मसीही युग में ईश्वरशासित प्रबंधन
‘उस ने अपनी सुमति के अनुसार ठान लिया कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।’ —इफिसियों १:९, १०.
१, २. (क) “जो कुछ स्वर्ग में है” उसका एकत्र किया जाना सा.यु. ३३ से शुरू होकर कैसे आगे बढ़ा? (ख) अभिषिक्त मसीहियों ने १९१४ से मूसा और एलिय्याह की आत्मा कैसे प्रदर्शित की है?
“जो कुछ स्वर्ग में है” उसका एकत्र किया जाना सा.यु. ३३ में शुरू हुआ, जब “परमेश्वर के इस्राएल” का जन्म हुआ। (गलतियों ६:१६; यशायाह ४३:१०; १ पतरस २:९, १०) सामान्य युग प्रथम शताब्दी के बाद, उनका एकत्र किया जाना धीमा पड़ गया क्योंकि शैतान के बोए हुए धर्मत्यागी “जंगली दाने” सच्चे मसीहियों (यीशु ने इन्हें “गेहूं” कहा) से जल्दी बढ़ गए। लेकिन जैसे “अन्त समय” निकट आया, सच्चा परमेश्वर का इस्राएल फिर से प्रकट हुआ और १९१९ में उसे यीशु की सारी संपत्ति पर सरदार नियुक्त किया गया।a—मत्ती १३:२४-३०, ३६-४३; २४:४५-४७; दानिय्येल १२:४.
२ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, अभिषिक्त मसीहियों ने शक्तिशाली कार्य किए, जैसे मूसा और एलिय्याह ने किए थे।b (प्रकाशितवाक्य ११:५, ६) वर्ष १९१९ से उन्होंने एक विरोधी संसार में सुसमाचार का प्रचार किया है, और यह कार्य एलिय्याह के जैसे साहस के साथ किया है। (मत्ती २४:९-१४) और १९२२ से उन्होंने मानवजाति पर यहोवा के न्याय घोषित किए हैं, जैसे मूसा प्राचीन मिस्र पर परमेश्वर की विपत्तियाँ लाया था। (प्रकाशितवाक्य १५:१; १६:२-१७) इन अभिषिक्त मसीहियों के शेषजन आज यहोवा के साक्षियों के नए संसार समाज का केंद्र हैं।
एक शासी निकाय हरकत में
३. कौन-सी घटनाएँ दिखाती हैं कि आरंभिक मसीही कलीसिया सुसंगठित थी?
३ शुरू से ही, यीशु के अभिषिक्त अनुयायी संगठित थे। जैसे-जैसे शिष्यों की संख्या बढ़ी, स्थानीय कलीसियाएँ स्थापित की गयीं और प्राचीन नियुक्त किए गए। (तीतुस १:५) सामान्य युग ३३ के बाद, १२ प्रेरितों ने एक आधिकारिक केंद्रीय शासी निकाय के रूप में कार्य किया। इस हैसियत से, उन्होंने गवाही काम में निडर अगुवाई की। (प्रेरितों ४:३३, ३५, ३७; ५:१८, २९) उन्होंने ज़रूरतमंदों के लिए भोजन वितरण की व्यवस्था की, और उन्होंने पतरस और यूहन्ना को सामरिया भेजा कि वहाँ दिलचस्पी दिखानेवालों से भेंट करें, जिसका कि उन्हें समाचार मिला था। (प्रेरितों ६:१-६; ८:६-८, १४-१७) बरनबास उनके पास पौलुस को ले गया, उन्हें इस बात का विश्वास दिलाने के लिए कि यह पहले अत्याचार करनेवाला अब यीशु का अनुयायी बन गया है। (प्रेरितों ९:२७; गलतियों १:१८, १९) और जब पतरस कुरनेलियुस और उसके घराने को प्रचार कर चुका था, वह यरूशलेम लौटा और प्रेरितों तथा यहूदिया के अन्य भाइयों को यह समझाया कि कैसे पवित्र आत्मा ने इस मामले में परमेश्वर की इच्छा का संकेत दिया था।—प्रेरितों ११:१-१८.
४. पतरस की हत्या करने के लिए क्या प्रयास किया गया, लेकिन उसका जीवन कैसे बचा?
४ फिर शासी निकाय पर क्रूर हमला हुआ। पतरस को क़ैद हो गयी, और उसका जीवन स्वर्गदूतीय हस्तक्षेप के कारण ही बचा। (प्रेरितों १२:३-११) अब पहली बार, १२ प्रेरितों के अलावा कोई और व्यक्ति यरूशलेम में एक प्रमुख पद पर आया। जब पतरस क़ैद से रिहा किया गया, तब उसने यूहन्ना मरकुस की माँ के घर में इकट्ठा हुए समूह से कहा: “याकूब [यीशु के सौतेले भाई] और भाइयों को यह बात कह देना।”—प्रेरितों १२:१७.
५. याकूब की शहादत के बाद शासी निकाय की संरचना कैसे बदली?
५ पहले, धोखेबाज़ प्रेरित यहूदा इस्करियोती के आत्महत्या करने के बाद, एक प्रेरित के रूप में “उसका पद” किसी ऐसे को देने की ज़रूरत महसूस की गयी जो यीशु के साथ उसकी सेवकाई के दौरान रहा और जो उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान का साक्षी था। लेकिन, जब यूहन्ना के भाई याकूब की हत्या कर दी गयी, तब किसी ने उन १२ में उसका स्थान नहीं लिया। (प्रेरितों १:२०-२६; १२:१, २) इसके बजाय, शासी निकाय के बारे में अगला शास्त्रीय उल्लेख दिखाता है कि इसे बढ़ा दिया गया था। जब इस पर विवाद उठा कि यीशु का अनुसरण करनेवाले अन्यजातीय व्यक्तियों को मूसा की व्यवस्था के अधीन आना चाहिए या नहीं, तब मामले को फ़ैसले के लिए ‘यरूशलेम में प्रेरितों और प्राचीनों को’ सौंपा गया। (प्रेरितों १५:२, ६, २०, २२, २३; १६:४) प्रत्यक्षतः अब शासी निकाय में ‘प्राचीन’ क्यों थे? बाइबल नहीं बताती, लेकिन एक स्पष्ट लाभ था। याकूब की मृत्यु और पतरस की क़ैद ने दिखाया था कि एक दिन प्रेरित क़ैद किए या मार डाले जा सकते हैं। ऐसी हालत में, अन्य योग्य प्राचीनों की उपस्थिति, जो शासी निकाय की कार्यविधियों में अनुभवी थे, यह निश्चित करती कि आगे भी व्यवस्थित ढंग से निगरानी होती रहे।
६. जब शासी निकाय के आरंभिक सदस्य यरूशलेम में नहीं रहे, तब भी इसने उस नगर में कैसे कार्य जारी रखा?
६ जब पौलुस लगभग सा.यु. वर्ष ५६ में यरूशलेम आया, तब उसने याकूब को रिपोर्ट दी और बाइबल कहती है, “सब प्राचीन इकट्ठे थे।” (प्रेरितों २१:१८) इस सभा में प्रेरितों का कोई उल्लेख क्यों नहीं था? एक बार फिर, बाइबल नहीं बताती। लेकिन इतिहासकार यूसीबियस ने बाद में रिपोर्ट किया कि सा.यु. ६६ से किसी समय पहले, “बाक़ी बचे प्रेरित, हत्या षड्यंत्रों के सतत ख़तरे के कारण, यहूदिया से भागने पर मजबूर हो गए थे। लेकिन अपना संदेश सिखाने के लिए उन्होंने मसीह की शक्ति से हर देश में यात्रा की।” (यूसीबियस, पुस्तक ३, ५, आ. २) यह सच है कि यूसीबियस के शब्द उत्प्रेरित अभिलेख का भाग नहीं हैं, लेकिन वे उस अभिलेख के साथ मेल खाते हैं। उदाहरण के लिए, सा.यु. ६२ तक, पतरस बाबुल में था—यरूशलेम से दूर। (१ पतरस ५:१३) लेकिन, सा.यु. ५६ में, और संभवतः सा.यु. ६६ तक, यरूशलेम में एक शासी निकाय स्पष्ट रूप से सक्रिय था।
आधुनिक समय में प्रबंधन
७. प्रथम शताब्दी के शासी निकाय की तुलना में, आज शासी निकाय की संरचना में कौन-सी उल्लेखनीय भिन्नता है?
७ सामान्य युग ३३ से यरूशलेम पर क्लेश आने तक, प्रत्यक्षतः शासी निकाय में यहूदी मसीही थे। सामान्य युग ५६ में अपनी भेंट के दौरान, पौलुस को पता चला कि यरूशलेम में अनेक यहूदी मसीही, ‘हमारे प्रभु यीशु मसीह का विश्वास’ करने के बावजूद, अभी भी मूसा की “व्यवस्था के लिये धुन लगाए” थे।c (याकूब २:१; प्रेरितों २१:२०-२५) ऐसे यहूदियों को इसकी कल्पना करना शायद कठिन लगा हो कि एक अन्यजातीय व्यक्ति शासी निकाय में हो सकता है। लेकिन, आधुनिक समय में, इस निकाय की संरचना में एक और बदलाव हुआ है। आज, इसके सभी सदस्य अभिषिक्त अन्यजातीय मसीही हैं, और यहोवा ने उनके निगरानी-काम को बड़ी आशिष दी है।—इफिसियों २:११-१५.
८, ९. आधुनिक समय में शासी निकाय में क्या घटनाक्रम रहा है?
८ वर्ष १८८४ में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ़ पॆन्सिलवेनिया के स्थापन से १९७२ तक, सोसाइटी के अध्यक्ष को यहोवा के संगठन में बहुत अधिकार था, जबकि शासी निकाय सोसाइटी की संचालक समिति से निकटता से जुड़ा हुआ था। उन सालों में मिली आशिषें साबित करती हैं कि यहोवा ने उस व्यवस्था को स्वीकार किया। वर्ष १९७२ से १९७५ के बीच, शासी निकाय के सदस्य बढ़ाकर १८ कर दिए गए। जब इस विस्तारित निकाय को और अधिक अधिकार दिया गया तब यह प्रथम-शताब्दी व्यवस्था से और भी मेल खाने लगा। इस निकाय के कुछ सदस्य वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ़ पॆन्सिलवेनिया के संचालक भी हैं।
९ वर्ष १९७५ से अब तक इन १८ व्यक्तियों में से कई अपना पार्थिव जीवन पूरा कर चुके हैं। उन्होंने संसार पर जय पायी है और ‘यीशु के साथ उसके स्वर्गीय सिंहासन पर बैठ’ गए हैं। (प्रकाशितवाक्य ३:२१) इस और अन्य कारणों से, अब शासी निकाय में १० सदस्य हैं, इसमें वह सदस्य भी है जो १९९४ में सम्मिलित किया गया। अधिकतर काफ़ी उम्रदराज़ हैं। लेकिन, इन अभिषिक्त भाइयों को अपने भारी कर्तव्यों को पूरा करने में अच्छा समर्थन दिया जाता है। यह समर्थन कहाँ से मिलता है? परमेश्वर के लोगों के बीच आधुनिक घटनाक्रम पर एक दृष्टि इस प्रश्न का उत्तर देती है।
परमेश्वर के इस्राएल के लिए समर्थन
१०. इन अंतिम दिनों में यहोवा की सेवा में कौन अभिषिक्त जनों के साथ मिल गए हैं, और इसकी भविष्यवाणी कैसे की गयी थी?
१० वर्ष १८८४ में लगभग वे सभी जो परमेश्वर के इस्राएल के साथ जुड़े हुए थे अभिषिक्त मसीही थे। लेकिन, धीरे-धीरे एक और समूह प्रकट होने लगा, और १९३५ में इस समूह की पहचान प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ की “बड़ी भीड़” के रूप में करायी गयी। इनकी पार्थिव आशा के कारण, ये “जो कुछ पृथ्वी पर है” उसको चित्रित करते हैं जिसे यहोवा मसीह में एकत्र करने का उद्देश्य रखता है। (इफिसियों १:१०) वे भेड़शालाओं के बारे में यीशु की नीतिकथा की ‘अन्य भेड़ों’ को चित्रित करते हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW) वर्ष १९३५ से, अन्य भेड़ें यहोवा के संगठन में एकत्र हुई हैं। वे “बादल की नाईं और दर्बाओं की ओर उड़ते हुए कबूतरों की नाईं” आयी हैं। (यशायाह ६०:८) बड़ी भीड़ में बढ़त और जैसे-जैसे अनेक अभिषिक्त जन मृत्यु होने पर अपना पार्थिव जीवन पूरा करते हैं वैसे-वैसे अभिषिक्त वर्ग में घटत के कारण, योग्य अन्य भेड़ें मसीही गतिविधियों में एक बढ़ती भूमिका निभाने लगी हैं। किन तरीक़ों से?
११. कौन-से विशेषाधिकार जो पहले केवल अभिषिक्त मसीहियों के लिए थे, अन्य भेड़ों को दिए गए हैं?
११ यहोवा के गुणों को प्रकट करना हमेशा से परमेश्वर की “पवित्र जाति” की विशेष बाध्यता रहा है। पौलुस ने इसे मंदिर बलिदान कहा, और जो “राजकीय याजकों का समाज” बनते उन्हें यीशु ने प्रचार करने और सिखाने की नियुक्ति दी। (निर्गमन १९:५, ६; १ पतरस २:४, ९, NHT; मत्ती २४:१४; २८:१९, २०; इब्रानियों १३:१५, १६) फिर भी, प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के अगस्त १, १९३२ अंक ने इस गतिविधि में भाग लेने के लिए विशिष्ट रूप से उनको प्रोत्साहित किया जिनको योनादाब ने चित्रित किया। सचमुच, ऐसी अनेक अन्य भेड़ें पहले से ही यह काम कर रही थीं। आज, अन्य भेड़ें लगभग सारा प्रचार कार्य करती हैं जो कि उनका परमेश्वर के “मन्दिर में दिन रात उस की सेवा” करने का प्रमुख भाग है। (प्रकाशितवाक्य ७:१५) उसी प्रकार, यहोवा के लोगों के आधुनिक इतिहास के आरंभिक भाग में, अभिषिक्त मसीही, यीशु मसीह के दाहिने हाथ में “तारे” ही कलीसिया प्राचीन थे। (प्रकाशितवाक्य १:१६, २०) लेकिन प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के मई १, १९३७ अंक ने घोषणा की कि योग्य अन्य भेड़ें कंपनी सर्वॆन्ट (प्रिसाइडिंग ओवरसियर) बन सकती हैं। यदि अभिषिक्त पुरुष उपलब्ध थे, तो भी अन्य भेड़ों को प्रयोग किया जा सकता था यदि अभिषिक्त पुरुष इस ज़िम्मेदारी को उठाने में समर्थ नहीं थे। आज, लगभग सभी कलीसिया प्राचीन अन्य भेड़ों में से हैं।
१२. योग्य अन्य भेड़ों को भारी संगठनात्मक ज़िम्मेदारियाँ मिलने के बारे में कौन-से शास्त्रीय पूर्वोदाहरण हैं?
१२ क्या अन्य भेड़ों को ऐसी भारी ज़िम्मेदारियाँ देना ग़लत है? जी नहीं, इसका ऐतिहासिक पूर्वोदाहरण है। कुछ विजातीय यहूदी-मतधारक (परदेशी) प्राचीन इस्राएल में ऊँचे पदों पर थे। (२ शमूएल २३:३७, ३९; यिर्मयाह ३८:७-९) बाबुलीय निर्वासन के बाद, योग्य नतिनों (ग़ैर-इस्राएली मंदिर सेवकों) को मंदिर सेवा के विशेषाधिकार दिए गए जो पहले केवल लेवियों के लिए थे। (एज्रा ८:१५-२०; नहेमायाह ७:६०) इसके साथ-साथ, मूसा ने, जो रूपांतरण दर्शन में यीशु के साथ दिखायी दिया, मिद्यानी यित्रो की उत्तम सलाह को स्वीकार किया। बाद में, उसने यित्रो के पुत्र होबाब से कहा कि उन्हें वीराने में मार्ग दिखाए।—निर्गमन १८:५, १७-२४; गिनती १०:२९.
१३. योग्य अन्य भेड़ों को नम्रता से ज़िम्मेदारियाँ देने में, अभिषिक्त जनों ने किसकी उत्तम आत्मा की नक़ल की है?
१३ वीराने में ४० सालों के अंत के निकट, मूसा ने यह जानते हुए कि वह प्रतिज्ञात देश में नहीं जाएगा प्रार्थना की कि यहोवा एक उत्तराधिकारी प्रदान करे। (गिनती २७:१५-१७) यहोवा ने उससे कहा कि सब लोगों के सामने यहोशू को नियुक्त करे, और मूसा ने ऐसा किया, जबकि वह अभी भी शारीरिक रूप से बलवान् था और उसने तुरंत इस्राएल की सेवा करना नहीं छोड़ा। (व्यवस्थाविवरण ३:२८; ३४:५-७, ९) वैसी ही नम्र आत्मा के साथ, अभिषिक्त जन अन्य भेड़ों में से योग्य पुरुषों को पहले ही और अधिक विशेषाधिकार दे रहे हैं।
१४. कौन-सी भविष्यवाणियाँ संगठन में अन्य भेड़ों की बढ़ती भूमिका की ओर संकेत करती हैं?
१४ संगठन में अन्य भेड़ों की बढ़ती भूमिका भविष्यवाणी का विषय भी है। जकर्याह ने पूर्वबताया कि ग़ैर-इस्राएली पलिश्ती “यहूदा में अधिपति सा” होगा। (जकर्याह ९:६, ७) अधिपति गोत्रों के सरदार थे, सो जकर्याह कह रहा था कि इस्राएल का पिछला शत्रु सच्ची उपासना अपनाएगा और प्रतिज्ञात देश में एक गोत्र के सरदार के समान होगा। इसके अलावा, परमेश्वर के इस्राएल को संबोधित करते हुए, यहोवा ने कहा: “परदेशी आ खड़े होंगे और तुम्हारी भेड़-बकरियों को चराएंगे और विदेशी लोग तुम्हारे हरवाहे और दाख की बारी के माली होंगे; पर तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे।” (यशायाह ६१:५, ६) “परदेशी” और “विदेशी” अन्य भेड़ें हैं। इन्हें ज़िम्मेदारियाँ दी गयी हैं ताकि अधिकाधिक काम संभालें जैसे-जैसे बूढ़े होते अभिषिक्त शेषजन अपना पार्थिव जीवन पूरा करते और ‘यहोवा के स्वर्गीय याजकों’ के रूप में पूरी तरह सेवा करने जाते हैं, और वहाँ ‘हमारे परमेश्वर के सेवकों’ के रूप में यहोवा के प्रतापी सिंहासन के चारों ओर रहते हैं।—१ कुरिन्थियों १५:५०-५७; प्रकाशितवाक्य ४:४, ९-११; ५:९, १०.
“आनेवाली पीढ़ी”
१५. इस अंत के समय में, मसीहियों का कौन-सा समूह “बूढ़ा” हो गया है, और कौन-सा समूह “आनेवाली पीढ़ी” को चित्रित करता है?
१५ अभिषिक्त शेषवर्ग अन्य भेड़ों को अधिक ज़िम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षण देने को उत्सुक रहा है। भजन ७१:१८ कहता है: “हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं, और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आनेवाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होनेवालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं।” इस आयत पर टिप्पणी करते हुए, दिसंबर १५, १९४८ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने बताया कि अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया निश्चित ही बुढ़ापे में पहुँच गयी है। उसने आगे कहा कि अभिषिक्त जन ख़ुशी-ख़ुशी “बाइबल भविष्यवाणी के प्रकाश में आगे की ओर देखते हैं और उन्हें एक नयी पीढ़ी दिखायी देती है।” यह ख़ासकर किसकी ओर संकेत कर रहा है? प्रहरीदुर्ग ने कहा: “यीशु ने उन्हें अपनी ‘अन्य भेड़ें’ कहा।” “आनेवाली पीढ़ी” उन मनुष्यों को सूचित करती है जो स्वर्ग के राज्य द्वारा संचालित नए पार्थिव प्रबंधन के अधीन रहेंगे।
१६. “आनेवाली पीढ़ी” के लोग कौन-सी आशिषों की उत्सुकता से प्रत्याशा करते हैं?
१६ बाइबल स्पष्ट रूप से नहीं बताती कि कब सब अभिषिक्त मसीही इस “आनेवाली पीढ़ी” के अपने भाइयों को छोड़कर यीशु मसीह के साथ महिमा प्राप्त करने जाएँगे। लेकिन ये अभिषिक्त जन विश्वस्त हैं कि इसका समय आ रहा है। “अन्त समय” के बारे में यीशु की महान भविष्यवाणी में पूर्वबतायी गयी घटनाएँ १९१४ से पूरी हो रही हैं, जो यह दिखाती हैं कि इस संसार का विनाश निकट है। (दानिय्येल १२:४; मत्ती २४:३-१४; मरकुस १३:४-२०; लूका २१:७-२४) जल्द ही, यहोवा एक नया संसार लाएगा जिसमें “आनेवाली पीढ़ी” ‘उस राज्य [के पार्थिव क्षेत्र] की अधिकारी होगी, जो जगत के आदि से उनके लिये तैयार किया गया है।’ (मत्ती २५:३४) वे उत्सुकता से परादीस की पुनःस्थापना और अधोलोक (हेडीस्) से करोड़ों मृतजनों के जिलाए जाने की प्रत्याशा करते हैं। (प्रकाशितवाक्य २०:१३) क्या इन पुनरुत्थित जनों का स्वागत करने के लिए अभिषिक्त जन रहेंगे? वर्ष १९२५ में, मई १ प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने कहा: “हमें मनमाने ढंग से नहीं कहना चाहिए कि परमेश्वर क्या करेगा या क्या नहीं करेगा। . . . [लेकिन] हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि चर्च के सदस्य [अभिषिक्त मसीही] प्राचीन योग्य जनों [वफ़ादार मसीही-पूर्व साक्षियों] के पुनरुत्थान से पहले महिमा प्राप्त करेंगे।” इसी प्रकार इस पर चर्चा करते समय कि क्या कुछ अभिषिक्त जन पुनरुत्थित जनों का स्वागत करने के लिए रहेंगे, मई १, १९९० की प्रहरीदुर्ग ने कहा: “इसकी कोई ज़रूरत न होगी।”d
१७. एक समूह के रूप में, अभिषिक्त जन सिंहासनारूढ़ राजा, यीशु मसीह के साथ कौन-से अद्भुत विशेषाधिकारों के भागी होंगे?
१७ सच है, हम नहीं जानते कि हर अभिषिक्त मसीही के किस्से में क्या होगा। लेकिन रूपांतरण दर्शन में यीशु के साथ मूसा और एलिय्याह की उपस्थिति सूचित करती है कि जब यीशु महिमा में अपना न्याय सुनाने और चुकाने, “हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल” देने आता है, तब यह अपेक्षा की जाती है कि पुनरुत्थित अभिषिक्त मसीही उसके साथ होंगे। इसके अलावा, हम यीशु की प्रतिज्ञा को याद करते हैं कि जो अभिषिक्त मसीही “जय” पाते हैं वे उसके साथ अरमगिदोन में ‘लोहे का राजदण्ड लिए हुए जातियों पर राज्य करेंगे।’ जब यीशु महिमा में आता है, तब वे उसके साथ बैठकर “इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करेंगे।” यीशु के साथ, वे ‘शैतान को अपने पांवों से कुचल देंगे।’—मत्ती १६:२७-१७:९; १९:२८; प्रकाशितवाक्य २:२६, २७; १६:१४, १६; रोमियों १६:२०; उत्पत्ति ३:१५; भजन २:९; २ थिस्सलुनीकियों १:९, १०.
१८. (क) ‘जो कुछ स्वर्ग में है उसे मसीह में एकत्र करने’ के संबंध में क्या स्थिति है? (ख) ‘जो कुछ पृथ्वी पर है उसे मसीह में एकत्र करने’ के बारे में हम क्या कह सकते हैं?
१८ अपने प्रबंधन के सामंजस्य में, यहोवा ‘सब कुछ मसीह में एकत्र करने’ के लिए प्रगतिशील रूप से बढ़ रहा है। जहाँ तक “जो कुछ स्वर्ग में है” उसकी बात है, उसका उद्देश्य पूर्ति पर पहुँच गया है। ‘मेम्ने के ब्याह’ के लिए स्वर्ग में यीशु का सभी १,४४,००० जनों के साथ संयुक्त होना निकट है। अतः, अन्य भेड़ों में से पुराने, प्रौढ़ भाइयों को अपने अभिषिक्त भाइयों के समर्थन में और भी भारी ज़िम्मेदारियाँ दी गयी हैं, और ये अधिकाधिक भाइयों को दी गयी हैं। अन्य भेड़ें “जो कुछ पृथ्वी पर है” उसको चित्रित करती हैं। हम कितने उत्तेजक समय में जी रहे हैं! यहोवा के उद्देश्य को उसकी पूर्ति की ओर बढ़ते देखना कितना रोमांचक है! (इफिसियों १:९, १०; ३:१०-१२; प्रकाशितवाक्य १४:१; १९:७, ९) और अन्य भेड़ें अपने अभिषिक्त भाइयों को समर्थन देने में कितनी आनंदित हैं जैसे-जैसे दोनों समूह एकसाथ ‘एक झुण्ड’ के रूप में ‘एक चरवाहे’ के अधीन राजा, यीशु मसीह की अधीनता में, और महान विश्व सर्वसत्ताधारी, यहोवा परमेश्वर की महिमा के लिए सेवा करते हैं!—यूहन्ना १०:१६; फिलिप्पियों २:९-११.
[फुटनोट]
a प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) का अगस्त १, १९८१ अंक, पृष्ठ १६-२६ देखिए।
b उदाहरण के लिए, १९१४ से “द फ़ोटो-ड्रामा ऑफ़ क्रीएशन” (अंग्रेज़ी)—चार भाग की ध्वनि सहित चित्र प्रस्तुति—पूरे पश्चिमी संसार में खचाखच भरे रंगमंचों में दर्शकों को दिखायी गयी।
c इसके संभव कारणों के लिए कि क्यों कुछ यहूदी मसीही व्यवस्था के लिए धुन लगाए थे, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित, शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी), खंड २, पृष्ठ ११६३-४ देखिए।
d प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) अगस्त १५, १९९०, पृष्ठ ३०-१; दिसंबर १५, १९९०, पृष्ठ ३० देखिए।
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ प्रथम शताब्दी में परमेश्वर का संगठन कैसे आगे बढ़ा?
◻ यहोवा के साक्षियों के आधुनिक इतिहास में शासी निकाय का क्या घटनाक्रम रहा है?
◻ कौन-से शास्त्रवचन यहोवा के संगठन में अन्य भेड़ों को अधिकार देने का समर्थन करते हैं?
◻ कैसे “जो कुछ स्वर्ग में है” और “जो कुछ पृथ्वी पर है” मसीह में एकत्र किया गया है?
[पेज 16 पर तसवीर]
जब शासी निकाय के आरंभिक सदस्य यरूशलेम में नहीं रहे, तब भी इसने वहाँ कार्य जारी रखा
[पेज 18 पर तसवीर]
प्रौढ़ अभिषिक्त मसीही यहोवा के लोगों के लिए एक आशिष रहे हैं
सी. टी. रसल १८८४-१९१६
जे. एफ़. रदरफ़र्ड १९१६-४२
एन. एच. नॉर १९४२-७७
एफ़. डब्ल्यू. फ्राँज़ १९७७-९२
एम. जी. हॆनशॆल १९९२-