वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w95 9/15 पेज 14-19
  • प्रेम अनुचित जलन पर विजयी होता है

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • प्रेम अनुचित जलन पर विजयी होता है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • मसीहियों के बीच जलन
  • कलीसिया में
  • अपने परिवार में
  • जलन पर प्रभुता के उदाहरण
  • सबसे उत्कृष्ट उदाहरण
  • अपनी जलन पर प्रभुता करना
  • जलन के बारे में आपको जो मालूम होना चाहिए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • यहोवा की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • क्या मसीहियों को जलन होनी चाहिए?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2002
  • यूसुफ अपने भाइयों की जलन का शिकार हुआ
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2020
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 9/15 पेज 14-19

प्रेम अनुचित जलन पर विजयी होता है

“प्रेम जलता नहीं।”—१ कुरिन्थियों १३:४, NW.

 १, २. (क) यीशु ने प्रेम के बारे में अपने चेलों से क्या कहा? (ख) क्या प्रेमपूर्ण और जलनशील दोनों होना संभव है, और आप इस प्रकार जवाब क्यों देते हैं?

प्रेम सच्ची मसीहियत का पहचान-चिन्ह है। यीशु मसीह ने कहा: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” (यूहन्‍ना १३:३५) प्रेरित पौलुस यह समझाने के लिए उत्प्रेरित हुआ कि कैसे प्रेम का प्रभाव मसीही सम्बन्धों पर पड़ना चाहिए। अन्य बातों के अलावा, उसने लिखा: “प्रेम जलता नहीं।”—१ कुरिन्थियों १३:४, NW.

२ जब पौलुस ने ये शब्द लिखे, वह अनुचित जलन का उल्लेख कर रहा था। अन्यथा वह उसी कलीसिया को यह न कह सकता था: “मैं ईश्‍वरीय जलन से तुम्हारे सम्बन्ध में जलनशील हूँ।” (२ कुरिन्थियों ११:२, NW) उसकी “ईश्‍वरीय जलन” उन व्यक्‍तियों के कारण उत्तेजित हुई जो कलीसिया में एक भ्रष्ट प्रभाव थे। इस बात ने पौलुस को प्रेरित किया कि कुरिन्थुस के मसीहियों को काफ़ी प्रेमपूर्ण सलाह के साथ दूसरी उत्प्रेरित पत्री लिखे।—२ कुरिन्थियों ११:३-५.

मसीहियों के बीच जलन

 ३. कुरिन्थुस के मसीहियों में कैसे एक समस्या उत्पन्‍न हुई जिसमें जलन अंतर्ग्रस्त थी?

३ कुरिन्थियों को लिखी अपनी पहली पत्री में, पौलुस को एक ऐसी समस्या से निपटना पड़ा था जो इन नए मसीहियों को एक दूसरे के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने से रोक रही थी। वे कुछ पुरुषों को ऊँचा उठा रहे थे, वे ‘एक पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व कर’ रहे थे। यह कलीसिया के अन्दर विभाजनों की ओर ले गया, और भिन्‍न-भिन्‍न व्यक्‍ति कहने लगे: “मैं पौलुस का हूं,” “मैं अपुल्लोस का हूं,” “मैं कैफा का हूं।” (१ कुरिन्थियों १:१२, NHT; ४:६) पवित्र आत्मा द्वारा मार्गदर्शन के अधीन, प्रेरित पौलुस उस समस्या की जड़ तक पहुँचने में समर्थ हुआ। वे कुरिन्थी, शारीरिक लोगों की तरह कार्य कर रहे थे, “आत्मिक लोगों” की तरह नहीं। अतः, पौलुस ने लिखा: “तुम . . . अब तक शारीरिक हो, इसलिये कि जब तुम में डाह [जलन] और झगड़ा है, तो क्या तुम शारीरिक नहीं? और मनुष्य की रीति पर नहीं चलते?”—१ कुरिन्थियों ३:१-३.

 ४. पौलुस ने अपने भाइयों को एक दूसरे के प्रति सही दृष्टिकोण पर पहुँचने में मदद करने के लिए कौन-सा दृष्टान्त प्रयोग किया, और इससे हम क्या सबक़ सीख सकते हैं?

४ पौलुस ने कुरिन्थियों को उस कलीसिया में विभिन्‍न व्यक्‍तियों की प्रतिभाओं और योग्यताओं के प्रति सही दृष्टिकोण का मूल्यांकन करने में मदद की। उसने पूछा: “तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्या है जो तू ने नहीं पाया: और जब कि तू ने पाया है, तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है, कि मानो नहीं पाया?” (१ कुरिन्थियों ४:७) पहला कुरिन्थियों अध्याय १२ में, पौलुस ने समझाया कि जो कलीसिया का भाग थे वे मानव शरीर के भिन्‍न अंगों के समान थे, जैसे कि हाथ, आँख और कान। उसने स्पष्ट किया कि परमेश्‍वर ने शरीर के अंगों को इस तरीक़े से बनाया ताकि वे एक दूसरे की देखभाल करें। पौलुस ने यह भी लिखा: “यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।” (१ कुरिन्थियों १२:२६) आज परमेश्‍वर के सभी सेवकों को एक दूसरे के साथ अपने सम्बन्ध में इस सिद्धान्त को लागू करना चाहिए। परमेश्‍वर की सेवा में दूसरे व्यक्‍ति की कार्यनियुक्‍ति या उपलब्धियों के कारण उससे जलने के बजाय, हमें उस व्यक्‍ति के साथ आनन्द मनाना चाहिए।

 ५. याकूब ४:५ में क्या प्रकट किया गया है, और शास्त्र इन शब्दों की सच्चाई को कैसे विशिष्ट करता है?

५ माना, ऐसा कहना आसान है, करना मुश्‍किल। बाइबल लेखक याकूब हमें याद दिलाता है कि हर पापी मनुष्य में “ईर्ष्या करने की प्रवृत्ति” होती है। (याकूब ४:५, NW) पहली मानव मृत्यु हुई क्योंकि कैन अपनी अनुचित जलन के सामने झुक गया। पलिश्‍तियों ने इसहाक को सताया क्योंकि वे उसकी बढ़ती समृद्धि से ईर्ष्या करते थे। राहेल जनन में अपनी बहन के फलने-फूलने से जलती थी। याक़ूब के पुत्र अपने छोटे भाई यूसुफ के प्रति दिखाए गए अनुग्रह से जलते थे। मरियम प्रत्यक्षतः अपनी ग़ैर-इस्राएली भाभी से जलती थी। कोरह, दातान और अबीराम ने ईर्ष्या से मूसा और हारून के विरुद्ध षड्यंत्र रचा। राजा शाऊल दाऊद की सैन्य सफलताओं से जलने लगा। निःसंदेह जलन भी एक तत्व था जिसकी वजह से यीशु के शिष्य बारंबार इस विवाद में उलझते रहे कि उनमें सबसे बड़ा कौन था। सच्चाई यह है कि कोई भी अपरिपूर्ण मानव पापपूर्ण “ईर्ष्या करने की प्रवृत्ति” से पूरी तरह मुक्‍त नहीं है।—उत्पत्ति ४:४-८; २६:१४; ३०:१; ३७:११; गिनती १२:१, २; १६:१-३; भजन १०६:१६; १ शमूएल १८:७-९; मत्ती २०:२१, २४; मरकुस ९:३३, ३४; लूका २२:२४.

कलीसिया में

 ६. प्राचीन ईर्ष्या करने की प्रवृत्ति पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?

६ सभी मसीहियों को ईर्ष्या और अनुचित जलन से सतर्क रहने की ज़रूरत है। इसमें प्राचीनों के निकाय भी शामिल हैं जो परमेश्‍वर के लोगों की कलीसियाओं की देखरेख करने के लिए नियुक्‍त हैं। अगर एक प्राचीन के पास मन की दीनता है, तो वह महत्त्वाकांक्षी होकर दूसरों को मात देने की कोशिश नहीं करेगा। दूसरी ओर, अगर अमुक प्राचीन के पास एक व्यवस्थापक या एक जन वक्‍ता के तौर पर उत्कृष्ट योग्यताएँ हैं, तो दूसरे इससे आनन्दित होंगे, और इसे कलीसिया के लिए एक आशीष के तौर पर देखेंगे। (रोमियों १२:१५, १६) एक भाई अच्छी प्रगति कर रहा होगा, अपने जीवन में परमेश्‍वर की आत्मा के फलों को उत्पन्‍न करने का सबूत दे रहा होगा। उसकी योग्यताओं पर विचार करते वक़्त, प्राचीनों को सावधान रहना चाहिए कि एक सहायक सेवक या एक प्राचीन के तौर पर उसकी सिफ़ारिश न करने को उचित ठहराने के लिए, उसकी किसी छोटी कमी को बड़ा करके न दिखाएँ। यह प्रेम और कोमलता के अभाव को प्रकट करेगा।

 ७. जब एक मसीही को कोई ईश्‍वरशासित कार्यनियुक्‍ति मिलती है तब क्या समस्या खड़ी हो सकती है?

७ अगर किसी को एक ईश्‍वरशासित कार्यनियुक्‍ति या एक आध्यात्मिक आशीष मिलती है, तो कलीसिया में दूसरे व्यक्‍तियों को ईर्ष्या से सतर्क रहने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, मसीही सभाओं में प्रदर्शन करके दिखाने के लिए एक योग्य बहन को शायद दूसरी बहन की तुलना में ज़्यादा प्रयोग किया जाए। इससे कुछ बहनों में जलन पैदा हो सकती है। फिलिप्पी कलीसिया की यूओदिया और सुन्तुखे के बीच शायद समान समस्या मौजूद थी। ऐसी वर्तमान-दिन स्त्रियों को नम्र होने और “प्रभु में एक मन” की होने के लिए शायद प्राचीनों से कृपापूर्ण प्रोत्साहन की ज़रूरत पड़े।—फिलिप्पियों २:२, ३; ४:२, ३.

 ८. जलन कौन-से पापपूर्ण कार्यों की ओर ले जा सकती है?

८ एक मसीही को शायद अतीत में किसी ऐसे व्यक्‍ति द्वारा की गयी ग़लती के बारे में पता हो जिसे अब कलीसिया में विशेषाधिकारों की आशीष प्राप्त है। (याकूब ३:२) जलन के कारण, इसके बारे में दूसरों से बात करने और कलीसिया में उस व्यक्‍ति की कार्यनियुक्‍ति को चुनौती देने का प्रलोभन हो सकता है। यह प्रेम के विपरीत होगा, जो “अनेक पापों को ढांप देता है।” (१ पतरस ४:८) जलन-भरी बातचीत कलीसिया की शांति को भंग कर सकती है। “यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो,” शिष्य याकूब ने चिताया, “तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना। यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है बरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।”—याकूब ३:१४, १५.

अपने परिवार में

 ९. विवाह-साथी जलन की भावनाओं पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?

९ अनुचित जलन के कारण अनेक विवाह असफल होते हैं। विवाह-साथी में भरोसे की कमी दिखाना प्रेमपूर्ण नहीं है। (१ कुरिन्थियों १३:७) दूसरी ओर, एक साथी दूसरे साथी की ओर से जलन की भावनाओं के प्रति शायद संवेदनाशून्य हो। उदाहरण के लिए, एक पति विपरीत लिंग के किसी अन्य व्यक्‍ति को जो ध्यान देता है उसके कारण शायद उसकी पत्नी जलती हो। या पत्नी जितना समय एक ज़रूरतमन्द रिश्‍तेदार की देखरेख करने में बिताती है उसके कारण शायद उसका पति जलने लगे। ऐसी भावनाओं से लज्जित, विवाह-साथी शायद चुप रहें और अपनी कुण्ठा ऐसे तरीक़ों से दिखाएँ जिससे समस्या जटिल हो जाती है। इसके बजाय, एक जलनशील पति या पत्नी को बातचीत करने और अपनी भावनाओं के बारे में ईमानदार होने की ज़रूरत है। बदले में, दूसरे साथी को सहानुभूति दिखाने और अपने प्रेम का आश्‍वासन देने की ज़रूरत है। (इफिसियों ५:२८, २९) दोनों को शायद जलन की भावनाएँ पैदा करनेवाली स्थितियों से दूर रहने के द्वारा उनको कम करने की ज़रूरत पड़े। कभी-कभी एक मसीही ओवरसियर को शायद अपनी पत्नी को यह समझने में मदद करने की ज़रूरत पड़े कि वह विपरीत लिंग के सदस्यों को सीमित, उचित ध्यान दे रहा है ताकि परमेश्‍वर के झुण्ड के रखवाले के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करे। (यशायाह ३२:२) निःसंदेह, एक प्राचीन को सावधान रहना चाहिए कि जलन के लिए कभी कोई उचित कारण प्रदान न करे। इसमें संतुलन की आवश्‍यकता है, अर्थात्‌ यह निश्‍चित करना कि वह स्वयं अपने विवाह सम्बन्ध को मज़बूत करने के लिए समय देता है।—१ तीमुथियुस ३:५; ५:१, २.

१०. माता-पिता कैसे अपने बच्चों को जलन की भावनाओं का सामना करने के लिए मदद कर सकते हैं?

१० माता-पिताओं को अपने बच्चों की भी मदद करनी चाहिए ताकि अनुचित जलन की धारणा को वे समझ सकें। बच्चे अकसर ऐसे टंटों में उलझते हैं जो झगड़ों में परिवर्तित हो जाते हैं। अकसर इसका मूल कारण होता है जलन। क्योंकि हर बच्चे की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं, बच्चों के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्‍त, बच्चों को यह समझना चाहिए कि उनमें से प्रत्येक के पास अलग-अलग ख़ूबियाँ और कमज़ोरियाँ हैं। अगर एक बच्चे को हमेशा दूसरे जितना करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए, तो यह एक में ईर्ष्या और दूसरे में घमण्ड पैदा कर सकता है। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों को प्रशिक्षण देना चाहिए कि अपनी प्रगति को परमेश्‍वर के वचन में दिए गए उदाहरणों पर विचार करने के द्वारा नापें, एक दूसरे के साथ होड़ लगाने के द्वारा नहीं। बाइबल कहती है: “हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।” इसके बजाय, “हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।” (गलतियों ५:२६; ६:४) सबसे महत्त्वपूर्ण, मसीही माता-पिताओं को नियमित बाइबल अध्ययन के माध्यम से, परमेश्‍वर के वचन में दिए गए अच्छे और बुरे उदाहरणों को विशिष्ट करने के द्वारा, अपने बच्चों की मदद करने की ज़रूरत है।—२ तीमुथियुस ३:१५.

जलन पर प्रभुता के उदाहरण

११. जलन से निपटने में मूसा कैसे एक बढ़िया उदाहरण था?

११ इस संसार के शक्‍ति के भूखे नेताओं से भिन्‍न, “मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।” (गिनती १२:३) जब मूसा के लिए इस्राएलियों की अगुआई अकेले करना बोझ जैसा हो गया, तो यहोवा ने ७० अन्य इस्राएलियों पर अपनी आत्मा को क्रियाशील किया, जिससे उन्हें मूसा की मदद करने की शक्‍ति प्राप्त हुई। जब इनमें से दो पुरुष भविष्यवक्‍ताओं की तरह व्यवहार करने लगे, तो यहोशू को लगा कि यह बात अनुचित रूप से मूसा की अगुआई के आड़े आ रही थी। यहोशू उन पुरुषों को रोकना चाहता था, लेकिन मूसा ने नम्रतापूर्वक तर्क किया: “क्या तू मेरे कारण जलता है? भला होता कि यहोवा की सारी प्रजा के लोग नबी होते, और यहोवा अपना आत्मा उन सभों में समवा देता!” (गिनती ११:२९) जी हाँ, मूसा ख़ुश था जब दूसरों को सेवा के विशेषाधिकार मिले। उसने जलन से स्वयं अपने लिए महिमा न चाही।

१२. किस बात ने योनातन को जलन की भावनाओं से दूर रहने के लिए समर्थ किया?

१२ प्रेम कैसे जलन की संभाव्य अनुचित भावनाओं पर प्रबल होता है, इसका एक बढ़िया उदाहरण इस्राएली राजा शाऊल के पुत्र, योनातन द्वारा रखा गया। योनातन अपने पिता के बाद सिंहासन को उत्तराधिकार में प्राप्त करनेवाला था, लेकिन यहोवा ने यिशै के पुत्र दाऊद को अगला राजा होने के लिए चुना था। योनातन की स्थिति में अनेक व्यक्‍ति दाऊद से जलते, उसे एक प्रतिद्वंदी के रूप में देखते। लेकिन, दाऊद के लिए योनातन के प्रेम ने उस पर कभी-भी ऐसी भावना को हावी होने से रोका। योनातन की मृत्यु के बारे में जानने पर, दाऊद कह सका: “हे मेरे भाई योनातन, मैं तेरे कारण दुःखित हूं; तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता था; तेरा प्रेम मुझ पर अद्‌भुत, वरन स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर था।”—२ शमूएल १:२६.

सबसे उत्कृष्ट उदाहरण

१३. जलन के मामले में सर्वोत्तम उदाहरण कौन है, और क्यों?

१३ यहोवा परमेश्‍वर उस व्यक्‍ति का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है जिसे उचित जलन पर भी प्रभुता है। वह ऐसी भावनाओं को पूर्ण नियंत्रण में रखता है। परमेश्‍वरीय जलन का कोई भी शक्‍तिशाली प्रकटन हमेशा परमेश्‍वर के प्रेम, न्याय और बुद्धि के सामंजस्य में होता है।—यशायाह ४२:१३, १४.

१४. शैतान के विपरीत यीशु ने कौन-सा उदाहरण रखा?

१४ जलन पर प्रभुता दिखानेवाले व्यक्‍ति का दूसरा उत्कृष्ट उदाहरण है परमेश्‍वर का प्रिय पुत्र, यीशु मसीह। “परमेश्‍वर के स्वरूप में होकर भी,” यीशु ने “परमेश्‍वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।” (फिलिप्पियों २:६) उस महत्त्वाकांक्षी स्वर्गदूत, जो शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस बना, द्वारा अपनाए गए मार्ग से कितना भिन्‍न! “बाबुल के राजा” के समान, शैतान ने स्वयं को यहोवा के विरोध में एक प्रतिद्वंदी ईश्‍वर बनाकर, जलन से “परमप्रधान के तुल्य” होने की इच्छा की। (यशायाह १४:४, १४; २ कुरिन्थियों ४:४) शैतान ने यह भी कोशिश की कि यीशु उसे “गिरकर . . . प्रणाम करे।” (मत्ती ४:९) लेकिन कोई भी बात यीशु को यहोवा की सर्वसत्ता के प्रति अधीनता के उसके नम्र मार्ग से विचलित नहीं कर सकती थी। शैतान के विपरीत, यीशु ने “अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।” यीशु ने अपने पिता के शासन की न्यायसंगतता का समर्थन किया, और घमण्ड और जलन के इब्‌लीस के मार्ग को पूरी तरह से ठुकराया। यीशु की वफ़ादारी के लिए, “परमेश्‍वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्‍वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।”—फिलिप्पियों २:७-११.

अपनी जलन पर प्रभुता करना

१५. जलन की भावनाओं पर क़ाबू रखने के लिए हमें क्यों सावधान रहना चाहिए?

१५ परमेश्‍वर और मसीह से भिन्‍न, मसीही अपरिपूर्ण हैं। पापपूर्ण होने के कारण, वे कभी-कभी पापपूर्ण जलन से प्रेरित हो सकते हैं। इसलिए, इसके बजाय कि हम जलन को किसी छोटी कमी या काल्पनिक ग़लती के बारे में एक संगी विश्‍वासी की आलोचना करने के लिए हमें प्रेरित करने दें, यह महत्त्वपूर्ण है कि हम इन उत्प्रेरित शब्दों पर मनन करें: “अपने को बहुत धर्मी न बना, और न अपने को अधिक बुद्धिमान बना; तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?”—सभोपदेशक ७:१६.

१६. इस पत्रिका के एक भूतपूर्व अंक में जलन पर कौन-सी बढ़िया सलाह दी गयी थी?

१६ जलन के विषय पर, मार्च १५, १९११ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने सचेत किया: “जबकि हमें प्रभु के उद्देश्‍य के लिए बहुत उत्साहपूर्ण, बहुत जलनशील होना चाहिए, फिर भी हमारा पूरी तरह से निश्‍चित होना ज़रूरी है कि किसी अन्य मसीही की कमज़ोरी व्यक्‍तिगत मामला तो नहीं है; और हमें विचार करना चाहिए कि क्या हम ‘पराए काम में हाथ डालनेवाले’ तो नहीं हैं। साथ ही, हमें इस पर भी विचार करना चाहिए कि क्या यह उचित बात होगी कि प्राचीन इसे निपटाएँ और कि क्या प्राचीनों के पास जाना हमारा कर्तव्य होगा या नहीं। हम सब में प्रभु के उद्देश्‍य और प्रभु के कार्य के लिए बहुत जलन होनी चाहिए, लेकिन अत्यधिक सावधान रहिए कि यह कटु क़िस्म की न हो . . . दूसरे शब्दों में, हमें पूरी तरह से निश्‍चित करना चाहिए कि यह दूसरे से जलन नहीं, बल्कि दूसरे के लिए जलन है, उसके हितों और कल्याण के लिए जलन है।”—१ पतरस ४:१५.

१७. हम जलन के पापपूर्ण कार्यों से कैसे दूर रह सकते हैं?

१७ हम मसीहियों के तौर पर घमण्ड, जलन और ईर्ष्या से कैसे दूर रह सकते हैं? इसका जवाब है परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा को हमारे जीवन में खुलकर कार्य करने देना। उदाहरण के लिए, हमें परमेश्‍वर की आत्मा के लिए और उसके अच्छे फलों को प्रदर्शित करने में मदद के लिए प्रार्थना करने की ज़रूरत है। (लूका ११:१३) हमें मसीही सभाओं में उपस्थित होने की ज़रूरत है, जो प्रार्थना से शुरू की जाती हैं और जिन पर परमेश्‍वर की आत्मा और आशीष होती है। इसके अतिरिक्‍त, हमें बाइबल का अध्ययन करने की ज़रूरत है, जो परमेश्‍वर द्वारा उत्प्रेरित की गयी थी। (२ तीमुथियुस ३:१६) और यहोवा की पवित्र आत्मा की शक्‍ति के साथ किए जा रहे राज्य-प्रचार काम में हमें हिस्सा लेने की ज़रूरत है। (प्रेरितों १:८) किसी बुरे अनुभव से परास्त संगी मसीहियों की मदद करना, परमेश्‍वर की आत्मा के अच्छे प्रभाव के अधीन होने का एक और तरीक़ा है। (यशायाह ५७:१५; १ यूहन्‍ना ३:१५-१७) इन सभी मसीही बाध्यताओं को उत्साह से पूरा करना हमें जलन के पापपूर्ण कार्यों से बचने के लिए मदद करेगा, क्योंकि परमेश्‍वर का वचन कहता है: “आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।”—गलतियों ५:१६.

१८. हमें क्यों हमेशा जलन की अनुचित भावनाओं से जूझते रहना नहीं पड़ेगा?

१८ परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा के फलों में प्रेम सबसे पहले आता है। (गलतियों ५:२२, २३) प्रेम से व्यवहार करना पापपूर्ण प्रवृत्तियों पर अभी नियंत्रण रखने में हमारी मदद करेगा। लेकिन भविष्य के बारे में क्या? यहोवा के लाखों सेवकों को आनेवाले पार्थिव परादीस में जीवन की आशा है, जहाँ वे मानव परिपूर्णता तक उठाए जाने की उत्सुकता से प्रत्याशा कर सकते हैं। उस नए संसार में, प्रेम व्याप्त होगा और कोई भी व्यक्‍ति जलन की अनुचित भावनाओं के सामने नहीं झुकेगा, क्योंकि “सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्‍वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।”—रोमियों ८:२१.

मनन के लिए मुद्दे

◻ पौलुस ने जलन का विरोध करने के लिए कौन-से दृष्टान्त का प्रयोग किया?

◻ जलन कलीसिया की शांति को कैसे भंग कर सकती है?

◻ माता-पिता कैसे अपने बच्चों को जलन का सामना करने के लिए प्रशिक्षण दे सकते हैं?

◻ हम जलन के पापपूर्ण कार्यों से कैसे दूर रह सकते हैं?

[पेज 16 पर तसवीरें]

जलन को कलीसिया की शांति भंग करने न दीजिए

[पेज 17 पर तसवीरें]

माता-पिता अपने बच्चों को जलन की भावनाओं का सामना करने के लिए प्रशिक्षण दे सकते हैं

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें