शास्त्रों से शिक्षा: मीका १:१-७:२०
यहोवा का न्याय और नाम उन्नत
भविष्यवक्ता मीका सामान्य युग पूर्व आठवीं सदी में ज़िंदा था, इस्राएल और यहूदा में मूर्तिपूजा और अन्याय का एक समय। तब की परिस्थिति आज प्रचलित परिस्थिति से इतनी समान है कि मीका के संदेश और चेतावनियाँ हमारे समय के लिए उपयुक्त हैं। और जो सकारात्मक समाचार को भी उसने प्रस्तुत किया, वह हमें इस शैतान द्वारा शासित संसार में एक वास्तविक आशा देता है।—१ यूहन्ना ५:१९.
मीका का संदेश शायद निम्नलिखित तीन अभिव्यक्तियों में उत्तम रीति से संक्षिप्त किया जा सकता है: “हाय उन पर . . . जो दुष्ट कर्म करते हैं।” “यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?” “हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका २:१; ६:८; ४:५.
मूर्तिपूजा निन्दित
यहोवा अंतहीन रूप से पापियों को बरदाश्त नहीं करता। मूर्तिपूजा और विद्रोह इस्राएल और यहूदा में अनियंत्रित है। इसलिए, यहोवा उनके विरोध में एक गवाह के रूप में कार्य करता है। उनकी मूर्तियाँ चकनाचूर की जाएंगी। मूर्तिपूजक ‘उक़ाब (न्यू.व.) के समान गंजा बनेंगे’ और निर्वासन भुगतेंगे।—१:१-१६.
विश्वासियों के लिए यहोवा आशा का परमेश्वर सिद्ध होता है। षड्यन्त्रकारी तानाशाह, चोर और लुटेरों के रूप में निन्दित किए जाते हैं। उन पर विपत्ति आएगी। फिर भी पुनःस्थापन का एक वादा “इस्राएल के बचे हुओं” से किया जाता है। यहोवा कहता है, “बाड़े में भेड़-बकरियों की नाईं मैं इन्हें एक संग रखूँगा।”—२:१-१३, न्यू.व.
यहोवा अपेक्षा करता है कि उसके लोगों में ज़िम्मेवारी लेनेवाले न्याय के कार्य करें। इस्राएल के अपमानजनक अगुओं से कहा गया है: “क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं? तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, मानो, तुम, लोगों पर से उनकी ख़ाल, और उनकी हड्डियों पर से उनका मांस उधेड़ लेते हो।” मीका “यहोवा की आत्मा से शक्ति न्याय और पराक्रम” पाकर उनके विरुद्ध परमेश्वर के न्यायदंड घोषित करता है। वह कहता है कि अन्यायी अगुए रिश्वत ले लेकर न्याय करते हैं, पुरोहित क़ीमत ले लेकर उपदेश देते हैं और भविष्यवक्ता पैसों के लिए भावी कहते हैं। इसलिए यरूशलेम “डीह ही डीह हो जाएगा।”—३:१-१२.
आशा का एक संदेश
सच्ची उपासना विश्वव्यापी रूप से कार्यान्वित की जाएगी। मीका भविष्यवाणी करता है कि “अन्त के दिनों में” कई राष्ट्रों के लोग यहोवा के मार्गों में शिक्षित किए जाएँगे। परमेश्वर न्याय करेगा और युद्ध अब कभी नहीं होगा। सच्चे उपासक ‘अपने परमेश्वर, यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।’ निर्वासन और दर्द के बावजूद, उसके लोग अपने शत्रुओं की हथेली से छुड़ाए जाएँगे।—४:१-१३.
हम परमेश्वर के प्रतिज्ञात उद्धारक पर भरोसा रख सकते हैं। बेतलेहेम से एक शासक यहोवा की शक्ति में नेतृत्व करेगा। “अश्शूरी से बचाव” पूर्वबतलाया जाता है। सच्चे उपासकों का एक अवशेष स्फूर्तिदायक ओस और प्रचुर वर्षा के समान बनेंगे, और सभी प्रकार के झूठे धर्म और पिशाचवाद का उन्मूलन किया जाएगा।—५:१-१५.
यहोवा का न्याय सफल होगा
यहोवा अपने लोगों से उसके न्यायोचित और धार्मिक स्तरों पर अटल रहने की अपेक्षा करता है। उसने अनुचित उपासना का पात्र होने के लिए क्या किया है? उस ने अपने लोगों के लिए अच्छी बातें की है। ‘और परमेश्वर इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि वे न्याय से काम करें, और कृपा से प्रीति रखें, और उनके परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? अगर वे अपने दुष्ट अत्याचार और शोषण में लगे रहेंगे, तो वे केवल उसके प्रतिकूल न्याय की अपेक्षा कर सकते हैं।—६:१-१६.
हमें यहोवा के न्याय और दया में विश्वास रखना चाहिए। परिवार के सदस्य भी दुश्मन बन जाएंगे। लेकिन मीका कहता है: “मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।” भविष्यवक्ता यहोवा के न्याय में भरोसा रखता है, यह जानते हुए कि परमेश्वर “अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करुणा से प्रीति रखता है।”—७:१-२०.
आज के लिए शिक्षा: यहोवा अपनी लोगों से न्याय का व्यवहार अपेक्षित करता है। व्यापार कार्यों के सम्बन्ध में, वस्तुतः एक मसीही को अपने आप से पूछना चाहिए: “क्या मैं कपट का तराजू और घटबढ़ के बटखरों की थैली लेकर पवित्र ठहर सकता हूँ?” (६:११) इन अन्तिम दिनों में यहोवा के सभी लोगों को उसकी पार्थिव संस्था की एकता में सहायक होना चाहिए और उसकी शान्ति के मार्गों में उपदेश स्वीकार करने चाहिए। यहोवा के नाम को उन्नत करने और सच्ची उपासना को आगे बढ़ाने के लिए हमें यथासंभव सब कुछ करना चाहिए।—२:१२; ४:१-४.
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बाईबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
● १:१६—इस्राएल में गंजापन लज्जा, शोक और संकट से सम्बध रखता था। (यशायाह ३:२४-२६; १५:२, ३; यिर्मयाह ४७:५) कुछ ग़ैरयहूदी जातियों ने एक मृत रिश्तेदार के लिए शोक के समय में अपने बाल मूँडने का रिवाज बनाया था। जब कि स्वाभाविक गंजापन नियम के नीचे अशुद्ध नहीं माना जाता था, इस्राएलियों को शोक में उनके बाल नहीं मुँडना था क्योंकि वे “परमेश्वर यहोवा के लिए एक पवित्र समाज” थे। (व्यवस्थाविवरण १४:१, २) किन्तु मीका ने इस्राएल और यहूदा से उनके बाल कतरने के लिए इसलिए कहा क्योंकि उनके पापपूर्ण मूर्तिपूजक आचरण ने उन्हें पवित्र लोगों के तौर से अयोग्य ठहराया और उन्हें और उनकी सन्तान को क़ैद के योग्य बनाया। वह इस्राएली शब्द जिसे यहाँ “उक़ाब” (न्यू.व.) के रूप में अनुवादित है, शायद चमरगिद्ध होगा जिसके सिर पर केवल कुछ कोमल मुलायम पर हैं। हालाँकि वह गिद्ध के ही जात का नहीं, उसे वही परिवार का माना गया है।
● २:१२—ये शब्द आत्मिक इस्राएल में वर्तमान-काल पूर्ति पाते हैं। (गलतियों ६:१६) खासकर १९१९ से, अभिषिक्त अवशेष के लिए, धार्मिक बड़ी बाबेलोन में से उनकी क़ैद से बच निकलने का रास्ता साफ़ किया गया। (प्रकाशितवाक्य १८:२) जैसे मीका ने भविष्यवाणी की, उन्हें ‘बाड़े में भेड़-बकरियों की नाईं, उस झुण्ड की नाईं जो चराई में हो,’ इकट्ठा किया गया। इसलिए कि उनके साथ १९३५ से “अन्य भेडों” की “बड़ी भीड़” मिली हुई है, उन में वास्तव में ‘मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचा’ है।—प्रकाशितवाक्य ७:९; युहन्ना १०:१६.
● ३:१-३—यहाँ, दयालु चरवाहा, यहोवा, और मीका के दिनों में उसके प्राचीन लोगों के क्रूर अगुओं के बीच, एक चौंका देनेवाला वैषम्य है। न्याय को कार्यान्वित करते हुए झुण्ड की रक्षा करने के उनके नियत कार्य में ये असफल हो गए। उन्होंने प्रतीकात्मक भेड़ों को क्रूरता से शोषण किया, न केवल उनका ऊन कतरने के द्वारा बल्कि—भेड़ियों की नाई—‘उनकी खाल उधेड़ते हुए।’ दुष्ट चरवाहों ने उन्हें “हत्या के कार्यों” के अधीन बनाकर लोगों को न्याय से वंचित किया। (३:१०) भ्रष्ट फ़ैसलों के द्वारा निस्सहायक लोगों को उनके घर और जीविका से प्रवंचित किया गया।—तुलना २:२; यहेजकेल ३४:१-५ की करें।
● ४:३—ये “कई लोगों” और “शक्तिशाली जातियों” की पहचान राजनैतिक राष्ट्रों और शासनों से नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि, ये सभी जातियों में से निकलनेवाले लोग है, ऐसे व्यक्ति जो उनकी राष्ट्रीयता से अलग होते हैं और यहोवा की सच्ची उपाना के पर्वत में की गयी संगठित सेवकाई की ओर मुड़ते हैं। (यशायाह २:२-४) यहोवा इन विश्वासियों के लिए जो परमेश्वर के राज्य के लिए अपना पक्ष लेते हैं, एक आत्मिक रूप से ‘न्याय करता और झगड़ों को मिटाता है।’ “बड़ी भीड़” के ये लोग, अपनी तलवारों को पीटकर हल के फाल बनाते हुए, और इस तरह अपने संगी यहोवा के गवाहों के साथ शांति से जीकर ईश्वरीय न्याय के अनुरूप होते हैं।
● ५:२—बेतलेहेम एप्राता की पहचान शायद ऐसे इसलिए की गयी क्योंकि बेतलेहेम नाम के दो नगर थे। मीका उसकी पहचान करता है जो, येरूशलेम के ठीक दक्षिण की ओर, यहूदा में है। दूसरा नगर उत्तर की ओर, जबूलून में था। (यहोशू १९:१०, १५) “एप्राता” या “एप्रात” यहूदा में के बेतलेहेम या उसकी चारों ओर के क्षेत्र का एक प्राचीन नाम था। (उत्पत्ति ४८:७; रूत ४:११) ऐसी विस्तृत पहचान, मसीह से सम्बन्धित परमेश्वर की भविष्यसूचक प्रतिज्ञाओं की यथार्थता रेखांकित करती है।
● ६:८—मीका पाप के प्रायश्चित्त की बलिदानों का मूल्य कम नहीं कर रहा था लेकिन यह विशिष्ट रूप से दिखा रहा था कि यहोवा की आँखो में सचमुच क्या मूल्यवान् है। (तुलना व्यवस्थाविवरण १०:१२ से करें) यहोवा के सामने बलिदान स्वीकारयोग्य होने के लिए पापी को न्याय, दया और नम्रता के गुण प्रकट करने थे। आज, यहोवा हमारी सेवकाई में इसी की प्रत्याशा करता है।—१ कुरिन्थियों १३:४-८.
● ७:४—कटीली झाड़ी और कांटेवाले बाड़ ऐसे झाड़ हैं जो वस्त्र को फ़ाड़ सकते हैं और शरीर को चीर सकते हैं। मीका यहाँ उसके दिनों की जाति के नैतिक क्षय का वर्णन कर रहा था। तो स्पष्ट रूप से उसका मतलब था कि हठी इस्राएलियों में से सब से उत्तम इस्राएली भी, उतना ही पीड़ाकर या दुःखदायी था जितना कि अधिक निकट आनेवाले के लिए एक कटीली झाड़ी या कांटेवाला बाड़ होता है।