विषय-सूची
अध्याय पेज
परिचय
1. “तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर” 6
2. परमेश्वर ने उनकी भेंट मंज़ूर की 15
भाग 1
3. “परमेश्वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले” 30
4. ‘चार चेहरोंवाले जीवित प्राणी’ किस बात को दर्शाते हैं? 42
भाग 2
‘तूने मेरे पवित्र-स्थान को दूषित कर दिया’—शुद्ध उपासना दूषित हो गयी 51
5. “देख कि वहाँ लोग कितने बुरे और घिनौने काम कर रहे हैं” 52
7. राष्ट्रों को “जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ” 71
भाग 3
‘मैं तुम्हें इकट्ठा करूँगा’—शुद्ध उपासना की बहाली का वादा 83
8. ‘मैं एक चरवाहे को ठहराऊँगा’ 84
9. “मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा” 95
11. ‘मैंने तुझे पहरेदार ठहराया है’ 121
12. ‘मैं उन सबसे एक राष्ट्र बनाऊँगा’ 129
14. “मंदिर का नियम यही है” 148
भाग 4
15. “मैं तेरे वेश्या के कामों का अंत कर दूँगा” 162
16. ‘उनके माथे पर एक निशान लगा’ 172
17. ‘हे गोग, मैं तेरे खिलाफ हूँ’ 181
18. “मेरे क्रोध की ज्वाला भड़क उठेगी” 189
भाग 5
‘मैं उनके बीच निवास करूँगा’—यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल होगी 201
19. ‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’ 202
20. ‘देश की ज़मीन विरासत में बाँटो’ 211
21. “शहर का नाम होगा, ‘यहोवा वहाँ है’” 218