यहोवा के दिन की बाट जोहते रहो
“अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करनेवाले आएंगे।”—२ पतरस ३:३.
१. एक आधुनिक दिन मसीही को अत्यावश्यकता का कैसा बोध था?
छियासठ से भी अधिक सालों से पूर्ण-समय सेवकाई करनेवाले एक व्यक्ति ने लिखा: “मैंने हमेशा अत्यावश्यक्ता का एक तीव्र बोध महसूस किया है। हरमगिदोन हमेशा मेरे मन में परसों आनेवाला रहा है। (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) मेरे पिता की तरह और उनसे पहले उनके पिता की तरह, मैंने अपना जीवन उसी प्रकार बिताया है जिस प्रकार प्रेरित [पतरस] ने आग्रह किया था, ‘परमेश्वर के उस दिन की बाट जोहते हुए।’ मैंने हमेशा प्रतिज्ञात नए संसार को ‘अनदेखा परन्तु प्रमाणिक’ माना है।”—२ पतरस ३:११, १२; इब्रानियों ११:१; यशायाह ११:६-९; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
२. यहोवा के दिन की बाट जोहने का क्या अर्थ है?
२ यहोवा के दिन के संबंध में ‘बाट जोहते रहने’ की पतरस की अभिव्यक्ति का अर्थ है कि हम उसे अपने मन से नहीं निकालेंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह दिन बहुत निकट है जब अपने प्रतिज्ञात नए संसार की स्थापना की शुरूआत के तौर पर यहोवा इस रीति-व्यवस्था का नाश करेगा। यह हमारे लिए इतना वास्तविक होना चाहिए कि हम इसे स्पष्ट देख सकें कि यह हमारे बिलकुल सामने है। यह प्राचीनकाल के परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं के लिए उतना ही वास्तविक था और इसके निकट होने के बारे में उन्होंने अकसर बात की।—यशायाह १३:६; योएल १:१५; २:१; ओबद्याह १५; सपन्याह १:७, १४.
३. यहोवा के दिन के संबंध में पतरस की सलाह को किस बात ने प्रेरित किया?
३ पतरस ने हमसे यहोवा के दिन को मानो, “परसों” आते हुए देखने का क्यों आग्रह किया? क्योंकि ऐसा लगता है कि कुछ लोग मसीह की प्रतिज्ञात उपस्थिति, जिस दौरान बुराई करनेवालों को दंड दिया जाएगा, के विचार का ठट्ठा करने लगे थे। (२ पतरस ३:३, ४) सो अपनी दूसरी पत्री के अध्याय ३ में, जिस पर हम अभी विचार करेंगे, पतरस इन ठट्ठा करनेवालों के आरोपों का जवाब देता है।
याद रखने के लिए हार्दिक अपील
४. पतरस की इच्छानुसार हमें क्या याद रखना चाहिए?
४ इस अध्याय में पतरस अपने भाइयों को बार-बार “हे प्रियो” संबोधित करता है, जिससे उसका उनके लिए प्रेम प्रदर्शित होता है। उन्हें जो सिखाया गया है उसे न भूलने की हार्दिक अपील करते हुए पतरस शुरू में कहता है: “हे प्रियो, . . . मैं तुम्हें . . . सुधि दिलाकर तुम्हारे शुद्ध मन को उभारता हूं। कि तुम उन बातों को, जो पवित्र भविष्यद्वक्ताओं ने पहिले से कही हैं और प्रभु, और उद्धारकर्त्ता की उस आज्ञा को स्मरण करो, जो तुम्हारे प्रेरितों के द्वारा दी गई थी।”—२ पतरस ३:१, २, ८, १४, १७; यहूदा १७.
५. यहोवा के दिन के बारे में कुछ भविष्यवक्ताओं ने क्या कहा?
५ किन “बातों को, जो पवित्र भविष्यद्वक्ताओं ने पहिले से कही हैं,” याद करने का पतरस पाठकों से आग्रह करता है? जी हाँ, वे जो मसीह के राज्य अधिकार में उपस्थिति और भक्तिहीन लोगों के न्याय के बारे में हैं। पतरस ने इससे पहले इन कथनों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। (२ पतरस १:१६-१९; २:३-१०) यहूदा हनोक का ज़िक्र करता है, जो बुरे काम करनेवालों पर परमेश्वर के न्याय की चेतावनी देनेवाला पहला भविष्यवक्ता था जिसका अभिलेख है। (यहूदा १४, १५) हनोक के बाद दूसरे भविष्यवक्ता भी हुए और पतरस नहीं चाहता कि उन्होंने जो लिखा उसे हम भूलें।—यशायाह ६६:१५, १६; सपन्याह १:१५-१८; जकर्याह १४:६-९.
६. मसीह और उसके चेलों के कौन-से कथन हमें यहोवा के दिन के बारे में प्रबुद्ध करते हैं?
६ इसके अलावा, पतरस अपने पाठकों से “प्रभु, और उद्धारकर्त्ता की . . . आज्ञा को स्मरण” करने को कहता है। यीशु की आज्ञा में यह प्रोत्साहन शामिल है: “इसलिये सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन . . . सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े।” “देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा।” (लूका २१:३४-३६; मरकुस १३:३३) पतरस हमसे प्रेरितों के कथनों पर भी ध्यान देने का आग्रह करता है। उदाहरण के लिए, प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आनेवाला है। इसलिये हम औरों की नाईं सोते न रहें, पर जागते और सावधान रहें।”—१ थिस्सलुनीकियों ५:२, ६.
ठट्ठा करनेवालों की अभिलाषाएँ
७, ८. (क) परमेश्वर के चेतावनी संदेशों का ठट्ठा करनेवाले किस प्रकार के लोग हैं? (ख) ठट्ठा करनेवाले क्या दावा करते हैं?
७ जैसे पहले बताया गया था, पतरस की सलाह का कारण यह था कि कुछ लोग ऐसी चेतावनियों का ठट्ठा करने लगे थे, बिलकुल वैसे ही जैसे प्राचीनकाल के इस्राएलियों ने यहोवा के भविष्यवक्ताओं का ठट्ठा किया। (२ इतिहास ३६:१६) पतरस समझाता है: “यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करनेवाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ पतरस ३:३) यहूदा कहता है कि इन ठट्ठा करनेवालों की अभिलाषाएँ “अभक्ति” की होंगी। वह उन्हें “शारीरिक लोग” बुलाता है, “जिन में आत्मा नहीं।”—यहूदा १७-१९, तिरछे टाइप हमारे।
८ जिन झूठे उपदेशकों के बारे में पतरस ने बताया कि वे “अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते” हैं, वे संभवतः इन ठट्ठा करनेवालों में हैं जिनमें आत्मिकता नहीं। (२ पतरस २:१, १०, १४) वे वफ़ादार मसीहियों का मज़ाक उड़ाते हुए पूछते हैं: “उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?”—२ पतरस ३:४.
९. (क) परमेश्वर के वचन में व्याप्त अत्यावश्यक्ता के बोध को ठट्ठा करनेवाले कम करने की कोशिश क्यों करते हैं? (ख) यहोवा के दिन की बाट जोहते रहना हमारे लिए सुरक्षा की बात कैसे है?
९ ऐसा ठट्ठा क्यों? ऐसा क्यों सुझाते हैं कि मसीह की उपस्थिति शायद कभी नहीं होगी, कि परमेश्वर ने मानव मामलों में कभी दख़ल नहीं दिया है और भविष्य में भी नहीं देगा? उस अत्यावश्यक्ता के बोध को कम करने से जो परमेश्वर के वचन में व्याप्त है, ये शारीरिक ठट्ठा करनेवाले लोग दूसरों को आध्यात्मिक रूप से निद्रालु अवस्था में लाने की कोशिश करते हैं और इस प्रकार उन्हें स्वार्थी प्रलोभनों के आसान शिकार बना लेते हैं। आज हमारे लिए आध्यात्मिक रूप से जागरूक रहने का क्या ही प्रभावशाली प्रोत्साहन! ऐसा हो कि हम यहोवा के दिन की बाट जोहते रहें और यह हमेशा याद रखें कि उसकी आँखें हमारी ओर लगी हुई हैं! इस प्रकार हम उत्साहपूर्वक यहोवा की सेवा करने और अपनी नैतिक शुद्धता को बनाए रखने के लिए प्रेरित होंगे।—भजन ११:४; यशायाह २९:१५; येहेजकेल ८:१२; १२:२७; सपन्याह १:१२.
जान बूझकर तथा घृणित
१०. पतरस किस प्रकार साबित करता है कि ठट्ठा करनेवाले ग़लत हैं?
१० ऐसे ठट्ठा करनेवाले एक महत्त्वपूर्ण तथ्य को नज़रअंदाज़ करते हैं। वे जान बूझकर इसे नज़रअंदाज़ करते हैं और कोशिश करते हैं कि दूसरें भी इसे भूल जाएँ। क्यों? उन्हें और आसानी से प्रलोभित करने के लिए। पतरस लिखता है: “वे तो जान बूझकर यह भूल गए।” क्या? यह “कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है। इन्हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ पतरस ३:५, ६) जी हाँ, नूह के समय के जल-प्रलय में यहोवा ने संसार से दुष्टता को मिटा दिया था। यह एक ऐसा तथ्य है जिस पर यीशु ने भी ज़ोर दिया। (मत्ती २४:३७-३९; लूका १७:२६, २७; २ पतरस २:५) सो ठट्ठा करनेवाले जो कहते हैं उसके विपरीत, सब कुछ वैसा नहीं है, “जैसा सृष्टि के आरम्भ से था।”
११. प्रारंभिक मसीहियों की कौन-सी असामयिक प्रत्याशाओं की वज़ह से कुछ लोगों ने उनका ठट्ठा किया?
११ ठट्ठा करनेवालों ने शायद वफ़ादार मसीहियों का मज़ाक उड़ाया हो क्योंकि उन लोगों की ऐसी प्रत्याशाएँ थीं जो तब तक पूरी नहीं हुई थीं। यीशु की मृत्यु से कुछ समय पहिले उसके चेले “समझते थे, कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट हुआ चाहता है।” फिर उसके पुनरुत्थान के बाद उन्होंने पूछा कि क्या राज्य को उसी वक़्त स्थापित किया जाना था। साथ ही, पतरस द्वारा अपनी दूसरी पत्री के लिखने के क़रीब दस साल पहिले, कुछ लोग एक “वचन, या पत्री” से ‘घबरा’ गए थे जो कहा जाता है कि प्रेरित पौलुस या उसके साथियों से प्राप्त किया गया था जिसमें कहा गया था कि “प्रभु का दिन आ पहुंचा है।” (लूका १९:११; २ थिस्सलुनीकियों २:२; प्रेरितों १:६) लेकिन यीशु के चेलों की ऐसी प्रत्याशाएँ झूठी नहीं, केवल असामयिक थीं। यहोवा का दिन ज़रूर आता!
परमेश्वर का वचन विश्वासयोग्य है
१२. “यहोवा के दिन” के बारे में भविष्यवाणियों में परमेश्वर का वचन विश्वासयोग्य कैसे साबित हुआ है?
१२ जैसे पहिले बताया गया है, मसीही-पूर्व भविष्यवक्ताओं ने अकसर चेतावनी दी कि यहोवा के प्रतिशोध का दिन निकट है। छोटे पैमाने पर “प्रभु का दिन” ६०७ सा.यु.पू. को आया जब यहोवा ने अपने पथभ्रष्ट लोगों से अपना प्रतिशोध लिया। (सपन्याह १:१४-१८) बाद में दूसरे राष्ट्रों ने, जिनमें बाबुल और मिस्र भी शामिल थे, ऐसे एक “यहोवा के दिन” का अनुभव किया। (यशायाह १३:६-९; यिर्मयाह ४६:१-१०; ओबद्याह १५) प्रथम-शताब्दी यहूदी रीति-व्यवस्था का अंत भी पूर्वबताया गया था, और वह तब पूरा हुआ जब रोमी सेनाओं ने सा.यु. ७० में यहूदा का विनाश किया। (लूका १९:४१-४४; १ पतरस ४:७) लेकिन पतरस एक भावी ‘प्रभु के दिन’ के बारे में बताता है, एक ऐसा दिन जिसकी तुलना में विश्वव्यापी जल-प्रलय भी बहुत-ही छोटा होगा!
१३. कौन-सा ऐतिहासिक उदाहरण प्रदर्शित करता है कि इस रीति-व्यवस्था का अंत ज़रूर होगा?
१३ पतरस उस आनेवाले विनाश के अपने वर्णन को प्रस्तुत करते हुए कहता है: “उसी वचन के द्वारा।” उसने इससे पहिले ही कहा था कि “परमेश्वर के वचन के द्वारा,” जल-प्रलय के पहिले की पृथ्वी “जल में से बनी और जल में स्थिर” थी। बाइबल में सृष्टि के वृत्तांत में वर्णित इस परिस्थिति की वज़ह से जल-प्रलय संभव हुआ, जब परमेश्वर के निर्देशन या उसके वचन के अनुसार जल बरसा। पतरस आगे कहता है: “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी [परमेश्वर के] वचन के द्वारा इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।” (२ पतरस ३:५-७; उत्पत्ति १:६-८) इस बारे में हमारे पास यहोवा का विश्वासयोग्य वचन है! वह अपने महान दिन के प्रचंड रोष में “आकाश और पृथ्वी”—इस रीति-व्यवस्था—का अंत करेगा! (सपन्याह ३:८) लेकिन कब?
अंत के आने के लिए उत्सुकता
१४. हम क्यों विश्वस्त हो सकते हैं कि अब हम “अंतिम दिनों” में जी रहे हैं?
१४ यीशु के चेले जानना चाहते थे कि अंत कब आएगा। सो उन्होंने उससे पूछा: “तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” ज़ाहिर है कि वे पूछ रहे थे कि यहूदी रीति-व्यवस्था का अंत कब होगा। लेकिन यीशु के जवाब ने मुख्यतः इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि कब वर्तमान “आकाश और पृथ्वी” का नाश होगा। यीशु ने बड़े युद्ध, अकाल, भूकंप, बीमारी और अपराध जैसी बातें पूर्वबतायीं। (मत्ती २४:३-१४; लूका २१:५-३६) सन् १९१४ से हमने उस चिन्ह को पूरा होते देखा है जो यीशु ने “जगत के अन्त” के लिए दिया था। साथ ही हम उन बातों को भी होते देखते हैं जो प्रेरित पौलुस ने बतायी कि “अन्तिम दिनों” की पहचान होंगी। (२ तीमुथियुस ३:१-५) सचमुच, बहुत सारे प्रमाण हैं कि हम इस रीति-व्यवस्था के अंत के समय में जी रहे हैं!
१५. यीशु के चिताने के बावजूद मसीही क्या करने की ओर प्रवृत्त हुए हैं?
१५ यहोवा के साक्षी इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहे हैं कि यहोवा का दिन कब आएगा। अपनी उत्सुकता की वज़ह से उन्होंने कभी-कभी अनुमान लगाने की कोशिश की है कि यह कब आएगा। लेकिन ऐसा करने से वे यीशु के प्रारंभिक चेलों की नाई अपने स्वामी की इस चेतावनी का पालन करने में विफल हुए हैं कि हम “नहीं जानते कि वह समय कब आएगा।” (मरकुस १३:३२, ३३) ठट्ठा करनेवालों ने वफ़ादार मसीहियों की असामयिक प्रत्याशाओं का मज़ाक उड़ाया है। (२ पतरस ३:३, ४) लेकिन पतरस इस बात पर ज़ोर देता है कि यहोवा की समय-सारिणी के अनुसार उसका दिन आएगा।
यहोवा का दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत
१६. किस सलाह का पालन करना हमारे लिए बुद्धिमानी की बात होगी?
१६ समय के बारे में हमें यहोवा का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जैसे पतरस अब हमें याद दिलाता है: “हे प्रियो, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।” इसकी तुलना में सत्तर या अस्सी सालों का हमारा जीवन-काल क्या ही कम! (२ पतरस ३:८; भजन ९०:४, १०) सो यदि परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति में देर होती प्रतीत हो, तो भी हमें परमेश्वर के भविष्यवक्ता की सलाह को स्वीकार करना चाहिए: “चाहे इस [नियुक्त समय] में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” (तिरछे टाइप हमारे।)—हबक्कूक २:३.
१७. हालाँकि अंतिम दिन अनेक लोगों की प्रत्याशाओं से भी अधिक लंबे रहे हैं, हम किस बात के बारे में विश्वस्त हो सकते हैं?
१७ इस व्यवस्था के अंतिम दिन अनेक लोगों की प्रत्याशाओं से अधिक लंबे क्यों रहे हैं? इसका अच्छा कारण है, जैसे पतरस अब समझाता है: “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (२ पतरस ३:९) यहोवा इस बात को ध्यान में रखता है कि सारी मानवजाति की भलाई किसमें है। वह लोगों के जीवन की परवाह करता है, जैसे वह कहता है: “मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे।” (यहेजकेल ३३:११) सो हम विश्वस्त हो सकते हैं कि हमारे सर्व-बुद्धिमान, प्रेममय सृष्टिकर्ता के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अंत बिलकुल सही समय पर आएगा!
क्या जाता रहेगा?
१८, १९. (क) यहोवा इस रीति-व्यवस्था का नाश करने के लिए दृढ़-निश्चयी क्यों है? (ख) पतरस इस व्यवस्था के अंत का वर्णन कैसे करता है और वास्तव में किसका विनाश होगा?
१८ क्योंकि यहोवा वास्तव में उन लोगों से प्यार करता है जो उसकी सेवा करते हैं, वह उन सभी लोगों को मिटा देगा जो उनको दुःख पहुँचाते हैं। (भजन ३७:९-११, २९) जैसे पौलुस ने पहले बताया कि विनाश एक अप्रत्याशित समय में आएगा वैसे ही पतरस लिखता है: “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।” (२ पतरस ३:१०; १ थिस्सलुनीकियों ५:२) शाब्दिक आकाश और पृथ्वी जल-प्रलय के समय समाप्त नहीं हुए, न ही वे यहोवा के दिन में होंगे। तो फिर, क्या “जाता रहेगा,” या किस चीज़ का विनाश होगा?
१९ मानवजाति पर “आकाश” की तरह अधिकार जतानेवाली मानवीय सरकारों का और “पृथ्वी,” अथवा भक्तिहीन मानव समाज का अंत होगा। “बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द” शायद आकाश के बड़े वेग से चले जाने को सूचित करते हैं। वे “तत्व” जिनसे आज का पतित मानव समाज बना है “पिघल जाएंगे,” या उनका नाश होगा। तथा “पृथ्वी” और “उस पर के काम” का खुलासा होगा या वे “जल जाएंगे।” पूरी विश्व व्यवस्था का अंत करते हुए यहोवा मनुष्यों के दुष्ट कार्यों का पूर्ण पर्दाफ़ाश करेगा। यह व्यवस्था पूर्ण रीति से इसी के योग्य है।
अपनी आशा पर ध्यान केंद्रित रखिए
२०. आगे होनेवाली घटनाओं के बारे में अपने ज्ञान का हमारे जीवन पर कैसा प्रभाव होना चाहिए?
२० क्योंकि ये नाटकीय घटनाएँ नज़दीक हैं, पतरस कहता है कि हमें “पवित्र चालचलन और भक्ति” के कार्य करने चाहिए। “और परमेश्वर के उस दिन की बाट . . . जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये . . . यत्न करना चाहिए।” इसके बारे में कोई संदेह नहीं! “आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे!” (२ पतरस ३:११, १२) इन नाटकीय घटनाओं की पूर्ति कल शुरू हो सकती है, इस तथ्य का प्रभाव उन सभी बातों पर होना चाहिए जो हम करते हैं या करने की योजना बनाते हैं।
२१. वर्तमान आकाश और पृथ्वी की जगह क्या आएगा?
२१ पतरस अब हमें बताता है कि पुरानी व्यवस्था की जगह क्या आएगा और कहता है: “पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।” (२ पतरस ३:१३; यशायाह ६५:१७) आह, क्या राहत मिलेगी! मसीह और उसके १,४४,००० संगी-शासक एक “नए” शासकीय “आकाश” बनेंगे और जो लोग इस संसार के अंत से बच निकलते हैं उनसे “नई पृथ्वी” बनेगी।—१ यूहन्ना २:१७; प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; १४:१, ३.
अत्यावश्यक्ता का बोध और नैतिक शुद्धता बनाए रखिए
२२. (क) किसी-भी आध्यात्मिक कलंक या दोष से बचने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी? (ख) पतरस किस ख़तरे के बारे में चेतावनी देता है?
२२ “इसलिये, हे प्रियो,” पतरस आगे कहता है, “जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके साम्हने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो। और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो।” उत्सुक प्रत्याशा से इंतज़ार करने और यहोवा के दिन के आने में देर होने के किसी भी आभास को ईश्वरीय धीरज की अभिव्यक्ति समझने से हमें मदद मिलेगी कि हम किसी भी आध्यात्मिक कलंक या दोष से बच सकें। लेकिन एक ख़तरा है! पतरस चेतावनी देता है कि “हमारे प्रिय भाई पौलुस” के लेखनों में “कितनी बातें ऐसी हैं, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।”—२ पतरस ३:१४-१६.
२३. अंत में पतरस क्या सलाह देता है?
२३ प्रतीयमानतः झूठे उपदेशकों ने परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में पौलुस के लेखनों को तोड़ा-मरोड़ा और उन्हें लुचपन के लिए बहाना बनाया। शायद पतरस के मन में यही बात थी जब वह अपनी अंतिम सलाह लिखता है: “इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जानकर चौकस रहो, ताकि अधर्मियों के भ्रम में फंसकर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।” फिर वह अपनी पत्री के अंत में उनसे आग्रह करता है: “हमारे प्रभु, और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ।”—२ पतरस ३:१७, १८.
२४. यहोवा के सभी सेवकों को कैसी मनोवृत्ति अपनानी चाहिए?
२४ स्पष्टतः पतरस अपने भाइयों को दृढ़ करना चाहता है। वह चाहता है कि सबके पास वही मनोवृत्ति हो जैसे शुरुआत में उद्धृत एक वफ़ादार ८२-वर्षीय साक्षी ने व्यक्त किया: “मैंने अपना जीवन उसी प्रकार बिताया है जिस प्रकार प्रेरित ने आग्रह किया था, ‘परमेश्वर के उस दिन की बाट जोहते हुए।’ मैंने हमेशा प्रतिज्ञात नए संसार को ‘अनदेखा परन्तु प्रमाणिक’ माना है।” ऐसा हो कि हम सभी अपना जीवन उसी तरह बिताएँ।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा के दिन की ‘बाट जोहने’ का क्या अर्थ है?
◻ ठट्ठा करनेवाले जान बूझकर किस बात को नज़रअंदाज़ करते हैं, और क्यों?
◻ ठट्ठा करनेवालों ने वफ़ादार मसीहियों का मज़ाक क्यों उड़ाया है?
◻ हमें कैसा दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए?
[पेज 23 पर तसवीर]
यहोवा के दिन की . . .
[पेज 24 पर तसवीर]
. . . और उसके बाद के नए संसार की बाट जोहते रहिए