शैतान और उसके कार्यों पर विजयी होना
“इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।”—याकूब ४:७.
१. आज उस “दुष्ट के हाथ” ने मानवजाति पर कैसा प्रभाव डाला है?
अय्यूब ने सही कहा: “पृथ्वी दुष्ट के हाथ सौंप दी गई है।” (अय्यूब ९:२४, NHT) और अभी हम सारे मानव इतिहास में सबसे कठिन समय का सामना कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि ये पृथ्वी पर शैतान के पैशाचिक शासन के ‘अन्तिम दिन’ हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि शैतान के उकसावे में आकर ‘दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जा रहे हैं।’ (२ तीमुथियुस ३:१, १३) इसके अलावा, सताहटें, अन्याय, क्रूरताएँ, अपराध, आर्थिक कठिनाइयाँ, लम्बी बीमारियाँ, बुढ़ापे की पीड़ाएँ, भावात्मक हताशा—इनका और अन्य बातों का हम पर बहुत ही दुःखद और निराशाजनक प्रभाव हो सकता है।
२. आज हम शैतान के आक्रमणों का सामना कैसे कर सकते हैं?
२ महा विरोधी, शैतान अर्थात् इब्लीस मानवजाति पर और ख़ासकर परमेश्वर के सच्चे उपासकों पर संकेंद्रित आक्रमण कर रहा है। उसका लक्ष्य है कि सभी संभावित खराई रखनेवालों को परमेश्वर के विरुद्ध कर दे और उन्हें ख़ुद अपने और अपने पिशाच स्वर्गदूतों के साथ विनाश की ओर ले जाए। लेकिन, हमें आश्वासन दिया गया है कि यदि हम खराई में धीरज धरते हैं, तो इब्लीस हमारे पास से भाग निकलेगा। यीशु की तरह, जो दुःख हम उठाते हैं उनके द्वारा हम परमेश्वर की ‘आज्ञा माननी सीख’ सकते हैं और उसके अपात्र अनुग्रह के कारण अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।—इब्रानियों ५:७, ८; याकूब ४:७; १ पतरस ५:८-१०.
३, ४. (क) पौलुस को कौन-सी बाहरी परीक्षाओं का सामना करना पड़ा? (ख) एक मसीही प्राचीन के रूप में पौलुस की चिन्ता क्या थी?
३ प्रेरित पौलुस की भी अनेक तरीक़ों से परीक्षा की गयी। मसीह का सेवक होने के अपने प्रमाण देते हुए, उसने लिखा: “मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए। तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जातिवालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जोखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जोखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में। परिश्रम और कष्ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-पियास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में।
४ “और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता [इन बाहरी बातों के अतिरिक्त, NHT] सब कलीसियाओं की चिन्ता प्रतिदिन मुझे दबाती है। किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता?” (२ कुरिन्थियों ११:२३-२९) अतः, बाहर से सताहट और परीक्षाओं का सामना करते समय पौलुस ने खराई रखी, और एक मसीही प्राचीन के रूप में, वह कलीसिया के ज़्यादा निर्बल भाई-बहनों को मज़बूत बनाने के बारे में अति चिन्तित था, और उन्हें खराई रखने में मदद करता था। आज मसीही प्राचीनों के लिए क्या ही उत्तम उदाहरण!
सताहट के दौरान खराई
५. सीधी सताहट का उत्तर क्या है?
५ खराई तोड़ने के लिए शैतान कौन-सी युक्तियाँ प्रयोग करता है? जैसे ऊपर सूचित किया गया है, शैतान की एक सबसे दुष्ट चाल है सीधी सताहट, लेकिन एक उत्तर है। इफिसियों ६:१०, ११ हमें सलाह देता है: “प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों [या, ‘धूर्त कार्यों,’ NW फुटनोट] के साम्हने खड़े रह सको।”
६. यह कैसे दिखाया जा सकता है कि यहोवा के गवाह “जयवन्त से भी बढ़कर हैं”?
६ इन अन्तिम दिनों के दौरान यहोवा के गवाहों को अकसर परीक्षाओं का सामना करना पड़ा है। अतः, हम पौलुस के साथ कह सकते हैं: “इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।” (रोमियों ८:३७) यह बात १९३३ से १९४५ के बीच नात्ज़ी युग के दौरान जर्मनी, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, और यूगोस्लाविया के नज़रबन्दी शिविरों में, १९४५ से १९८९ के बीच पूर्वी यूरोप में साम्यवादी दमन के दौरान, और हाल ही के समय में अफ्रीका और लैटिन अमरीका के कुछ भागों में आयी सताहटों के दौरान यहोवा के गवाहों की खराई के रिकार्ड से प्रमाणित होती है।
७. इथियोपिया से खराई के कौन-से उत्तेजक उदाहरण रिपोर्ट किए गए हैं?
७ वर्ष १९७४ से १९९१ के बीच इथियोपिया में यहोवा के गवाहों ने खराई का एक उत्तेजक उदाहरण प्रदान किया। एक राजनीतिक मनोवृत्ति वाले बन्दीकर्ता ने एक क़ैद भाई से कहा: “तुम लोगों को फिर से मुक्त छोड़ने से कम ख़तरनाक होगा चिड़ियाघर से शेर छोड़ना!” इन क्रूर अत्याचारियों ने यहोवा के सेवकों को यातना दी, और कई वर्षों के बाद एक अपील न्यायालय ने फाँसी का आदेश दिया। एक चेतावनी उदाहरण के रूप में एक भाई का शव सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया था। जिन अन्य भाइयों ने मृत्यु दंड के विरुद्ध अपील की उन्हें एक ज़्यादा निष्पक्ष न्यायालय ने छोड़ दिया, और इन में से कुछ विश्वासी ‘जीतनेवालों’ ने १९९४ के शुरू में अडीस् अबाबा में “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला अधिवेशन के कार्यक्रम में भाषण या अनुभव दिए।a—यूहन्ना १६:३३. १ कुरिन्थियों ४:९ से तुलना कीजिए।
८. शैतान ने कैसे “नृजातीय सफ़ाई” के नाम पर लाभ उठाने की कोशिश की है?
८ सामने से किए गए सीधे आक्रमण द्वारा शैतान ऐसे निष्ठावान् भाई-बहनों की खराई को तोड़ने में असफल हो गया है। सो, वह कौन-सी अन्य धूर्त युक्तियाँ प्रयोग करता है? प्रकाशितवाक्य १२:१२ इन अन्तिम दिनों के बारे में कहता है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” सताहटों के द्वारा परमेश्वर के निष्ठावान् लोगों का सर्वनाश करने में असफल होने के कारण, क्रोध में आकर वह पूरे-पूरे जनसमुदायों का संहार करने का प्रयास करता है, और इसमें कोई संदेह नहीं कि वह बाक़ी की जनता के साथ-साथ यहोवा के लोगों को नाश करने के इरादे से ऐसा करता है। अतः भूतपूर्व यूगोस्लाविया के कुछ भागों में तथाकथित नृजातीय सफ़ाई की गयी है, और लाइबीरिया, बुरूण्डी, और रुवाण्डा में जातिसंहार के प्रयास किए गए हैं।
९. शैतान की चालें अकसर असफल क्यों हो जाती हैं? उदाहरण दीजिए।
९ लेकिन, अकसर शैतान की चालें उलट कर उसी पर आती हैं, क्योंकि शैतानी उत्पीड़न से सत्हृदयी लोगों को इस बात का स्पष्ट अनुभव हो जाता है कि उनकी एकमात्र आशा परमेश्वर के राज्य पर आधारित है, जिसकी घोषणा यहोवा के गवाह जोश के साथ करते हैं। (मत्ती १२:२१) सचमुच, दिलचस्पी दिखानेवाले लोग राज्य की ओर आते हैं! उदाहरण के लिए, संघर्ष-ग्रस्त बॉसनीया और हर्ट्सगोवीना में मार्च २६, १९९४ के दिन यीशु की मृत्यु के स्मारक समारोह में पिछले वर्ष से २९१ लोग अधिक, अर्थात् १,३०७ लोग उपस्थित हुए। शिखर उपस्थिति सारायीवो (४१४), ज़ेनत्सा (२२३), तूज़ला (३३९), बान्या लूका (२५५), और अन्य नगरों में रिकार्ड की गयी। पड़ोसी-देश क्रोएशिया में नयी शिखर उपस्थिति ८,३२६ थी। उन देशों में उनके चारों ओर हो रही हिंसा ने यहोवा के गवाहों को ‘प्रभु की मृत्यु का जब तक वह न आए, प्रचार करते रहने’ की आज्ञा मानने से नहीं रोका।—१ कुरिन्थियों ११:२६.
संघर्ष-ग्रस्त रुवाण्डा में
१०, ११. (क) तथाकथित मसीही रुवाण्डा में क्या हुआ है? (ख) विश्वासी मिशनरियों ने अपने आपको कैसे व्यक्त किया है?
१० वर्ष १९९३ में रुवाण्डा में २,०८० राज्य प्रकाशक थे, ४,०७५ लोग “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला अधिवेशन में उपस्थित हुए, और २३० लोगों ने बपतिस्मा लिया। इनमें से, १४२ लोगों ने तुरंत सहयोगी पायनियर सेवा के लिए आवेदन किया। संचालित किए जा रहे गृह बाइबल अध्ययन बढ़कर १९९४ में ७,६५५ हो गए—स्पष्टतः शैतान को यह वृद्धि अच्छी नहीं लगी! जबकि अधिकांश जनता मसीही होने का दावा करती है, अन्तर-जनजातीय जनसंहार शुरू किए गए। वैटिकन की लॉसरवतोरे रोमानो ने स्वीकार किया: “यह पूरी तरह जातिसंहार है, [और] दुःख की बात है कि इस के लिए कैथोलिक भी ज़िम्मेदार हैं।” अनुमान है कि पाँच लाख पुरुष, स्त्रियाँ, और बच्चे मारे गए, और लगभग २० लाख लोग बेघर हो गए अथवा उन्हें भागने के लिए मजबूर कर दिया गया। अपनी अहिंसक मसीही तटस्थता को बनाए रखते हुए यहोवा के गवाहों ने एकसाथ रहने की कोशिश की। हमारे सैकड़ों भाई-बहन मारे गए। लेकिन ६५ राज्य प्रकाशकों की एक कलीसिया में, जहाँ १३ लोग मारे गए, अगस्त १९९४ तक उपस्थिति बढ़कर १७० हो गयी। दूसरे देशों के गवाहों की ओर से भेजी गयी राहत सामग्री सबसे पहले पहुँचने वाली राहत सामग्री में से थी। हम उत्तरजीवियों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।—रोमियों १२:१२; २ थिस्सलुनीकियों ३:१, २; इब्रानियों १०:२३-२५.
११ इतने संत्रास के बीच, जो तीन मिशनरी रुवाण्डा में थे वे बच निकले। वे लिखते हैं: “हम समझते हैं कि पूरे संसार में हमारे भाइयों को समान परिस्थितियों का या इनसे भी बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, और हम जानते हैं कि यह सब इस दुष्ट व्यवस्था के अन्तिम दिनों के चिह्न का भाग है। फिर भी, जब कोई व्यक्तिगत रूप से अंतर्ग्रस्त होता है, तो वह बातों की वास्तविकता को ज़्यादा गहराई से समझता है और इस बात का मूल्यांकन करता है कि जीवन कितना मूल्यवान है। कुछ शास्त्रवचनों ने हमारे लिए नया अर्थ ले लिया है, और हम उस समय की उत्सुकता से प्रत्याशा करते हैं जब पहली बातें स्मरण न रहेंगी। तब तक हम यहोवा की सेवा में व्यस्त रहना चाहते हैं।”
युवा खराई रखनेवाले
१२, १३. (क) एक युवा ने खराई का कौन-सा मार्ग अपनाया? (ख) आज हमारे युवा कहाँ प्रोत्साहन पा सकते हैं?
१२ यीशु ने बताया कि जिन लोगों को सत्य के कारण परिवार के सदस्य त्याग देते हैं उन्हें “सौ गुणा” प्रतिफल मिलेगा। (मरकुस १०:२९, ३०) यह उत्तरी अफ्रीका में एक दस-वर्षीय लड़की, एनटेलया के बारे में सच था, जिसे परमेश्वर का नाम—यहोवा—सुनते ही उस नाम से प्रेम हो गया। वह यहोवा के गवाहों के साथ अध्ययन करती थी और सभाओं में एक तरफ़ का रास्ता ९० मिनट पैदल तय करके आती जाती थी, जबकि अकसर उसका विरोधी परिवार लौटने पर उसे घर में घुसने नहीं देता था। तेरह वर्ष की उम्र में उसने घर-घर प्रचार करना शुरू कर दिया, और परिवार का विरोध ज़्यादा बढ़ गया। एक दिन रिश्तेदारों ने उसके हाथ-पैर बाँधकर उसे सात घंटे तक चिलचिलाती धूप में लिटाए रखा, और बीच-बीच में उस पर गंदा पानी फेंका। उन्होंने क्रूरता से उसकी पिटाई की, उसकी एक आँख बेकार कर दी, और अन्त में उसे अपना घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। लेकिन, उसे एक अस्पताल में काम मिल गया और बाद में वह एक नर्स बन गयी। बीस वर्ष की उम्र में उसने बपतिस्मा लिया और तुरंत एक सहयोगी पायनियर के रूप में अपना नाम लिखवाया। उसकी खराई से प्रभावित होकर उसके परिवार ने अपने घर में फिर से उसका स्वागत किया है, और उन में से नौ लोगों ने गृह बाइबल अध्ययन स्वीकार किया है।
१३ एनटेलया को भजन ११६, ख़ासकर आयत १-४ से बहुत प्रोत्साहन मिला, जिसे उसने बार-बार पढ़ा है: “मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है। उस ने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा। मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!” यहोवा ऐसी प्रार्थनाओं का उत्तर देता है!
१४. पोलैंड के गवाहों ने कैसे उल्लेखनीय खराई दिखायी है?
१४ यीशु के दिनों की तरह ही, शैतान ने अकसर धार्मिक कट्टरपन को सताहट की आग भड़काने के लिए प्रयोग किया है—लेकिन बिन सफलता के। पोलैंड में हमारे भाइयों का उदाहरण उल्लेखनीय है, जिसका वर्णन यहोवा के गवाहों की वार्षिकी १९९४ (अंग्रेज़ी) में किया गया है। युवाओं से भी माँग की गयी कि वे अपने आपको खराई रखनेवाले साबित करें। वर्ष १९४६ में एक ऐसी १५-वर्षीय लड़की से कहा गया: “कैथोलिक क्रूस का चिह्न बनाओ। नहीं तो तुम्हें गोली मार दी जाएगी!” क्योंकि उसने खराई बनाए रखी, उसे घसीट कर जंगल में ले जाया गया, बुरी तरह यातना दी गयी, और गोली मार दी गयी।—मत्ती ४:९, १० से तुलना कीजिए।
शैतान की अन्य धूर्त युक्तियाँ
१५, १६. (क) शैतान की पैशाचिक नीति क्या है, और हम उसका विरोध कैसे कर सकते हैं? (ख) हमारे युवाओं को क्यों गिरने की ज़रूरत नहीं है?
१५ सचमुच शैतान की पैशाचिक नीति है, “राज करो अथवा नाश करो”! उसके पास अनेक क्रूर शस्त्र हैं। फिर, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि प्रेरित पौलुस चेतावनी देता है: “हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको।” (इफिसियों ६:१२, १३) भौतिक अभिलाषाएँ, अपभ्रष्ट मनोरंजन और प्रसार, शैतानी संगीत, स्कूल में सहपाठी दबाव, नशीले पदार्थों का दुष्प्रयोग, और पियक्कड़पन—इन में से कोई भी चीज़ हमारे जीवन को बरबाद कर सकती है। अतः, प्रेरित आगे सलाह देता है: “और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।”—इफिसियों ६:१६.
१६ शैतान जिस बेतुके संगीत से इस संसार को भर रहा है उसे ध्यान में रखते हुए यह आज विशेष रूप से आवश्यक प्रतीत होता है। कुछ मामलों में इसका शैतानवाद से सीधा सम्बन्ध होता है। सैन डिएगो काउन्टी (यू.एस.ए.) के अधिकारी के कार्यालय की एक रिपोर्ट ने कहा: “यहाँ एक संगीत-कार्यक्रम हुआ जिसमें बैंड के पास १५,००० बच्चे थे जो ‘नाटास्’ (Natas) का मंत्र जप रहे थे, अर्थात् [अंग्रेज़ी में] शैतान (Satan) की उल्टी वर्तनी।” शैतानवाद को एक गड्ढा कहा गया है जिसमें कुछ युवा गिर जाते हैं “क्योंकि वे निराश, क्रोधित और अकेले भटकते रहे हैं।” मसीही कलीसिया के युवाओं, आपको गिरने की कोई ज़रूरत नहीं! यहोवा आपको आध्यात्मिक कवच प्रदान करता है जिसे शैतान के बाण कभी नहीं भेद सकेंगे।—भजन १६:८, ९.
१७. भावात्मक हताशा से बाहर कैसे निकला जा सकता है?
१७ शैतानी जलते हुए तीर भावनाओं को छल से प्रभावित करने के लिए रचे गए हैं। हमारा विरोधी जीवन के दबावों, जैसे शारीरिक बीमारी या गहरी हताशा की अवस्था के द्वारा कुछ लोगों में अयोग्यता की भावना विकसित कर सकता है। व्यक्ति निराश हो सकता है क्योंकि वह परमेश्वर की सेवा में बहुत घंटे नहीं बिता पा रहा है या क्योंकि वह कलीसिया की कुछ सभाओं में आने से चूक रहा है। प्राचीनों और अन्य कृपालु भाई-बहनों की प्रेममय परवाह कठिन सदमों से बाहर निकलने में मदद कर सकती है। हमेशा याद रखिए कि यहोवा अपने विश्वासी सेवकों से प्रेम करता है। (१ यूहन्ना ४:१६, १९) भजन ५५:२२ कहता है: “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।”
१८. कुछ लोगों को कौन-सी शैतानी युक्तियों से संघर्ष करना पड़ता है?
१८ शैतान की धूर्त ‘युक्तियाँ’ हाल ही में एक और रूप में दिखायी दी हैं। कुछ देशों में अनेक वयस्कों को ऐसे आक्रामक विचारों का अनुभव हुआ है जिनके कारण उन्हें पूरा विश्वास होने लगता है कि बचपन में शैतानी पंथों ने परपीड़न-कामुक रीति से उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। ऐसे विचार कहाँ से आते हैं? गहरी छान-बीन के बावजूद, सांसारिक विशेषज्ञों की राय एकदम अलग-अलग है। कुछ लोग ऐसे विचारों को वास्तविक यादें मानते हैं, दूसरे इन्हें कल्पनाएँ समझते हैं—जो शायद शंकास्पद चिकित्सा द्वारा प्रेरित हुई हों—कुछ अन्य लोग मानते हैं कि यह बचपन में हुए किसी सदमे से उत्पन्न एक क़िस्म का मति-भ्रम है।
१९. (क) अय्यूब को किन विचारों से संघर्ष करना पड़ा? (ख) प्राचीन कैसे एलीहू के उदाहरण का अनुकरण कर सकते हैं?
१९ यह दिलचस्पी की बात है कि परमेश्वर के सेवक अय्यूब को उन “अशान्त विचारों” से संघर्ष करना पड़ा जो शैतान ने एलीपज और सोपर के द्वारा व्यक्त किए। (अय्यूब ४:१३-१८, NHT; २०:२, ३) अतः अय्यूब ने “पीड़ा” सही, जिसके कारण उसके मन को पीड़ित कर रहे “आतंक” के बारे में उसने “उतावली” में बातें कीं। (अय्यूब ६:२-४, NHT; ३०:१५, १६) एलीहू ने चुपचाप अय्यूब की बात सुनी और निष्कपटता से उसे बातों के बारे में यहोवा का सर्व-बुद्धिमान दृष्टिकोण देखने में मदद दी। उसी तरह आज, सहानुभूतिपूर्ण प्राचीन पीड़ित जनों पर और “बोझ” न डालने के द्वारा दिखाते हैं कि वे उनकी परवाह करते हैं। बल्कि, एलीहू की तरह, वे धैर्य से उनकी बात सुनते हैं और फिर परमेश्वर के वचन का शामक तेल लगाते हैं। (अय्यूब ३३:१-३, ७; याकूब ५:१३-१५) अतः जिस किसी की भावनाएँ असली या काल्पनिक सदमों के कारण परेशान हैं, या जो अय्यूब की तरह “स्वप्नों . . . और दर्शनों से भयभीत” है, कलीसिया के अन्दर शामक शास्त्रीय सांत्वना पा सकता है।—अय्यूब ७:१४; याकूब ४:७.
२०. व्यथित मसीहियों को उनका आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में कैसे मदद दी जा सकती है?
२० फिलहाल एक मसीही निश्चित हो सकता है कि शैतान एक-न-एक तरीक़े से इन बुरे विचारों के पीछे है। यदि कलीसिया में कुछ लोग इस तरह पीड़ित हैं, तो वे ऐसे भयानक मानसिक विचारों को शैतान की ओर से उनके आध्यात्मिक संतुलन को बिगाड़ने का एक सीधा प्रयास समझने में बुद्धिमानी करते हैं। उन्हें धैर्यपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण शास्त्रीय सहारे की ज़रूरत है। प्रार्थनापूर्वक यहोवा के पास आने और आध्यात्मिक रखवाली-कार्य से लाभ उठाने के द्वारा कष्ट सह रहे लोग असीम सामर्थ पा सकेंगे। (यशायाह ३२:२; २ कुरिन्थियों ४:७, ८) अतः वे विश्वास के साथ धीरज धरने में समर्थ होंगे और बुरे हस्तक्षेपशील विचारों को कलीसिया की शान्ति पर प्रभाव नहीं डालने देंगे। (याकूब ३:१७, १८) जी हाँ, वे इब्लीस का विरोध करने में समर्थ होंगे, और वही आत्मा दिखाएँगे जो यीशु ने दिखायी जब उसने कहा: “हे शैतान दूर हो जा।”—मत्ती ४:१०; याकूब ४:७.
२१. शास्त्रवचन शैतान के कपटी तरीक़ों के बारे में कैसे चेतावनी देते हैं?
२१ हम जानते हैं कि शैतान का लक्ष्य है किसी-न-किसी तरह हमारे मन भ्रष्ट करना, जैसा कि प्रेरित पौलुस ने २ कुरिन्थियों ११:३ में चेतावनी दी: “मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्ट न किए जाएं।” सब प्राणियों, या परमेश्वर से विमुख मानव समाज की वर्तमान बरबादी हमें नूह के दिनों के भ्रष्ट और हिंसक संकर ‘गिरानेवालों’ द्वारा लायी गयी अपभ्रष्टता की याद दिलाती है। (उत्पत्ति ६:४, १२, १३, NW फुटनोट; लूका १७:२६) इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं कि शैतान ख़ासकर परमेश्वर के लोगों के विरुद्ध अपना क्रोध निकालने के लिए धूर्त कार्यों और कपटी साधनों का सहारा लेता है।—१ पतरस ५:८; प्रकाशितवाक्य १२:१७.
२२. जब शैतान रास्ते से हट जाएगा, तब किन आशिषों की प्रत्याशा की जा सकती है?
२२ बाइबल पुस्तक अय्यूब के अन्तिम अध्यायों में शैतान का ज़िक्र तक नहीं किया गया है। अय्यूब की खराई से उसकी दुष्ट चुनौती झूठी साबित हो चुकी थी कि मनुष्य परमेश्वर के प्रति खराई नहीं रख सकते। उसी तरह, निकट भविष्य में जब खराई रखनेवालों की एक ‘बड़ी भीड़ उस बड़े क्लेश में से निकलकर आएगी,’ तब शैतान अथाह कुण्ड में डाल दिया जाएगा। विश्वासी पुरुष और स्त्रियाँ, जिनमें विश्वासी अय्यूब भी होगा, परादीस की आशिषों का आनन्द उठाने के लिए “बड़ी भीड़” के साथ मिल जाएँगे। वे अय्यूब को दी गयी आशिषों से भी ज़्यादा महान आशिषें पाएँगे!—प्रकाशितवाक्य ७:९-१७; २०:१-३, ११-१३; अय्यूब १४:१३.
[फुटनोट]
a यहोवा के गवाहों की वार्षिकी १९९२ (अंग्रेज़ी) का पृष्ठ १७७ देखिए।
पुनर्विचार में प्रश्न
◻ अय्यूब, यीशु, और पौलुस ने खराई के क्या उत्तम उदाहरण रखे?
◻ खराई रखनेवालों ने शैतान का सामना कैसे किया है?
◻ युवा कैसे शैतान की धूर्त युक्तियों का विरोध कर सकते हैं?
◻ शैतानी युक्तियों का सामना करने के लिए क्या किया जा सकता
[पेज 7 पर तसवीर]
इथियोपिया में मेसवात और योआलान अपने पिता के उदाहरण पर चलकर पूर्ण-समय यहोवा की सेवा कर रहे हैं, जिसे फाँसी दे दी गयी थी
[पेज 7 पर तसवीर]
एनटेलया, उत्तरी अफ्रीका में एक युवा खराई रखनेवाली