एक “दुष्ट पीढ़ी” से बचाए गए
“हे अविश्वासी और हठीली पीढ़ी, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा, और तुम्हारी सहता रहूंगा?”—लूका ९:४१, NHT.
१. (क) हमारा विपत्तिग्रस्त समय क्या सूचित करता है? (ख) बचनेवालों के बारे में शास्त्र क्या बताता है?
हम विपत्तिग्रस्त समय में रहते हैं। भूकंप, बाढ़, अकाल, बीमारी, अराजकता, बमबारी, भयंकर युद्ध—ये और इनसे भी अधिक विपत्तियों ने हमारी २०वीं शताब्दी में मनुष्यजाति को घेर रखा है। लेकिन, नज़दीकी भविष्य में सबसे बड़ी विपत्ति का ख़तरा है। वह क्या है? वह “ऐसा भारी क्लेश” है “जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) लेकिन हम में से अनेक जन एक आनन्दपूर्ण भविष्य की आशा रख सकते है! क्यों? क्योंकि परमेश्वर का अपना वचन “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था” का वर्णन करता है। “ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं . . . वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे . . . और परमेश्वर उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।”—प्रकाशितवाक्य ७:१, ९, १४-१७.
२. मत्ती २४, मरकुस १३ और लूका २१ की शुरू की आयतों की क्या प्रारंभिक भविष्यसूचक पूर्ति हुई थी?
२ मत्ती २४:३-२२, मरकुस १३:३-२० और लूका २१:७-२४ में उत्प्रेरित अभिलेख “इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति” (NW) का यीशु का भविष्यसूचक वर्णन प्रस्तुत करता है।a इस भविष्यवाणी की एक प्रारंभिक पूर्ति हमारे सामान्य युग की पहली शताब्दी की भ्रष्ट यहूदी रीति-व्यवस्था पर हुई, जो यहूदियों पर एक अपूर्व “भारी क्लेश” के साथ अपनी चरम पर पहुँची। यरूशलेम के मन्दिर पर केंद्रित यहूदी व्यवस्था का पूरा धार्मिक और राजनैतिक ढाँचा मिटा दिया गया, उसकी कभी पुनःस्थापना नहीं होती।
३. आज यीशु की भविष्यवाणी को मानना हमारे लिए अत्यावश्यक क्यों है?
३ आइए अब हम उन परिस्थितियों पर विचार करें जो यीशु की भविष्यवाणी की पहली पूर्ति के समय के क़रीब मौजूद थीं। यह हमें आज की समानांतर पूर्ति को ज़्यादा अच्छी तरह से समझने में मदद करेगा। यह हमें दिखाएगा कि सबसे भारी क्लेश जिसका पूरी मानवजाति पर ख़तरा मंडरा रहा है, से बचकर निकलने के लिए अभी सकारात्मक क़दम उठाना कितना अत्यावश्यक है।—रोमियों १०:९-१३; १५:४; १ कुरिन्थियों १०:११; १५:५८.
“अन्त”—कब?
४, ५. (क) परमेश्वर का भय माननेवाले सा.यु. पहली शताब्दी के यहूदी दानिय्येल ९:२४-२७ की भविष्यवाणी में क्यों दिलचस्पी रखते थे? (ख) यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
४ सामान्य युग पूर्व वर्ष ५३९ के क़रीब, परमेश्वर के भविष्यवक्ता दानिय्येल को उन घटनाओं के बारे में एक दर्शन दिया गया था, जो सालों के “सत्तर सप्ताह” की समयावधि के आख़िरी “सप्ताह” के दौरान घटित होतीं। (दानिय्येल ९:२४-२७) ये “सप्ताह” सा.यु.पू. ४५५ में शुरू हुए जब फ़ारस के राजा अर्तक्षत्र ने यरूशलेम नगर के पुनःनिर्माण का आदेश दिया। आख़िरी “सप्ताह” मसीहा, अर्थात् यीशु मसीह के प्रकट होने पर, सा.यु. २९ में उसके बपतिस्मे और अभिषेक के समय से शुरू हुआ।b परमेश्वर का भय माननेवाले सामान्य युग पहली शताब्दी के यहूदी दानिय्येल की भविष्यवाणी के इस समय-संबंधी पहलू से अच्छी तरह अवगत थे। उदाहरण के लिए, सा.यु. २९ में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के प्रचार को सुनने के लिए इकट्ठी हुई भीड़ के बारे में लूका ३:१५ कहती है: “लोग आस लगाए हुए थे, और सब अपने अपने मन में यूहन्ना के विषय में विचार कर रहे थे, कि क्या यही मसीह तो नहीं है।”
५ सत्तरवें “सप्ताह” को यहूदियों के प्रति दिखाए गए ख़ास अनुग्रह के सात साल होना था। सामान्य युग २९ से शुरू होते हुए, इसमें यीशु का बपतिस्मा और सेवकाई, “आधे ही सप्ताह के बीतने पर” सा.यु. ३३ में उसकी बलिदान-रूपी मृत्यु, और सा.यु. ३६ तक एक और ‘आधा सप्ताह’ शामिल थे। इस “सप्ताह” के दौरान यीशु के अभिषिक्त शिष्य बनने का अवसर मात्र परमेश्वर का भय माननेवाले यहूदियों और यहूदी-मतधारकों को दिया गया था। फिर सा.यु. ७० में, एक ऐसी तिथि जो पहले से ज्ञात नहीं थी, टाइटस् के अधीन रोमी सेना ने धर्मत्यागी यहूदी व्यवस्था का उन्मूलन किया।—दानिय्येल ९:२६, २७.
६. “घृणित वस्तु ने सा. यु. ६६ में कैसे कार्य किया, और मसीहियों ने कैसे प्रतिक्रिया दिखाई?
६ अतः यहूदी याजकवर्ग का विनाश हुआ, जिसने यरूशलेम के मन्दिर को अपवित्र किया था और परमेश्वर के अपने पुत्र को मारने की साज़िश की थी। जातीय और वंशीय रिकार्ड भी इसी के साथ नाश हो गए। तत्पश्चात्, कोई भी यहूदी एक याजकीय या राजकीय वंश का वैध रूप से दावा नहीं कर सका। लेकिन, ख़ुशी की बात है कि अभिषिक्त आत्मिक यहूदी यहोवा परमेश्वर के “गुणों को प्रगट” करने के लिए एक राजसी याजकवर्ग के तौर पर अलग किए गए थे। (१ पतरस २:९) जब रोम की सेना ने पहली बार यरूशलेम को घेर लिया, यहाँ तक कि सा.यु. ६६ में मन्दिर क्षेत्र के नीचे सुरंग बनाई, तब मसीहियों ने पहचाना कि वह सेना ‘पवित्र स्थान में खड़ी उजाड़नेवाली घृणित वस्तु’ है “जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी।” यीशु की भविष्यसूचक आज्ञा का पालन करते हुए, यरूशलेम और यहूदिया के मसीही पर्वतीय क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए भाग गए।—मत्ती २४:१५, १६; लूका २१:२०, २१.
७, ८. मसीहियों ने कौन-सा “चिन्ह” देखा, लेकिन वे क्या नहीं जानते थे?
७ उन वफ़ादार यहूदी मसीहियों ने दानिय्येल की भविष्यवाणी की पूर्ति देखी और वे दुःखद युद्धों, अकाल, महामारियों, भूकंपों, और अराजकता के चश्मदीद गवाह थे जिन्हें ‘रीति-व्यवस्था की समाप्ति के चिन्ह’ के भाग के तौर पर यीशु ने पूर्वबताया था। (मत्ती २४:३, NW) लेकिन क्या यीशु ने उन्हें बताया था कि यहोवा वास्तव में कब उस भ्रष्ट व्यवस्था पर न्याय कार्यान्वित करेगा? नहीं। अपनी भावी राजसी उपस्थिति की पराकाष्ठा के बारे में जो भविष्यवाणी उसने की वह निश्चय ही पहली शताब्दी के “भारी क्लेश” पर भी लागू हुई: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।”—मत्ती २४:३६.
८ दानिय्येल की भविष्यवाणी से, यहूदी मसीहा के तौर पर यीशु के प्रकट होने के समय का पता लगा सकते थे। (दानिय्येल ९:२५) लेकिन उन्हें उस “भारी क्लेश” की कोई तिथि नहीं दी गई थी जिससे अंततः धर्मत्यागी यहूदी रीति-व्यवस्था का नाश हुआ। केवल यरूशलेम और उसके मन्दिर के विनाश के बाद ही उन्होंने समझा कि वह तिथि सा.यु. ७० थी। लेकिन, वे यीशु के भविष्यसूचक शब्दों से अवगत थे: “जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।” (मत्ती २४:३४) प्रतीयमानतः, यहाँ “पीढ़ी” का अर्थ सभोपदेशक १:४ की पीढ़ी से अलग है जो एक समयावधि के दौरान एक के बाद एक आकर जानेवाली पीढ़ियों के बारे में बात करता है।
“यह पीढ़ी”—वह क्या है?
९. यूनानी शब्द गेनीया को शब्दकोश कैसे परिभाषित करते हैं?
९ जब जैतून पहाड़ पर यीशु के साथ बैठे चार प्रेरितों ने “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” (NW) के बारे में उसकी भविष्यवाणी सुनी, तब वे अभिव्यक्ति “यह पीढ़ी” कैसे समझते? सुसमाचार पुस्तकों में शब्द “पीढ़ी” का अनुवाद यूनानी शब्द गेनीया से किया गया है, जिसे सामयिक शब्दकोश इन अभिव्यक्तियों में परिभाषित करते हैं: “शाब्दिक तौर पर जो एक ही पूर्वज से आए हैं।” (वाल्टर बॉयेर का नए नियम का यूनानी-अंग्रेज़ी शब्दकोश) “वह जो उत्पन्न हुआ है, एक परिवार; . . . एक वंशावली के अनुवर्ती सदस्य . . . या लोगों की एक जाति के सदस्य . . . या एक ही समय जीवित सभी मनुष्य, मत्ती २४:३४; मर. १३:३०; लूका १:४८; २१:३२; फिलि. २:१५, और ख़ास तौर पर एक ही समयावधि में जीवित यहूदी जाति के लिए इस्तेमाल किया गया है।” (डब्ल्यू. ई. वाइन का नया नियम शब्दों का व्याख्यात्मक शब्दकोश, अंग्रेज़ी) “वह जो उत्पन्न हुआ है, एक ही कुल के लोग, एक परिवार; . . . एक ही समयावधि में जीवित सभी मनुष्य: मत्ती २४:३४; मर. १३:३०; लूका १:४८ . . . ख़ास तौर पर एक ही समयावधि में जीवित यहूदी जाति के लिए इस्तेमाल किया गया है।”—जे. एच. थायर का नए नियम का यूनानी-अंग्रेज़ी शब्दकोश।
१०. (क) मत्ती २४:३४ को उद्धृत करते समय दो प्राधिकारी क्या समान परिभाषा देते हैं? (ख) एक धर्मविज्ञानी शब्दकोश और कुछ बाइबल अनुवाद इस परिभाषा का कैसे समर्थन करते हैं?
१० अतः “यह पीढ़ी” (ही गेनीया हाउटे) की परिभाषा “एक ही समयावधि में जीवित सभी मनुष्य” के तौर पर करते समय वाइन और थायर दोनों मत्ती २४:३४ का हवाला देते हैं। नए नियम का धर्मविज्ञानी शब्दकोश (१९६४, अंग्रेज़ी) यह कहते हुए इस परिभाषा का समर्थन करता है: “यीशु द्वारा ‘पीढ़ी’ का प्रयोग उसके सर्वसमावेशी उद्देश्य को व्यक्त करता है: वह सब लोगों की ओर संकेत करता है और पाप में उनकी एकता के बारे में सचेत है।” सचमुच यहूदी जाति में ‘पाप में एकता’ स्पष्ट थी जब यीशु पृथ्वी पर था वैसे ही जैसे वह आज की विश्वव्यवस्था की विशिष्टता है।c
११. (क) ही गेनीया हाउटे को लागू करने का निश्चय करने में मुख्यतः किस प्राधिकारी द्वारा हमें मार्गदर्शित होना चाहिए? (ख) इस प्राधिकारी ने इस पद का कैसे इस्तेमाल किया?
११ निःसंदेह, इस बात का अध्ययन करनेवाले मसीही अपने सोच-विचार को मुख्यतः इस बात से मार्गदर्शित करते हैं कि उत्प्रेरित सुसमाचार लेखकों ने यीशु के शब्दों को रिपोर्ट करते वक़्त यूनानी अभिव्यक्ति ही गेनीया हाउटे, या “यह पीढ़ी” का कैसे प्रयोग किया। यह अभिव्यक्ति हमेशा नकारात्मक रूप में प्रयोग की गई थी। अतः, यीशु ने यहूदी धार्मिक अगुओं को “हे सांपो, हे करैतों के बच्चो” पुकारा और आगे कहा कि “इस पीढ़ी” (NHT) पर गेहन्ना का न्याय कार्यान्वित किया जाएगा। (मत्ती २३:३३, ३६) लेकिन, क्या यह न्याय कपटी पादरीवर्ग तक ही सीमित था? बिलकुल नहीं। कई अवसरों पर, यीशु के शिष्यों ने उसे “इस पीढ़ी” के बारे में बात करते हुए, इस पद को समान रूप से और अधिक विस्तृत अर्थ में लागू करते हुए सुना। वह क्या था?
यह “दुष्ट पीढ़ी”
१२. जब उसके शिष्य सुन रहे थे, तब यीशु ने “लोगों” को कैसे “इस पीढ़ी” के साथ जोड़ा?
१२ सामान्य युग ३१ में, यीशु की प्रमुख गलीली सेवकाई के दौरान और फसह के कुछ ही समय बाद, उसके शिष्यों ने उसे “लोगों” से यह कहते सुना: “मैं इस पीढ़ी की तुलना किस से करूं? ये लोग बाज़ार में बैठने वाले बच्चों के समान हैं, जो दूसरे बच्चों को पुकारते, और कहते हैं, ‘हमने तुम्हारे लिए बांसुरी बजाई, पर तुम न नाचे: और हमने शोकगीत गाया, पर तुमने विलाप न किया।’ क्योंकि यूहन्ना [बपतिस्मा देनेवाला] न तो खाता और न पीता आया, पर वे कहते हैं, ‘उस में दुष्टात्मा है।’ मनुष्य का पुत्र [यीशु] खाता-पीता आया और वे कहते हैं, ‘देखो, एक पेटू और पियक्कड़, चुंगी लेने वालों और पापियों का मित्र।’” उन चरित्रहीन “लोगों” को कोई बात ख़ुश नहीं कर सकती थी!—मत्ती ११:७, १६-१९, NHT.
१३. अपने शिष्यों की उपस्थिति में, “इस दुष्ट पीढ़ी” के तौर पर यीशु ने किसकी पहचान करवाई और धिक्कारा?
१३ इसके बाद सा.यु. ३१ में, जब यीशु और उसके शिष्य गलील के अपने दूसरे प्रचार दौरे पर निकले, तब “कुछ शास्त्रियों और फरीसियों” ने यीशु से एक चिन्ह माँगा। उसने उन्हें और वहाँ उपस्थित “लोगों” को बताया: “यह दुष्ट और व्यभिचारिणी पीढ़ी चिह्न देखने को इच्छुक रहती है, फिर भी योना नबी के चिह्न को छोड़ और कोई चिह्न नहीं दिया जाएगा, क्योंकि जैसे योना तीन दिन और तीन रात विशाल मच्छ के पेट में रहा, उसी प्रकार मनुष्य का पुत्र भी तीन दिन और तीन रात पृथ्वी के गर्भ में रहेगा। . . . इस दुष्ट पीढ़ी के लोगों के साथ भी ऐसा ही होगा।” (मत्ती १२:३८-४६, NHT) स्पष्टतः, “इस दुष्ट पीढ़ी” में दोनों, धार्मिक अगुवे और वे ‘लोग’ शामिल थे जिन्होंने यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान में पूरे हुए चिन्ह को कभी नहीं समझा।d
१४. यीशु के शिष्यों ने उसे सदूकियों और फरीसियों को कैसे धिक्कारते हुए सुना?
१४ सामान्य युग ३२ की फसह के बाद, जब यीशु और उसके शिष्य गलील के मगादान क्षेत्र में आए, तब सदूकियों और फरीसियों ने फिर यीशु से एक चिन्ह माँगा। उसने उनसे दोबारा कहा: “दुष्ट और व्यभिचारिणी पीढ़ी चिह्न ढूंढ़ती है, परन्तु योना के चिह्न को छोड़ उसे अन्य कोई चिह्न न दिया जाएगा।” (मत्ती १६:१-४, NHT) ये धार्मिक कपटी वास्तव में इन अविश्वासी “लोगों” के बीच अगुवों के तौर पर सबसे अधिक दोषी थे जिन्हें यीशु ने “दुष्ट पीढ़ी” कहकर धिक्कारा।
१५. रूपान्तरण के बिलकुल पहले और फिर उसके तुरन्त बाद, यीशु और उसके शिष्यों का “इस पीढ़ी” के साथ क्या आमना-सामना हुआ?
१५ गलील में अपनी सेवकाई के अन्त के क़रीब, यीशु ने लोगों को और अपने शिष्यों को अपने पास बुलाया और कहा: ‘जो कोई इस व्यभिचारी और पापी पीढ़ी में मुझ से और मेरे वचनों से लज्जित होता है, मनुष्य का पुत्र भी उस से लजाएगा।’ (मरकुस ८:३४, ३८, NHT) अतः उस समय का पश्चाताप-रहित यहूदी जनसमूह स्पष्टतः यह “व्यभिचारी और पापी पीढ़ी” बना। कुछ दिनों के बाद, यीशु के रूपान्तरण के बाद, यीशु और उसके शिष्य “भीड़ के पास पहुंचे” और एक व्यक्ति ने उससे अपने बेटे को चंगा करने का निवेदन किया। यीशु ने टिप्पणी की: “हे अविश्वासी और हठीली पीढ़ी, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा, और तुम्हारी सहता रहूंगा?”—मत्ती १७:१४-१७, NHT; लूका ९:३७-४१.
१६. (क) यीशु ने यहूदिया में “भीड़” को फिर से कैसे धिक्कारा? (ख) इस “पीढ़ी” ने सबसे दुष्ट अपराध कैसे किया?
१६ संभवतः यहूदिया में, सा.यु. ३२ में मण्डपों के पर्व के बाद जब यीशु के चारों ओर “भीड़ बढ़ती जा रही थी,” उसने यह कहते हुए उन्हें फिर से धिक्कारा: “यह दुष्ट पीढ़ी है, क्योंकि यह चिह्न की खोज में रहती है, फिर भी इसको योना के चिह्न के अतिरिक्त अन्य कोई चिह्न नहीं दिया जाएगा।” (लूका ११:२९, NHT) अंततः, जब धार्मिक अगुवों ने यीशु पर मुक़द्दमा चलाया तब पीलातुस ने उसको मुक्त करने का प्रस्ताव रखा। अभिलेख बताता है: ‘मुख्य याजकों और प्राचीनों ने भीड़ को भड़काया कि वे बरअब्बा को छोड़ने और यीशु को मार ड़ालने की मांग करें। पीलातुस ने उनसे कहा, “फिर मैं यीशु का, जो मसीह कहलाता है, क्या करूं?” उन सब ने कहा, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।” उसने कहा, “क्यों? उसने क्या बुराई की है?” परन्तु वे और भी अधिक चिल्लाकर कहने लगे, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।”’ वह “दुष्ट पीढ़ी” यीशु के खून की माँग कर रही थी!—मत्ती २७:२०-२५, NHT.
१७. “इस कुटिल पीढ़ी” में से कुछ लोगों ने पिन्तेकुस्त के दिन पतरस के प्रचार के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?
१७ इस प्रकार अपने धार्मिक अगुवों द्वारा उकसाई गई एक “अविश्वासी और हठीली पीढ़ी” ने प्रभु यीशु मसीह को मार डालने में एक मुख्य भूमिका निभायी। पचास दिन बाद, पिन्तेकुस्त सा.यु. ३३ में शिष्यों ने पवित्र आत्मा प्राप्त की और अलग-अलग भाषाओं में बोलने लगे। आवाज़ सुनने पर “भीड़ लग गई” और प्रेरित पतरस ने उन्हें “हे यहूदियो, और हे यरूशलेम के सब निवासियो” कहकर सम्बोधित किया, और कहा: “इसी मनुष्य [यीशु] को, . . . तुमने विधर्मियों के हाथों क्रूस पर कीलों से ठुकवा कर मार डाला।” उनमें से कुछ श्रोताओं ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई? “उनके हृदय छिद गए।” तब पतरस ने उनसे मन फिराने का आग्रह किया। “साक्षी दे देकर वह उनसे आग्रह करता रहा कि इस कुटिल पीढ़ी से बचो।” प्रतिक्रिया में, क़रीब तीन हज़ार ने “उसका वचन ग्रहण किया [और] उन्होंने बपतिस्मा लिया।”—प्रेरितों २:६, १४, २३, ३७, ४०, ४१, NHT.
“यह पीढ़ी” पहचानी गई
१८. यीशु का “यह पीढ़ी” पद का प्रयोग हमेशा किसे सूचित करता है?
१८ तो फिर, वह “पीढ़ी” क्या है जिसका यीशु ने अपने शिष्यों की उपस्थिति में इतनी बार ज़िक्र किया? उन्होंने उसके शब्दों से क्या समझा: “जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी”? निश्चय ही, यीशु “यह पीढ़ी” पद के अपने स्थापित प्रयोग को बदल नहीं रहा था, जिसका प्रयोग उसने हमेशा समकालीन जनसमूह सहित उनके ‘अन्धे मार्ग दिखानेवालों’ के लिए किया, जिन सब से मिलकर यहूदी जाति बनी। (मत्ती १५:१४) इस “पीढ़ी” ने यीशु द्वारा पूर्वबताई गई सभी विपत्तियों का अनुभव किया और उसके बाद यरूशलेम पर आए अतुलनीय “भारी क्लेश” में वह नाश हो गई।—मत्ती २४:२१, ३४.
१९. यहूदी व्यवस्था के “आकाश और पृथ्वी” कब और कैसे नष्ट हुए?
१९ पहली शताब्दी में, यहोवा यहूदी लोगों का न्याय कर रहा था। पश्चातापी लोग, जो मसीह द्वारा यहोवा के करुणामय प्रबंध में विश्वास करने लगे, उस “भारी क्लेश” से बचाए गए। ठीक जैसे यीशु ने पूर्वबताया था, पूर्वबतायी गई सब बातें पूरी हुईं, और फिर यहूदी रीति-व्यवस्था के “आकाश और पृथ्वी”—उसके धार्मिक अगुवे और लोगों का दुष्ट समाज सहित पूरी जाति—नष्ट हो गए। यहोवा ने न्याय कार्यान्वित किया था!—मत्ती २४:३५. २ पतरस ३:७ से तुलना कीजिए।
२०. कौन-सी सामयिक सलाह सभी मसीहियों पर अत्यावश्यकता से लागू होती है?
२० जिन यहूदियों ने यीशु के भविष्यसूचक शब्दों पर ध्यान दिया था उनकी समझ में आया कि उनका उद्धार एक “पीढ़ी” की लंबाई नापने या “समयों और कालों” की किसी तिथि का अनुमान लगाने की कोशिश करने पर नहीं, परन्तु दुष्ट समकालीन पीढ़ी से अलग रहने और उत्साहपूर्वक परमेश्वर की इच्छा पूरी करने पर निर्भर था। हालाँकि यीशु की भविष्यवाणी के आख़िरी शब्द हमारे दिनों की मुख्य पूर्ति पर लागू होते हैं, पहली-शताब्दी के यहूदी मसीहियों को भी यह सलाह माननी थी: “इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो।”—लूका २१:३२-३६; प्रेरितों १:६-८.
२१. नज़दीकी भविष्य में किस आकस्मिक घटना की हम अपेक्षा कर सकते हैं?
२१ आज, “यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।” (सपन्याह १:१४-१८; यशायाह १३:९, १३) अचानक, यहोवा के अपने पूर्वनिर्धारित ‘दिन और घड़ी’ में, उसका क्रोध संसार के धार्मिक, राजनैतिक, और व्यावसायिक तत्वों पर, साथ ही उन पथभ्रष्ट लोगों पर प्रकट होगा जिनसे यह समकालीन “दुष्ट और व्यभिचारिणी पीढ़ी” बनी है। (मत्ती १२:३९, NHT; २४:३६; प्रकाशितवाक्य ७:१-३, ९, १४) आप “बड़े क्लेश” से कैसे बचकर निकल सकते हैं? हमारा अगला लेख जवाब देगा और भविष्य की महान आशा के बारे में बताएगा।
[फुटनोट]
a इस भविष्यवाणी की एक विस्तृत रूपरेखा के लिए, कृपया फरवरी १, १९९४ की प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ २४, २५ पर दिया गया चार्ट देखिए।
b सालों के “सप्ताह” पर अतिरिक्त जानकारी के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १३०-२ देखिए।
c कुछ बाइबल मत्ती २४:३४ के ही गेनीया हाउटे को इस प्रकार अनुवादित करती हैं: “ये लोग” (डब्ल्यू. एफ़. बॆक द्वारा आज की भाषा में पवित्र बाइबल, अंग्रेज़ी [१९७६]); “यह जाति” (के. एस. वूस्ट द्वारा नया नियम—एक विस्तृत अनुवाद, अंग्रेज़ी [१९६१]); “यह लोग” (डी. एच. स्टर्न द्वारा यहूदी नया नियम, अंग्रेज़ी, [१९७९])।
d इन अविश्वासी “लोगों” की समानता एमहाएरेट्स्, या ‘ज़मीन के लोगों’ से नहीं की जानी चाहिए, जिनके साथ घमण्डी धार्मिक अगुवों ने संगति करने से इनकार किया, लेकिन जिन पर यीशु को “तरस आया।”—मत्ती ९:३६; यूहन्ना ७:४९.
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ दानिय्येल ९:२४-२७ की पूर्ति से हम क्या सीखते हैं?
◻ “इस पीढ़ी” को, जैसे बाइबल में इस्तेमाल किया गया है, सामयिक शब्दकोश कैसे परिभाषित करते हैं?
◻ “पीढ़ी” पद को यीशु ने हमेशा कैसे प्रयोग किया?
◻ मत्ती २४:३४, ३५ पहली शताब्दी में कैसे पूरा हुआ?
[पेज 12 पर तसवीरें]
यीशु ने “इस पीढ़ी” की तुलना उपद्रवी बच्चों की भीड़ से की
[पेज 15 पर तसवीरें]
दुष्ट यहूदी व्यवस्था पर न्याय कार्यान्वित करने की घड़ी केवल यहोवा ही पहले से जानता था