो वर्गों में आती है: संतृप्त और असंतृप्त। असंतृप्त वसा या तो मोनोअनसैच्युरेटॆड हो सकती है या पॉलीअनसैच्युरेटॆड। संतृप्त वसा से असंतृप्त वसा आपके लिए अच्छी है, क्योंकि संतृप्त वसा का सेवन लहू में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देता है। संतृप्त वसा ऐसा दो तरीक़ों से करती है: वह कलेजे में ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करने में मदद करती है, और कलेजे की कोशिकाओं पर LDL प्रवेश-द्वारों को वह दबा देती है, जिससे लहू से LDL के निकास की गति धीमी पड़ जाती है।
संतृप्त वसा ज़्यादातर पशुओं से आनेवाली भोजन-वस्तुओं में पायी जाती है, जैसे कि मक्खन, अंडे का पीला भाग, चरबी, दूध, आइसक्रीम, गोश्त, और मुर्गी। चॉकलेट, नारियल और उसके तेल, वनस्पति घी और ताड़ के तेल में भी इनकी काफ़ी मात्रा होती है। संतृप्त वसा सामान्य तापमान पर जमी हुई होती है।
दूसरी ओर, असंतृप्त वसा सामान्य तापमान पर द्रव्य होती है। संतृप्त वसावाली भोजन-वस्तुओं की जगह, अगर आप मोनोअनसैच्युरेटॆड वसा और पॉलीअनसैच्युरेटॆड वसा की भोजन-वस्तुएँ लें, तो उससे शायद आपके लहू का कोलेस्ट्रॉल स्तर घटने में मदद मिले।b जहाँ पॉलीअनसैच्युरेटॆड वसा, जो मकई के तेल और सूरजमुखी बीज के तेल में सामान्य होती है, अच्छे और बुरे दोनों क़िस्म के कोलेस्ट्रॉल को घटाती है, वहीं मोनोअनसैच्युरेटॆड वसा, जो जैतून और कनोला तेल में बहुत ज़्यादा होती है, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित किए बिना केवल बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाती है।
हाँ, वसा हमारे आहार का एक आवश्यक भाग है। उदाहरण के लिए, उनके बिना विटामिन ए, डी, ई और के को हम जज़्ब नहीं कर पाएँगे। लेकिन, वसा के लिए शरीर की माँग बहुत ही कम है। सब्ज़ियाँ, दालें, अनाज और फल खाने से ये आसानी से पूरी हो जाती हैं। सो संतृप्त वसा का सेवन कम करने से शरीर के लिए ज़रूरी पोषकों से हम उसे वंचित नहीं रखते।
वसा और कोलेस्ट्रॉल कम क्यों करें
क्या एक आहार जिसमें बहुत ज़्यादा वसा और कोलेस्ट्रॉल है हमेशा लहू के कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ाएगा? ज़रूरी नहीं ऐसा हो। थॉमस ने, जिसका ज़िक्र पहले लेख में किया गया था, सजग होइए! से उसके इंटरव्यू के बाद अपने लहू की जाँच करवाने का निर्णय लिया। परिणामों ने दिखाया कि उसका कोलेस्ट्रॉल स्तर उपयुक्त सीमाओं तक ही था। स्पष्ट है कि उसका कलेजा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रख सकता था।
लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं कि थॉमस ख़तरे से मुक्त है। हाल के अध्ययन संकेत करते हैं कि भोजन-संबंधी कोलेस्ट्रॉल, लहू में कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव से अलग, हृद्पेशीय रोग के ख़तरे पर प्रभाव डाल सकता है। “कोलेस्ट्रॉल-संपन्न भोजन-वस्तुएँ ऐसे लोगों में भी हृदय रोग को बढ़ा सकती हैं जिनके लहू में कम कोलेस्ट्रॉल है,” नार्थवेस्टर्न यूनीवर्सिटी के डॉ. जेरेमायाह स्टैमलर कहते हैं। “और इसीलिए कोलेस्ट्रॉल कम खाना, सभी लोगों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए, चाहे उनके लहू में कोलेस्ट्रॉल का स्तर जो भी हो।”
आहार में वसा होने की भी बात है। लहू में बहुत ज़्यादा वसा, चाहे वह भोजन में संतृप्त या असंतृप्त वसा से हो, लाल रक्त-कोशिकाओं के एकसाथ मिलकर पिंड बनाने के लिए ज़िम्मेदार है। ऐसा गाढ़ा लहू तंग केशिकाओं से नहीं गुज़रता, जिससे इन अंगों को ज़रूरी पोषक नहीं मिल पाते। कोशिकाओं का पिंड जो इन धमनियों से गुज़रता है, धमनी की दीवारों के लिए ऑक्सीजन के बँटवारे को भी रोक देता है, जिससे सतह को नुक़सान पहुँचता है, जहाँ प्लेक आसानी से बनना शुरू हो सकता है। लेकिन अत्यधिक मात्रा में वसा का सेवन करने में एक और ख़तरा है।
कैंसर और आहार
“सब क़िस्म की वसा—संतृप्त और असंतृप्त—किसी-न-किसी क़िस्म की कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में शामिल हैं,” डॉ. जॉन ए. मॆकडूगल कहते हैं। बड़ी आंत-मलाशयी कैंसर और स्तन कैंसर के अंतर्राष्ट्रीय घटन के एक सर्वेक्षण ने पाश्चात्य देशों, जहाँ आहार में वसा की मात्रा ज़्यादा होती है, और विकासशील देशों के बीच चेतावनी-सूचक भिन्नताएँ दिखायीं। उदाहरण के लिए, अमरीका में स्त्री और पुरुषों दोनों में दूसरा सबसे सामान्य कैंसर बड़ी आंत-मलाशयी कैंसर है, जबकि स्तन कैंसर स्त्रियों में सबसे सामान्य है।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, जब लोग घर बदलकर ऐसे देश में जाते हैं जहाँ कैंसर की घटनाएँ ज़्यादा होती हैं, आख़िरकार वे भी उस देश की कैंसर दर विकसित कर लेते हैं। यह विकास इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितनी जल्दी नयी जीवनशैली और आहार को अपना लेते हैं। “हवाई में जापानी आप्रवासी,” कैंसर सोसाइटी की पाक्-पुस्तक कहती है, “कैंसर का पाश्चात्य नमूना विकसित कर रहे हैं: बड़ी आंत और स्तन कैंसर की ज़्यादा घटनाएँ, पेट के कैंसर की कम—जो जापानी नमूने के उल्टा है।” स्पष्ट है कि कैंसर आहार से जुड़ा हुआ है।
अगर आपके आहार में कुल वसा, संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और कैलोरियाँ ज़्यादा हैं, तो आपको कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है। अच्छा आहार अच्छे स्वास्थ्य का कारण हो सकता है और बुरे आहार के अनेक दुष्परिणामों को भी उलट सकता है। बाइपास सर्जरी जैसे दर्द-भरे विकल्प को ध्यान में रखते हुए, जिसका ख़र्च अकसर $४०,००० या उससे ज़्यादा आता है, यह निश्चय ही ज़्यादा चाहनेयोग्य है।
सोच-समझकर यह चुनना कि आप क्या खाते हैं, आप वज़न कम कर सकते हैं, बेहतर महसूस कर सकते हैं, और कुछ रोगों से दूर रहने या उनका इलाज करने में ख़ुद अपनी मदद कर सकते हैं। इस बारे में सुझावों की चर्चा अगले लेख में की गयी है।
[फुटनोट]
a कोलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम प्रति डॆसीलिटर के हिसाब से नापा जाता है। कुल कोलेस्ट्रॉल—LDL, HDL और लहू में अन्य लिपोप्रोटीन में कोलेस्ट्रॉल का कुल—का उचित स्तर प्रति डॆसीलिटर २०० मिलीग्राम से भी कम है। प्रति डॆसीलिटर में ४५ मिलीग्राम या अधिक HDL का स्तर अच्छा माना जाता है।
b अमरीकियों के लिए १९९५ भोजन-संबंधी निर्देश, हर दिन की कैलोरियों का केवल ३० प्रतिशत वसा के रूप में लेने और संतृप्त वसा को इन कैलोरियों के १० प्रतिशत से कम भाग होने की सलाह देते हैं। कैलोरियों के रूप में संतृप्त वसा के सेवन में १ प्रतिशत घटाव से सामान्यतः लहू के कोलेस्ट्रॉल स्तर में प्रति डॆसीलिटर ३ मिलीग्राम कमी आती है।
[पेज 8 पर रेखाचित्र]
हृदय की धमनियों की अनुप्रस्थ काट: (१) पूरी खुली हुई, (२) आंशिक रूप से बंद, (३) लगभग पूरी तरह से बंद