बाइबल की किताब नंबर 31—ओबद्याह
लेखक: ओबद्याह
लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 607
ओ बद्याह, इब्रानी शास्त्र की सबसे छोटी किताब है क्योंकि इसमें सिर्फ 21 आयतें हैं। मगर उन चंद आयतों में एक देश के खिलाफ परमेश्वर का न्यायदंड सुनाया गया है, जिससे कि उस देश का नामो-निशान मिट जाता है। साथ ही, इसमें यह भी भविष्यवाणी की गयी है कि कैसे आखिरकार, परमेश्वर के राज्य की जीत होगी। किताब के शुरूआती शब्द बस यही कहते हैं: “ओबद्याह का दर्शन।” ओबद्याह और उसकी ज़िंदगी के बारे में कुछ नहीं बताया गया है जैसे, वह कब और कहाँ पैदा हुआ था, वह किस गोत्र का था, वगैरह। ज़ाहिर-सी बात है कि ओबद्याह की पहचान उतनी अहमियत नहीं रखती, जितना कि उसका संदेश रखता है। और ऐसा मानना सही भी है क्योंकि खुद ओबद्याह कहता है कि उसका संदेश “यहोवा की ओर से समाचार” है।
2 यह समाचार खासकर एदोम के लिए था। एदोम देश, जिसे सेईर पहाड़ भी कहा जाता था, मृत सागर के दक्षिण में, अराबा के पास बसा था। ऊबड़-खाबड़ इलाकों के इस देश में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और गहरी तंग घाटियाँ पायी जाती थीं। अराबा के पूर्व में, पहाड़ों की एक श्रृंखला थी जिनमें से कुछ पहाड़ 5,600 फुट तक की ऊँचाई छूते थे। एदोम में तेमान ज़िला के रहनेवाले अपनी बुद्धि और बहादुरी के लिए बहुत मशहूर थे। चारों तरफ पहाड़ों, घाटियों वगैरह से घिरे होने की वजह से एदोम के लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते थे और उन्हें इस बात का गुमान था कि दुश्मन उनका बाल भी बाँका नहीं कर सकते।a
3 एदोमी लोग एसाव के वंशज थे। एसाव का भाई, याकूब का नाम बदलकर इस्राएल रखा गया था, इसलिए इस्राएली और एदोमी रिश्ते में एक-दूसरे के “भाई” लगते थे। (व्यव. 23:7) फिर भी, एदोम ने अपने भाइयों के साथ बुरा व्यवहार किया था। वादा किए गए देश में दाखिल होने के लिए, जब मूसा ने एदोम के राजा से गुज़ारिश की कि इस्राएलियों को उसके देश में से होकर जाने दे, तो राजा ने साफ इनकार कर दिया। और-तो-और उसने अपनी सेना भी तैनात कर दी, ताकि इस्राएली एदोम देश से पार न हो सकें। (गिन. 20:14-21) हालाँकि दाऊद ने अपनी हुकूमत के वक्त एदोमियों को अपने वश में कर लिया था, मगर बाद में यहोशापात की हुकूमत के दौरान उन्होंने अम्मोन और मोआब के साथ मिलकर यहूदा के खिलाफ साज़िश रची। फिर उन्होंने यहोशापात के बेटे, राजा यहोराम से बलवा किया। इतना ही नहीं, उन्होंने अज्जा और सोर से इस्राएली बंधुओं को अपने कब्ज़े में कर लिया और राजा आहाज के दिनों में, और भी इस्राएलियों को बंदी बनाने के लिए यहूदा पर धावा बोला।—2 इति. 20:1, 2, 22, 23; 2 राजा 8:20-22; आमो. 1:6, 9; 2 इति. 28:17.
4 सामान्य युग पूर्व 607 में, बाबुली सेना के हाथों यरूशलेम के विनाश के दौरान, एदोमियों ने दुश्मनी दिखाने में हद कर दी। वे न सिर्फ यरूशलेम की बरबादी का तमाशा देखकर खुश हुए, बल्कि उन्होंने बाबुलियों को उकसाया भी कि वे यरूशलेम को पूरी तरह खाक में मिला दें। उन्होंने चिल्ला-चिल्लाकर कहा: “ढाओ! उसको नेव से ढा दो!” (भज. 137:7) जब लूट के माल पर चिट्ठियाँ डाली गयीं, तो वे भी अपना हिस्सा पाने के लिए वहाँ मौजूद थे; और जब यहूदियों ने देश से भागने की कोशिश की, तो एदोमियों ने उनका रास्ता रोक लिया और उन्हें पकड़कर दुश्मनों के हवाले कर दिया। उनकी इस बेरहमी की वजह से ही ओबद्याह ने उनके खिलाफ यहोवा का न्यायदंड सुनाया था। बेशक, उसने यह न्यायदंड अपनी किताब में तब लिखा होगा जब एदोमियों की यह नीच हरकत उसके दिमाग में ताज़ी थी। (ओब. 11, 14) ऐसा मालूम होता है कि यरूशलेम के विनाश को पाँच साल भी नहीं हुए थे कि नबूकदनेस्सर ने एदोम पर कब्ज़ा करके उसे लूट लिया था। इसलिए ओबद्याह की किताब ज़रूर इस घटना से पहले लिखी गयी होगी। कहा जाता है कि इस किताब को शायद सा.यु.पू. 607 में लिखा गया था।
5 एदोम के खिलाफ की गयी ओबद्याह की एक-एक भविष्यवाणी पूरी हुई! किताब के आखिर में उसकी भविष्यवाणी कहती है: “‘एसाव का घराना भूसा होगा। वे उसमें आग लगाकर उनको भस्म कर देंगे, यहां तक कि एसाव के घराने का कोई नहीं बचेगा।’ यहोवा ने ऐसा ही कहा है।” (आयत 18, NHT) एदोम ने हिंसा का सहारा लिया और उसका अंत हिंसा से ही हुआ और आज उसके वंशज की कोई निशानी नहीं रह गयी है। इससे साबित होता है कि ओबद्याह की किताब सच्ची और भरोसेमंद है। ओबद्याह में वे सारी बातें थीं जो एक सच्चे नबी में होनी चाहिए: उसने यहोवा के नाम से पैगाम सुनाया, उसकी भविष्यवाणियों से यहोवा की महिमा हुई, और जैसा कि इतिहास गवाह है, उसकी भविष्यवाणियाँ सच निकलीं। उसके नाम का मतलब है, “यहोवा का दास।”
क्यों फायदेमंद है
10 इस बात को पुख्ता करने के लिए कि एदोम के खिलाफ यहोवा के न्यायदंड ज़रूर पूरे होंगे, यहोवा ने अपने दूसरे भविष्यवक्ताओं को इससे मिलते-जुलते न्यायदंड सुनाने को कहा। इसकी कुछ मिसालें, योएल 3:19; आमोस 1:11, 12; यशायाह 34:5-7; यिर्मयाह 49:7-22; यहेजकेल 25:12-14 और यहे 35:2-15 में दर्ज़ हैं। इनमें से कुछ न्यायदंड पहले लिखे गए थे, और उनमें एदोम की उस दुश्मनी का ज़िक्र है जो उसने बीते समयों में इस्राएलियों के लिए दिखायी थी। जबकि कुछ न्यायदंड बाद में लिखे गए थे और उनमें एदोम के उस घिनौने बर्ताव की कड़ी निंदा की गयी है जो उसने इस्राएलियों के साथ तब किया था जब बाबुली यरूशलेम पर कब्ज़ा करने आए थे। ओबद्याह के न्यायदंड भी इसी बारे में थे। एदोम पर आनेवाली विपत्तियों की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं, इनकी जाँच करने से इस बात पर हमारा विश्वास मज़बूत होगा कि यहोवा ही सच्ची भविष्यवाणियों का परमेश्वर है। इसके अलावा, हमारा यह भरोसा भी बढ़ेगा कि यहोवा जो भी मकसद ठहराता है, उसे हमेशा पूरा करता है।—यशा. 46:9-11.
11 ओबद्याह ने भविष्यवाणी की थी कि एदोम ‘से वाचा बान्धनेवाले और उससे मेल रखनेवाले’ ही उस पर प्रबल होंगे। (ओब. 7) एदोम के साथ बाबुल का मेल ज़्यादा दिनों तक नहीं रहा। सामान्य युग पूर्व छठी सदी के दौरान, राजा नबोनाइडस के अधीन बाबुली सेना ने एदोम को जीत लिया।b नबोनाइडस के इस हमले के 100 साल बाद, एदोम को पूरा भरोसा था कि वह दोबारा अपने नगर को बसा पाएगा। इस बारे में मलाकी 1:4 कहता है: “एदोम कहता है, हमारा देश उजड़ गया है, परन्तु हम खण्डहरों को फिरकर बसाएंगे; सेनाओं का यहोवा यों कहता है, यदि वे बनाएं भी, परन्तु मैं ढा दूंगा।” अपने नगर को दोबारा बसाने की एदोम की कोशिशों के बावजूद, सा.यु.पू. चौथी सदी के आते-आते, नबायोती कहलानेवाली जाति ने उनके देश पर कब्ज़ा करके उन्हें खदेड़ दिया था। इसके बाद, एदोमी यहूदिया के दक्षिणी हिस्से में रहने लगे, जो आगे चलकर इदूमिया कहलाया। वे दोबारा अपने देश, सेईर को वापस जीतने में नाकाम रहे।
12 जोसीफस के मुताबिक सा.यु.पू. दूसरी सदी में, यहूदी राजा जॉन हिरकेनस प्रथम ने बचे हुए एदोमियों को अपने कब्ज़े में कर लिया और उनका जबरन खतना करवाया। धीरे-धीरे उनका इलाका यहूदियों के इलाके में शामिल हो गया जो एक यहूदी राज्यपाल के अधीन था। सामान्य युग 70 में रोमियों के हाथों यरूशलेम के विनाश के बाद, एदोम का नाम इतिहास के पन्नों से मिट गया।c जी हाँ, एदोम के साथ वही हुआ जो ओबद्याह ने कहा था: ‘तू सदा के लिये नाश हो जाएगा। और एसाव के घराने का कोई न बचेगा।’—ओब. 10, 18.
13 एदोम तो उजड़ गया मगर इसके बिलकुल उलट, यहूदियों को सा.यु.पू. 537 में, राज्यपाल जरुब्बाबेल की अगुवाई में अपने देश में बहाल किया गया। उन्होंने यरूशलेम में मंदिर का दोबारा निर्माण किया और वे अपने देश में सदा के लिए बसे रहे।
14 एदोम का जो हश्र हुआ था, उससे यह साबित हो जाता है कि घमंड और गुस्ताखी का अंजाम बुरा ही होता है! आज, जो लोग घमंड में अपने आपको दूसरों से ऊँचा उठाते हैं और परमेश्वर के सेवकों को मुसीबत में देखकर खुश होते हैं, उन्हें एदोम से सबक लेना चाहिए। ओबद्याह की तरह उन्हें यह कबूल करना चाहिए कि “राज्य यहोवा ही का हो जाएगा।” यहोवा और उसके लोगों से लड़नेवालों को हमेशा के लिए काट डाला जाएगा, मगर यहोवा का महान राज्य और उसकी हुकूमत सदा तक बुलंद रहेगी!—आयत 21.
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 679.
b इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 682.
c जूइश एन्टिक्विटीस्, XIII, 257, 258 (9, 1); XV, 253, 254 (7, 9).