गीत 53
संदेश देने की तैयारी
1. बीती रात,
भोर हो गयी,
संदेश देना है याह का।
पर घटा छाई,
लो अब बारिश हुई!
क्या बुरा होगा, रुक जाएँ घर
हम अगर?
(कोरस)
बदलें गर सोच, करें तैयारी,
जागे उमंग दिल में;
माँगें दुआ यहोवा से तो
हौसला बढ़े।
हम ना अकेले, हैं फरिश्ते,
देते वो काम में साथ;
और संग हमारे दोस्त हैं सच्चे,
छोड़ें ना हाथ।
2. मेह-नत ना
जाए बेकार,
जल्दी मानें गर ना हार।
हाँ, भला है याह,
है उसे सब पता,
भूलेगा ना वो हमारा काम,
दे इनाम।
(कोरस)
बदलें गर सोच, करें तैयारी,
जागे उमंग दिल में;
माँगें दुआ यहोवा से तो
हौसला बढ़े।
हम ना अकेले, हैं फरिश्ते,
देते वो काम में साथ;
और संग हमारे दोस्त हैं सच्चे,
छोड़ें ना हाथ।
(सभो. 11:4; मत्ती 10:5, 7; लूका 10:1; तीतु. 2:14 भी देखें।)