यीशु के बारे में सच्चाई
ऐसा लगता है कि इस बात के बारे में कि यीशु कौन था और उसने क्या-क्या किया, कहानियों और अनुमानों का कोई अन्त नहीं है। लेकिन स्वयं बाइबल के बारे में क्या? यह यीशु मसीह के बारे में हमें क्या बताती है?
बाइबल क्या कहती है
बाइबल को ध्यान से पढ़ते वक़्त, आप इन मुख्य तथ्यों को नोट करेंगे:
◻ यीशु परमेश्वर का एकलौता पुत्र है, सारी सृष्टि में पहिलौठा।—यूहन्ना ३:१६; कुलुस्सियों १:१५.
◻ कुछ दो सहस्राब्दियों पहले, परमेश्वर ने यीशु के जीवन को यहूदी कुँवारी मरियम के गर्भ में एक मनुष्य के तौर पर जन्म लेने के लिए स्थानांतरित किया।—मत्ती १:१८; यूहन्ना १:१४.
◻ यीशु मसीह मात्र एक अच्छे मनुष्य से कहीं ज़्यादा था। वह हर तरह से अपने पिता, यहोवा परमेश्वर के सुन्दर व्यक्तित्व का विश्वासयोग्य प्रतिबिम्ब था।—यूहन्ना १४:९, १०; इब्रानियों १:३.
◻ अपनी पार्थिव सेवकाई के दौरान, यीशु ने प्रेमपूर्वक उत्पीड़ितों की ज़रूरतों को पूरा किया। उसने चमत्कारिक रूप से बीमारों को चंगा किया और मृतकों को भी जीवित किया।—मत्ती ११:४-६; यूहन्ना ११:५-४५.
◻ यीशु ने दुःखी मानवजाति के लिए एकमात्र आशा के रूप में परमेश्वर के राज्य की घोषणा की, और उसने इस प्रचार कार्य को जारी रखने के लिए अपने चेलों को प्रशिक्षित किया।—मत्ती ४:१७; १०:५-७; २८:१९, २०.
◻ निसान १४ (अप्रैल १ के लगभग) सा.यु. ३३ के दिन यीशु को पकड़ा गया, उस पर मुक़दमा चलाया गया, दण्ड सुनाया गया, और राजद्रोह का झूठा आरोप लगाकर मार डाला गया।—मत्ती २६:१८-२०, मत्ती २६:४८–२७:५०.
◻ यीशु की मृत्यु एक छुड़ौती का काम करती है, विश्वास करनेवाली मानवजाति को उनकी पापमय दशा से छुटकारा दिलाती है और इस प्रकार उन सभी के लिए अनन्त जीवन का मार्ग खोल देती है जो उसमें विश्वास जताते हैं।—रोमियों ३:२३, २४; १ यूहन्ना २:२.
◻ निसान १६ के दिन, यीशु पुनरुत्थित हुआ, और उसके थोड़ी देर बाद उसे अपने पिता को अपने परिपूर्ण मानव जीवन की छुड़ौती का मूल्य अदा करने के लिए स्वर्ग में वापस उठा लिया गया।—मरकुस १६:१-८; लूका २४:५०-५३; प्रेरितों १:६-९.
◻ यहोवा के नियुक्त राजा के तौर पर, पुनरुत्थित यीशु के पास मनुष्य के लिए परमेश्वर के मूल उद्देश्य को पूरा करने का सम्पूर्ण अधिकार है।—यशायाह ९:६, ७; लूका १:३२, ३३.
इस प्रकार, बाइबल यीशु को परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करनेवाले मुख्य पात्र के रूप में प्रस्तुत करती है। लेकिन आप कैसे निश्चित हो सकते हैं कि यही यीशु असली यीशु है—इतिहास का यीशु, जो बेतलहम में पैदा हुआ और कुछ २,००० वर्षों पहले पृथ्वी पर चला-फिरा?
भरोसे के लिए आधार
मात्र पूर्वधारणा के बिना एक मन के साथ मसीही यूनानी शास्त्र पढ़ने के द्वारा अनेक संदेह दूर किए जा सकते हैं। ऐसा करने पर, आप पाएँगे कि बाइबल वृत्तान्त घटनाओं का एक व्यर्थ वृत्तान्त नहीं है, जैसा कि कल्प-कथाओं के मामले में होता है। इसके बजाय, नामों, निश्चित समयों, और सुनिश्चित स्थानों को लिखा गया है। (उदाहरण के लिए, लूका ३:१, २ देखिए।) इसके अलावा, यीशु के चेलों को असाधारण ईमानदारी के साथ चित्रित किया गया है, ऐसी निष्कपटता के साथ जो पाठक में भरोसा पैदा करती है। एक विश्वासयोग्य अभिलेख की रचना करने के हित में लेखकों ने किसी व्यक्ति पर पुताई नहीं फेरी—यहाँ तक कि ख़ुद पर भी नहीं। जी हाँ, आप देखेंगे कि बाइबल में सच्चाई की खनक है।—मत्ती १४:२८-३१; १६:२१-२३; २६:५६, ६९-७५; मरकुस ९:३३, ३४ गलतियों २:११-१४; २ पतरस १:१६.
फिर भी और बहुत कुछ है। पुरातत्वीय खोजों ने बारंबार बाइबल अभिलेख की पुष्टि की है। उदाहरण के लिए, यदि आप यरूशलेम में इज़राइल संग्राहलय में जाएँ, तो आप एक पत्थर को देख सकते हैं, जिसपर एक शिलालेख है जो पुन्तियुस पीलातुस का नाम बताता है। अन्य पुरातत्वीय खोजें लिसानियास और सिरगियुस पौलुस को, जिनका बाइबल ज़िक्र करती है, प्रारंभिक मसीहियों के काल्पनिक पात्र होने के बजाय वास्तविक व्यक्तियों के रूप में—प्रमाणित करती हैं। मसीही यूनानी शास्त्र (नये नियम) में बताई गई घटनाएँ प्राचीन लेखकों द्वारा दिए गए उद्धरणों में प्रचुर प्रमाणिकता पाती हैं, जिनमें जुवॆनल, टॆसीटस, सिनॆका, सूटोनियस, प्लीनी द यंगर, लूशन, कॆलसस, और यहूदी इतिहासकार जोसिफ़स शामिल हैं।a
मसीही यूनानी शास्त्र में प्रस्तुत किए गए वृत्तान्त प्रथम शताब्दी में जी रहे हज़ारों लोगों द्वारा बिना किसी सवाल के स्वीकार किए गए थे। यहाँ तक कि मसीहियत के दुश्मनों ने यीशु के बतलाए गए शब्दों और कार्यों की सच्चाई से इनकार नहीं किया। जहाँ तक इस बात की संभावना का सवाल है कि यीशु के किरदार में, उसकी मृत्यु के बाद उसके चेलों द्वारा चार-चाँद लगाए गए थे, प्रॉफ़ॆसर एफ़. एफ़. ब्रूस टिप्पणी करता है: “उन प्रारंभिक वर्षों में यीशु के शब्दों और कार्यों का आविष्कार करना, यह किसी भी तरह से इतना आसान नहीं हो सकता था जितना कि कुछ लेखक शायद सोचते हैं, उस वक़्त उसके अनेकों चेले मौजूद थे, जो याद कर सकते थे कि क्या हुआ था और क्या नहीं हुआ था। . . . चेले ग़लतियाँ करने का ख़तरा मोल नहीं ले सकते थे (सच्चाई को जानबूझकर बदलने की तो बात ही छोड़िए), जिनका उन लोगों द्वारा तुरन्त परदाफ़ाश किया जाता जो ऐसा करने में बहुत ही ख़ुश होते।”
वे क्यों विश्वास नहीं करते
फिर भी, कुछ विद्वान संदेही बने रहते हैं। जबकि वे मान लेते हैं कि बाइबल अभिलेख काल्पनिक हैं, वे अप्रमाणिक लेखों को उत्सुकता से निखारते हैं और उन्हें प्रमाणिक के तौर पर स्वीकार करते हैं! क्यों? प्रत्यक्ष रूप से, बाइबल अभिलेख में ऐसी बाते हैं जिन्हें आधुनिक बुद्धिजीवी नहीं मानना चाहते।
वर्ष १८७१ में प्रकाशित, अपनी यूनियन बाइबल कम्पैनियन में, एस. ऑस्टिन ऐलबोन ने संदेहवादियों के सामने एक चुनौती प्रस्तुत की। उसने लिखा: “सुसमाचार के इतिहास की सच्चाई पर संदेह करने का दावा करनेवाले किसी भी व्यक्ति से पूछिए कि उसके पास इस बात पर विश्वास करने का क्या कारण है कि कैसर कैपीटॉल में मरा, या कि वर्ष ८०० में, पश्चिम के सम्राट के तौर पर सम्राट शार्लमेन का राज्याभिषेक पोप लियो तृतीय द्वारा किया गया था? . . . इन लोगों के बारे में किए गए . . . सभी दावों को हम मानते हैं; और कारण यह है कि हमारे पास उनकी सच्चाई के ऐतिहासिक प्रमाण हैं। . . . यदि, ऐसे प्रमाण को प्रस्तुत करने के बाद, कोई फिर भी विश्वास करने से इनकार कर देता है, तो हम उन्हें मूर्ख अड़ियल या पूरी तरह से अज्ञानी समझकर छोड़ देते हैं। तब, हम उन लोगों के बारे में क्या कहेंगे जो, पवित्र शास्त्र की प्रामाणिकता पर अब प्रस्तुत किए गए प्रचुर प्रमाण के बावजूद भी, ख़ुद के अप्रतीतित होने का दावा करते हैं? . . . वे ऐसी किसी बात पर विश्वास नहीं करना चाहते जो उनके अहंकार को झुकाती है, और उन्हें एक भिन्न जीवन जीने के लिए मजबूर करेगी।”
जी हाँ, कुछ संदेहियों के मसीही यूनानी शास्त्र को अस्वीकार करने के गुप्त अभिप्राय हैं। जो समस्या उनको है वह इसकी विश्वसनीयता के साथ नहीं बल्कि इसके स्तरों के साथ है। उदाहरण के लिए, यीशु ने अपने अनुयायियों के बारे में कहा: “जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” (यूहन्ना १७:१४) लेकिन, अनेक तथाकथित मसीही इस संसार के राजनीतिक कार्यों में बुरी तरह अन्तर्ग्रस्त हैं, यहाँ तक कि खूनी युद्धों में अन्तर्ग्रस्त रहे हैं। बाइबल स्तरों के अनुसार चलने की बजाय, अनेक लोग यह चाहेंगे कि बाइबल उनके अपने स्तरों के अनुसार चले।
नैतिकता के मामले पर भी ग़ौर कीजिए। यीशु ने थुआतीरा में स्थित कलीसिया को व्यभिचार के अभ्यास को बरदाश्त करने के लिए सख़्त चेतावनी दी। “मनों [“गुरदों,” फुटनोट] और हृदयों को जांचने वाला मैं ही हूं,” उसने उन्हें बताया, “और मैं तुम मे से प्रत्येक को उसके कार्यों के अनुसार प्रतिफल दूंगा।”b (प्रकाशितवाक्य २:१८-२३, NHT) फिर भी, क्या यह सच नहीं है कि मसीही होने का दावा करनेवाले अनेक लोग नैतिक स्तरों को ताक पर रख देते हैं? वे अपनी अनैतिक आचरण-शैली को अस्वीकार करने के बजाय उसे अस्वीकार कर देंगे जो यीशु ने कहा।
बाइबल के यीशु को स्वीकार करने की ओर प्रवृत्त न होते हुए, विद्वानों ने अपनी कल्पना का एक यीशु बना लिया है। वह उस कल्पना गढ़ने के दोषी होते हैं जिसका आरोप वे झूठे तौर पर सुसमाचार लेखकों पर लगाते हैं। वे यीशु के जीवन के उन भागों को पकड़े रहते हैं जिन्हें वे स्वीकार करना चाहते हैं, बाक़ी को अस्वीकार कर देते हैं, और अपने कुछ विवरण जोड़ देते हैं। वास्तव में, उनका घुमक्कड़ साधु या सामाजिक क्रान्तिकारी इतिहास का यीशु नहीं है जिसकी खोज करने का वे दावा करते हैं; इसके बजाय, वह घमण्डी विद्वतापूर्ण कल्पनाओं की मात्र एक कल्पित धारणा है।
असली यीशु को पाना
यीशु ने उन लोगों के हृदयों को जागृत करने का प्रयास किया जो सच्चाई और धार्मिकता के लिए निष्कपटता से लालायित थे। (मत्ती ५:३, ६; १३:१०-१५) ऐसे जन यीशु के इस आमंत्रण के प्रति अनुक्रिया दिखाते हैं: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है।”—मत्ती ११:२८-३०.
असली यीशु आधुनिक विद्वानों द्वारा लिखी गई पुस्तकों में नहीं मिलता है; न ही वह मसीहीजगत के गिरजों में पाया जाता है, जो मानव-निर्मित परम्पराओं की जन्म भूमि बन गए हैं। आप ऐतिहासिक यीशु को बाइबल की अपनी प्रति में पा सकते हैं। क्या आप उसके बारे में और अधिक जानना चाहेंगे? यहोवा के साक्षी आपको ऐसा करने में मदद देने के लिए प्रसन्न होंगे।
[फुटनोट]
a अधिक जानकारी के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का? (अंग्रेज़ी), अध्याय ५, पृष्ठ ५५-७० देखिए।
b बाइबल में, गुरदे कभी-कभी एक व्यक्ति के सबसे गूढ़ विचारों और भावनाओं को सूचित करते हैं।
[पेज 8 पर तसवीर]
आनेवाले पार्थिव परादीस में सबके लिए आनन्द का बोलबाला होगा