गीत 128
आखिर तक धीरज धरें
1. वादे याह के सब हैं अटल,
खाली ये ना जाएँ।
धीरज रखने की दें वजह
जब परखें हम ये बातें।
दिन दूर नहीं यहोवा का,
सो विश्वास मज़बूत रखें।
आज़माइशें निखारेंगी,
बेदाग पाए जाएँगे।
2. हाँ, पहला प्यार याह के लिए
ना कम हो ध्यान रखें।
चाहे परीक्षा हो कठिन,
हम हार कभी ना मानें।
घबराएँ ना, करीब है याह,
वो निकालेगा रस्ता;
नेकी के दाएँ हाथ से वो
सँभाले हमें सदा।
3. जो आखिर तक धीरज धरे,
उसकी ही जान बचे।
तब याह लिखेगा नाम उसका,
किताबे-ज़िंदगी में।
गर जीवन में धीरज धरें
हम पे नाज़ करेगा याह।
उसकी मंज़ूरी भी मिले,
पाएँ हम तमाम खुश्-याँ।
(इब्रा. 6:19; याकू. 1:4; 2 पत. 3:12; प्रका. 2:4 भी देखें।)