सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल! विषय-सूचीबक्स सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल! शीर्षक/प्रकाशक शासी निकाय का खत विषय-सूची इस किताब की कुछ खासियतें क्या हैं परिचय अध्याय 1 “तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर” अध्याय 2 परमेश्वर ने उनकी भेंट मंज़ूर की भाग 1 भाग एक “आकाश खुल गया” अध्याय 3 “परमेश्वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले” अध्याय 4 ‘चार चेहरोंवाले जीवित प्राणी’ किस बात को दर्शाते हैं? भाग 2 भाग दो ‘तूने मेरे पवित्र-स्थान को दूषित कर दिया’—शुद्ध उपासना दूषित हो गयी अध्याय 5 “देख कि वहाँ लोग कितने बुरे और घिनौने काम कर रहे हैं” अध्याय 6 “तुम पर अंत आनेवाला है” अध्याय 7 राष्ट्रों को “जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ” भाग 3 भाग तीन ‘मैं तुम्हें इकट्ठा करूँगा’—शुद्ध उपासना की बहाली का वादा अध्याय 8 ‘मैं एक चरवाहे को ठहराऊँगा’ अध्याय 9 “मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा” अध्याय 10 “तुम ज़िंदा हो जाओगी” अध्याय 11 ‘मैंने तुझे पहरेदार ठहराया है’ अध्याय 12 ‘मैं उन सबसे एक राष्ट्र बनाऊँगा’ अध्याय 13 ‘मंदिर का ब्यौरा दे’ अध्याय 14 “मंदिर का नियम यही है” भाग 4 भाग चार ‘मैं पूरे जोश के साथ अपने पवित्र नाम की पैरवी करूँगा’—शुद्ध उपासना को मिटाने की कोशिश नाकाम हो जाएगी अध्याय 15 “मैं तेरे वेश्या के कामों का अंत कर दूँगा” अध्याय 16 ‘उनके माथे पर एक निशान लगा’ अध्याय 17 ‘हे गोग, मैं तेरे खिलाफ हूँ’ अध्याय 18 “मेरे क्रोध की ज्वाला भड़क उठेगी” भाग 5 भाग पाँच ‘मैं उनके बीच निवास करूँगा’—यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल अध्याय 19 ‘जहाँ कहीं नदी बहेगी, वहाँ हर जीव ज़िंदा रह पाएगा’ अध्याय 20 ‘देश की ज़मीन विरासत में बाँटो’ अध्याय 21 “शहर का नाम होगा, ‘यहोवा वहाँ है’” अध्याय 22 “परमेश्वर की उपासना कर” नयी समझ—सारांश