प्राचीनों अपनी अमानत की रखवाली करो
“अपनी और पूरे झुण्ड की चौकसी करो; जिस में पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने पुत्र के लहू से मोल लिया है।” —प्रेरितों २०:२८, न्यू.व.
१. मसीही अमानत में क्या-क्या शामिल है?
यहोवा परमेश्वर ने अपने पार्थिव संघटन के लोगों को एक बढ़िया अमानत दी है। लेकिन अमानत क्या होती है? यह कोई मूल्यवान वस्तु है जो किसी व्यक्ति को दी जाती है, जिसके लिए उसे हिसाब देना पड़ता है। मसीही अमानत में “स्वास्थ्यकारी बातों का प्रतिमान” शामिल है। यह धर्मशास्त्र में से प्रकट किया गया सत्य है जो ‘सही समय पर भोजन’ के रूप में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा दिया जाता है। (२ तीमुथियुस १:१३, १४; मत्ती २४:४५-४७) इस अमानत में सेवकाई शामिल है जो सत्य से संबद्ध है, जिसे मण्डली के भीतर और बाहर प्रचार किया जाना चाहिए। (२ तीमुथियुस ४:१-५) राज्य उद्घोषकों को, जिन में आत्मा से नियुक्त प्राचीन भी शामिल हैं, इस अमानत को सबसे मूल्यवान समझना चाहिए।
२. प्राचीनों के पास कौनसी अतिरिक्त अमानत है, और पतरस ने इसके बारे में क्या कहा?
२ मसीही प्राचीनों को एक अतिरिक्त अमानत है—परमेश्वर के झुंड की रखवाली करने की ज़िम्मेदारी। इस सम्बंध में, प्रेरित पतरस ने लिखा: “तुम में जो प्राचीन हैं, मैं उन की नाईं प्राचीन और मसीह के दुःखों का गवाह और प्रगट होनेवाली महिमा में सहभागी होकर उन्हें यह समझाता हूँ कि परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में है, रखवाली करो; और यह दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द से, और नीच कमाई के लिए नहीं, पर मन लगा कर। और जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, बरन झुंड के लिए आदर्श बनो। और जब प्रधान रखवाला प्रगट होगा, तो तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जो मुरझाने का नहीं।”—१ पतरस ५:१-४.
३. मसीही प्राचीनों को किन बातों का स्रोत होना चाहिए?
३ मसीही प्राचीनों को “मानो आँधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़, . . . या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया” साबित होना चाहिए। (यशायाह ३२:१, २) इसका मतलब है कि प्राचीनों को परमेश्वर के भेड़-समान सेवकों के झुंड के लिए सुरक्षा, शान्ति, और स्थिरता का स्रोत होना चाहिए। झुंड के प्राचीनों, या उप-चरवाहों की ओर से “सामान्य से ज़्यादा” आवश्यक होता है, इसलिए कि उन के हाथों “बहुत सौंपा गया है।” (लूका १२:४८) और बेशक उनके पास एक ऐसी क़ीमती अमानत है, जिसकी रखवाली अवश्य होनी चाहिए।
यह आपको क्यों सौंपा गया है?
४. इतने सारे प्राचीनों की ज़रूरत क्यों है?
४ चूँकि पूरी दुनिया में यहोवा के गवाहों की ६३,००० मण्डलियाँ मौजूद हैं, इस कारण परमेश्वर के झुंड की रखवाली करने के लिए लाखों आध्यात्मिक रूप से योग्य पुरुषों की ज़रूरत होती है। हर देश में अनेक प्राचीन हैं, और यह हर्ष करने का कारण है। पूरी दुनिया में हर एक मण्डली में औसतन ६० राज्य उद्घोषक मौजूद हैं। इसलिए, प्राचीनों के लिए बहुत काम है।—१ कुरिन्थियों १५:५८.
५. एक प्राचीन के तौर से सेवा करने का विशेषाधिकार किस आधार पर किसी आदमी को दिया जाता है?
५ अगर आप एक प्राचीन हैं, तो आपको यह धन्य ख़ास अनुग्रह क्यों दिया गया? इसलिए कि आपने कुछ निश्चित काम किए हैं, और आप में आध्यात्मिक योग्यताएँ हैं। मिसाल के तौर पर, आपने परमेश्वर के वचन में अध्यवसायी से अभ्यास किया होगा। (यहोशू १:७, ८) आपने क्षेत्र सेवकाई में उत्साह से भाग लिया होगा, और दूसरों को राज्य उद्घोषक बनने की भी मदद की होगी। चूँकि आप “पहले परखे” गए थे, आपने एक सेवकाई सेवक के तौर से निष्ठापूर्वक सेवा की। आपने प्राचीन बनने की ‘इच्छा की होगी,’ या उसके लिए योग्य बनने का प्रयत्न किया होगा, इस बात की क़दर करते हुए कि अध्यक्ष बनना एक “भला काम” है। (१ तीमुथियुस ३:१, १०) तीमुथियुस के जैसे, आप “भाइयों में सुनाम” थे। (प्रेरितों १६:२) जब एक प्राचीन के तौर से आपकी सिफ़ारिश की गयी, तब शायद आप २५ से ३० वर्ष के, या उससे बड़े, और ज़िन्दगी में अनुभवी रहे होंगे। आध्यात्मिक रूप से परिपक्व व्यक्ति होने और प्रभावकारी धर्मशास्त्रीय सलाह देने और गोपनीयता बनाए रखने के क़ाबिल होने, और एक सुगम्य भाई होने के तौर से मण्डली आपका आदर करने लगी थी।—नीतिवचन २५:९, १०.
अपनी अमानत की रखवाली किस तरह कर सकते हैं
६, ७. १ तीमुथियुस ४:१३-१५ में किसी पुरुष को एक प्राचीन के रूप में अपनी अमानत की रखवाली करने की मदद करने के लिए क्या सलाह दी गयी है?
६ जी हाँ, अगर आप एक प्राचीन हैं, तो ठोस कारणों से मसीही अध्यक्षता आपको सौंपी गयी थी। और आपने किस रीति से विशेष अनुग्रह-प्राप्त महसूस किया होगा! लेकिन आप अपनी अमानत की रखवाली किस तरह कर सकते हैं?
७ एक प्राचीन के रूप में अपनी अमानत की रखवाली करने का एक तरीक़ा अपनी ज़िम्मेदारियों को सकारात्मक रीति से और अध्यवसायी से पूरा करना है। हम सब को यहोवा के संघटन में तरह-तरह की ज़िम्मेदारियों के नियत कार्य दिए गए हैं। इसलिए, अपनी जगह रखें और ‘एक छोटे व्यक्ति के तौर से बरताव करने’ में संतुष्ट रहें। (लूका ९:४६-४८; न्यायियों ७:२१ से तुलना करें।) अपने विशेषाधिकारों की क़दर करें, और कभी ‘काम में ढिलाई न करें।’ (नीतिवचन १०:४) कभी एक ही जगह में न रुकें, लेकिन यहोवा की मदद से, सेवकाई के सभी पहलुओं में प्रगति करें। सचमुच, तीमुथियुस को पौलुस द्वारा दी इस सलाह पर अमल करें: “जब तक मैं न आऊँ, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह। उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यवाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्चिन्त मत रह। उन बातों को सोचता रह, और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो।”—१ तीमुथियुस ४:१३-१५.
८. विवेकपूर्ण सलाह देने और सभाओं में आध्यात्मिक रूप से पौष्टिक बातें बताने के लिए एक प्राचीन को किन बातों से मदद होगी?
८ यह निश्चित करें कि आप निजी अध्ययन के एक अच्छे, उत्पादनकारी कार्यक्रम को बनाए रखते हैं। एक प्राचीन होने के नाते, आपसे उचित रीति से अपेक्षा रखी जाती है कि आप विवेकपूर्ण धर्मशास्त्रीय सलाह दें। इस ज़िम्मेदारी को निभाने के वास्ते तैयार होने के लिए, क्या आपने सम्पूर्ण बाइबल को, शायद कई बार, चिन्तनशील रीति से पढ़ा है? (नीतिवचन १५:२८) मंच पर दिए आपके भाषणों का क्या? उन्हें अच्छी तरह से तैयार करें, और प्रार्थनापूर्ण रूप से यहोवा की मदद माँगें, ताकि आप हमारी सभाओं में उपस्थित लोगों को आध्यात्मिक रूप से पौष्टिक बातें बता सकते हैं। ख़ास तौर से प्राचीनों को ‘वही बात कहनी चाहिए जो उन्नति के लिए हो, ताकि उस से सुननेवालों पर अनुग्रह हो।’—इफिसियों ४:२९; रोमियों १:११.
९. २ तीमुथियुस ४:२ के अनुसार, एक प्राचीन को क्या करना चाहिए?
९ एक प्राचीन होने के नाते, पौलुस की चेतावनी पर ध्यान दें: “तू वचन को प्रचार कर, अत्यावश्यकता से समय-असमय यही करता रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा देने की कला के साथ उलाहना दे, और डाँट, और समझा।” (२ तीमुथियुस ४:२, न्यू.व.) पौलुस धर्मत्याग के बारे में फ़िक्रमन्द था इसलिए कि मण्डली के कुछ लोग ‘शब्दों पर तर्क-वितर्क’ और ‘मूर्खता के विवाद’ करते थे और ‘सत्य के प्रति अनुकूल दृष्टि नहीं रखते थे।’ (२ तीमुथियुस २:१४-१८, २३-२५; ३:८-१३; ४:३, ४, न्यू.व.) बहरहाल, मण्डली चाहे अनुकूल समय या प्रतिकूल समय का सामना कर रही थी, तीमुथियुस को ‘वचन का प्रचार करना’ था। इस से संगी विश्वासी धर्मत्याग का प्रतिरोध करने के लिए सबल होते। उसी तरह आज, प्राचीनों को परमेश्वर के भेदक वचन, या संदेश को प्रचार करना चाहिए, जो दिल तक पहुँचता है और यहोवा के स्तरों का अनुपालन प्रोत्साहित करता है।—इब्रानियों ४:१२.
१०. किसी प्राचीन को नियमित रूप से अपने परिवार के सदस्यों और अन्यों के साथ क्षेत्र सेवकाई में कार्य क्यों करना चाहिए?
१० अधिकार के साथ बोलने के लिए, प्राचीन को परमेश्वर के वचन के अनुरूप जीना चाहिए। लेकिन वह अपनी अमानत की पूरी तरह से रखवाली नहीं कर रहा होगा अगर वह मण्डली के भीतर मंच पर ही ‘वचन का प्रचार’ करता है। इसी संदर्भ में पौलुस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया: “सुसमाचार प्रचार का काम कर।” एक प्राचीन के तौर से ‘अपनी सेवा को पूरा करने’ के लिए आपको परमेश्वर का वचन “लोगों के सामने और घर घर” प्रचार करना चाहिए। (२ तीमुथियुस ४:५; प्रेरितों २०:२०, २१) इसलिए, आपके परिवार के सदस्यों के साथ क्षेत्र में कार्य करें। यह आपके और आपके पत्नी के बीच के आध्यात्मिक बन्धन को मज़बूत करने में सहायक होगा और इस से आपके बच्चों को बहुत ज़्यादा फ़ायदा होगा। और, कुछ समय मण्डली के अन्य सदस्यों के साथ प्रचार कार्य में भाग लेने में भी बिताएँ। इस से आध्यात्मिक रिश्ते मज़बूत हो जाते हैं और भाईचारे का प्रेम बढ़ता है। (यूहन्ना १३:३४, ३५) अवश्य, प्राचीन को अपने परिवार और मण्डली के बीच क़ीमती समय को बाँटने में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। विवेक के इस्तेमाल से वह एक को अत्याधिक समय देकर दूसरे की उपेक्षा और नुक़सान होने नहीं देगा।
११. किसी प्राचीन को एक शिक्षक के तौर से अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए परिश्रम क्यों करना चाहिए?
११ एक प्राचीन के रूप में अपनी अमानत की रखवाली करने के लिए, एक शिक्षक के तौर से अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भी कार्य करें। पौलुस ने कहा, “यदि कोई सिखानेवाला हो, तो सिखाने में लगा रहे। जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे।” (रोमियों १२:७, ८) चूँकि एक शिक्षक दूसरों के सामने एक उपदेशक के तौर से खड़ा होता है, उन्हें उस से अधिक अपेक्षा रखने का हक़ है। अगर कोई प्राचीन अपनी शिक्षा में गम्भीर रूप से ग़लती करे और इससे संगी विश्वासियों के लिए समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं, तो वह परमेश्वर की ओर से दण्ड पाने के योग्य बन जाता है। हाँ, उपदेशक “और भी दोषी ठहरेंगे।” (याकूब ३:१, २; मत्ती १२:३६, ३७) इसलिए प्राचीनों को परमेश्वर के वचन के संजीदा विद्यार्थी होना चाहिए और इसे अपनी ज़िन्दगी में अमल करना ही चाहिए। फिर संगी विश्वासियों द्वारा उनके धर्मशास्त्रीय उपदेश की, जो कि व्यक्तिगत अनुप्रयोग से पुष्ठांकित होगा, बहुत अधिक क़दर की जाएगी। यह मण्डली को अहितकारी प्रभावों से भी बचाएगा, जिस में धर्मत्याग भी शामिल है।
फन्दों से बचें
१२. कौनसी सलाह, जो किसी समय इस पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी, एक प्राचीन को जीभ के दुरुपयोग से बचे रहने की मदद करेगी?
१२ फन्दों से बचे रहने से, एक प्राचीन के तौर से अपनी अमानत की रखवाली करें। एक शिक्षक के रूप में जीभ का दुरुपयोग इन फन्दों में से एक फन्दा है। यहोवा के संघटन ने इस संबंध में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बहुत समय से ज़ोर दिया है। उदाहरणार्थ, अपने मई १५, १८९७ अंक में, इस पत्रिका में याकूब ३:१-१३ पर विचार-विमर्श किया गया और विशेष रूप से प्राचीनों के बारे में कहा गया: “अगर उनके पास एक वाक्पटु जीभ है, तो शायद यह बड़े आशीर्वाद का एक ज़रिया होगी, और बड़ी संख्या में लोगों को प्रभु, सच्चाई और धर्म के रास्ते की ओर आकर्षित करेगी; या फिर, दूसरी ओर, अगर यह ग़लती से दूषित है, तो जीभ क़रीब-क़रीब अकथनीय हानि—विश्वास, आचार, और अच्छे कामों को पहुँचा सकती है। यह वास्तव में सच है कि जो कोई शिक्षा देने की योग्यता का प्रयोग करता है, वह परमेश्वर और मनुष्यों की नज़रों में अपने आप पर अधिक ज़िम्मेदारी लाता है। . . . जो कोई ईश्वरीय वचन का सोता बनना चाहता है, जिस में से आशीर्वाद और ताज़गी और बल निकले, उसे यह निश्चित कर लेना चाहिए कि कड़वा जल, शाप और हानि पहुँचानेवाले झूठे उपदेशों को—जो परमेश्वर का अनादर करते हैं और उनके वचन का ग़लत अर्थ लगाते हैं—कभी उन में अभिव्यक्ति का ज़रिया मिलने न पाए। सभाओं के लिए अगुवों के चयन में ‘जीभ’ की योग्यता को, जैसा कि यहाँ बताया गया है, नज़रंदाज़ करना नहीं चाहिए। उत्तेजित जीभवालों को नहीं, बल्कि विनम्र, संयमी व्यक्तियों को चुन लिया जाना चाहिए, जो अपनी जीभ को ‘क़ाबू’ में रखते हैं और ध्यान से ‘सिर्फ़ परमेश्वर के वक्ता के तौर से’ ही बोलने की कोशिश करते हैं।” यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि एक प्राचीन अपनी जीभ का सही इस्तेमाल करे!
१३. मनोरंजन के बारे में प्राचीनों को कौनसी सावधानी बरतनी चाहिए?
१३ अत्याधिक मनोरंजन भी एक फन्दा है जिस से बचे रहना चाहिए। एक मसीही को थका देने और अन्यमनस्क कर देने के बजाय, मनोरंजन को उसे तरो-ताज़ा और उन्नत कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अध्यक्षों को अपनी आदतों में “संयमी” होना चाहिए। (१ तीमुथियुस ३:२) मनोरंजन के संबंध में आप जो करते हैं, अगर यह संयम से संचालित हो, तो यह आपको और आपके परिवार की रक्षा करेगा और मण्डली के लिए एक उत्तम मिसाल क़ायम करेगा। आप एक अच्छी मिसाल बिल्कुल ही क़ायम नहीं कर रहे होंगे, अगर आप समय-समय पर, सप्ताहांतों पर मनोरंजन के लिए बाहर जाते होंगे, जबकि आपके संगी विश्वासी अध्यवसाय से क्षेत्र सेवकाई में कार्य कर रहे होंगे। सुसमाचार का प्रचार अवश्य होना है, और प्राचीनों को उत्साही राज्य उद्घोषकों के तौर से इस कार्य में अगुवाई करनी चाहिए।—मरकुस १३:१०; तीतुस २:१४.
१४. (अ) प्राचीनों को यौन-संबंधी अनैतिकता के विषय में सावधानी बरतने की आवश्यकता कौनसी धर्मशास्त्रीय मिसालों से विशिष्ट होती है? (ब) प्राचीनों को आध्यात्मिक बहनों की सहायता करने के विषय में कौनसी बारम्बार दुहरायी गयी सलाह की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए?
१४ यौन-संबंधी अनैतिकता एक और फन्दा है जिस से बचना चाहिए। अगर कोई प्राचीन, परमेश्वर के लोगों की ख़राई तोड़ने के लिए शैतान की कोशिशों में उसके द्वारा प्रयुक्त प्रलोभनों का प्रतिरोध नहीं करता, तो दुनिया का नैतिक क्षय उस को भी प्रभावित कर सकता है। (मत्ती ४:१-११; ६:९, १३ से तुलना करें।) याद रखें कि भविष्यवक्ता बिलाम ने, इस्राएलियों को शाप देने के लिए अपनी कोशिशों में विफ़ल होकर, यह तर्क किया कि यदि उन्हें लिंग पूजा करने के लिए बहकाया जा सके, तो स्वयं यहोवा ही उन्हें शाप देते। इसलिए बिलाम ने मोआबी राजा बालाक को “इस्राएलियों के आगे ठोकर का कारण रखना सिखाया, कि वे मूरतों के बलिदान खाएँ, और व्यभिचार करें।” क्या वे उस फन्दे से बचे रहे? नहीं, इसलिए कि २४,००० इस्राएली यहोवा की ओर से आयी उस महाविपत्ति के कारण मर गए, क्योंकि उन्होंने मोआबी औरतों के साथ अनैतिक मैथुन किया और उनके देवताओं के सामने झुक गए। (प्रकाशितवाक्य २:१४; गिनती २५:१-९) और यह भी याद रखें, कि दाऊद भी, जो ‘परमेश्वर के मन के अनुसार’ था, यौन-संबंधी अनैतिकता के फन्दे में पड़ गया। (१ शमूएल १३:१४; २ शमूएल ११:२-४) तो फिर, एक प्राचीन के तौर से, “विश्वासयोग्य भण्डारी” की बार-बार दोहरायी गयी सलाह की ओर ध्यान दें, कि आप कभी एकान्त में किसी आध्यात्मिक बहन की सहायता नहीं करेंगे, बल्कि इस ज़िम्मेदारी को सँभालते समय एक और प्राचीन को मौजूद रहने को कहेंगे।—लूका १२:४२.
१५. एक प्राचीन का परिवार उसे भौतिकवाद के फन्दे से बचे रहने की मदद कैसे कर सकता है?
१५ भौतिकवाद एक और फन्दा है जिस से एक प्राचीन को बचे रहना चाहिए। ज़रूरतों से संतुष्ट रहें, यह जानते हुए कि यहोवा पर्याप्त प्रबंध करेंगे। (मत्ती ६:२५-३३; इब्रानियों १३:५) अपने परिवार को कमख़र्च बनने के लिए प्रशिक्षित करें, इसलिए कि फ़ुज़ूलख़र्ची से समय और साधन लुटाया जाता है, जो परिवार को मदद करने, और साथ ही क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने, मण्डली का बल बढ़ाने और राज्य हितों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इस संबंध में एक प्राचीन अपने परिवार के सहयोग से लाभ प्राप्त करता है और वह आभारी है कि वे उस पर उन चीज़ों के लिए दबाव नहीं डालते जिनके लिए वास्तव में कोई ज़रूरत नहीं। दरअसल, “घबराहट के साथ बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साथ थोड़ा ही धन उत्तम है।”—नीतिवचन १५:१६.
“अपनी चौकसी करो”
१६. पौलुस ने इफिसुस के अध्यक्षों को क्या सलाह दी?
१६ अगर प्राचीनों को अपनी अमानत की रखवाली करनी है, तो उन्हें उस सलाह पर अमल करना चाहिए, जो पौलुस ने इफिसुस के अध्यक्षों को दी थी: “अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस में पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने पुत्र के लोहू से मोल लिया है। मैं जानता हूँ कि मेरे जाने के बाद फाड़नेवाले भेड़िए तुम में आएँगे, जो झुंड के साथ कोमलता से पेश नहीं आएँगे। तुम्हारे ही बीच में से भी ऐसे ऐसे मनुष्य उठेंगे, जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को टेढ़ी मेढ़ी बातें कहेंगे। इसलिए जागते रहो; और स्मरण करो कि मैं ने तीन वर्ष तक रात दिन आँसू बहा-बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा।”—प्रेरितों २०:२८-३१, न्यू.व.
१७, १८. कौनसी सलाह, जो लगभग ८२ वर्ष पहले इस पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी, आज भी मसीही प्राचीनों पर लागू होती है?
१७ ८२ से अधिक साल पहले, द वॉचटावर (मार्च १, १९०९) ने पौलुस द्वारा संगी प्राचीनों को दी पूर्ववर्ती सलाह को उद्धृत किया और यह टिप्पणी की: “प्राचीनों को हर कहीं इस ओर ख़ास तौर से ध्यान देना चाहिए; इसलिए कि हर परीक्षण में सबसे ज़्यादा कृपापात्र और सबसे प्रमुख लोगों की ही सबसे कठिन परेशानियाँ और परिक्षाएँ होती हैं। इसलिए, [याकूब] उपदेश देता है, ‘हे भाइयों, तुम में से बहुत लोग उपदेशक न बनें, यह जानते हुए कि ऐसे आदमी की और भी कड़ी परीक्षा ली जाएगी।’ उसी तरह, हम भी सभी प्राचीनों को प्रोत्साहित करते हैं, जो दिल से शुद्ध और निस्स्वार्थ हैं, कि सारी मनुष्यजाति के लिए उन के मन में सिर्फ़ प्रेम और शुभकामनाएँ होने चाहिए, और वे अपने आप में पवित्र आत्मा के फलों और कृपाओं को और भी ज़्यादा विकसित करें, तथा झुंड की ओर ध्यान दें। याद रखें, कि झुंड प्रभु का है और आपको प्रभु के प्रति, और साथ ही उनके प्रति भी, एक ज़िम्मेदारी है। याद रखें, कि आपको उनके प्राणों (हितों) की रखवाली करनी है, ऐसों के नाते जिन्हें महान् प्रधान चरवाहे को हिसाब देना पड़ेगा। याद रखें, कि सब मिलाकर मुख्य बात तो प्रेम ही है; और, धर्मसिद्धान्तों की उपेक्षा न करते हुए, प्रभु की देह के अलग-अलग सदस्यों में उनकी आत्मा के विकास की ओर ख़ास ध्यान दें, कि इस प्रकार वे ‘ज्योति में पवित्र लोगों के दायाधिकार के योग्य बन सकें’, और ईश्वरीय इच्छानुसार, इस बुरे समय में ठोकर नहीं खाएँ, परन्तु, सब कुछ पूरा करने के बाद, वे मसीह, उसकी देह, उसके सदस्यों, उसके सह-बलि देनेवालों और उसके सह-वारिसों में स्थिर रह सकें।”
१८ उन प्रारम्भिक दिनों में यहोवा के संघटन की समझ और परिस्थितियों के अनुरूप, वे शब्द आत्मा से अभिषिक्त प्राचीनों और संगी विश्वासियों की ओर निर्दिष्ट थे। फिर भी, वह सलाह आज भी कितनी अच्छी तरह से लागू होती है! चाहे उनकी आशाएँ स्वर्गीय हों या पार्थिव, मसीही प्राचीनों को अपनी चौकसी करनी चाहिए, अपनी अमानत की रखवाली करनी चाहिए और परमेश्वर के झुंड के हितों का प्रेमपूर्वक ध्यान रखना चाहिए।
अपनी अमानत की रखवाली करने से खुशी उत्पन्न होती है
१९, २०. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि जब प्राचीन अपनी अमानत की रखवाली करते हैं, तब खुशी उत्पन्न होती है?
१९ खुशी—दरअसल, हार्दिक आनंद—एक मसीही प्राचीन के तौर से अपनी अमानत की रखवाली करने से उत्पन्न होती है। एक महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाने में सुख होता है। इसलिए, सावधान, प्रार्थनापूर्ण और अध्यवसायी रहें। एक प्राचीन के तौर से अपनी अमानत की रखवाली करें और उस समय की प्रतीक्षा करें जब आप कह सकें, जैसा कि उस मनुष्य ने कहा, जिसकी कमर में लिखनेवाले की दवात बँधी हुई थी: “जैसे तू ने आज्ञा दी, मैं ने वैसे ही किया है।”—यहेज़केल ९:३, ४, ११.
२० जी हाँ, एक प्राचीन के तौर से वफ़ादारी से कार्य करें ताकि यह आपके भी बारे में कहा जा सके, जैसा कि नूह के बारे में कहा गया: “उसने ठीक वैसा ही किया।” (उत्पत्ति ६:२२, न्यू.व.) ऐसी अध्यवसायी सेवा से, अनेक रीतियों में मण्डली का फ़ायदा होता है। मुख्यतः, अपनी अमानत की रखवाली करनेवाले विश्वसनीय प्राचीन जिन उत्साही, सक्रिय मण्डलियों में सेवा करते हैं, उन से यहोवा का आदर होता है। लेकिन, और अधिक की ज़रूरत है अगर आप चाहते हैं कि आपसे इसी तरह कहा जाए: “धन्य, हे उत्तम दास, तुझे धन्य है!” (लूका १९:१७) एक प्राचीन के तौर से, आपको परमेश्वर के झुंड के साथ कोमलता से भी पेश आना चाहिए।
आप क्या कहेंगे?
◻ मसीही प्राचीनों के पास कौनसी अतिरिक्त अमानत है?
◻ अपनी अमानत की रखवाली करने के लिए, एक प्राचीन कौनसे सकारात्मक क़दम ले सकता है?
◻ अपनी अमानत की रखवाली करने के लिए, एक प्राचीन को कौनसे फन्दों से बचे रहना चाहिए?
◻ जब प्राचीन अपनी अमानत की रखवाली करते हैं, तब खुशी क्यों उत्पन्न होती है?
[पेज 12 पर तसवीरें]
मसीही प्राचीनों को “मानो आँधी से छिपने का स्थान” होना चाहिए
[पेज 14 पर तसवीरें]
एक प्राचीन के तौर से, अपने परिवार और अन्यों के साथ नियमित रूप से क्षेत्र सेवकाई में भाग लें
[पेज 15 पर तसवीरें]
अगर आप एक प्राचीन के तौर से अपनी अमानत की रखवाली करेंगे, तो अनेक रीतियों में मण्डली का फ़ायदा होगा