शुद्ध भाषा बोलें और अनन्त काल तक जीवित रहें
“यहोवा को ढूँढो . . . धार्मिकता को ढूँढो, नम्रता को ढूँढो। सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।”—सपन्याह २:३, NW.
१. (अ) कोई विदेशी भाषा सीखने के लिये विद्यार्थी कौनसे तरीक़ों को इस्तेमाल करते हैं? (ब) शुद्ध भाषा क्यों बोलें?
विद्यार्थी व्याकरण विधि या दृश्य-श्रव्य विधि का प्रयोग करके, एक नई भाषा सीख सकते हैं। व्याकरण विधि में, वे प्रायः पाठ्य पुस्तकों का प्रयोग करके व्याकरण सम्बन्धी नियम सीखते हैं। दृश्य-श्रव्य विधि में, वे अपने अध्यापक द्वारा उच्चारित स्वरों और शब्द विन्यासों का अनुकरण करते हैं। “शुद्ध भाषा” सीखने के लिए दोनों तरीक़ों का प्रयोग किया जाता है। और यदि हम “यहोवा के क्रोध के दिन में शरण” पाने की आशा रखते हैं तो यह अत्यावश्यक है कि हम यह भाषा बोलें।—सपन्याह २:१-३; ३:८, ९.
२. जिन्हें हम शुद्ध भाषा के व्याकरण नियम कह सकते हैं, उन्हें हम कैसे सीख सकते हैं?
२ शुद्ध भाषा सीखने के लिए प्रयुक्त होनेवाली प्रमुख पाठ्य पुस्तक बाइबल है। इसका और बाइबल-आधारित प्रकाशनों का परिश्रमयुक्त अध्ययन हमें शुद्ध भाषा के मानो व्याकरण नियम सिखाता है। यहोवा के किसी गवाह द्वारा संचालित गृह बाइबल अध्ययन एक अच्छी शुरुआत है। जो लोग पहले से ही परमेश्वर के प्रति समर्पित हैं, उनके लिए शास्त्रों का नियमित और परिश्रमयुक्त अध्ययन आवश्यक है। परन्तु क्या शुद्ध भाषा सीखने के लिए कोई विशेष प्रभावशाली ढंग हैं? और इसे बोलने से कौनसे लाभ मिलते हैं?
शुद्ध भाषा कैसे सीखें
३. शुद्ध भाषा सीखने का एक तरीक़ा क्या है?
३ शुद्ध भाषा सीखने का एक तरीक़ा यह है कि जो सच्चाइयाँ आप सीख रहे हैं, उन्हें आप उन मुद्दों से मिलायें, जो आप पहले से जानते हैं, जैसा कोई भाषा विद्यार्थी विभिन्न व्याकरण-सम्बन्धी नियमों में प्रगतिशील रूप से सम्बन्ध स्थापित करेगा। उदाहरण के लिये, एक समय आप शायद यह जानते थे कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है, परन्तु आप उनके कार्य के बारे में बहुत कम जानते होंगे। तब से, बाइबल के अध्ययन से आपने सीखा होगा कि मसीह अब एक स्वर्गीय राजा की हैसियत से राज्य कर रहा है और उसके हज़ार साल के शासन-काल में आज्ञाकारी मनुष्यजाति परिपूर्णता तक उन्नत की जाएगी। (प्रकाशितवाक्य २०:५, ६) जी हाँ, नये विचारों को पूर्व ज्ञात विचारों के साथ मिलाने से शुद्ध भाषा की आपकी समझ और भी सुधरेगी।
४. (अ) शुद्ध भाषा के ‘व्याकरण संबन्धी नियमों’ को सीखने का एक और तरीक़ा कौनसा है, और इसे समझाने के लिए कौनसे बाइबल विवरण का उपयोग किया गया है? (ब) गिदोन और उसके तीन सौ आदमियों ने जैसे ही कार्यवाही आरंभ की तो क्या हुआ? (स) गिदोन का विवरण हमें कौनसा सबक सिखाता है?
४ शुद्ध भाषा के ‘व्याकरण नियम’ सीखने का एक और तरीक़ा बाइबलीय घटनाओं के काल्पनिक दृश्य बनाना है। उदाहरण के लिए: न्यायियों ७:१५-२३ के विवरण को ‘देखने और सुनने’ का प्रयत्न करें। देखें! इस्राएली न्यायी गिदोन ने अपनी सेना को सौ-सौ करके तीन समूहों में विभाजित किया है। अँधेरे में, वे चुपचाप गिलबो पहाड़ से नीचे उतरते हैं और सोये हुए मिद्यानियों की छावनी को घेर लेते हैं। क्या ये तीन सौ पुरुष हतियारों से पूरी तरह लैस हैं? सैन्य ढंग से नहीं। अजी, इन से तो इन्हें घमण्डी सैनिकों की तिरसकारात्मक हंसी मिलेगी! प्रत्येक पुरुष के पास सिर्फ़ एक नरसिंगा, पानी का एक बड़ा घड़ा, और उस घड़े के अन्दर मशाल है। परन्तु सुनें! गिदोन के साथ सौ व्यक्ति संकेत दिये जाने पर अपने नरसिंगे फूंकते हैं और अपने पानी के घड़े फोड़ देते हैं। दूसरे दो सौ भी ऐसा करते हैं। जैसे ही वे सब अपनी जलती हुई मशालें ऊपर उठाते हैं, आप उन्हें यह चिल्लाते हुए सुनते हैं: “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार!” इससे मिद्यानियों में कितनी दहशत बैठ जाती है! वे अपने तम्बुओं से लड़खड़ाकर बाहर निकलते हैं, और ऊपर उठते हुए शोलों को देखकर, जिन से अस्पष्ट आकार विशिष्ट होकर अन्धविश्वासी भय उत्तेजित होता है, उनकी नींद-भरी आँखें डर के मारे खुल जाती हैं। जैसे मिद्यानी भागने लगते हैं, गिदोन के पुरुष अपने नरसिंगे फूँकते रहते हैं, और परमेश्वर उनके बैरियों को आपस में भिड़ा देते हैं। शुद्ध भाषा में क्या ही प्रभावशाली सबक! परमेश्वर अपने सेवकों को मानव सैन्य बल के बिना छुड़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, “यहोवा तो अपने बड़े नाम के कारण अपनी प्रजा को न तजेगा।”—१ शमूएल १२:२२.
५. हमारी भाषा को परिष्कृत करने में मसीही सभाएँ कैसे सहायता करती हैं?
५ जब दृश्य-श्रव्य विधि के द्वारा विद्यार्थियों को कोई विदेशी भाषा सिखायी जाती है, तब वे अध्यापक के स्वरों और शब्द-विन्यासों को दोहराने की कोशिश करते हैं। मसीही सभाओं में शुद्ध भाषा बोलने के कितने उत्तम अवसर हैं! वहाँ हम धर्मशास्त्रीय सच्चाई की उस भाषा में दूसरों को अपने विचार व्यक्त करते हुए सुनते हैं, और शायद हमें भी टीका-टिप्पणी करने का सुअवसर प्राप्त होगा। क्या हमें इस बात का डर है कि हम कुछ ग़लत बोल देंगे? इसे हमारी प्रमुख चिन्ता न बनने दें, क्योंकि साप्ताहिक प्रहरीदुर्ग अध्ययन जैसी सभा में अध्यक्षता कर रहे प्राचीन द्वारा किसी ग़लती को कृपापूर्ण ढंग से सुधारने से हमारी भाषा परिष्कृत हो सकती है। इस कारण निरन्तर मसीही सभाओं में उपस्थित हों और उन में भाग लें।—इब्रानियों १०:२४, २५.
अशुद्धताओं की घुसपैठ
६. यहोवा के गवाहों और मसीहीजगत की धार्मिक संस्थाओं में इतना अधिक वैषम्य क्यों है?
६ जो लोग यहोवा के उद्देश्य की घोषणा करते और उनके स्वर्गीय राज्य का ऐलान करते हैं, वे उनके गवाहों के रूप में शुद्ध भाषा बोलते हैं। वे उनके नाम का प्रचार करते हैं और “कन्धे से कन्धा” मिलाकर या एक मत होकर उनकी सेवा करते हैं। (सपन्याह ३:९) यद्यपि, मसीहीजगत के धर्मों के पास बाइबल है, तो भी वे शुद्ध भाषा नहीं बोलते हैं और ना ही विश्वास से परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं। (योएल २:३२) उनके पास धर्मशास्त्रों पर आधारित कोई सुसंगत संदेश नहीं है। क्यों? क्योंकि वे धार्मिक परम्पराओं, सांसारिक दार्शनिक प्रणालियों, एवं राजनीतिक देशभक्ति को परमेश्वर के वचन से ऊँचा दर्जा देते हैं। उनके उद्देश्य, आशाएँ, और तरीक़े इस दुष्ट संसार के हैं।
७. १ यूहन्ना ४:४-६ में, यहोवा के गवाहों और झूठे धर्मों के बीच कौन से फ़रक बताये गये हैं?
७ मसीहीजगत—वस्तुतः, झूठे धर्म का सम्पूर्ण विश्व साम्राज्य—वही भाषा नहीं बोलता जो यहोवा के गवाह बोलते हैं। रोचक रूप से, शुद्ध भाषा बोलने वालों को प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “तुम परमेश्वर के हो: और तुमने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं; और संसार उन की सुनता है। हम परमेश्वर के हैं: जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है, जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता।” (१ यूहन्ना ४:४-६) यहोवा के सेवकों ने झूठे शिक्षकों पर जय पाई है क्योंकि परमेश्वर, जो अपने लोगों से जुड़े हैं, ‘[शैतान से, जो] इस संसार से जुड़ा है,’ अर्थात् अधर्मी मानव समाज से, ‘बड़े हैं।’ चूँकि धर्मत्यागी ‘संसार से उत्पन्न होते हैं’ और उसकी दुष्ट आत्मा उन में है, ‘वे संसार से उत्पन्न हुई बातें कहते हैं और संसार उनकी सुनता है।’ परन्तु भेड़-समान व्यक्ति, परमेश्वर से उत्पन्न होनवाले व्यक्तियों की सुनते हैं, इस बात को समझते हुए कि यहोवा के लोग उन की संस्था द्वारा दी जाने वाली बाइबलीय सच्चाई की शुद्ध भाषा बोलते हैं।
८. अधर्म के पुरुष की पहचान क्या है?
८ एक बहुत बड़े धर्मत्याग के बारे में पूर्वसूचना दी गयी थी, और सामान्य युग के प्रथम शताब्दी में ही ‘अधर्म का रहस्य’ आरम्भ हो चुका था। समय बीतने पर, कलीसिया में शिक्षक पदों को स्वीकार करनेवालों—या उनको छीननेवालों—ने बहुत से ग़लत सिद्धान्त सिखाये। उनकी भाषा बिलकुल ही शुद्ध न थी। इस कारण एक सम्मिश्र ‘अधर्म का पुरुष’ उठ खड़ा हुआ, जो मसीहीजगत का पादरीवर्ग था, और जो झूठी धार्मिक परम्पराओं, सांसारिक तत्वज्ञान, और बाइबल-विरुद्ध शिक्षाओं से जुड़ा है।—२ थिस्सलुनीकियों २:३, ७.
पूरे विश्व में शुद्ध भाषा सुनी जाती है
९. १९वीं शताब्दी के दौरान कौनसे धार्मिक विकास हुए?
९ परमेश्वर का भय माननेवालों की केवल एक अल्पसंख्यक दल ने ‘पवित्र लोगों को सौंपे गये विश्वास के लिए पूरा यत्न किया।’ (यहूदा ३) ऐसे विश्वासी कहाँ पाये जा सकते थे? शताब्दियों से, झूठे धर्म ने जन-साधारण को आध्यात्मिक अँधेरे में रखा, परन्तु परमेश्वर अपनी स्वीकृति प्राप्त लोगों को पहचानते थे। (२ तीमुथियुस २:१९) और उसके बाद, १९वीं शताब्दी के व्यापारिक, औद्योगिक, और सामाजिक परिवर्तनों के मध्य, ऐसी आवाज़ें उठीं जो धार्मिक संभ्रान्ति की आम गड़बड़ी से बिलकुल भिन्न थीं। छोटे-छोटे समूह समयों के चिह्नों को पढ़ने और यीशु के दूसरे आगमन का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करने लगे, परन्तु वे सब के सब शुद्ध भाषा नहीं बोलते थे।
१०. परमेश्वर ने “दूसरे आगमन” के बारे में बोलनेवाले कौनसे समूह को शुद्ध भाषा बोलने के लिए चुना, और यह किस तरह प्रत्यक्ष है कि यहोवा का हाथ उनके साथ रहा है?
१० फिर भी, १८७९ में यह बात स्पष्ट हो गई कि “दूसरे आगमन” के बारे में बतानेवाली कौनसी आवाज़ यहोवा द्वारा चुनी जा रही थी, ताकि वे उनके गवाह के रूप में शुद्ध भाषा बोलें। उस समय तक, चार्ल्स टेज़ रस्सल के नेतृत्व में एक छोटा बाइबल-अध्ययन समूह, पिट्सबर्ग, पेंसिलवेनिया, यू. एस. ए. में जमा होने लगा था। उन्हें इस बात का यक़ीन था कि यीशु का दूसरा आगमन उनकी अदृश्य उपस्थिति को आरम्भ करेगा, कि सांसारिक विपत्ति का समय निकट था, और कि इसके बाद मसीह का हज़ार वर्ष का शासन होगा, जो पृथ्वी पर परादीस पुनः स्थापित करेगा, जिस में आज्ञाकारी मनुष्यों के लिये अनन्त जीवन होगा। जुलाई १८७९ में ये बाइबल विद्यार्थी एक पत्रिका प्रकाशित करने लगे जो अब द वॉचटावर कहलाती है। पहले अंक की केवल ६,००० प्रतियाँ ही वितरित की गयीं। परन्तु उन गवाहों के साथ ‘यहोवा का हाथ’ था, क्योंकि यह पत्रिका अब १११ भाषाओं में प्रकाशित होती है, और प्रत्येक अंक की औसत छपाई १,५५,७०,००० है।—प्रेरितों के काम ११:१९-२१ से तुलना करें.
११, १२. शुद्ध भाषा बोलने वालों द्वारा समझी गयी कुछेक धर्मशास्त्रीय सच्चाइयाँ क्या हैं?
११ बाइबल और यहोवा के गवाहों के प्रकाशनों, और मुख्यतः सुसमाचार की घोषणा करने वाले इन जोशीले मसीहियों के द्वारा, शुद्ध भाषा अब सारे विश्व में जानी जाती है। और इसके बोलने वालों को कितने बढ़िया फ़ायदों का आनन्द प्राप्त होता है! त्रित्ववाद की रहस्यमय भाषा में ‘परमेश्वर परमेश्वर है, मसीह परमेश्वर है, और पवित्र आत्मा परमेश्वर है,’ कहने के बजाय, वे बाइबल के दृष्टिकोण से सहमत हैं कि यहोवा सर्वोच्च हैं, यीशु मसीह, कमतर पद पर होकर, उन का पुत्र है, और पवित्र आत्मा परमेश्वर की विस्मयकारी सक्रिय शक्ति है। (उत्पत्ति १:२; भजन ८३:१८; मत्ती ३:१६, १७) शुद्ध भाषा बोलने वाले जानते हैं कि मनुष्य किसी निम्न प्रकार के जीवन से विकसित नहीं हुआ, बल्कि एक प्रेममय परमेश्वर द्वारा सृजा गया। (उत्पत्ति १:२७; २:७) वे समझते हैं कि मृत्यु पर प्राणी का अस्तित्व समाप्त हो जाता है—एक ऐसा तथ्य जो मृतकों के भय से मुक्त कराता है। (सभोपदेशक ९:५, १०; यहेज़केल १८:४) यह समझ प्राप्त हुई है कि नरक मानवजाति की सामान्य क़ब्र है, न कि किसी शैतान-जैसे देवता द्वारा निर्मित अग्निमय उत्पीड़न स्थान। (अय्यूब १४:१३) वे यह भी जानते हैं कि पुनरुत्थान मृतकों की परमेश्वर-प्रदत्त आशा है।—यूहन्ना ५:२८, २९; ११:२५; प्रेरितों २४:१५.
१२ शुद्ध भाषा बोलने वाले लहू और जीवन के प्रति आदर दिखाते हैं। (उत्पत्ति ९:३, ४; प्रेरितों १५:२८, २९) वे समझते हैं कि मसीह का पार्थिव जीवन छुड़ौती का वह मूल्य है जो आज्ञाकारी मनुष्यों के लिए अदा किया गया है। (मत्ती २०:२८; १ यूहन्ना २:१, २) यह जानते हुए कि उनकी प्रार्थनाएँ यीशु मसीह द्वारा यहोवा परमेश्वर से संबोधित की जानी चाहिये, वे कभी भी “संतो” से प्रार्थना नहीं करते। (यूहन्ना १४:६, १३, १४) चूँकि परमेश्वर के वचन में मूर्तिपूजा की कड़ी निन्दा की गयी है, इसलिये उनकी उपासना में प्रतिमाओं का प्रयोग नहीं होता। (निर्गमन २०:४-६; १ कुरिन्थियों १०:१४) और वे पिशाचवाद के संकटों से दूर रहते हैं इसलिए कि वे प्रेतात्मवाद अस्वीकार करते हैं, जिसकी निन्दा बाइबल में की गयी है।—व्यवस्थाविवरण १८:१०-१२; गलतियों ५:१९-२१.
१३. शुद्ध भाषा बोलने वाले लोग क्यों भौचक्का नहीं हैं?
१३ यहोवा के सेवक, जो शुद्ध भाषा बोलते हैं, इस बात से भौचक्का नहीं हैं कि वे समय की धारा में कहाँ हैं। यहोवा ने उन्हें सिखाया है कि वे ‘अन्त के समय में’ हैं, और यीशु एक महिमायुक्त अदृश्य आत्मा के रूप में उपस्थित है। (दानिय्येल १२:४; मत्ती २४:३-१४; २ तीमुथियुस ३:१-५; १ पतरस ३:१८) अपने पीछे शक्तिशाली स्वर्गीय सेनाओं को लेकर, इस रीति-व्यवस्था के विरुद्ध परमेश्वर का न्याय दण्ड पूरा करने के लिए मसीह लड़ाई में प्रवेश करने ही वाला है। (दानिय्येल २:४४; प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६; १८:१-८; १९:११-२१) जी हाँ, और शुद्ध भाषा बोलनेवाले लोग इस सुसमाचार की घोषणा करने में व्यस्त हैं कि बहुत जल्दी मसीह के अधीन परमेश्वर का राज्य एक परादीस पृथ्वी पर समस्त मानवजाति के लिये भव्य आशिषें लायेगा। (यशायाह ९:६, ७; दानिय्येल ७:१३, १४; मत्ती ६:९, १०; २४:१४; लूका २३:४३) इतनी सारी बातें, और अभी तक तो हम ने केवल ऊपरी सतह पर सरसरी नज़र ही डाली है! निश्चय ही, शुद्ध भाषा इस पृथ्वी पर सबसे संपन्न, सबसे क़ीमती भाषा है!
१४. शुद्ध भाषा बोलने वालों द्वारा और कौनसे फ़ायदों का आनन्द लिया जाता है?
१४ शुद्ध भाषा बोलने वालों को मिलने वाले लाभों में “परमेश्वर की शान्ति” शामिल है जो हृदय और मानसिक शक्तियों को सुरक्षित रखती है। (फिलिप्पियों ४:६, ७) वे बाइबल की आज्ञाओं को मानते हैं, जिनसे उन्हें सेहत, खुशी, और यहोवा को प्रसन्न करने की संतुष्टि मिलती है। (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) जी हाँ, और शुद्ध भाषा बोलने वालों को परमेश्वर के प्रतिज्ञात नये संसार में अनन्त जीवन पाने की आशा है।—२ पतरस ३:१३.
उपयोग करें या इसे खो दें
१५. शुद्ध भाषा की एक उत्तम समझ द्वारा आप कैसे लाभ प्राप्त करेंगे?
१५ यदि आप नये संसार में शुद्ध भाषा बोलेंगे, तो आपको यह इतनी अच्छी तरह से आनी चाहिये कि आप इसी भाषा में सोच-विचार भी करें। जब कोई व्यक्ति एक भाषा सीख रहा होता है, तो पहले वह अपनी देशी भाषा में सोचता है और फिर अपने विचारों को नयी भाषा में अनुवाद करता है। लेकिन जैसे-जैसे वह नयी भाषा में और निपुण होता जाता है, वैसे-वैसे अनुवाद की प्रक्रिया के बिना वह उसी में सोचने लगता है। इसी प्रकार, परिश्रमी अध्ययन द्वारा, आप शुद्ध भाषा की इतनी उत्तम समझ प्राप्त कर सकते हैं कि आप समस्याओं को सुलझाने और ‘जीवन के मार्ग’ पर बने रहने के लिए बाइबल के नियमों और सिद्धान्तों को लागू करना जानेंगे।—भजन १६:११.
१६. यदि आप शुद्ध भाषा को नियमित रूप से उपयोग नहीं करेंगे तो क्या हो सकता है?
१६ आपको शुद्ध भाषा का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिये, नहीं तो आप उसे अच्छी तरह से बोलने की योग्यता खो देंगे। मिसाल के तौर पर: कई साल पहले, हम में से कुछ लोगों ने एक विदेशी भाषा सीखी थी। चूँकि हमने उसे लगातार इस्तेमाल नहीं किया है, इसलिए हम उस ज़बान के कुछ शब्द तो याद कर सकते हैं, मगर संभवतः उस में हमारी प्रवीणता खो चुके हैं। शुद्ध भाषा के साथ भी यही हो सकता है। यदि हम लगातार उसका उपयोग न करें, तो हम उस में अपनी प्रवीणता खो देंगे, और उससे आध्यात्मिक रूप से दुःखद परिणाम हो सकते हैं। इसलिए आइये, सभाओं और मसीही सेवकाई में नियमित रूप से इस में बोलें। इन क्रियाकलापों, और साथ ही व्यक्तिगत अध्ययन से हम शुद्ध भाषा में सही-सही बातें कर सकेंगे। और यह कितना महत्त्वपूर्ण है!
१७. भाषा जीवन-रक्षक या प्राणनाशक हो सकती है, यह किस से दर्शाया जा सकता है?
१७ वाणी जीवन-रक्षक या प्राणनाशक हो सकती है। यह बात एप्रैम के इस्राएली क़बीले और गिलाद के न्यायी यिप्तह के बीच संघर्ष के दौरान प्रदर्शित हुई। यरदन नदी पार करके भागने वाले एप्रैमियों की पहचान करने के लिए गिलादियों ने “शिब्बोलेत” पहचान-शब्द रखा, जिस के शुरू में ‘श’ उच्चारित होता था। इस शब्द के शुरू के उच्चारण को ग़लत रूप से उच्चारण करते हुए “शिब्बोलेत” के स्थान पर “सिब्बोलेत” कहने के द्वारा, एप्रैम के पुरुषों ने यरदन की घाटी पर खड़े गिलादी सन्तरियों के सामने अपने आप को प्रकट किया। इसके परिणामस्वरूप, ४२,००० एप्रैमी मारे गये! (न्यायियों १२:५, ६) इसी प्रकार, मसीहीजगत का पादरी वर्ग जो सीखाता है, वह बाइबल सच्चाइयों से भली-भाँति परिचित न होने वाले व्यक्तियों को शुद्ध भाषा से मिलता-जुलता नज़र आ सकता है। परन्तु एक झूठे धार्मिक ढ़ंग से बोलना यहोवा के क्रोध के दिन घातक सिद्ध होगा।
हम एक बने रहें
१८, १९. सपन्याह ३:१-५ का महत्त्व क्या है?
१८ विश्वासघाती प्राचीन यरूशलेम और उसका आधुनिक प्रतिरूप, मसीहीजगत का उल्लेख करते हुए, सपन्याह ३:१-५ में कहा गया है: “हाय बलवा करने वाली और अशुद्ध और अन्धेर से भरी हुई नगरी! उसने मेरी नहीं सुनी, उसने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई। उसके हाकिम गरजने वाले सिंह ठहरे; उसके न्यायी सांझ को आहेर करनेवाले हुंडार हैं जो बिहान के लिए कुछ भी नहीं छोड़ते। उसके भविष्यद्वक्ता व्यर्थ बकनेवाले और विश्वासघाती हैं, उसके याजकों ने पवित्रस्थान को अशुद्ध किया और व्यवस्था में खींच-खांच की है। यहोवा जो उसके बीच में है, वह धर्मी है, वह कुटिलता न करेगा; वह अपना न्याय प्रति भोर प्रगट करता है और चूकता नहीं; परन्तु कुटिल जन को लज्जा आती ही नहीं।” इन शब्दों का क्या मतलब है?
१९ प्राचीन यरूशलेम और आधुनिक मसीहीजगत, दोनों ने यहोवा के विरुद्ध विद्रोह किया है और झूठी उपासना से अपने आप को दूषित किया है। उनके अगुवों के ग़लत कामों का परिणाम अत्याचार था। परमेश्वर द्वारा बार-बार दी गयी चेतावनियों के बावजूद, उन्होंने नहीं सुना और उनके निकट नहीं गये। उनके हाकिम खूँखार सिंहो के समान रहे हैं, जो धार्मिकता को हेकड़ी से अवहेलना करते रहते हैं। मर-भुक्खे भेड़ियों के समान, उनके न्यायियों ने न्याय को चीरकर धज्जियां उड़ा दी है। उनके याजकों ने ‘पवित्र स्थान को अशुद्ध किया और परमेश्वर की व्यवस्था में खींच-खांच’ की है। इसलिये यहोवा बहुत जल्दी ‘जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को इकठ्ठा करके, उन पर अपने क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काने’ वाले हैं।—सपन्याह ३:८.
२०. (अ) यहोवा के क्रोध के दिन से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिये? (ब) आप किस तरह परमेश्वर की ओर से अनन्त आशिषों का आनन्द लेने की आशा रख सकते हैं?
२० यहोवा के क्रोध का दिन बहुत तेज़ी से निकट आ रहा है। इसलिए, परमेश्वर के नये संसार में बचकर जाने के लिए, बिना विलम्ब किये शुद्ध भाषा को सीखें और बोलें। ऐसे करने से ही, आप अभी आध्यात्मिक घोर संकट से, और तीव्रता से निकट आने वाले विश्वव्यापी घोर विपत्ति से सुरक्षा पा सकते हैं। यहोवा के गवाह परमेश्वर के क्रोध का दिन और उनके राज्य का दिलासा देने वाला संदेश घोषित कर रहे हैं। उनकी राजसत्ता की महिमा के बारे में बात करने से वे कितने खुश होते हैं! (भजन १४५:१०-१३) उनके साथ एक हो जायें, और आप सर्वश्रेष्ठ प्रभु यहोवा जो शुद्ध भाषा के प्रारंभकर्त्ता हैं, उनके द्वारा अनन्त जीवन एवं अन्य आशिषों का आनन्द लेने की आशा रख सकते हैं।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ शुद्ध भाषा सीखने के कुछ तरीक़े कौन से हैं?
▫ शुद्ध भाषा बोलना लाभदायक क्यों है?
▫ यदि आप शुद्ध भाषा का नियमित प्रयोग नहीं करेंगे तो क्या हो सकता है?
▫ कोई व्यक्ति यहोवा के क्रोध के दिन कैसे बच सकता है और अनन्त आशिषों का आनन्द प्राप्त कर सकता है?
[पेज 22 पर तसवीरें]
गिदोन और उसके आदमी अपने नरसिंगे फूँकते और अपनी मशालें ऊपर उठाते हैं
[पेज 24 पर तसवीरें]
१८७९ से लेकर यह स्पष्ट किया गया कि चार्ल्स टेज़ रस्सल और उसके साथी परमेश्वर द्वारा शुद्ध भाषा को बढ़ावा देने में इस्तेमाल किए जा रहे थे
[पेज 26 पर तसवीरें]
क्या आप यहोवा के गवाहों के साथ शुद्ध भाषा बोलने में एक हैं?