गीत 129
हम धीरज धरेंगे
1. कैसे हम सहें
आती हैं जब आज़माइशें?
यीशु ने सहा,
आगे खुशी देखी उसने।
था पूरा भरोसा
याह के सब वादों पे।
(कोरस)
विश्वास थामे रखेंगे,
सहेंगे हर सितम।
यकीं है याह के प्यार पे,
सो आखिर तक धरेंगे धीरज हम।
2. जैसे दिन बीतें
शायद हम झेलें और भी गम;
ना छोड़ें उम्मीद,
जब भी ये आँखें होंगी नम।
फिरदौस के वादों को
मन में रखें हरदम।
(कोरस)
विश्वास थामे रखेंगे,
सहेंगे हर सितम।
यकीं है याह के प्यार पे,
सो आखिर तक धरेंगे धीरज हम।
3. चाहे कुछ भी हो,
मानें ना हार, ना ही डरें।
याह के दिन तलक,
वफा से हम सेवा करें।
समय अब रहा कम,
आखिर तक हम सहें।
(कोरस)
विश्वास थामे रखेंगे,
सहेंगे हर सितम।
यकीं है याह के प्यार पे,
सो आखिर तक धरेंगे धीरज हम।
(प्रेषि. 20:19, 20; याकू. 1:12; 1 पत. 4:12-14 भी देखें।)