अध्याय 25
“हमारे परमेश्वर की कोमल करुणा”
1, 2. (क) अपने बच्चे का रोना सुनकर माँ क्या करती है? (ख) माँ की ममता से भी गहरी भावना कौन-सी है?
आधी रात को बच्चा रोने लगता है। माँ फौरन उठ बैठती है। इस बच्चे के जन्म के बाद से वह पहले की तरह गहरी नींद नहीं सोती। वह अपने नन्हे-मुन्ने के रोने के तरीके से यह भाँप सकती है कि बच्चे को क्या चाहिए। अब अकसर उसे पता चल जाता है कि कब बच्चे को दूध पिलाना है, कब उसे दुलारना है या कोई और ज़रूरत पूरी करनी है। मगर बच्चा चाहे किसी भी वजह से क्यों न रोए, माँ ज़रूर उस पर ध्यान देती है। उसका दिल कभी नहीं मानेगा कि वह अपने बच्चे की रुलाई सुनकर अनसुनी कर दे।
2 इंसान जितनी भी भावनाओं से वाकिफ है उनमें, बच्चे के लिए माँ की करुणा या उसकी ममता सबसे कोमल है। लेकिन, ऐसी तमाम भावनाओं से कहीं-कहीं ज़्यादा गहरी और प्रबल भावना है, हमारे परमेश्वर यहोवा की कोमल करुणा। इस प्यारे गुण पर गौर करने से हम यहोवा के और करीब आ सकते हैं। तो फिर, आइए हम चर्चा करें कि करुणा क्या है और परमेश्वर इसे कैसे ज़ाहिर करता है।
करुणा क्या है?
3. जिस इब्रानी क्रिया का अनुवाद “दया दिखाना” या “तरस खाना” किया गया है, उसका मतलब क्या है?
3 बाइबल बताती है कि करुणा और दया के बीच नज़दीकी रिश्ता है। इब्रानी और यूनानी भाषाओं में, ऐसे कई शब्द हैं जिनका मतलब कोमल करुणा से मिलता-जुलता है। मिसाल के लिए, इब्रानी शब्द राकाम पर गौर कीजिए जिसका अनुवाद अकसर “दया दिखाना” या “तरस खाना” किया जाता है। एक किताब बताती है कि क्रिया राकाम “करुणा की एक गहरी और कोमल भावना है, जो हमारे अंदर तब पैदा होती है जब हम अपने किसी अज़ीज़ को या ज़रूरतमंद को लाचार हालत में या तकलीफ में पड़ा देखते हैं।” यह इब्रानी शब्द, जो यहोवा खुद पर लागू करता है, माँ की “कोख” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और इसे “माँ की करुणा” कहा जा सकता है।a—निर्गमन 33:19; यिर्मयाह 33:26.
4, 5. यहोवा की करुणा के बारे में सिखाने के लिए, बाइबल कैसे शिशु के लिए एक माँ की भावनाओं का उदाहरण इस्तेमाल करती है?
4 यहोवा की करुणा का मतलब समझाने के लिए बाइबल, एक बच्चे के लिए माँ के मन में उठनेवाली भावनाओं का उदाहरण इस्तेमाल करती है। हम यशायाह 49:15 में पढ़ते हैं: “क्या कोई स्त्री अपने दूधमुंहे बच्चे को भूल सकती है, कि वह अपनी कोख से जन्मे बच्चे पर करुणा [राकाम] न करे? हाँ, ये तो भूल सकती हैं, मगर मैं तुझे न भूलूंगा।” (दी एम्प्लीफाइड बाइबल) ये शब्द जो दिल छू जाते हैं, इस बात पर ज़ोर देते हैं कि अपने लोगों के लिए यहोवा की करुणा वाकई कितनी गहरी है। वह कैसे?
5 हम कल्पना नहीं कर सकते कि एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाना और उसकी देखभाल करना भूल जाए। और फिर एक शिशु तो लाचार होता है; उसे रात-दिन अपनी माँ की देखभाल और प्यार की ज़रूरत होती है। मगर, दुःख की बात है कि माँ का अपने बच्चे को यूँही बिलखता छोड़ जाना कोई अनहोनी बात नहीं, खासकर आज के “कठिन समय” में जब दुनिया “मयारहित” लोगों से भरी हुई है। (2 तीमुथियुस 3:1, 3) “मगर,” यहोवा कहता है “मैं तुझे न भूलूंगा।” अपने सेवकों के लिए यहोवा की कोमल करुणा कभी मिट नहीं सकती। यह किसी भी इंसानी रिश्ते की कोमल भावनाओं से कहीं शक्तिशाली है, इतनी कि इसकी थाह पाना नामुमकिन है। एक बच्चे के लिए माँ की ममता भी इसकी बराबरी नहीं कर सकती। इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि एक टीकाकार ने यशायाह 49:15 के बारे में कहा: “पुराने नियम में यह आयत उन आयतों में से एक है जिनके ज़रिए परमेश्वर का प्रेम सबसे ज़बरदस्त तरीके से ज़ाहिर होता है।”
6. बहुत-से असिद्ध इंसानों ने कोमल करुणा को किस नज़र से देखा है, मगर यहोवा हमें किस बात का यकीन दिलाता है?
6 क्या कोमल करुणा कमज़ोरी की निशानी है? बहुत-से असिद्ध इंसान ऐसा ही सोचते हैं। मसलन, रोमी तत्त्वज्ञानी सेनेका जो यीशु के ज़माने में ज़िंदा था और रोम के जाने-माने ज्ञानियों में से एक था, उसने सिखाया कि “तरस खाना हमारे दिमाग की कमज़ोरी है।” सेनेका स्टोइकवाद का समर्थक था, जिसमें ऐसा शांत स्वभाव धारण करने पर ज़ोर दिया जाता था, जो भावनाओं से भंग नहीं होता। सेनेका का कहना था कि एक बुद्धिमान इंसान चाहे तो तकलीफ में पड़े हुओं की मदद कर सकता है, मगर उसे उन पर तरस नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस भावना से उसके अंदर की शांति भंग हो जाएगी। ज़िंदगी का ऐसा स्वार्थी नज़रिया, दिल में करुणा के लिए कोई जगह नहीं छोड़ता था। मगर यहोवा हरगिज़ ऐसा नहीं है! अपने वचन में, यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि वह “अत्यन्त करुणा और दया” का परमेश्वर है। (याकूब 5:11) जैसा हम आगे देखेंगे, करुणा दिखाना कोई कमज़ोरी नहीं, बल्कि यह एक ज़बरदस्त और ज़रूरी गुण है। आइए देखें कि यहोवा, कैसे एक प्यार करनेवाले पिता की तरह करुणा दिखाता है।
जब यहोवा ने एक जाति को करुणा दिखायी
7, 8. प्राचीन मिस्र में इस्राएली कैसी तकलीफें झेल रहे थे, और यहोवा ने उनकी तकलीफों को देखकर क्या किया?
7 इस्राएल जाति के साथ यहोवा जिस तरह पेश आया उससे उसकी करुणा साफ तौर पर देखी जा सकती है। सा.यु.पू. सोलहवीं सदी के आखिर का वह समय याद कीजिए जब लाखों इस्राएली, प्राचीन मिस्र के दास थे, जहाँ उन पर बुरी तरह ज़ुल्म ढाए जाते थे। मिस्रियों ने “उनके जीवन को गारे, ईंट और . . . कठिन सेवा से दुःखी कर डाला।” (निर्गमन 1:11, 14) कष्ट झेलते-झेलते, इस्राएलियों ने यहोवा से मदद की भीख माँगी। कोमल करुणा के परमेश्वर ने कैसे जवाब दिया?
8 यहोवा का दिल तड़प उठा। उसने कहा: “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं उनके दुःख को निश्चय देखा है, और उनकी जो चिल्लाहट परिश्रम करानेवालों के कारण होती है उसको भी मैं ने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है।” (निर्गमन 3:7) हो नहीं सकता था कि यहोवा अपने लोगों को तकलीफ में पड़ा देखे या उनकी चीख-पुकार सुने और उस पर कोई असर न हो। जैसा हमने इस किताब के अध्याय 24 में देखा, यहोवा परमेश्वर हमदर्दी रखनेवाला परमेश्वर है। और हमदर्दी यानी दूसरों के दर्द को महसूस कर पाने का, करुणा की भावना के साथ गहरा संबंध है। मगर यहोवा ने अपने लोगों का खाली दर्द महसूस नहीं किया; बल्कि उन्हें बचाने के लिए उसने कार्यवाही भी की। यशायाह 63:9 कहता है: “प्रेम और कोमलता [“करुणा,” NW] से उस ने आप ही उनको छुड़ाया।” यहोवा ने “बली हाथ” से, इस्राएलियों को मिस्र से आज़ाद करवाया। (व्यवस्थाविवरण 4:34) इसके बाद, उन्हें चमत्कार से भोजन दिया और आखिरकार उनको एक उपजाऊ देश में पहुँचा दिया जो उनका अपना होता।
9, 10. (क) इस्राएलियों के वादा किए देश में बस जाने के बाद, यहोवा ने क्यों उन्हें बार-बार छुटकारा दिलाया? (ख) यिप्तह के दिनों में, यहोवा ने इस्राएलियों को किस ज़ुल्म से छुटकारा दिलाया, और उसे किस बात ने उकसाया?
9 यहोवा की करुणा यहीं खत्म नहीं हुई। जब इस्राएली वादा किए देश में बस गए, तो उन्होंने बार-बार विश्वासघात किया और इस वजह से उन पर मुसीबतें आती रहीं। मगर बाद में जब उनके होश ठिकाने आते, तो वे यहोवा को पुकार उठते। बार-बार वह उन्हें छुटकारा दिलाता रहा। क्यों? क्योंकि “उसे उन पर करुणा थी।”—2 इतिहास 36:15, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; न्यायियों 2:11-16.
10 यिप्तह के दिनों में जो हुआ आइए उस पर गौर करें। इस्राएली झूठे देवताओं की उपासना करने लगे थे, इसलिए यहोवा ने 18 साल तक अम्मोनियों को उन पर ज़ुल्म ढाने दिया। आखिरकार, इस्राएलियों ने पश्चाताप किया। बाइबल हमें बताती है: “तब उन्होंने पराए देवताओं को अपने मध्य से अलग कर दिया और यहोवा की उपासना की; और यहोवा इस्राएल की दुर्दशा को और अधिक न देख सका।”b (NHT) (न्यायियों 10:6-16) उसके लोगों ने जब सच्चा पश्चाताप ज़ाहिर किया, तब यहोवा उन्हें और तकलीफ सहते हुए नहीं देख सका। इसलिए कोमल करुणा के परमेश्वर ने यिप्तह को शक्ति दी कि वह इस्राएलियों को उनके शत्रुओं के हाथ से छुड़ाए।—न्यायियों 11:30-33.
11. इस्राएलियों के साथ यहोवा के व्यवहार से हम करुणा के बारे में क्या सीखते हैं?
11 इस्राएल जाति के साथ यहोवा जिस तरह पेश आया उससे हम कोमल करुणा के बारे में क्या सीखते हैं? एक बात यह है कि यहोवा की करुणा की भावना, लोगों की तकलीफ देखकर सिर्फ उनके लिए अफसोस महसूस करने तक सीमित नहीं है। एक माँ की मिसाल याद कीजिए जब वह अपने बच्चे को रोता हुआ देखती है, तो उसकी करुणा उसे मजबूर कर देती है कि वह बच्चे पर ध्यान दे। उसी तरह, यहोवा अपने लोगों की पुकार सुनकर अपने कान बंद नहीं कर लेता। उसकी कोमल करुणा उसे उभारती है कि वह उनके दुःख से उन्हें राहत दिलाए। दूसरी बात, इस्राएलियों के साथ यहोवा का व्यवहार दिखाता है कि करुणा कमज़ोरी नहीं, क्योंकि इसी कोमल गुण ने यहोवा को अपने लोगों की खातिर ज़बरदस्त कार्यवाही करने के लिए उकसाया। मगर क्या यहोवा अपने लोगों के लिए सिर्फ एक समूह के तौर पर करुणा दिखाता है?
इंसानों के लिए यहोवा की करुणा
12. कानून-व्यवस्था के नियमों से, हर इंसान के लिए यहोवा की करुणा का कैसे पता चलता था?
12 परमेश्वर ने इस्राएल जाति को जो कानून-व्यवस्था दी थी उससे हर इंसान के लिए उसकी करुणा देखी जा सकती थी। मसलन, गरीबों के लिए उसकी परवाह को लीजिए। यहोवा जानता था कि किसी इस्राएली की ज़िंदगी में ऐसे हालात पैदा हो सकते थे जिसकी वजह से वह गरीबी की दलदल में फँस सकता है। गरीबों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना था? यहोवा ने इस्राएलियों को यह कड़ा हुक्म दिया था: “अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; तू उसको अवश्य देना, और उसे देते समय तेरे मन को बुरा न लगे; क्योंकि इसी बात के कारण तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे सब कामों में . . . तुझे आशीष देगा।” (व्यवस्थाविवरण 15:7, 10) इसके अलावा, यहोवा ने आज्ञा दी थी कि इस्राएली अपने खेतों के किनारों पर खड़े अनाज को न काटें, ना ही खेत में गिरे अनाज को बटोरें। ये गरीब और दीन-हीनों के लिए था। (लैव्यव्यवस्था 23:22; रूत 2:2-7) जब इस्राएल जाति ने गरीबों की खातिर दिए गए इस कानून का पालन किया, तो उनके बीच मौजूद ज़रूरतमंद लोगों को खाने के लिए किसी से भीख माँगने की ज़रूरत नहीं पड़ी। क्या यह यहोवा की कोमल करुणा नहीं थी?
13, 14. (क) दाऊद के शब्द हमें कैसे यकीन दिलाते हैं कि यहोवा हममें से हरेक की गहरी चिंता करता है? (ख) कौन-सा उदाहरण देकर यह समझाया जा सकता है कि यहोवा ‘टूटे मनवालों’ या ‘पिसे हुओं’ के करीब रहता है?
13 आज भी, हमारा प्यार करनेवाला परमेश्वर हममें से हरेक के बारे में गहरी चिंता करता है। हम यकीन रख सकते हैं कि जिस तकलीफ से हम गुज़र रहे हैं, उसके बारे में वह बहुत अच्छी तरह जानता है। भजनहार दाऊद ने लिखा: “यहोवा की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उनकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।” (भजन 34:15, 18) इन आयतों में जिनका वर्णन किया है, उनके बारे में बाइबल के एक टीकाकार ने लिखा: “उनका दिल टूट चुका है और आत्मा खेदित है, यानी वे पाप के बोझ से दब गए हैं और उनका आत्म-सम्मान खो चुका है; वे अपनी ही नज़रों में गिर गए हैं और खुद को किसी लायक नहीं समझते।” ऐसे लोग शायद सोचें कि यहोवा उनसे बहुत दूर है, वे इतने छोटे हैं कि उसके लिए कोई मायने नहीं रखते और वह उनकी परवाह नहीं करता। मगर ऐसा बिलकुल नहीं है। दाऊद के शब्द हमें यकीन दिलाते हैं कि जो लोग “अपनी ही नज़रों में गिर गए हैं,” यहोवा उन्हें त्याग नहीं देता। हमारा करुणामयी परमेश्वर जानता है कि ऐसे वक्त पर, हमें उसकी सबसे सख्त ज़रूरत होती है और वह पहले से भी ज़्यादा हमारे करीब होता है।
14 एक अनुभव पर गौर कीजिए। अमरीका में, एक माँ अपने दो साल के बेटे को फौरन अस्पताल ले गयी, क्योंकि बच्चे की हालत बहुत नाज़ुक थी। उसके बेटे को साँस लेने में तकलीफ हो रही थी और वह बुरी तरह खाँस रहा था। बच्चे की जाँच करने के बाद, डॉक्टरों ने माँ को बताया कि उन्हें बच्चे को रात भर अस्पताल में रखना पड़ेगा। माँ ने रात कहाँ गुज़ारी? अस्पताल के कमरे में अपने बेटे के बिस्तर के पास रखी एक कुर्सी पर बैठे-बैठे! उसका लाल बीमार था, तो वह उसे अकेला छोड़कर कैसे जा सकती थी। बेशक हम अपने स्वर्गीय पिता से इससे कहीं ज़्यादा की उम्मीद कर सकते हैं! और क्यों न हो, आखिर हम उसी के स्वरूप में जो बनाए गए हैं। (उत्पत्ति 1:26) भजन 34:18 के दिल छू लेनेवाले शब्द हमसे कह रहे हैं कि जब हमारा ‘मन टूटता’ है या हम बोझ तले ‘पिसे हुए’ होते हैं, तो एक प्यार करनेवाले पिता की तरह यहोवा हमारे “समीप रहता है”—हमेशा करुणामयी और हमारी मदद करने को तैयार।
15. यहोवा किन तरीकों से हममें से हरेक की मदद करता है?
15 तो फिर, यहोवा हममें से हरेक की मदद कैसे करता है? यह ज़रूरी नहीं कि वह हमारी तकलीफ जड़ से मिटा दे। मगर हममें से जो लोग मदद के लिए यहोवा को पुकारते हैं, उनके लिए उसने भरपूर इंतज़ाम किए हैं। उसके वचन, बाइबल से हमें ऐसी कारगर सलाह मिलती है जिससे हमारे हालात काफी हद तक सुधर सकते हैं। यहोवा ने कलीसिया में आध्यात्मिक रूप से काबिल ओवरसियरों का इंतज़ाम किया है, जो अपने मसीही भाई-बहनों की मदद करने में उसके जैसी करुणा दिखाने की कोशिश करते हैं। (याकूब 5:14, 15) वह ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है और ‘मांगनेवालों को पवित्र आत्मा देता’ है। (भजन 65:2; लूका 11:13) यह आत्मा हमें “असीम सामर्थ” से भर सकता है ताकि हम तब तक धीरज धरें जब तक परमेश्वर का राज्य ऐसी तमाम समस्याओं का हल नहीं कर दे जिनकी वजह से हम तनाव महसूस करते हैं। (2 कुरिन्थियों 4:7) क्या हम इन सभी इंतज़ामों के लिए एहसानमंद नहीं हैं? आइए हम यह कभी न भूलें कि इन सारे इंतज़ामों से यहोवा अपनी कोमल करुणा हम पर ज़ाहिर करता है।
16. यहोवा की करुणा की सबसे उम्दा मिसाल क्या है, और हममें से हरेक जन पर इसका कैसे असर होता है?
16 बेशक, यहोवा की करुणा की सबसे उम्दा मिसाल यह है कि उसने अपने सबसे अज़ीज़ बेटे को हमारे लिए छुड़ौती के तौर पर दे दिया। यहोवा की तरफ से यह प्यार-भरा बलिदान था और इससे हमारे उद्धार का रास्ता खुल गया। याद कीजिए कि छुड़ौती का इंतज़ाम खुद हमारे लिए है। यही वजह है कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पिता, जकर्याह ने भविष्यवाणी में कहा था कि यह इंतज़ाम, “हमारे परमेश्वर की कोमल करुणा” को बुलंद करता है।—लूका 1:78, NW.
कब यहोवा करुणा नहीं दिखाता
17-19. (क) बाइबल कैसे दिखाती है कि यहोवा की करुणा की भी सीमाएँ हैं? (ख) किस वजह से अपने लोगों के लिए यहोवा की करुणा खत्म हो गयी?
17 क्या हमें यह सोचना चाहिए कि यहोवा की कोमल करुणा की कोई सीमाएँ नहीं हैं? इसके बजाय, बाइबल साफ-साफ दिखाती है कि यहोवा ऐसे लोगों पर करुणा नहीं करता, जो उसके धर्मी मार्गों के खिलाफ बगावत करते हैं। (इब्रानियों 10:28) वह ऐसे लोगों पर करुणा क्यों नहीं करता, इसे समझने के लिए इस्राएल जाति की मिसाल याद कीजिए।
18 हालाँकि यहोवा ने बार-बार इस्राएलियों को उनके दुश्मनों से छुटकारा दिलाया, मगर एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने यहोवा की करुणा की परीक्षा लेने में हद पार कर दी। ये हठीले लोग मूर्तिपूजा तो करते थे, मगर साथ ही वे उन्हीं घिनौनी मूरतों को यहोवा के मंदिर के अंदर भी ले आते थे! (यहेजकेल 5:11; 8:17, 18) हमें आगे बताया गया है: “वे परमेश्वर के दूतों को ठट्ठों में उड़ाते, उसके वचनों को तुच्छ जानते, और उसके नबियों की हंसी करते थे। निदान यहोवा अपनी प्रजा पर ऐसा झुंझला उठा, कि बचने का कोई उपाय न रहा।” (2 इतिहास 36:16) इस्राएली ऐसे मुकाम पर आ पहुँचे थे जहाँ यहोवा के पास उन्हें करुणा दिखाने का कोई और आधार नहीं बचा था और उन्होंने उसका धर्मी क्रोध भड़काया। इसका क्या नतीजा हुआ?
19 अपने लोगों के लिए यहोवा की करुणा अब मर चुकी थी। उसने ऐलान किया: “मैं उनको नष्ट करने में न तो करुणा करूंगा, न दुखी होऊंगा, और न तरस खाऊंगा।” (यिर्मयाह 13:14, NHT) इसलिए, यरूशलेम और उसका मंदिर नष्ट कर दिया गया और इस्राएलियों को बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाया गया। कितने अफसोस की बात है कि पापी इंसान इस हद तक बागी हो जाते हैं कि परमेश्वर की करुणा की आखिरी-से-आखिरी हद से भी बाहर चले जाते हैं!—विलापगीत 2:21.
20, 21. (क) हमारे दिनों में जब परमेश्वर की करुणा की हद खत्म हो जाएगी, तब क्या होगा? (ख) अगले अध्याय में, यहोवा के किस करुणामयी इंतज़ाम के बारे में चर्चा की जाएगी?
20 आज के बारे में क्या? यहोवा नहीं बदला। करुणा दिखाते हुए, उसने अपने साक्षियों को सारी धरती पर “राज्य का यह सुसमाचार” प्रचार करने का काम सौंपा है। (मत्ती 24:14) जब सच्चे दिल के लोग इस समाचार को सुनकर दिलचस्पी दिखाते हैं, तो यहोवा राज्य का संदेश समझने के लिए उनका दिल खोल देता है। (प्रेरितों 16:14) मगर यह काम हमेशा तक चलता नहीं रहेगा। अगर यहोवा इस दुष्ट संसार को और इसके तमाम दुःखों और मुसीबतों को सदा तक यूँ ही चलते रहने दे, तो यह करुणा दिखाना नहीं होगा। जब परमेश्वर की करुणा की हद खत्म हो जाएगी, तब यहोवा इस संसार को दंड देने आएगा। तब भी वह करुणा से काम ले रहा होगा—अपने “पवित्र नाम” और अपने समर्पित सेवकों के लिए करुणा। (यहेजकेल 36:20-23) यहोवा दुष्टता का सफाया करके एक धर्मी नए संसार की शुरूआत करेगा। दुष्ट लोगों के बारे में यहोवा ऐलान करता है: “उन पर दया न होगी, न मैं कोमलता [“करुणा,” NW] करूंगा, वरन उनकी चाल उन्हीं के सिर लौटा दूंगा।”—यहेजकेल 9:10.
21 उस वक्त के आने तक, यहोवा के मन में लोगों के लिए करुणा है, उनके लिए भी जिनका विनाश होने जा रहा है। पापी इंसान जो सच्चे दिल से पश्चाताप करते हैं उन्हें यहोवा के एक सबसे करुणामयी इंतज़ाम से फायदा मिल सकता है, वह है उसकी माफी। अगले अध्याय में, हम बाइबल के चंद ऐसे बढ़िया हिस्सों पर चर्चा करेंगे जिनमें शब्दों से खींची गयी तसवीर से पता चलता है कि यहोवा कैसे पूरी तरह माफ करता है।
a मगर, गौर करने लायक बात है कि भजन 103:13 में इब्रानी शब्द राकाम का मतलब है वह दया, या करुणा जो एक पिता अपने बच्चों को दिखाता है।
b “और अधिक न देख सका” इस पद का शाब्दिक अर्थ है कि वह “अधीर हो उठा; उसका धैर्य जवाब दे गया।” नयी हिन्दी बाइबिल कहती है: “प्रभु का प्राण इस्राएलियों के कष्ट के कारण अधीर हुआ!” बुल्के बाइबल इस आयत का अनुवाद यूँ करती है: “प्रभु से इस्राएल की दुर्गति नहीं देखी गयी।”