एक श्रेष्ठ वस्तु के लिए बहुत कुछ त्याग देना
जूलियस ओवो बॆलो द्वारा बताया गया
बत्तीस वर्षों तक मैं एक आलाडरa था। मेरा विश्वास था कि आस्था-चिकित्सा और प्रार्थनाएँ मेरी सारी समस्याओं को सुलझा देतीं और सारी बीमारियों को दूर कर देतीं। मैंने कभी दवाइयाँ नहीं ख़रीदीं, ना ही दर्द निवारक ख़रीदे। उन वर्षों के दौरान, मेरे परिवार में से किसी को भी कभी-भी अस्पताल में भर्ती नहीं करवाया गया। जब कभी मेरा कोई भी बच्चा बीमार हुआ, मैंने दिन-रात उनके लिए प्रार्थना की जब तक कि वे ठीक नहीं हो गए। मैं मानता था कि परमेश्वर मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा था और मुझे आशिष दे रहा था।
मैं पश्चिमी नाईजीरिया के क़स्बे, आकूरी में सबसे प्रमुख सामाजिक क्लब एग्बॆ जॉली का सदस्य था। मेरे मित्र हमारे क़स्बे में सबसे ज़्यादा धनी और सबसे ज़्यादा शक्तिशाली लोग थे। अकूरी का राजा, डेजी, अकसर मेरे साथ मेरे घर आता था।
मैं एक बहुविवाही भी था और मेरी छः पत्नियाँ और अनेक रखैलियाँ थीं। मेरा धंधा फला-फूला। मेरे लिए सब कुछ बढ़िया चल रहा था। फिर भी, यीशु के मोतियों के दृष्टान्त के उस भ्रमणशील व्यापारी के समान, मैंने एक इतनी बहुमूल्य वस्तु पायी कि मैंने अपनी पाँच पत्नियाँ, मेरी रखैलियाँ, गिरजा, सामाजिक क्लब, और सांसारिक प्रमुखता को इसके बदले में त्याग दिया।—मत्ती १३:४५, ४६.
मैं एक आलाडरा कैसे बना
मैंने पहली बार आलाडराओं के बारे में १९३६ में सुना था, जब मैं १३ साल का था। गेब्रिएल नामक एक मित्र ने मुझे बताया: “यदि आप क्राइस्ट अपोस्टॉलिक चर्च में जाएँ, तो आप परमेश्वर को बोलते हुए सुनेंगे।”
“परमेश्वर कैसे बोलता है?” मैंने उससे पूछा।
उसने कहा: “चलो, ख़ुद ही चलकर देख लो।”
मैं परमेश्वर को सुनने के लिए उत्सुक था। सो उस रात को, मैं गेब्रिएल के साथ गिरजे गया। वह छोटा भवन उपासकों से भरा था। मण्डली जाप करने लगी: “हे लोगों, आओ! यीशु यहीं पर है!”
इस जाप के दौरान, किसी ने पुकारा: “पवित्र आत्मा, नीचे आओ!” एक और व्यक्ति ने घंटी बजाई, और मण्डली ख़ामोश हो गई। उसके बाद, एक महिला उत्तेजित होते हुए, अजीब भाषा में बड़बड़ाने लगी। अचानक वह चिल्लाई: “हे लोगों, परमेश्वर का सन्देश सुनो! परमेश्वर ने यह कहा है: ‘शिकारियों के लिए प्रार्थना करो ताकि वे मनुष्यों को न मारें!’” वातावरण भावुकता से भर गया।
मैंने विश्वास किया कि परमेश्वर उसके माध्यम से बोला था, सो उसके अगले साल मैंने क्राइस्ट ओपोस्टॉलिक चर्च के एक सदस्य के तौर पर बपतिस्मा लिया।
यहोवा के साक्षियों के साथ आरम्भिक सम्पर्क
वर्ष १९५१ में, मैंने आडेडेजी बोबोए नामक एक साक्षी से प्रहरीदुर्ग पत्रिका की एक प्रति स्वीकार की। पत्रिका दिलचस्प थी, सो मैंने उसका अभिदान किया और नियमित रूप से उसको पढ़ा। १९५२ में, मैं आडो ईकीटी में यहोवा के साक्षियों के एक चार-दिवसीय ज़िला अधिवेशन में उपस्थित हुआ।
जो मैंने अधिवेशन में देखा उसने मुझे प्रभावित किया। मैंने एक यहोवा का साक्षी बनने के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार किया लेकिन फिर इसे मन से निकाल दिया। मेरी समस्या यह थी कि उस समय मेरे पास तीन पत्नियाँ और एक रखैल थी। मैंने सोचा कि मैं किसी भी तरीक़े से केवल एक पत्नी के साथ नहीं रह सकता था।
जब मैं आकूरी वापस लौटा, मैंने आडेडेजी को मुझसे भेंट करने के लिए मना किया, और मैंने अपने प्रहरीदुर्ग के अभिदान का नवीनीकरण नहीं किया। मैं अपने गिरजे में अधिक सक्रिय हो गया। मैंने तर्क किया, आख़िरकार जब से मैंने क्राइस्ट अपोस्टॉलिक चर्च में जाना शुरू किया है तब से परमेश्वर ने मुझे आशिष दी है। मैंने तीन पत्नियों से विवाह किया है और कई संतानें उत्पन्न की हैं। मैंने अपना ख़ुद का घर बनाया था। मुझे कभी-भी अस्पताल में भर्ती नहीं करवाया गया था। जब परमेश्वर मेरी प्रार्थनाओं का जवाब देता हुआ मालूम पड़ रहा है, तो मैं अपना धर्म क्यों बदलूँ?
बढ़ती ख्याति के साथ मोहभंग
मैंने गिरजे को बहुत-सा पैसा बतौर चन्दा देना शुरू कर दिया। जल्द ही उन्होंने मुझे गिरजे का प्राचीन बना दिया, एक ऐसी पदवी जिसने मुझे गिरजे के अन्दर के कामों को देखने में समर्थ किया। जो मैंने देखा उसने मुझे परेशान कर दिया। पादरी और “भविष्यवक्ता” पैसे के प्रेमी थे; उनके लालच ने मुझे विस्मित कर दिया।
उदाहरण के लिए, मार्च १९६७ में मेरी अलग-अलग पत्नियों से मेरी तीन संतानें पैदा हुईं। गिरजे में बच्चे का नामकरण करने का समारोह रखने का रिवाज़ था। सो मैं पादरी के पास समारोह की तैयारी के लिए भेंट—मछली, नीम्बू शरबत, सोफ़्ट ड्रिंक—ले गया।
गिरजा धर्म-सेवा के दिन, पादरी ने पूरी कलीसिया के समाने कहा: “इस गिरजे के धनी लोगों ने मुझे अचम्भित कर दिया है। वे नामकरण समारोह चाहते हैं, और जो वे लाते हैं वह है बस सोफ़्ट ड्रिंक और मछली। न माँस! न बकरा! सोचो तो! कैन ने परमेश्वर को बड़े-बड़े कंद-मूल बलिदान चढ़ाए, फिर भी परमेश्वर ने उस बलिदान को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उसमें लहू नहीं था। परमेश्वर लहू-युक्त वस्तुएँ चाहता है। हाबिल एक पशु लाया, और उसका बलिदान स्वीकार किया गया।”
इसके साथ ही, मैं उठा और पैर पटकता हुआ बाहर चला आया। लेकिन, फिर-भी मैं गिरजे में उपस्थित होता था। मैंने ज़्यादा से ज़्यादा समय सामाजिक क्लब में मिलने-जुलने और उसकी सभाओं में उपस्थित होने में बिताया। कभी-कभी मैं राज्यगृह में सभाओं में उपस्थित हुआ, और मैंने प्रहरीदुर्ग के अपने अभिदान का नवीनीकरण करवाया। फिर भी, मैं अभी-भी एक यहोवा का साक्षी बनने के लिए तैयार नहीं था।
यहोवा की सेवा करने का निर्णय
मेरे लिए बदलाव का मोड़ १९६८ में आया। एक दिन मैंने प्रहरीदुर्ग में एक लेख पढ़ा जिसने मलावी में यहोवा के साक्षियों पर की गयी क्रूर सताहट का वर्णन किया। इसने एक १५-वर्षीय लड़की के बारे में बताया जिसे पेड़ से बाँधा गया और छः बार बलात्कार किया गया क्योंकि उसने अपने विश्वास का समझौता करने से इनकार किया था। गहरे आघात से, मैंने पत्रिका छोड़ दी, लेकिन मैं उसके बारे में सोचता रहा। मैंने महसूस किया कि मेरे गिरजे की कोई भी लड़की इस तरह का विश्वास नहीं दिखाती। बाद में उसी शाम, मैंने पत्रिका ली और दोबारा उस पृष्ठ को पढ़ा।
मैंने गंभीरतापूर्वक बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे मेरा ज्ञान बढ़ा, मैंने यह देखना शुरू कर दिया कि गिरजा हमें कितना पथ-भ्रष्ट करता रहा था। जैसा प्राचीन समय में सच था, हमारे पादरी ‘निश्चय ही घोर दुष्कर्म’ कर रहे थे। (होशे ६:९, NHT) ऐसे व्यक्ति उन झूठे भविष्यवक्ताओं में से थे जिनके बारे में यीशु ने चेतावनी दी थी! (मत्ती २४:२४) अब मुझे उनके दर्शनों और शक्तिशाली कार्यों में विश्वास नहीं रहा। मैंने झूठे धर्म से स्वतंत्र होने का और दूसरों को ऐसा करने में मदद देने का निर्णय किया।
मुझे चर्च में रखने के प्रयास
जब गिरजे के प्राचीनों ने देखा कि मैंने गिरजा छोड़ने का निश्चय कर लिया है, तो उन्होंने एक दल को मुझसे बिनती करने के लिए भेजा। वे आमदनी के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत से हाथ धोना नहीं चाहते थे। उन्होंने मुझे आकूरी में क्राइस्ट अपोस्टोलिक गिरजों का समर्थक, बाबा एग्बॆ बनाने का प्रस्ताव रखा।
मैंने उन्हें इनकार कर दिया और उन्हें कारण बताया। “गिरजा हमसे झूठ बोलता रहा है,” मैंने कहा। “वे कहते हैं कि सभी अच्छे लोग स्वर्ग जाएँगे। लेकिन मैंने बाइबल पढ़ी है, और मुझे विश्वास है कि केवल १,४४,००० लोग स्वर्ग जाएँगे। अन्य धर्मी लोग एक परादीस पृथ्वी में रहेंगे।”—मत्ती ५:५; प्रकाशितवाक्य १४:१, ३.
गिरजे के पादरी ने मेरी पत्नियों को मेरे विरुद्ध भड़काने की कोशिश की। उसने उन्हें यहोवा के साक्षियों को हमारे घर आने से रोकने के लिए कहा। मेरी एक पत्नी ने मेरे भोजन में ज़हर मिला दिया। दो ने मुझे उस दर्शन के बारे में चेतावनी दी जो उन्होंने गिरजे में देखा था। दर्शन ने दिखाया कि यदि मैं गिरजा छोड़ देता तो मैं मर जाता। इसके बावजूद, मैं अपनी पत्नियों को साक्षी देता रहा, और उन्हें अपने साथ सभाओं में आने का निमंत्रण देता रहा। “आपको वहाँ अन्य पति मिल जाएँगे,” मैंने कहा। लेकिन, उनमें से किसी ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, और उन्होंने मुझे निरुत्साहित करने की कोशिश जारी रखी।
अन्त में, फरवरी २, १९७० में, जब मैं पड़ोस के एक क़स्बे की यात्रा से वापस घर लौटा, तो मैंने पाया कि घर खाली था। मेरी सभी पत्नियाँ बच्चों को लेकर चली गयी थीं।
एक पत्नी का बने रहना
‘मैं अब अपनी वैवाहिक परिस्थिति सुलझा सकता हूँ,’ मैंने सोचा। मैंने अपनी पहली पत्नी, जैनेट को वापस आने का निमंत्रण दिया। वह राज़ी हो गई। लेकिन, उसके परिवार ने इस बात का कड़ाई से विरोध किया। जब मेरी बाक़ी पत्नियों को मालूम पड़ा कि मैंने जैनेट को वापस आने के लिए कहा, तो वे उसके पिता के घर गईं और उसे पीटने की कोशिश की। तब उसके परिवार ने मुझे एक बैठक के लिए बुलावा भेजा।
वहाँ उस बैठक के लिए लगभग ८० लोग मौजूद थे। जैनेट के चाचा ने, जो परिवार का मुखिया था, कहा: “यदि आप हमारी बेटी से पुनःविवाह करना चाहते हो, तो आपको बाक़ी पत्नियों को भी वापस बुलाना होगा। यदि आप अपने नए धर्म को मानना चाहते हो और एक पत्नी के साथ रहना चाहते हो, तो आप कोई और स्त्री ढूँढ लो। यदि आप जैनेट को वापस ले जाते हैं, तो आपकी बाक़ी पत्नियाँ उसे मार डालेंगी, और हम अपनी बेटी को खोना नहीं चाहते।”
काफ़ी बातचीत के बाद, उस परिवार ने महसूस किया कि मैं केवल एक पत्नी के साथ रहने के लिए दृढ़निश्चयी था। आख़िरकार वे ठण्डे पड़ गए। चाचा ने कहा: “हम आपसे आपकी पत्नी नहीं छीनेंगे। आप उसे अपने साथ ले जा सकते हैं।”
मई २१, १९७० को, जैनेट और मैंने कानूनी रूप से विवाह किया। नौ दिन बाद यहोवा के एक साक्षी के रूप में मेरा बपतिस्मा हुआ। उसी साल दिसम्बर में जैनेट ने भी बपतिस्मा लिया।
यहोवा की आशिषों का आनन्द उठाना
हमारे भूतपूर्व गिरजा सदस्यों ने भविष्यवाणी की थी कि यदि हम साक्षी बने, तो हम मर जाएँगे। यह क़रीब ३० साल पहले की बात है। यदि मैं अब मर भी जाता हूँ, तो क्या यह इसलिए होगा कि मैं एक यहोवा का साक्षी बना? यदि मेरी पत्नी अभी मरती है, क्या कोई कह सकता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह एक यहोवा की साक्षी बनी?
मैंने अपने १७ बच्चों को सच्चाई का मार्ग सिखाने के लिए संघर्ष किया है। हालाँकि जिस वक़्त मैं साक्षी बना उस समय उनमें से कई वयस्क थे, मैंने उन्हें बाइबल का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें सभाओं और अधिवेशनों में ले गया। मुझे ख़ुशी है कि उनमें से पाँच मेरे साथ यहोवा की सेवा कर रहे हैं। उनमें से एक कलीसिया में मेरे साथ प्राचीन के तौर पर सेवा कर रहा है। दूसरा पास की कलीसिया में सहायक सेवक है। मेरे दो बच्चे नियमित पायनियरों के तौर पर सेवा कर रहे हैं।
जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो मुझे अपना सेवक बनने में मदद देने के लिए मैं यहोवा के अपात्र अनुग्रह को देखकर ताज्जुब करता हूँ। कितने ही सच्चे हैं यीशु के ये वचन: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले”!—यूहन्ना ६:४४.
[फुटनोट]
a एक योरुबा शब्द से जिसका अर्थ है “जो प्रार्थना करता है।” यह अफ्रीकी गिरजे के उस सदस्य को सूचित करता है जो आत्मिक चंगाई का अभ्यास करता है।