मेरी आजीवन की आशा कभी न मरना
हैक्टर आर. प्रीस्ट द्वारा बताया गया
“कैंसर असाध्य है,” डॉक्टर ने कहा। “हम आपके लिए और कुछ नहीं कर सकते।” वह जाँच दस वर्ष पहले की गई थी। फिर भी मैं बिना कभी मरे पृथ्वी पर अनन्त काल तक जीने की बाइबल-आधारित आशा अब भी रखता हूँ।—यूहन्ना ११:२६.
मेरे माता-पिता निष्कपट मैथोडिस्ट थे जो नियमित रूप से एक छोटे-से देहाती क़स्बे के गिरजे में जाते थे जो हमारे पारिवारिक फ़ार्म से ज़्यादा दूर नहीं था। मेरा जन्म वाईरॉरॉपा की ख़ूबसूरत कृषि घाटी में हुआ था, जो न्यू ज़ीलैंड, वैलिंगटन से लगभग १३० किलोमीटर उत्तरपूर्व में है। वहाँ हमने बर्फ़ीली चोटियोंवाले पहाड़ों, स्वच्छ पर्वत नदियों, लहरदार पहाड़ियों, और उपजाऊ मैदानों के दृश्य का आनन्द लिया।
मैथोडिस्ट चर्च में हमें सिखाया गया था कि सभी अच्छे लोग स्वर्ग में जाते हैं लेकिन बुरे नरक में, जो एक अग्निमय यातना का स्थान है। मैं समझ नहीं पाया कि यदि परमेश्वर चाहता था कि मनुष्य स्वर्ग में रहे तो उसने उनको वहीं रखकर शुरूआत क्यों नहीं करने दी। मैं हमेशा मृत्यु से डरता था और अकसर सोचता था कि हमें क्यों मरना पड़ता है। १९२७ में, जब मैं १६ साल का था, हमारे परिवार ने एक दुःखद घटना सही। यही वह बात है जिसने मुझे मेरे सवालों के जवाबों को पाने की खोज में लगा दिया।
रॆज क्यों मरा?
जब मेरा भाई रॆज ११ साल का था, तो वह गंभीर रूप से बीमार हो गया। डॉक्टर यह निर्धारित नहीं कर सके कि बात क्या है और उसकी मदद नहीं कर सकते थे। माँ ने मैथोडिस्ट सेवक को बुलाया। उसने रॆज के लिए प्रार्थना की, लेकिन यह माँ को सांत्वना नहीं दे सका। दरअसल, उन्होंने सेवक से कहा की उसकी प्रार्थनाएँ निष्प्रभाव थीं।
जब रॆज की मृत्यु हुई तो, क्यों उसके छोटे-से बेटे को मरना पड़ा इसके सम्बन्ध में सच्चे जवाब पाने की अपनी प्यास को बुझाने की कोशिश में माँ किसी भी व्यक्ति से और हरेक से बात करतीं। क़स्बे में एक व्यवसायी से बात करते समय, उन्होनें पूछा कि क्या वह मरे हुओं की स्थिति के बारे में कुछ जानता है। उसे कुछ मालूम नहीं था, लेकिन उसने कहा: “किसी ने यहाँ एक पुस्तक छोड़ी है जो आप ले सकती हैं।”
माँ पुस्तक घर ले गईं और उसे पढ़ने लगीं। वो उसे नीचे नहीं रख पायीं। धीरे-धीरे उनकी सम्पूर्ण मनोवृत्ति बदल गई। उन्होंने परिवार को बताया, “यही है; यही सच्चाई है।” यह पुस्तक शास्त्र में अध्ययन का पहला खण्ड, युगों के लिए ईश्वरीय योजना (अंग्रेज़ी) थी। पहले-पहल तो मैं संदेही था और परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में उस पुस्तक के प्रस्तुतिकरण के खिलाफ़ बहस करने की कोशिश की। आख़िरकार मेरा बहस करना बंद हो गया।
बाइबल सच्चाई को अपनाना
मैंने सोचा, ‘हमेशा जीवित रहने की कल्पना कीजिए, कभी मरने की ज़रूरत नहीं!’ एक प्रेमी परमेश्वर से, एक व्यक्ति ऐसी ही आशा की उम्मीद कर सकता है। एक परादीस पृथ्वी! जी हाँ, यह मेरे लिए थी।
इन अद्भुत सच्चाइयों को सीखने के बाद, माँ और वैलिंगटन की तीन मसीही बहनें—बहन थौम्पसन, बारटन और जोन्स—एक ही दफ़ा कई दिनों तक बाहर रहतीं, अपने क्षेत्रों में राज्य के बीज को दूर-दूर तक फैलातीं। हालाँकि पिताजी में माँ की तरह मिशनरी आत्मा नहीं थी, तौभी उन्होंने उनकी गतिविधियों में उनको सहायता दी।
मैं सच्चाई से क़ायल तो था, लेकिन कुछ समय तक मैंने अपने विश्वासों के लिए बहुत थोड़ा किया। १९३५ में मैंने रोईना कोरलॆट से विवाह किया, और कुछ समय बाद हमें एक बेटी, ईनेड, और एक बेटे, बैरी की आशीष मिली। मैंने एक मवेशी ख़रीदार के तौर पर काम किया, आस-पास के किसानों से हज़ारों मवेशी ख़रीदता। और जब ये किसान राजनीति पर चर्चा करते, तो मैं इस बात को बताने में ख़ुशी महसूस करता जब मैं उन्हें बताता: “मनुष्यों के इनमें से कोई भी प्रयास सफल नहीं होंगे। परमेश्वर का राज्य ही ऐसी एकमात्र सरकार है जो काम करेगी।”
दुःख की बात है कि मुझे तम्बाकू की लत लग गयी; मेरे मुहँ में हमेशा सिगार रहता था। समय के साथ मेरी सेहत बिगड़ने लगी, और मुझे दर्दनाक़ पेट की समस्याओं के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुझे बताया गया कि मेरे धुम्रपान की वजह से मुझे तीव्र जठरांत्र-शोथ उत्पन्न हुआ था। हालाँकि मैंने यह आदत छोड़ दी, यह सपना देखना कोई असमान्य बात नहीं थी कि मैं एक कभी न ख़त्म होनेवाला सिगार या सिगरेट पी रहा था। तम्बाकू क्या ही ख़तरनाक लत बन सकता है!
तम्बाकू छोड़ने के बाद, मैंने दूसरे महत्त्वपूर्ण समंजन किए। १९३९ में, जब मैं २८ साल का था, मेरा बपतिस्मा देश में हमारे घर के पास की मॉन्गटाई नदी में हुआ। रॉबर्ट लेज़ॆनबी ने, जिनके पास बाद में न्यू ज़ीलैंड के प्रचार कार्य के निरीक्षण का काम था, दूर वैलिंगटन से हमारे घर में भाषण देने और मुझे बपतिस्मा देने के लिए यात्रा की थी। उस समय से, मैं यहोवा का एक निर्भीक साक्षी बन गया।
प्रचार कार्य सुव्यवस्थित करना
मेरे बपतिस्मे के बाद मुझे एकेतॉहूना कलीसिया का ओवरसियर नियुक्त किया गया। मेरी पत्नी, रोईना ने अभी तक बाइबल सच्चाई को नहीं अपनाया था। लेकिन, मैंने उसे जानने दिया कि यह दिखाने के लिए कि घर-घर गवाही सही रूप में कैसे दी जाती है, मैं आल्फ़ ब्रिएन्ट को पाहीऑटूआ से आमंत्रित करनेवाला था। मैं प्रचार कार्य को सुव्यवस्थित करना और अपने क्षेत्र को क्रमानुसार पूरा करना चाहता था।
रोईना ने कहा: “हैक्टर, अगर तुम घर-घर गवाही देने गए, तो जब तुम लौटोगे मैं यहाँ पर नहीं मिलूगीं। मैं तुम्हें छोड़ कर जा रही हूँ। तुम्हारी ज़िम्मेदारी यहाँ है—घर पर अपने परिवार के साथ।”
मैं नहीं जानता था कि क्या करना चाहिए। हिचकिचाते हुए मैंने कपड़े पहन लिए। ‘मुझे यह करना ही है,’ मैं अपने मन में सोचता रहा। ‘मेरा जीवन इस पर निर्भर करता है, और मेरे परिवार का जीवन भी।’ सो मैंने रोईना को आश्वस्त किया कि मैं उसे किसी भी तरीक़े से ठेस पहुँचाना नहीं चाहता। मैंने उससे कहा कि मैं उसे बेहद प्रेम करता हूँ, लेकिन चूँकि यहोवा का नाम और सर्वसत्ता, साथ ही साथ जीवन शामिल हैं, मुझे इस तरीक़े से प्रचार करना ही था।
आल्फ़ और मैं पहले दरवाज़े पर गए, और बात करने में उसने पहल की। लेकिन तब मैंने ख़ुद को बातचीत में पाया, और गृहस्वामी को यह बताया कि नूह के दिनों में जो हुआ था वह हमारे दिनों में जो हो रहा है उसकी समानता में है और कि अपने उद्धार को निश्चित करने के लिए हमें कुछ करना चाहिए। (मत्ती २४:३७-३९) मैंने कुछ पुस्तिकाएँ वहाँ छोड़ीं।
हमारे वापस जाते समय, आल्फ़ ने कहा: “तुम्हें इतना ज्ञान कहाँ से मिला? तुम्हें मेरी ज़रूरत नहीं है। तुम अकेले जाओ, और हम दुगना क्षेत्र पूरा करेंगे।” सो हमने यही किया भी।
जब हम वापस घर जाने लगे, मैं नहीं जानता था कि हमें क्या देखने को मिलेगा। मेरे आश्चर्य और ख़ुशी का ठिकाना न रहा, रोईना ने हमारे लिए एक-एक प्याला चाय तैयार की थी। एक पखवाड़े बाद मेरी पत्नी सार्वजनिक सेवकाई में मेरे साथ शामिल हुई और मसीही उत्साह का बेहतरीन उदाहरण बनी।
हमारी कृषि घाटी में सबसे पहले यहोवा के साक्षी बननेवालों में से मोड मैनसर, उनका बेटा विलियम, और उनकी बेटी रूबी थे। मोड का पति बाहर से कठोर दिखनेवाला एक रूखा व्यक्ति था। एक दिन रोईना और मैं, मौड को सेवकाई में ले जाने के लिए उनके फ़ार्म पर आए। युवा विलियम ने हमारे इस्तेमाल के लिए अपनी कार का प्रबन्ध किया था, लेकिन उसके पिता के कुछ और ही विचार थे।
परिस्थिति गंभीर थी। मैंने रोईना को हमारी बच्ची, बेटी ईनेड को पकड़ने के लिए कहा। मैं विलियम की कार में बैठा और तेज़ी से कार गराज के बाहर लाया जबकि श्रीमान मैनसर ने, इससे पहले कि हम बाहर आ सकें, जल्दी से गराज का दरवाज़ा बन्द करने की कोशिश की। लेकिन वो असफल रहे। प्रवेश-मार्ग से थोड़ा दूर पहुँचने के बाद, हम रुके और क्रुद्ध श्री. मैनसर से मिलने के लिए कार से उतर पड़े। मैंने उन्हें बताया: “हम क्षेत्र सेवकाई में जा रहे हैं, और श्रीमती मैनसर हमारे साथ आ रही हैं।” मैंने उनसे निवेदन किया, और उनका गुस्सा कुछ-कुछ कम हुआ। उस बात को याद करते हुए, मुझे शायद उस स्थिति से भिन्न तरीक़े से निपटना चाहिए था, लेकिन बाद में वो, हालाँकि ख़ुद एक साक्षी कभी नहीं बने, यहोवा के साक्षियों के प्रति अधिक अनुकूल बन गए।
उन सालों में वहाँ केवल थोड़े-से यहोवा के लोग थे, और हमने उन पूर्ण-समय सेवकों की भेंटों का वाक़ई आनन्द लिया और लाभ उठाया जो हमारे फ़ार्म पर हमारे पास रुकते थे। इन आगंतुकों में एडरेन थोम्पसन और उसकी बहन मॉली शामिल थे, जिनमें से दोनों ही मिशनरियों के लिए गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल की आरम्भिक कक्षाओं में उपस्थित हुए थे और विदेशी नियुक्तियों में जापान और पाकिस्तान में सेवा की थी।
युद्ध काल के अनुभव
सितम्बर १९३९ में, द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ, और अक्तूबर १९४० में, न्यू ज़ीलैंड सरकार ने यहोवा के साक्षियों की गतिविधि पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हमारे बहुत-से मसीही भाइयों को ज़बरदस्ती स्थानीय न्यायालयों में पेश किया गया। कुछ को कारागारों में डाला गया और अपनी पत्नियों और बच्चों से दूर किया गया। जैसे युद्ध चलता रहा, हालाँकि हमारा डेरी फ़ार्म था, मैं सोचने लगा कि क्या मुझे सैन्य सेवा के लिए बुलाया जाएगा। तब यह घोषणा की गई कि सैन्य सेवा के लिए कृषकों को और अपने फ़ार्म को छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
हम दोनों एक महीने में ६० घंटे प्रचार कार्य में देते हुए, रोईना और मैं हमारी मसीही सेवकाई में लगे रहे। इस समय के दौरान, मुझे युवा साक्षियों की मदद करने का विशेषाधिकार मिला जो अपनी मसीही तटस्थता बनाए हुए थे। मैं उनके पक्ष में वैलिंगटन, उत्तरी पामरस्टन, पाहीऑटूआ, और मास्टरटन के न्यायालयों में पेश हुआ। साधारणतया प्रारूप कमेटी में पादरीवर्ग का एक सदस्य होता था, और युद्ध के प्रयास को अमसीही समर्थन देने के लिए उनका परदाफ़ाश करना ख़ुशी की बात थी।—१ यूहन्ना ३:१०-१२.
एक रात जब रोईना और मैं, वॉचटावर का अध्ययन कर रहे थे, हमारे घर पर जासूसों ने छापा मारा। तलाशी लेने पर हमारे घर से बाइबल साहित्य बरामद हुआ। “आप इसकी वजह से जेल जा सकते हैं,” हमें ख़बरदार किया गया। जब जासूस वापस जाने के लिए अपनी कार में बैठे, उन्होंने पाया कि ब्रेक जाम हो गए थे और कार नहीं चलती। विलियम मैनसर ने कार को ठीक करने में मदद की, और वे आदमी हमारे पास फिर कभी नहीं आए।
प्रतिबन्ध के दौरान, हम बाइबल साहित्य अपने फ़ार्म की दूरस्थ जगह में छिपाते। आधी रात में, मैं न्यू ज़ीलैंड शाखा दफ़्तर जाता और अपनी कार को साहित्य से भर लेता। तब मैं उसे घर ले आता और हमारे फ़ार्म की एकान्त जगह में जमा कर देता। एक रात जब मैं शाखा में गुप्त खेप लेने के लिए पहुँचा, तब अचानक सारा इलाका रोशनी से चमक उठा! पुलिस चिल्लायी: “हमने तुम्हें पकड़ लिया!” लेकिन आश्चर्य की बात है, उन्होंने ज़्यादा आपत्ति किए बिना मुझे जाने दिया।
१९४९ में, रोईना और मैंने अपना फ़ार्म बेचा और यह फ़ैसला किया कि हम तब तक पायनियर-कार्य करेंगे जब तक कि हमारे पैसे ख़त्म नहीं होंगे। हम मास्टरटन के एक घर में रहने लगे और मास्टरटन कलीसिया के साथ पायनियर-कार्य किया। दो साल के अन्दर फैदरस्टन कलीसिया स्थापित हो गई, जिसमें २४ सक्रिय प्रकाशक थे, और मैंने प्रिसाइडिंग ओवरसियर के तौर पर सेवा की। बाद में १९५३ में, मैंने न्यू यॉर्क शहर के यांकी स्टेडियम में यहोवा के साक्षियों के आठ-दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए अमरीका की यात्रा के विशेषाधिकार का आनन्द उठाया। रोईना मेरे साथ नहीं जा सकी क्योंकि उसे हमारी बेटी ईनेड की देखभाल करने की ज़रूरत थी, जो कि प्रमस्तिष्कीय फालिज से पीड़ित थी।
जब मैं वापस न्यू ज़ीलैंड आया, मुझे लौकिक नौकरी करनी पड़ी। हम वापस मास्टरटन कलीसिया में चले गए, जहाँ मुझे प्रिसाइडिंग ओवरसियर नियुक्त किया गया था। क़रीब-क़रीब इस समय तक विलियम मैनसर ने मास्टरटन में एक छोटा थिऐटर ख़रीद लिया, और यह वाईरॉरॉपा में पहला राज्यगृह बना। १९५० के दौरान, हमारी कलीसिया ने शानदार आध्यात्मिक और सांख्यिक वृद्धि का आनन्द उठाया। इसलिए, जब सर्किट ओवरसियर आते, तब वो अकसर परिपक्व लोगों को प्रोत्साहित करते कि वे देश के अन्य भागों में जाकर, वहाँ प्रचार कार्य में मदद करें, और अनेक लोगों ने ऐसा ही किया।
हमारा परिवार मास्टरटन में ही रहा, और आगे के दशकों के दौरान, मेरे पास न केवल कलीसिया में अनेक विशेषाधिकार थे, बल्कि मैंने दोनों राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय अधिवेशनों में भी नियुक्तियों का आनन्द उठाया। रोईना ने उत्साहपूर्वक क्षेत्र सेवा में भाग लिया और लगातार दूसरों को भी ऐसा करने में मदद दी।
विश्वास की परीक्षाओं को सहना
जैसा शुरू में उल्लेख किया गया है, १९८५ में, मेरी जाँच में, मुझे असाध्य कैंसर बताया गया। कितना ज़्यादा मेरी वफ़ादार पत्नी, और मैं, अपने बच्चों के साथ, अब जीवित उन लाखों लोगों के बीच होना चाहते थे जो कभी मरेंगे नहीं! लेकिन डॉक्टरों ने मुझे मरने के लिए घर भेज दिया। हालाँकि पहले तो उन्होंने मुझसे पूछा कि जाँच को मैंने किस दृष्टिकोण से देखा।
“मैं शान्त मन रखनेवाला हूँ और आशावादी रहूँगा,” मैंने जवाब दिया। सचमुच, बाइबल नीतिवचन मेरी स्थिरता का कारण बन गया था: “शान्त मन, तन का जीवन है।”—नीतिवचन १४:३०.
उन कैंसर विशेषज्ञों ने इस बाइबल की सलाह की प्रशंसा की। “ऐसा मानसिक दृष्टिकोण रखना कैंसर मरीज़ों के लिए ९० प्रतिशत इलाज है,” उन्होंने कहा। उन्होंने सात सप्ताहों के विकिरण उपचार की भी सिफ़ारिश की। ख़ुशी की बात है कि मैं आख़िरकार कैंसर से लड़ने में क़ामयाब हुआ।
इस अति कठिन समय के दौरान, मुझे एक गहरा आधात लगा। मेरी सुन्दर, वफ़ादार पत्नी एक मस्तिष्क रक्तस्राव से पीड़ित होकर मर गई। मैंने शास्त्र में अभिलिखित विश्वासी जनों के उदाहरणों से और इसमें कि कैसे यहोवा ने उनकी समस्याओं को दूर किया था जैसे-जैसे उन्होंने अपनी खराई को बनाए रखा, सांत्वना पाई। इस प्रकार, नए संसार में मेरी आशा उज्जवल रही।—रोमियों १५:४.
फिर भी, मैं हताश हो गया और एक प्राचीन के तौर पर सेवा समाप्त करना चाहता था। स्थानीय भाइयों ने मुझे तब तक प्रोत्साहित किया जब तक कि मुझमें फिर से बढ़ते रहने की शक्ति न आ गई। परिणामस्वरूप, मैं एक मसीही प्राचीन और ओवरसियर के तौर पर पिछले ५७ सालों से लागातार सेवा करते रहने में समर्थ रहा हूँ।
विश्वास के साथ भविष्य का सामना करना
इन सभी सालों में यहोवा की सेवा करना एक बेशक़ीमती विशेषाधिकार रहा है। कितनी ही आशीषें मुझे मिली हैं! यह बहुत पहले की बात नहीं लगती जब एक १६ वर्षीय के तौर पर मैंने अपनी माँ को यह कहते हुए सुना: “यही है; यही सच्चाई है!” मेरी माँ १९७९ में अपनी मृत्यु के समय तक एक विश्वासी, उत्साही साक्षी रहीं, जब उनकी आयु १०० साल से भी ज़्यादा थीं। उनकी बेटी और छः बेटे भी वफ़ादार साक्षी बन गए।
मेरी ज्वलन्त इच्छा है कि यहोवा के नाम को सारी निन्दा से मुक्त होते हुए देखने के लिए जीवित रहूँ। क्या कभी न मरने की मेरी आशा पूरी होगी? सचमुच इसे देखना बाक़ी है। लेकिन, मुझे विश्वास है कि लाखों उस आशीष का आख़िरकार अनुभव करेंगे। सो जब तक मैं जीवित रहता हूँ, मैं उन लोगों में गिने जाने की प्रत्याशा को संजोता हूँ जो कभी नहीं मरेंगे।—यूहन्ना ११:२६.
[पेज 28 पर तसवीरें]
मेरी माँ
[पेज 28 पर तसवीर]
मेरी पत्नी और बच्चों के साथ