अध्याय 11
“उसके सब मार्ग तो न्यायपूर्ण हैं”
1, 2. (क) यूसुफ पर क्या-क्या घोर अन्याय हुए? (ख) यहोवा ने इंसाफ करने के लिए क्या किया?
यह घोर अन्याय था। उस खूबसूरत नौजवान ने कोई अपराध नहीं किया था, फिर भी उसे कारागार में डाल दिया गया। उस पर, बलात्कार की कोशिश का झूठा इलज़ाम लगाया गया था। मगर ऐसा अन्याय यूसुफ के साथ पहली बार नहीं हुआ था। बरसों पहले, जब वह 17 साल का था तब उसके अपने ही भाइयों ने उसके साथ विश्वासघात किया। वे तो उसे जान से ही मार डालते। मगर बाद में उन्होंने उसे विदेश में गुलामी करने के लिए बेच दिया। वहाँ उसकी मालकिन ने उसे नाजायज़ संबंधों के लिए लुभाया, मगर उसने हमेशा विरोध किया। उसके इनकार से वह औरत तिलमिला उठी और उसने यूसुफ पर झूठा इलज़ाम मढ़ दिया जिसकी वजह से उसे हिरासत में ले लिया गया। अफसोस, ऐसा लग रहा था कि यूसुफ की तरफ से बोलनेवाला कोई नहीं।
यूसुफ ने बेकसूर होते हुए भी “कारागार” में दुःख झेला
2 मगर, परमेश्वर जो “धर्म और न्याय से प्रीति रखता है,” यह सब देख रहा था। (भजन 33:5) यहोवा ने इंसाफ करने के लिए कदम उठाया, और घटनाओं का रुख इस तरह मोड़ दिया जिससे यूसुफ को रिहाई मिली। इतना ही नहीं, यूसुफ जिसे “कारागार” में डाला गया था, उसे आखिरकार भारी ज़िम्मेदारी और बड़े सम्मान का पद मिला। (उत्पत्ति 40:15; 41:41-43; भजन 105:17, 18) अंत में, यह ज़ाहिर हो गया कि यूसुफ बेगुनाह था और उसने अपने ऊँचे ओहदे का इस्तेमाल, परमेश्वर का उद्देश्य पूरा करने के लिए किया।—उत्पत्ति 45:5-8.
3. हम सब चाहते हैं कि हमारे साथ न्याय हो, यह ताज्जुब की बात क्यों नहीं है?
3 यूसुफ की यह दास्तान हमारे दिल को छू जाती है, है ना? हममें से ऐसा कौन है जिसके साथ कभी अन्याय न हुआ हो या जिसने कभी दूसरों पर अन्याय होते न देखा हो? वाकई, हम सभी चाहते हैं कि हमारे साथ न्याय हो और बिना पक्षपात के व्यवहार किया जाए। इसमें कोई ताज्जुब नहीं, क्योंकि यहोवा ने हम सभी के अंदर ऐसे गुण डाले हैं जो खुद उसमें मौजूद हैं। और न्याय, यहोवा के खास गुणों में से एक है। (उत्पत्ति 1:27) यहोवा को अच्छी तरह जानने के लिए उसके न्याय के जज़्बे को समझना ज़रूरी है। इस तरह हम उसके अद्भुत मार्गों को और अच्छी तरह समझ पाएँगे और हमें उसके करीब आने की प्रेरणा मिलेगी।
न्याय क्या है?
4. इंसानी नज़रिए से न्याय के अकसर क्या मायने समझे जाते हैं?
4 इंसान की नज़र में अकसर न्याय का मतलब होता है, कानून को बिना पक्षपात लागू करना। राइट एण्ड रीज़न—एथिक्स इन थियरी एण्ड प्रैक्टिस किताब कहती है कि “न्याय—कानून, ज़िम्मेदारियों, अधिकारों और फर्ज़ से जुड़ा है, और यह निष्पक्षता या फिर किसी की अच्छाई को ध्यान में रखकर किया जाता है।” मगर यहोवा का न्याय, कर्तव्य या फर्ज़ पूरा करने के लिए सिर्फ कानूनों को लागू करना नहीं है।
5, 6. (क) बाइबल की मूल भाषाओं में, जिन शब्दों का अनुवाद “न्याय” किया गया है, उनका मतलब क्या है? (ख) इसका क्या मतलब है कि परमेश्वर न्यायी है?
5 यहोवा के न्याय में क्या-क्या शामिल है और यह कितना अथाह है, यह तभी समझा जा सकता है, जब हम बाइबल की मूल भाषा के शब्दों पर ध्यान दें। इब्रानी शास्त्र में, न्याय के लिए तीन खास शब्द इस्तेमाल हुए हैं। एक शब्द जिसका अनुवाद अकसर “न्याय” किया गया है, उसे “जो सही है” भी अनुवाद किया जा सकता है। (उत्पत्ति 18:25, NW) बाकी दो शब्दों का अनुवाद आम तौर पर “धार्मिकता” किया जाता है। मसीही यूनानी शास्त्र में, जिस शब्द का अनुवाद “धार्मिकता” किया गया है, उसकी परिभाषा यूँ दी गयी है: “सही या न्यायपूर्ण होने का गुण।” तो फिर, बुनियादी तौर पर धार्मिकता और न्याय में कोई फर्क नहीं है।—आमोस 5:24.
6 इसलिए, जब बाइबल कहती है कि परमेश्वर न्यायी है, तो यह असल में कह रही है कि वह हमेशा वही करता है जो सही और उचित है। और इसमें वह किसी का पक्ष नहीं लेता। (रोमियों 2:11) दरअसल, यह सोचा भी नहीं जा सकता कि वह कभी कोई अन्याय कर सकता है। वफादार एलीहू ने कहा था: “यह कदापि सम्भव नहीं कि परमेश्वर दुष्टता करे, और सर्वशक्तिमान अन्याय करे”! (अय्यूब 34:10, NHT) जी हाँ, हो ही नहीं सकता कि यहोवा “अन्याय करे।” क्यों? इसकी दो खास वजह हैं।
7, 8. (क) क्यों यहोवा अन्याय नहीं कर सकता? (ख) किस वजह से यहोवा दूसरों के साथ धार्मिकता या न्याय से पेश आता है?
7 पहली वजह, वह पवित्र है। जैसे हम अध्याय 3 में देख चुके हैं, यहोवा के जैसा शुद्ध और खरा और कोई नहीं। इसलिए उसके अन्यायी या अधर्मी होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ध्यान दीजिए कि इसका क्या मतलब है। हमारे स्वर्गीय पिता की पवित्रता हमें यह भरोसा रखने की हर वजह देती है कि वह कभी-भी अपने बच्चों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा। यीशु को इस बात का पक्का विश्वास था। धरती पर अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात, यीशु ने प्रार्थना की: “हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से . . . उन की [चेलों की] रक्षा कर।” (यूहन्ना 17:11) शास्त्र में सिर्फ यहोवा को “पवित्र पिता” कहकर पुकारा गया है। और यह सही भी है, क्योंकि कोई इंसानी पिता पवित्रता में परमेश्वर की बराबरी नहीं कर सकता। यीशु को पूरा विश्वास था कि उसके चेले, उसके पिता की निगरानी में सुरक्षित रहेंगे, जो पूरी तरह से शुद्ध और निर्मल, और पाप से एकदम अलग है।—मत्ती 23:9.
8 दूसरी वजह, निःस्वार्थ प्रेम परमेश्वर के स्वभाव में है। ऐसा प्रेम उसे उकसाता है कि वह दूसरों के साथ धार्मिकता या न्याय से पेश आए। मगर प्रेम के उलटे, लालच और स्वार्थ जैसे गुण, अन्याय को जन्म देते हैं और यह जाति-भेद, ऊँच-नीच और पक्षपात के अलग-अलग रूप में नज़र आता है। प्रेम के परमेश्वर के बारे में बाइबल हमें यकीन दिलाती है: “यहोवा धर्मी है, वह धर्म के ही कामों से प्रसन्न रहता है।” (भजन 11:7) यहोवा अपने बारे में कहता है: “मैं यहोवा न्याय से प्रीति रखता हूं।” (यशायाह 61:8) क्या यह जानकर हमें सांत्वना नहीं मिलती कि हमारा परमेश्वर ऐसा काम करने में खुशी पाता है, जो सही या न्यायपूर्ण है?—यिर्मयाह 9:24.
दया और यहोवा का सिद्ध न्याय
9-11. (क) यहोवा के न्याय और उसकी दया के बीच क्या नाता है? (ख) यहोवा पापी इंसानों के साथ जैसे पेश आता है, उससे उसका न्याय और उसकी दया कैसे ज़ाहिर होते हैं?
9 यहोवा की बेमिसाल शख्सियत के बाकी गुणों की तरह उसका न्याय भी सिद्ध है और उसमें कोई खोट या कमी नहीं है। यहोवा का गुणगान करते हुए, मूसा ने लिखा: “वह चट्टान है! उसका काम सिद्ध है, उसके सब मार्ग तो न्यायपूर्ण हैं। वह विश्वासयोग्य परमेश्वर है, उसमें कुटिलता नहीं। वह धर्मी और खरा है।” (व्यवस्थाविवरण 32:3, 4, NHT) यहोवा के न्याय में कभी चूक नहीं होती। वह सिद्ध न्याय करता है—वह न तो हद-से-ज़्यादा ढिलाई दिखाता है, न ही हद-से-ज़्यादा सख्ती।
10 यहोवा के न्याय और उसकी दया के बीच गहरा नाता है। भजन 116:5 कहता है: “यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी [“न्यायप्रिय,” बुल्के बाइबिल] है; और हमारा परमेश्वर दया करनेवाला है।” जी हाँ, यहोवा न्यायप्रिय और दयालु दोनों है। ये दो गुण एक-दूसरे के विरोध में नहीं हैं। यहोवा के दया दिखाने का मतलब यह नहीं कि वह अपने न्याय को नरम बना रहा है, मानो दया के बगैर उसका न्याय हद-से-ज़्यादा कठोर हो। इसके बजाय, ये दो गुण यहोवा अकसर एक ही वक्त पर, यहाँ तक कि एक ही काम से ज़ाहिर करता है। इसकी एक मिसाल पर गौर कीजिए।
11 सभी इंसानों को विरासत में पाप मिला है, इसलिए वे सभी पाप की सज़ा यानी मौत पाने के लायक हैं। (रोमियों 5:12) मगर यहोवा पापियों के मरने से खुश नहीं होता। वह “क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, . . . ईश्वर है।” (नहेमायाह 9:17) फिर भी, पवित्र होने की वजह से वह अधर्म होता देख चुप नहीं बैठ सकता। तो फिर, जन्म से ही पाप में पड़े इंसानों पर वह दया कैसे दिखा सकता है? इसका जवाब हमें परमेश्वर के वचन की सबसे अनमोल सच्चाई में मिलता है: इंसान के उद्धार के लिए यहोवा का छुड़ौती का इंतज़ाम। अध्याय 14 में हम इस प्यार-भरे इंतज़ाम के बारे में और ज़्यादा सीखेंगे। यह इंतज़ाम न सिर्फ पूरी तरह न्याय की माँगों को पूरा करता है बल्कि दया की एक बेजोड़ मिसाल भी है। इसके ज़रिए, यहोवा अपने सिद्ध न्याय के स्तरों पर कायम रहते हुए, पश्चाताप करनेवाले पापियों को बड़ी कोमलता से दया दिखा सकता है।—रोमियों 3:21-26.
यहोवा का न्याय खुशी देता है
12, 13. (क) यहोवा का न्याय हमें उसके करीब क्यों लाता है? (ख) यहोवा के न्याय के बारे में दाऊद किस नतीजे पर पहुँचा, और इससे हमें कैसे दिलासा मिलता है?
12 यहोवा न्याय करने में ऐसा निष्ठुर नहीं है कि हम उससे दूरी महसूस करें, बल्कि उसका यह गुण ऐसा मनभावना है कि यह हमें उसके करीब आने के लिए उकसाता है। बाइबल में साफ बताया गया है कि यहोवा का न्याय या उसकी धार्मिकता, करुणामय है। आइए हम यहोवा के न्याय करने के कुछ तरीकों पर गौर करें, जिनके बारे में जानकर हमारे दिल को खुशी मिलती है।
13 यहोवा का सिद्ध न्याय उसे उकसाता है कि अपने सेवकों के लिए वह विश्वासयोग्य और वफादार साबित हो। भजनहार दाऊद ने, यहोवा के न्याय के इस पहलू को खुद अपने अनुभव से समझा था और वह इसकी कदर जानता था। अपने अनुभव और परमेश्वर के मार्गों का अध्ययन करने से, दाऊद किस नतीजे पर पहुँचा? उसने कहा: “यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है।” (भजन 37:28) कितना बड़ा दिलासा है ये! हमारा परमेश्वर एक पल के लिए भी अपने भक्तों यानी वफादार सेवकों को नहीं त्यागेगा। इसलिए हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह सदा हमारे करीब रहेगा और हमारी प्यार से परवाह करता रहेगा। उसका न्याय इस बात की गारंटी देता है!—नीतिवचन 2:7, 8.
14. इस्राएल को दी गयी कानून-व्यवस्था से कैसे ज़ाहिर होता है कि यहोवा, मुसीबत के मारों की परवाह करता है?
14 परमेश्वर का न्याय, दीन-दुखियों की ज़रूरतों को समझता है। इन मुसीबत के मारों के लिए यहोवा की परवाह, इस्राएल को दी गयी उसकी कानून-व्यवस्था से साफ दिखायी देती है। मिसाल के लिए, व्यवस्था में अनाथों और विधवाओं की ज़रूरतें पूरी करने के लिए खास इंतज़ाम किए गए थे। (व्यवस्थाविवरण 24:17-21) यहोवा जानता था कि ऐसे परिवारों के लिए ज़िंदगी कितनी दूभर हो सकती है, इसलिए यहोवा ने खुद उनका पिता, न्यायी और रक्षक बनकर, ‘अनाथों और विधवा का न्याय चुकाया।’ (व्यवस्थाविवरण 10:18; भजन 68:5) यहोवा ने इस्राएलियों को आगाह किया कि अगर वे इन बेसहारा स्त्रियों और बच्चों पर अत्याचार करेंगे, तो वह उनकी दुहाई ज़रूर सुनेगा। उसने कहा: “तब मेरा क्रोध भड़केगा।” (निर्गमन 22:22-24) क्रोध यहोवा के खास गुणों में शामिल नहीं है, फिर भी जब कोई जान-बूझकर अन्याय करता है और खासकर ऐसे लोगों पर जो लाचार और बेसहारा हैं, तो उसका धर्मी क्रोध भड़क उठता है।—भजन 103:6.
15, 16. यहोवा के निष्पक्ष होने की एक बढ़िया मिसाल क्या है?
15 यहोवा हमें यह भी यकीन दिलाता है कि वह “किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।” (व्यवस्थाविवरण 10:17) यहोवा किसी की दौलत या बाहरी दिखावे के छलावे में नहीं आता, जैसे अकसर दुनिया के बड़े अधिकारी या रुतबा रखनेवाले लोग आ जाते हैं। किसी की तरफदारी या पक्षपात करने की भावना उसमें दूर-दूर तक नहीं है। इसकी एक बहुत बढ़िया मिसाल पर गौर कीजिए। यहोवा के सच्चे उपासक बनने और आगे चलकर अनंत जीवन पाने का मौका, ऊँचे घराने या बड़ी पदवी रखनेवाले सिर्फ गिने-चुने लोगों के लिए नहीं रखा गया है। इसके उलटे, “हर जाति में जो उस से डरता और धर्म [“धार्मिकता,” NHT] के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों 10:34, 35) यह शानदार आशा सबके लिए है, चाहे समाज में उनका दर्जा कोई भी क्यों न हो, उनका रंग कैसा भी क्यों न हो या वे किसी भी देश में क्यों न रहते हों। क्या यह सच्चे न्याय की सबसे बेहतरीन मिसाल नहीं?
16 यहोवा के सिद्ध न्याय का एक और पहलू है जिस पर हमें गौर करना चाहिए और जिसका आदर करना चाहिए। वह है, यहोवा के धर्मी स्तरों को तोड़नेवालों के साथ उसका व्यवहार।
सज़ा से छूट नहीं
17. समझाइए कि इस दुनिया में होनेवाले अन्याय, क्यों यहोवा के न्याय पर उँगली उठाने की कोई वजह नहीं देते?
17 कुछ लोग शायद सोचें: ‘अगर यहोवा अधर्म के कामों को अनदेखा नहीं करता, तो फिर क्या वजह है कि आज की दुनिया में हर तरफ अन्याय और बुराई है?’ ऐसे अन्याय किसी भी तरह यहोवा के न्याय पर उँगली उठाने की वजह नहीं देते। इस दुष्ट संसार में किए जानेवाले बहुत-से अन्याय, उस पाप के नतीजे हैं जो इंसानों को आदम से विरासत में मिला है। इस दुनिया में, जहाँ असिद्ध इंसान ने खुद अपनी मरज़ी से पाप का मार्ग चुन लिया है, वहाँ अन्याय तो होगा ही। मगर ऐसा ज़्यादा देर तक नहीं चलेगा।—व्यवस्थाविवरण 32:5.
18, 19. क्या बात दिखाती है कि यहोवा सदा तक ऐसे लोगों को बरदाश्त नहीं करेगा, जो जानबूझकर उसके धर्मी कानूनों को तोड़ते हैं?
18 जहाँ एक तरफ यहोवा सच्चे दिल से अपने पास आनेवालों पर बड़ी दया दिखाता है, वहीं वह ऐसे हालात को हमेशा तक बरदाश्त नहीं करेगा जिससे उसका पवित्र नाम बदनाम होता है। (भजन 74:10, 22, 23) न्याय करनेवाले परमेश्वर को ठट्ठों में नहीं उड़ाया जा सकता; जान-बूझकर पाप करनेवालों पर आनेवाले दंड से वह उन्हें नहीं बचाएगा, क्योंकि वे इसी लायक हैं कि उन्हें अपने किए की सज़ा मिले। यहोवा “परमेश्वर, दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीमा, और करुणा तथा सत्य से भरपूर [है]; . . . फिर भी दोषी को वह किसी भी प्रकार दण्ड दिए बिना नहीं छोड़ेगा।” (निर्गमन 34:6, 7, NHT) इन शब्दों के मुताबिक, कभी-कभी यह ज़रूरी हो जाता है कि यहोवा, अपने धर्मी कानूनों को जानबूझकर तोड़नेवालों को दंड दे।
19 मिसाल के लिए, प्राचीन इस्राएल के साथ परमेश्वर के व्यवहार को लीजिए। इस्राएली, वादा किए देश में बस जाने के बाद भी बार-बार यहोवा से विश्वासघात करते रहे। हालाँकि उनके भ्रष्ट तौर-तरीकों ने यहोवा को “उदास” कर दिया, फिर भी उसने उन्हें फौरन त्याग नहीं दिया। (भजन 78:38-41) इसके बजाय, उसने बड़ी दया दिखाकर उन्हें बार-बार मौके दिए कि वे अपना मार्ग बदल लें। उसने गुज़ारिश की: “मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?” (यहेजकेल 33:11) यहोवा की नज़र में जीवन अनमोल है, इसलिए उसने बार-बार अपने भविष्यवक्ताओं को भेजा ताकि उनकी बात मानकर इस्राएली अपने दुष्ट मार्गों से फिर जाएँ। मगर, कुल मिलाकर कठोर मन रखनेवाली इस जाति ने सुनने और पश्चाताप करने से इनकार कर दिया। आखिरकार, अपने पवित्र नाम और इसके जो-जो मायने हैं, उसकी खातिर यहोवा ने उन्हें उनके दुश्मनों के हवाले कर दिया।—नहेमायाह 9:26-30.
20. (क) इस्राएल के साथ यहोवा के व्यवहार से हम उसके बारे में क्या सीखते हैं? (ख) सिंह, यहोवा के न्याय की सही निशानी क्यों है?
20 इस्राएल के साथ यहोवा के व्यवहार से हम उसके बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। हम सीखते हैं कि यहोवा की आँखें अधर्म के हर काम को देखती हैं और जो कुछ हो रहा है, उसका उस पर गहरा असर पड़ता है। (नीतिवचन 15:3) यह जानकर भी हमें दिलासा मिलता है कि अगर दया दिखाने का कोई आधार हो, तो वह ज़रूर दया दिखाने के लिए तैयार रहता है। इसके अलावा, हम सीखते हैं कि वह कभी-भी जल्दबाज़ी में न्याय नहीं करता। यहोवा के सब्र और धीरज की वजह से, बहुत-से लोग यह मानने की गलती कर बैठते हैं कि वह कभी-भी दुष्टों को दंड नहीं देगा। मगर यह ज़रा भी सच नहीं, क्योंकि इस्राएल के साथ परमेश्वर का व्यवहार हमें यह भी सिखाता है कि परमेश्वर के धीरज की कुछ सीमाएँ हैं। यहोवा धार्मिकता के मामले में कभी समझौता नहीं करता। इंसान अकसर, न्याय करने से पीछे हट जाते हैं, मगर यहोवा ऐसा नहीं है। जो सही है, उसके पक्ष में खड़े होने के साहस की उसमें कमी नहीं। इसलिए, परमेश्वर और उसके सिंहासन के साथ सिंह को दर्शाया गया है, जो उसके साहस से न्याय करने की बिलकुल सही निशानी है।a (यहेजकेल 1:10; प्रकाशितवाक्य 4:7) इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि वह इस धरती से अन्याय का नामो-निशान मिटाने के अपने वादे को ज़रूर पूरा करेगा। तो फिर, उसके न्याय करने के तरीके को चंद शब्दों में कहा जाए तो, जहाँ ज़रूरी हो वहाँ सख्ती, जहाँ कहीं मुमकिन हो वहाँ दया।—2 पतरस 3:9.
न्याय के परमेश्वर के करीब आना
21. जब हम यहोवा के न्याय करने के तरीके पर मनन करते हैं, तो हमें उसे क्या समझना चाहिए और क्यों?
21 यहोवा जिस तरह न्याय करता है जब हम उस पर मनन करते हैं, तो हमें यहोवा को ऐसा कठोर न्यायी नहीं समझना चाहिए जिसमें भावनाएँ न हों और जो सिर्फ अपराधियों को सज़ा सुनाने से मतलब रखता हो। इसके बजाय, हमें सोचना चाहिए कि यहोवा एक ऐसा प्यार करनेवाला पिता है जो ज़रूरत पड़ने पर सख्ती बरतता है और जो हमेशा अपने बच्चों के साथ ऐसे व्यवहार करता है जिससे उन्हें ही सबसे ज़्यादा फायदा हो। न्यायप्रिय या धर्मी पिता होने के नाते, यहोवा न सिर्फ जो सही है उसके लिए सख्ती दिखाता है, बल्कि इस ज़मीन पर उसके जिन बच्चों को मदद और माफी की ज़रूरत है, उनके लिए वह कोमल करुणा भी दिखाता है।—भजन 103:10, 13.
22. अपने न्याय की वजह से, यहोवा ने हमारे लिए क्या शानदार आशा पाने का रास्ता खोल दिया है, और वह हमसे इस तरह व्यवहार क्यों करता है?
22 हमें कितना धन्यवाद करना चाहिए कि परमेश्वर के न्याय में सिर्फ बुराई करनेवालों को सज़ा सुनाना शामिल नहीं! अपने न्याय की वजह से, यहोवा ने हमारे लिए सचमुच एक शानदार आशा रखी है—यानी ऐसी दुनिया में सिद्ध, अनंत जीवन जहाँ “धार्मिकता बास करेगी।” (2 पतरस 3:13) हमारा परमेश्वर हमारे साथ ऐसा व्यवहार इसलिए करता है क्योंकि उसका न्याय, सज़ा देने के बजाय इंसान का उद्धार करने की खोज में रहता है। सच, जब हम और अच्छी तरह समझते हैं कि यहोवा के न्याय में क्या-क्या शामिल है, तो हम उसके ज़्यादा करीब आते हैं! आगे के अध्यायों में हम और नज़दीकी से देखेंगे कि यहोवा इस श्रेष्ठ गुण को अपने व्यवहार में कैसे ज़ाहिर करता है।
a गौर करने लायक बात है कि यहोवा विश्वासघाती इस्राएल को न्यायदंड देते वक्त अपनी तुलना एक सिंह से करता है।—यिर्मयाह 25:38; होशे 5:14.