‘हम जानते हैं कि वे पुनरुत्थान में जी उठेंगे’
सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानव जाति को जीवन दिया। यह जीवन वह मरे हुए लोगों को दोबारा प्रदान कर सकता है। जीवन और मृत्यु की जानकारी का सब से विश्वसनीय स्रोत भी हम ने उसी से पाया है: इब्रानी और मसीही यूनानी शास्त्र, वे दो हिस्से जिनसे बाइबल बनती है। इस में तथ्यों पर आधारित यह संदेश है, कि मृतकों में से अधिकांश वापस लौट सकते हैं।—यूहन्ना ५:२८, २९.
उदाहरणार्थ, बैतनिय्याह के लाजर, जिन से यीशु सुपरिचित था, के ऐतिहासिक वृत्तान्त पर ध्यान दें। लाजर बीमार रहा था और बाद में उन्होंने मरण पाया था। इसके पश्चात, यीशु ने लाजर की बहन मरथा से कहा: “तेरा [मृत] भाई जी उठेगा।” उसने जवाब दिया: “मैं जानती हूँ, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” (यूहन्ना ११:२३, २४) जी हाँ, वह यह बात जानती थी। विश्वसनीय जानकारी के आधार पर, उसे पूरा यक़ीन था कि उसका प्रिय भाई लाजर “अन्तिम दिन में” वापस आएगा।
जैसे आप यूहन्ना अध्याय ११ का ऐतिहासिक वृत्तान्त पढ़ते जाएँगे, आप उसके बाद हुई बातों का विवरण पायेंगे। चार दिन से मृत होने पर भी यीशु ने उस आदमी, लाजर, को जिलाया। यह पुनरुत्थान इस बात का सबूत है कि “अन्तिम दिन में” मृतकों को वापस लाने की प्रतिज्ञाएं, परमेश्वर पूरा कर सकता है। लेकिन मरथा ने लाजर को दोबारा कहाँ देखने की अपेक्षा की? अन्य वफ़ादार यहूदियों ने आनेवाले पुनरुत्थान को कहाँ घटित होने की कल्पना की थी?
‘ऐसी जगह जहाँ से वापसी नहीं’?
परमेश्वर ने इस पृथ्वी को मनुष्य के प्राकृतिक निवास स्थान के रूप में चुना था। भजनकार इन शब्दों में इसे अभिव्यक्त करता है: “स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उस ने मनुष्यों को दी है।” (भजन संहिता ११५:१६) पवित्र शास्त्र की कोई भी बात यह सूचित नहीं करती कि अगर आदम और हव्वा परमेश्वर की ओर वफ़ादार रहे होते तो वे इस पृथ्वी के बजाय किसी अन्य जगह में अनन्त जीवन प्राप्त करते। वास्तव में, क्या “जीवन का वृक्ष” यहाँ पृथ्वी पर, उस परादीस में नहीं था जिस में, परमेश्वर की ओर आज्ञोल्लंघन के मार्ग में प्रवेश करने से पहले, उस पहले मानव दम्पती ने आनन्द लिया था? (उत्पत्ती २:९; ३:२२) इसलिए कि इस के विरुद्ध, परमेश्वर की ओर से और कोई जानकारी नहीं थी, अदन की बाटिका के बाहर (आदम के परमेश्वर का भय माननेवाले पुत्र हाबिल से लेकर) उसके वफ़ादार सेवक मनुष्यजाति के लिए जिस एकमात्र घर के बारे में जानते थे, उस से उन्होंने ज़रूर पुनरुत्थान को सम्बद्ध किया होगा—यह पृथ्वी।
‘अब ज़रा रुकिए,’ कुछ लोग जो बाइबल से परिचित हैं, असहमत होंगे, ‘क्या अय्यूब ने अध्याय १६, पद २२ में ऐसे नहीं कहा कि “मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिस से मैं फिर वापस न लौटूँगा”? और अय्यूब ७:९ में उसने बताया: “अधोलोक [क़बर] में उतरनेवाला फिर वहाँ से नहीं लौट सकता।” अय्यूब ने आगे १०वें पद में कहा: “वह अपने घर को फिर लौट न आएगा, और न अपने स्थान में फिर मिलेगा।”’
इसलिए, जैसे कुछ विद्वान दावा करते हैं, क्या ये शास्त्रपद और सदृश वक्तव्य नहीं दिखाते कि अय्यूब ने मृत्यु को एक ‘ऐसी जगह जहाँ से वापसी नहीं,’ माना? क्या ऐसी उक्तियों का अर्थ है, कि अय्यूब भावी पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करता था? उत्तर के लिए हमें इन शब्दों पर, उनके पार्श्व के आधार पर ध्यान देना चाहिए, और साथ ही इसी विषय पर अय्यूब द्वारा व्यक्त किए गए अन्य विचारों से इनकी तुलना करनी चाहिए।
अय्यूब अपनी यातना का कारण नहीं जानता था। कुछ समय के लिए उसने ग़लत रूप से यह सोचा कि परमेश्वर उसके उत्पीड़न का कारण था। (अय्यूब ६:४; ७:१७-२०; १६:११-१३) निरुत्साही होकर, वह महसूस करने लगा कि तात्कालिक विश्राम की एकमात्र जगह क़बर है। (अय्यूब ७:२१; १७:१; तुलना ३:११-१३ से करें।) यहाँ, उसके समसामयिक व्यक्तियों के दृष्टिकोण से, वह दिखायी नहीं देता, वह अपने घर नहीं लौटता, न उसे कोई स्वीकृति मिलती, वह वापस न आता और न ही परमेश्वर के नियुक्त समय से पहले आने की कोई आशा रखता। अगर परमेश्वर के हस्तक्षेप के बिना उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता, तो अय्यूब और आदम के सभी वंशज मरी हुई स्थिति से उठने के लिए शक्तिहीन होते।a—अय्यूब ७:९, १०; १०:२१; १४:१२.
पुनरुत्थान में विश्वास
किन्तु, हमें अय्यूब जो अनुभव कर रहा था, उसके विषय में उसकी अनिश्चितता और अपने तात्कालिक भविष्य के बारे में उसके दुःखी विचारों का यह अर्थ नहीं लेना चाहिए कि वह पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करता था। यह बात कि वह निश्चित रूप से पुनरुत्थान में विश्वास करता था, अय्यूब १४:१३-१५ से स्पष्ट है। इस परिच्छेद में, अय्यूब ने ‘अधोलोक में छिपने’ और बाद में परमेश्वर द्वारा ‘याद किए जाने’ की इच्छा अभिव्यक्त की। इसके अतिरिक्त, अय्यूब १९:२५-२७ में विश्वास और खराई रखनेवाले इस पुरुष ने एक “छुड़ानेवाला” होने की और बाद में ‘ईश्वर का दर्शन’ करने की बात की। जी हाँ, अय्यूब एक पुनरुत्थान में विश्वास करता था। जैसे इब्राहिम को पहले से परमेश्वर की योग्यता पर यक़ीन था, कि वह ‘मरे हुओं में से जिला’ सकता था, वैसे ही अय्यूब को भी विश्वास था कि परमेश्वर उसे दोबारा जीवन दे सकता था और ऐसा ज़रूर करता।—इब्रानियों ११:१०, १६, १९, ३५.
आज हमारे आधुनिक कालों में भी, यहूदियों ने इस पृथ्वी पर एक भावी पुनरुत्थान में जीवन प्राप्ति पर विश्वास किया है। एन्सायक्लोपीडिया जुडाइका (१९७१) बताती है: “यह विश्वास कि अन्त में मरे हुए अपने अपने शरीरों में जिलाए जाएंगे और दोबारा पृथ्वी पर जीएंगे” यहूदीवाद का “एक मुख्य अभिमत है।” यह एन्सायक्लोपीडिया आगे कहती है: “यह विचार इतनी गम्भीरता से और अक्षरशः रूप से लिया गया है कि धर्मनिष्ठ यहूदी बहुधा उन वस्त्रों के बारे में चिन्तित रहते हैं, जिन्हें पहनाकर उन्हें दफ़नाया जाता है, और सभी अंगों के दफ़न, तथा इस्राएल में दफ़नाए जाने के बारे में भी चिन्तित रहते हैं।”
दिलचस्पी की बात है, बाइबल यह नहीं कहती कि पुनरुत्थान में परमेश्वर मरे हुओं के सड़े मानव शरीर पुनः एकत्र करेंगे। बहुत पहले से मरे हुए लोगों के वास्तविक अणु उस समय से लेकर सारी पृथ्वी पर फैले हुए हैं, और परिणामस्वरूप वनस्पति और प्राणी जीवन में समाविष्ट हुए हैं—जी हाँ, अन्य मानवों में भी जो बाद में मरण पाए हैं। यह तो साफ़ है कि जिलाए गए व्यक्तियों में एक से अधिक व्यक्ति के लिए वही अणुओं का उपयोग किया नहीं जा सकता। इसके बजाय, परमेश्वर अपनी इच्छानुसार, ग़ायब अंगों और मृत्यु से पहले हुई क्षतियों के बिना, मानवों को योग्य शरीरों के साथ जीवन दोबारा देगा।—१ कुरिन्थियों १५:३५-३८ से तुलना करें।
क्या ये पुनरुत्थित लोग अपने मित्र और रिश्तेदारों द्वारा, जिन्हें भी पुनरुत्थित किया गया है, पहचाने जाएंगे? यह युक्तियुक्त प्रतीत होता है, क्योंकि अगर हम उन जिलाए हुओं को, और वे हमें, नहीं पहचान पाते, तो हम कैसे जानते कि हमारे प्रिय मरे हुए सचमुच वापस आए हुए हैं? यद्यपि लाजर का शरीर सड़ता जा रहा था, यीशु के उसे पुनरुत्थित करने के बाद, वह रिश्तेदारों और मित्रों द्वारा पहचाना गया। इस तरह, हम भी यह अपेक्षा कर सकते हैं कि पृथ्वी पर पुनरुत्थान में जीवन प्राप्ति के समय, यहोवा परमेश्वर हमें प्रेममय रीति से एक दूसरे को देखने और जानने का मौका देंगे।
कुछों के लिए एक स्वर्गीय आशा
जैसे कि हमने देखा है, पृथ्वी मानवजाति का परमेश्वर-प्रदत्त घर है। फिर भी, यीशु मसीह ने उस प्रत्याशा पर समझ दी, कि मनुष्यजाति में से एक चुनी हुई संख्या के लोग उसके साथ स्वर्ग में अविनाशी, अमर आत्मिक जीवन में जिलाए जाएंगे। (२ तीमुथियुस १:१०) यीशु द्वारा “नए और जीवते मार्ग” का उद्घाटन करने के कुछ समय बाद तक, सभी मसीहियों को उस आशा में भाग लेने के लिए आमन्त्रित किया जा रहा था। (इब्रानियों ९:२४; १०:१९, २०) अन्त में यह पुरस्कार कितने पाते? वह प्रेरित ‘प्रकाशितवाक्य, जिसे परमेश्वर ने यीशु को अपने दासों को वे बातें दिखाने के लिए दिया, जिसका होना अवश्य था,’ यह संख्या १,४४,००० पर निश्चित करता है, वे “जो पृथ्वी पर से मोल लिए गए थे।”—प्रकाशितवाक्य १:१; ७:४-८; १४:१, ३.
स्वर्गीय जीवन के लिए लोगों की यह अपेक्षाकृत छोटी संख्या क्यों ‘पृथ्वी से मोल ली गयी है?’ प्रकाशितवाक्य की वही पुस्तक इस सीमित संख्या का कारण भी देती है। हम अध्याय २० के ५वें और ६ठे शास्त्रपदों में पढ़ते हैं: “यह तो पहिला पुनरुत्थान है। धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है; ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।”—प्रकाशितवाक्य ५:९, १० भी देखें।
राजा की पार्थिव प्रजा
प्रत्यक्षतः, सभी मानव राजा और याजकों के रूप में शासन नहीं करेंगे, क्योंकि अगर सभी राजा होते, तो फिर वे किस पर “राज्य” करते? उलटे, यह विशेष रूप से चुना हुआ समूह, जो यीशु के वफ़ादार प्रेरितों से आरम्भ हुआ है, एक ऐसी पृथ्वी पर राज्य करेंगे जो कुछ अंश तक, प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ और ९ से १७ शास्त्रपदों में वर्णित “बड़ी भीड़” से भरी हुई होगी। इन में लाखों आज “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” की ओर देख रहे हैं जो इस पृथ्वी पर की सभी अधार्मिकता को नाश करेगा। परमेश्वर की अनर्जित दयालुता के द्वारा वे, बिल्कुल ही मृत्यु नहीं पाकर, उस भारी क्लेश से जीवित निकलेंगे।—प्रकाशितवाक्य १६:१४; २१:१४; नीतिवचन २:२१, २२.
‘लेकिन उन लोगों के बारे में क्या, जो मर चुके हैं, जैसे कि मेरे प्रिय जन?’ आप में से कोई पूछ सकता है। यीशु ने खुद मरथा से कहा कि दूसरे, ‘यदि मर भी गए हैं, वे जीएँगे।’ (यूहन्ना ११:२५) यह एक पार्थिव पुनरुत्थान में होगा। अपने १,४४,००० संगी राजा और याजकों के साथ मसीह के राज्यकाल के दौरान, कई लाखों मरे हुए, जिन्हें परमेश्वर अनुकूल रीति से याद करते हैं, जिलाए जाएँगे और यहोवा की सच्ची उपासना सीखने का सुअवसर पाएँगे। अगर वफ़ादार रहे, तो वे एक पृथ्वी-व्याप्त परादीस में अनन्त जीवन का प्रतिफल प्राप्त करेंगे। यह मरथा द्वारा उल्लेखित उस “अन्तिम दिन” के दौरान होगा, जिसके बारे में मरथा ने यीशु से इस बात पर सहमत होते वक्त कहा था, कि उसका भाई दोबारा जीवन प्राप्त करेगा।—यूहन्ना ५:२८, २९; ११:२४; लूका २३:४३.
प्रत्याभूतियों पर आधारित एक आशा
बाइबल में अभिलिखित पुनरुत्थान, पवित्र शास्त्र द्वारा प्रदान की गयी पुनरुत्थान आशा की विश्वसनीयता के उदाहरण और प्रत्याभूतियाँ हैं। यह अभिलेख हमें पृथ्वी पर मसीहपूर्व कालों में भविष्यवक्ता एलिय्याह और एलीशा द्वारा किए गए, परमेश्वर के पुत्र द्वारा किए गए (जिसमें लाजर का पुनरुत्थान भी शामिल है), और प्रेरित पतरस तथा प्रेरित पौलुस द्वारा किए गए पुनरुत्थानों के बारे में, और विशेष रूप से यहोवा द्वारा अपने पुत्र को जिलाने के बारे में बताता है। आप ऐसे वृत्तान्त अपनी बाइबल में यहाँ पढ़ सकते हैं: १ राजा १७:१७-२४; २ राजा ४:३२-३७; मत्ती २८:१-१०; लूका ७:११-१७; ८:४०-५६; यूहन्ना ११:३८-४४; प्रेरितों के काम ९:३६-४२; १०:३८-४२; २०:७-१२.b
पुनरुत्थान की ऐसी एक शक्तिशाली लिखित आशा के आधार पर, ऐथेन्स निवासियों को पौलुस आश्वासन दे सका: “परमेश्वर ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह ऐसे मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।”—प्रेरितों के काम १७:३०, ३१.
जी हाँ, यीशु का पुनरुत्थान उस पुनरुत्थान आशा की मान्यता की परम प्रत्याभूति है। इसलिए हमारे पास भी यहोवा परमेश्वर की शक्ति और उसके प्रेम पर निर्विवाद रूप से विश्वास करने के लिए दृढ़ आधार है। हम भी उस विश्वास को अभिव्यक्त कर सकते हैं जो मरथा के पास था: ‘हम जानते हैं कि मरे हुए अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय जी उठेंगे!’
मार्स पहाड़ी पर “मरे हुओं के पुनरुत्थान” के बारे में पौलुस की गवाही सुनने के बाद, उसका श्रोतागण तीन गुटों में विभाजित हो गए: “कितने तो ठट्ठा करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे। . . . परन्तु कई एक मनुष्य उसके साथ मिल गए, और विश्वास किया।”—प्रेरितों के काम १७:३२-३४.
पुनरुत्थान की आशा की ओर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? यहोवा लाखों, करोड़ों मरे हुओं को मृतावस्था से पुनरुत्थित करने की अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करेगा। उन्हें फिर से मिलने, और उनका आपसे मिलने, के लिए आप वहाँ होंगे कि नहीं, यह मुख्य रूप से आप क्या कार्य करेंगे इस पर निर्भर है। क्या आप अनन्त जीवन पाने के लिए परमेश्वर की अपेक्षाओं के बारे में सीखने और उसके अनुसार जीने के लिए इच्छुक हैं? यहोवा के गवाहों को आपको मृतकों के लिए आशा और कैसे आप इस व्यवस्था के अन्त से बच निकल सकते हैं, इस पर अधिक जानकारी देने में बहुत खुशी होगी।—यूहन्ना १७:३.
[फुटनोट]
a इसी सन्दर्भ में, भजनकार परमेश्वर द्वारा किसी भी हस्तक्षेप से पहले, उस समय विद्यमान स्थिति के बारे में इस तरह लिखता है: “और उस [परमेश्वर] को स्मरण हुआ कि ये [इस्राएली] नाशमान हैं, कि आत्मा [या परमेश्वर से आनेवाली प्राण शक्ति] चली जाती है और लौट नहीं आती।”—भजन संहिता ७८:३९.
b आप बाइबल कालों के पुनरुत्थान और मसीह के राज्य के दौरान आनेवाले पुनरुत्थान के विषय पर बाइबल की प्रतिज्ञा के बारे में एक अधिक विस्तृत चर्चा यू कॅन लिव फॉरेवर ऑन अर्थ में पा सकते हैं। अध्याय २० का शीर्षक है “रेज़रेक्शन—फॉर हूम, ॲन्ड व्हेर?” (पुनरुत्थान—किस के लिए, और कहाँ?) यह पुस्तक आपके क्षेत्र के यहोवा के गवाहों से या फिर इस पत्रिका के पृष्ठ २ में सूचिबद्ध कार्यालयों से उपलब्ध किया जा सकता है।