सलाह के लिए आप कहाँ जाते हैं?
क्या किसी ने कभी आप को धोखे से जाली पैसे दिए हैं? शायद नहीं, परन्तु आप की प्रतिक्रिया क्या होगी अगर कोई आप से कहता कि जाली पैसों का संचार हो रहा है? क्या आप बुरा मान जाएँगे? कदापि नहीं! यह अधिक संभव है कि आप आभारी रहेंगे कि आप को सचेत किया गया और होशियार रहेंगे कहीं आप अपने मेहनत से कमाए असली पैसे को जाली के बदले न दें।
हम में से अधिकांश लोग समय समय पर सलाह या चेतावनी प्राप्त करते हैं। यह सच है कि कुछ चेतावनियाँ अन्य की तुलना में अधिक उपयोगी हैं। परन्तु यदि हम किसी सलीह या परामर्श के व्यक्तिगत मूल्य को नहीं भी समझते हैं, क्या यह बुरा मानने का कोई कारण है, सिर्फ़ इसलिए कि यह दिया गया है?
सच्चाई यह है कि समय समय पर सभी को मदद और सलाह की ज़रूरत पड़ती है। किसी के पास सभी उत्तर नहीं हैं। आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के कारण, जो हमें घेरे हुए है, हर एक को भविष्य के लिए एक ठोस आशा की ज़रूरत है। एक ऐसे संसार में जहाँ क़रीब आधे विवाह तलाक़ में समाप्त होते हैं, जहाँ किशोरियों में गर्भावस्था की भरमार है, और जहाँ लैंगिक सम्पर्क से होनेवाले रोग विश्वव्यापी हैं, संतुलित, व्यावहारिक मार्गदर्शन की तुरन्त आवश्यकता है। इस गड़बड़ी वाली रीति-व्यवस्था में माता-पिता को अपने बच्चों को बड़ा करने के लिए सबसे उत्तम तरीक़ा निर्धारित करने में सहायता की ज़रूरत है। किशोरों को सहायता की आवश्यकता है अपनी परस्पर विरोधी भावनाओं और दबावों से निपटने में, जो बहुत भारी मालूम पड़ सकते हैं। एक ऐसे संसार में जहाँ बेईमानी, अनैतिकता और हिंसा अधिक स्वीकृत होती जा रही हैं, व्यावहारिक नैतिक मूल्यों को कार्यान्वित करने के लिए हर एक को सहायता की ज़रूरत है।
ऐसी सहायता कहाँ पायी जा सकती है? अब तक जीने के विषय पर सबसे उत्तम सलाह का स्रोत है बाइबल, परमेश्वर का प्रेरित वचन। प्राचीन भजनहारे ने लिखा: “तेरा वचन मेरे पाँव के लिए दीपक और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है।” (भजन संहिता ११९:१०५) जो परमेश्वर के वचन को पढ़ते और उसे लागू करते हैं, वे आज के अधिकांश संकटों से बच जाते हैं। यह एक कारण है कि क्यों यहोवा के गवाह प्रत्येक वर्ष लाखों घंटे अपने पड़ोसियों से भेंट करने और उनके साथ बाइबल पर विचार-विमर्श करने में गुज़ारते हैं। फिर भी, बहुत से लोग नहीं सुनते, और कुछ तो बुरा भी मान जाते हैं। ऐसा क्यों है?
बन्द मन—क्यों?
बहुत से लोग सलाह प्राप्त करने के सम्बन्ध में बहुत ही भावुक होते हैं, ख़ास कर धर्म के विषय पर। यहाँ तक कि गिरजे के सदस्य भी अपने प्रचारकों द्वारा दी जानेवाली सलाह को हमेशा सुनना नहीं चाहते। एक अँग्रेज़ पादरी ने अफ़सोस के साथ कहा: “सभी के अपने अपने ख़याल हैं और उन ख़यालों को प्रचारक के ख़याल जितने अच्छे समझे जाते हैं।” अतः, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि लोग अपने दरवाज़े पर खड़े किसी अजनबी की बात सुनना नहीं चाहते।
इसके अतिरिक्त, यद्यपि हम एक अविश्वासी युग में जी रहे हैं, फिर भी बहुत से लोगों को अपने गिरजे के साथ मज़बूत, भावनात्मक बन्धन हैं। जैसा एक विश्वकोश ने टीका किया, “धर्म असंख्य लोगों की गहरी भावनाओं को छूता है।” ऐसे लोग दूसरे धर्म के किसी व्यक्ति के साथ बाइबल के बारे बात करने की आवश्यकता को शायद नहीं समझ सकते हैं, तब भी नहीं जब विचार-विमर्श उनकी समस्याओं का समाधान पाने के बारे में हो।
अन्य लोग बाइबल के बारे विचार-विमर्श नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्होंने धर्म में बहुत अधिक पाखण्ड और भ्रष्टाचार देखा है। उन्हें बुरा लगता है क्योंकि कुछ धार्मिक अगुआ अनैतिकता की अनदेखी करते हैं, या वे अनेक टेलीविजन वाले सुसमाचार प्रचारकों के निर्लज्ज लालच की वजह से घृणा महसूस करते हैं। शायद वे बुरा महसूस करते हैं जब कोई पादरी किसी राजनीतिक लड़ाई में अपने अधिकार का प्रयोग एक पक्ष का समर्थन और दूसरे का विरोध करने के लिए करता है। इनके विचार में, धर्म जितनी समस्याओं का समाधान करता है, उस से कहीं अधिक उत्पन्न करता मालूम पड़ता है।
जिन समस्याओं के बारे ऐसे लोग शिकायत करते हैं, वे असली समस्याएँ हैं। धार्मिक रूप से, बहुत से “जाली पैसों” का संचार हो रहा है। पर निश्चय ही, इस कारण से बाइबल से बहुमूल्य सहायता लेने से इनकार करना वैसा ही अतर्कसंगत है, जैसा असली पैसे को सिर्फ़ इसलिए लेने से इनकार करना कि जाली बैंक नोटों का संचार हो रहा है!
और जैसा पहले ही कहा जा चुका है, कठिन निर्णयों और ख़तरनाक हालातों वाले इस संसार में हम सभी को सलाह की आवश्यकता है। सलाह स्वीकार करने के मामले में बुद्धिमानीपूर्वक मार्गदर्शन पाने का क्या कोई रास्ता है? अन्य धर्म के किसी व्यक्ति के साथ बाइबल के बारे बात करना क्या अनावश्यक या ग़लत भी है? क्या यह संभव है कि इतना खुला मन रखें कि अच्छी सलाह प्राप्त करें और फिर भी नक़ली सलाह से धोखा न खाएँ? इसके बारे बाइबल क्या कहती है?