यहोवा वाचाओं का परमेश्वर है
“मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।”—यिर्मयाह ३१:३१.
१, २. (क) यीशु ने सा.यु. ३३, निसान १४ की रात को कौन-सा समारोह स्थापित किया? (ख) यीशु ने अपनी मौत से ताल्लुक़ रखनेवाली किस वाचा का ज़िक्र किया?
सामान्य युग ३३, निसान १४ की रात को यीशु ने अपने १२ प्रेरितों के साथ फसह मनाया। क्योंकि उसे मालूम था कि यह उनके साथ उसका आख़िरी भोजन है और वह अपने दुश्मनों के हाथों जल्द ही मारा जाएगा, यीशु ने इस मौक़े का फ़ायदा उठाकर अपने सबसे नज़दीकी शिष्यों को कई ज़रूरी बातें समझायीं।—यूहन्ना १३:१-१७:२६.
२ इसी समय, यहूदा इस्करियोती को निकाल देने के बाद, यीशु ने मसीहियों को आज्ञा दिए गए एकमात्र वार्षिक धार्मिक उत्सव की स्थापना की—अपनी मौत का स्मारक। बयान कहता है: “जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, लो, खाओ; यह मेरी देह है। फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ। क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” (मत्ती २६:२६-२८) यीशु के अनुयायियों को उसकी मौत की यादगार साधारण और गरिमायुक्त तरीक़े से मनानी थी। और यीशु ने अपनी मौत से ताल्लुक़ रखनेवाली एक वाचा का भी ज़िक्र किया। लूका के बयान में, इसे “नई वाचा” कहा गया है।—लूका २२:२०.
३. नई वाचा के बारे में कौन-से सवाल पूछे गए हैं?
३ यह नई वाचा क्या है? अगर यह नई वाचा है, तो क्या इसका मतलब यह है कि एक पुरानी वाचा भी है? क्या इस वाचा से ताल्लुक़ रखनेवाली और भी कोई वाचाएँ हैं? ये महत्त्वपूर्ण सवाल हैं क्योंकि यीशु ने कहा कि वाचा का लहू “पापों की क्षमा के निमित्त” बहाया जाता। हम सभी को ऐसी क्षमा की निहायत ज़रूरत है।—रोमियों ३:२३.
इब्राहीम के साथ वाचा
४. कौन-सी प्राचीन प्रतिज्ञा हमें इस नई वाचा को समझने में मदद देती है?
४ इस नई वाचा को समझने के लिए, हमें यीशु की पार्थिव सेवकाई के क़रीब २,००० साल पीछे जाना होगा, जब तेरह और उसके परिवार ने—जिसमें अब्राम (बाद में, इब्राहीम) और अब्राम की पत्नी, सारै (बाद में, सारा) भी शामिल थे—कसदियों के धन-संपन्न ऊर देश से उत्तरी मसोपोटामिया के हारान तक की पैदल यात्रा की। वे तेरह की मौत तक वहाँ ठहरे। फिर, यहोवा से आज्ञा पाकर, ७५-वर्षीय इब्राहीम ने फरात नदी पार की और तंबुओं में बंजारों की ज़िंदगी बिताने के लिए दक्षिणपश्चिम की ओर कनान देश के लिए सफ़र किया। (उत्पत्ति ११:३१-१२:१, ४, ५; प्रेरितों ७:२-५) यह सा.यु.पू. १९४३ में हुआ। जब इब्राहीम हारान में ही था, यहोवा ने उससे कहा था: “मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा। और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे।” बाद में, इब्राहीम के कनान में जाने के बाद, यहोवा ने आगे कहा: “यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा।”—उत्पत्ति १२:२, ३, ७.
५. इब्राहीम से किया गया यहोवा का वादा किस ऐतिहासिक भविष्यवाणी से जुड़ा हुआ है?
५ इब्राहीम से किया गया वादा यहोवा के एक और वादे से जुड़ा हुआ था। वाक़ई, इसने इब्राहीम को मानव इतिहास की एक ख़ास हस्ती बना दिया, यानी अभी तक दर्ज़ पहली भविष्यवाणी की पूर्ति की एक कड़ी। अदन की वाटिका में आदम और हव्वा के पाप करने के बाद, यहोवा ने उन दोनों पर न्यायदंड सुनाया, और उसी समय उसने शैतान से बात की, जिसने हव्वा को बहकाया था, और कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति ३:१५) इब्राहीम के साथ यहोवा की वाचा ने सूचित किया कि वह वंश, जिसके द्वारा शैतान के कार्यों को नाश किया जाएगा, इस कुलपिता के ख़ानदान से आएगा।
६. (क) इब्राहीम से किया गया यहोवा का वादा किस के ज़रिए पूरा होता? (ख) इब्राहीमी वाचा क्या है?
६ क्योंकि यहोवा का वादा एक वंश से जुड़ा हुआ था, इब्राहीम को एक बेटे की ज़रूरत थी जिसके ज़रिए वह वंश आता। लेकिन वह और सारा बूढ़े हो चुके थे और अब भी निःसंतान थे। फिर भी, यहोवा ने आख़िरकार उन्हें आशीष दी, और चमत्कारिक रूप से उनकी प्रजनन की शक्ति को फिर से जीवित किया और सारा ने इब्राहीम के लिए एक बेटा, इसहाक जना और इस प्रकार वंश का वादा क़ायम रहा। (उत्पत्ति १७:१५-१७; २१:१-७) सालों बाद, इब्राहीम के विश्वास को आज़माने के बाद—यहाँ तक कि अपने प्यारे बेटे इसहाक की कुरबानी चढ़ाने की उसकी रज़ामंदी की आज़माइश के बाद—यहोवा ने इब्राहीम से अपना वादा दोहराया: “मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बाल के किनकों के समान अनगिनित करूंगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा: और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।” (उत्पत्ति २२:१५-१८) इस विस्तृत प्रतिज्ञा को अकसर इब्राहीमी वाचा कहा जाता है, और बाद की नई वाचा इससे नज़दीकी से जुड़ी होती।
७. इब्राहीम का वंश संख्या में कैसे बढ़ने लगा, और किन हालात ने उन्हें मिस्र में रहने के लिए मजबूर किया?
७ कुछ समय बाद, इसहाक के जुड़वा बेटे हुए, एसाव और याक़ूब। यहोवा ने याक़ूब को प्रतिज्ञात वंश का पूर्वज होने के लिए चुना। (उत्पत्ति २८:१०-१५; रोमियों ९:१०-१३) याक़ूब के १२ बेटे हुए। यह बिलकुल साफ़ है कि अब इब्राहीम के वंश के बढ़ने का वक़्त था। जब याक़ूब के बेटे बड़े हुए, जिनमें से कई के खुद अपने परिवार थे, तो एक अकाल ने उन्हें मिस्र में जाने के लिए मजबूर किया। वहाँ, परमेश्वर के मार्गदर्शन पर, याक़ूब के बेटे यूसुफ ने रास्ता तैयार कर रखा था। (उत्पत्ति ४५:५-१३; ४६:२६, २७) कुछ साल बाद, कनान का अकाल थम गया। मगर, याक़ूब का परिवार मिस्र में ही रहा—पहले तो मेहमान बनकर, लेकिन बाद में ग़ुलाम बनकर। सा.यु.पू. १५१३ के बाद ही, यानी इब्राहीम के फरात नदी पार करने के ४३० साल बाद, मूसा ने याक़ूब के वंशजों को मिस्र से बाहर निकालकर आज़ाद किया। (निर्गमन १:८-१४; १२:४०, ४१; गलतियों ३:१६, १७) यहोवा अब इब्राहीम के साथ अपनी वाचा की ओर ख़ास ध्यान देता।—निर्गमन २:२४; ६:२-५.
“पुरानी वाचा”
८. यहोवा ने सीनै पर याक़ूब की संतान के साथ क्या बाँधा, और इब्राहीमी वाचा से इसका क्या ताल्लुक़ था?
८ जब याक़ूब और उसके बेटे मिस्र में आए, तो उनका एक बड़ा परिवार था, लेकिन मिस्र से उनके वंशज घनी आबादीवाले गोत्रों के रूप में निकले। (निर्गमन १:५-७; १२:३७, ३८) कनान में लाए जाने से पहले, यहोवा उन्हें अरब के होरेब (या, सीनै) पर्वत की तलहटी पर दक्षिण की तरफ़ ले गया। वहाँ यहोवा ने उनके साथ एक वाचा बाँधी। यह “नई वाचा” के संबंध में “पुरानी वाचा” कहलायी गयी। (२ कुरिन्थियों ३:१४, NHT) इस पुरानी वाचा के ज़रिए, यहोवा ने इब्राहीम के साथ की गयी अपनी वाचा की पूर्ति एक लाक्षणिक रूप में की।
९. (क) इब्राहीमी वाचा के ज़रिए यहोवा ने किन चार चीज़ों का वादा किया? (ख) इस्राएल के साथ यहोवा की वाचा ने और किन प्रत्याशाओं को मुहैया कराया, और किस शर्त पर?
९ यहोवा ने इस्राएल को इस वाचा की शर्तें समझायीं: “यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा को पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे; समस्त पृथ्वी तो मेरी है। और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।” (निर्गमन १९:५, ६) यहोवा ने वादा किया था कि इब्राहीम का वंश (१) एक बड़ी जाति बनेगा, (२) अपने दुश्मनों पर विजय पाएगा, (३) कनान देश को विरासत में हासिल करेगा, और (४) जातियों के आशीष के लिए माध्यम होगा। अब उसने ज़ाहिर किया कि वे इन आशीषों को उसके ख़ास लोग, इस्राएल, यानी “याजकों का राज्य और पवित्र जाति” की हैसियत से पा सकते थे, अगर वे उसकी आज्ञाओं को मानते। क्या इस्राएली इस वाचा में बंधने के लिए राज़ी हुए? उन्होंने एक आवाज़ में कहा: “जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम . . . करेंगे।”—निर्गमन १९:८.
१०. यहोवा ने इस्राएलियों को एक जाति के रूप में कैसे संगठित किया, और उसने उनसे किस बात की अपेक्षा की?
१० इसलिए, यहोवा ने इस्राएलियों को एक जाति के रूप में संगठित किया। उसने उन्हें उपासना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी से संबंधित नियम दिए। उसने उन्हें एक निवासस्थान (बाद में यरूशलेम में एक मंदिर) और उस निवासस्थान में पवित्र सेवा करने के लिए याजकवर्ग भी दिया। वाचा निभाने का मतलब था यहोवा के नियमों को मानना, और ख़ासकर सिर्फ़ उसी की उपासना करना। उन नियमों के केंद्र, यानी दस आज्ञाओं की पहली आज्ञा थी: “मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है। तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना।”—निर्गमन २०:२, ३.
व्यवस्था वाचा द्वारा आशीषें
११, १२. इस्राएल के साथ की गयी पुरानी वाचा की प्रतिज्ञाएँ कैसे पूरी हुईं?
११ क्या इस्राएल के बारे में व्यवस्था वाचा के वादे पूरे हुए? और, क्या इस्राएल एक “पवित्र जाति” बना? आदम के वंशज होने के नाते, इस्राएली पापी थे। (रोमियों ५:१२) अलबत्ता, व्यवस्था के तहत उनके पापों को ढाँपने के लिए कुरबानियाँ दी जाती थीं। वार्षिक प्रायश्चित्त दिन पर दी गयी कुरबानियों के बारे में यहोवा ने कहा: “उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित्त किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे।” (लैव्यव्यवस्था १६:३०) सो, जब वे वफ़ादार बने रहे, इस्राएल एक पवित्र जाति था जो यहोवा की सेवा के लिए शुद्ध किया गया था। लेकिन यह शुद्ध स्थिति उनके व्यवस्था के पालन करने और नियमित रूप से कुरबानी देने पर निर्भर थी।
१२ क्या इस्राएल “याजकों का राज्य” बना? शुरू से ही, वह एक राज्य था, और यहोवा इसका स्वर्गीय राजा था। (यशायाह ३३:२२) इसके अलावा, व्यवस्था वाचा में मानवी राजत्व के लिए भी प्रावधान शामिल थे, जिससे आगे चलकर यरूशलेम पर राज्य कर रहे राजाओं ने यहोवा का प्रतिनिधित्व किया। (व्यवस्थाविवरण १७:१४-१८) लेकिन क्या इस्राएल याजकों का एक राज्य था? इसमें एक याजकवर्ग था जो निवासस्थान में पवित्र सेवा करता था। निवासस्थान (बाद में मंदिर) इस्राएलियों और ग़ैर-इस्राएलियों के लिए भी शुद्ध उपासना का केंद्र था। और वह जाति मनुष्यजाति को बतायी गयी सच्चाई का एकमात्र माध्यम थी। (२ इतिहास ६:३२, ३३; रोमियों ३:१, २) सिर्फ़ लेवीय याजक नहीं, बल्कि सभी वफ़ादार इस्राएली यहोवा के “साक्षी” थे। इस्राएल यहोवा का “दास” था, जिसे ‘उसका गुणानुवाद करने’ के लिए बनाया गया था। (यशायाह ४३:१०, २१) कई नम्र विदेशियों ने यहोवा की ताक़त को अपने लोगों की ख़ातिर इस्तेमाल होते हुए देखा था और शुद्ध उपासना की ओर खिंचे चले आए थे। वे मतधारक बन गए। (यहोशू २:९-१३) लेकिन असलियत में सिर्फ़ एक गोत्र ने ही अभिषिक्त याजकों के रूप में सेवा की।
इस्राएल में मतधारक
१३, १४. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि मतधारक व्यवस्था वाचा के सहभागी नहीं थे? (ख) मतधारक व्यवस्था वाचा के अधीन कैसे आए?
१३ ऐसे मतधारकों की हैसियत क्या थी? जब यहोवा ने अपनी वाचा बाँधी, तो यह सिर्फ़ इस्राएल के साथ थी; हालाँकि ‘मिली जुली हुई उस भीड़’ के लोग वहाँ मौजूद थे, वे उसके सहभागी नहीं थे। (निर्गमन १२:३८; १९:३, ७, ८) जब इस्राएल के पहलौठों के लिए छुड़ौती क़ीमत आँकी गयी थी, तब उनके पहलौठों को शामिल नहीं किया गया था। (गिनती ३:४४-५१) दशकों बाद जब कनान देश इस्राएली गोत्रों में बाँटा गया, तब ग़ैर-इस्राएली विश्वासियों के लिए कुछ भी अलग नहीं रखा गया। (उत्पत्ति १२:७; यहोशू १३:१-१४) क्यों? क्योंकि व्यवस्था वाचा मतधारकों के साथ नहीं बाँधी गयी थी। लेकिन मतधारक पुरुष व्यवस्था को मानते हुए ख़तना करते थे। वे उसके नियमों को मानते थे, और उसके प्रबंधों से लाभ उठाते थे। मतधारक और इस्राएली व्यवस्था वाचा के अधीन आ गए।—निर्गमन १२:४८, ४९; गिनती १५:१४-१६; रोमियों ३:१९.
१४ मिसाल के तौर पर, अगर कोई मतधारक ग़लती से किसी की जान ले लेता, तो वह एक इस्राएली की तरह शहरपनाह को भाग सकता था। (गिनती ३५:१५, २२-२५; यहोशू २०:९) प्रायश्चित्त के दिन, “इस्राएल की सारी मण्डली के लिये” बलिदान चढ़ाया जाता था। मंडली के भाग के तौर पर, मतधारक उन कार्यों में भाग लेते थे और बलिदान उनके लिए भी प्रभावकारी था। (लैव्यव्यवस्था १६:७-१०, १५, १७, २९; व्यवस्थाविवरण २३:७, ८) व्यवस्था के अधीन मतधारक इस्राएल से इतने क़रीबी से जुड़े हुए थे कि सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त पर, जब यहूदियों की ख़ातिर ‘राज्य की पहली कुंजी’ का इस्तेमाल किया गया, तब मतधारकों को भी फ़ायदा हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि “अन्ताकीवाला नीकुलाउस . . . जो यहूदी मत में आ गया था,” एक मसीही बना और वह उन “सात सुनाम पुरुषों” में से एक था जिन्हें यरूशलेम की कलीसिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए नियुक्त किया गया था।—मत्ती १६:१९; प्रेरितों २:५-१०; ६:३-६; ८:२६-३९.
यहोवा इब्राहीम के वंश को आशीष देता है
१५, १६. इब्राहीम के साथ बाँधी गयी यहोवा की वाचा कैसे व्यवस्था वाचा के अधीन पूरी हुई?
१५ जब इब्राहीम के वंशज व्यवस्था के अधीन एक जाति के तौर पर संगठित हुए, तब कुलपिता से किए गए अपने वादे के मुताबिक़ यहोवा ने उन्हें आशीष दी। सा.यु.पू. १४७३ में, मूसा का उत्तराधिकारी, यहोशू इस्राएल को कनान में ले गया। उसके बाद उन गोत्रों के बीच हुए उस देश के बँटवारे से, उस देश को इब्राहीम के वंश को देने का यहोवा का वादा पूरा हुआ। जब इस्राएल वफ़ादार रहा, तब यहोवा ने अपना वादा निभाया कि वह उन्हें उनके दुश्मनों पर विजय देगा। यह ख़ासकर राजा दाऊद के शासन के समय सच था। दाऊद के बेटे सुलैमान के समय तक, इब्राहीमी वाचा का तीसरा पहलू पूरा हुआ। “यहूदा और इस्राएल के लोग बहुत थे, वे समुद्र के तीर पर की बालू के किनकों के समान बहुत थे, और खाते-पीते और आनन्द करते रहे।”—१ राजा ४:२०.
१६ लेकिन जातियाँ इब्राहीम के वंश, इस्राएल के ज़रिए आशीष कैसे पातीं? जैसे पहले ही बताया गया है, इस्राएल यहोवा के ख़ास लोग थे, जातियों के बीच यहोवा के प्रतिनिधि थे। इस्राएल का कनान में प्रवेश करने से कुछ ही समय पहले, मूसा ने कहा: “हे अन्यजातियो, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ।” (व्यवस्थाविवरण ३२:४३) कई विदेशियों ने प्रतिक्रिया दिखायी। “मिली जुली हुई एक भीड़” मिस्र से बाहर इस्राएल के पीछे-पीछे आ चुकी थी, विराने में यहोवा की ताक़त को अपनी आँखों से देख चुकी थी, और ख़ुशी मनाने के मूसा के निमंत्रण को सुन चुकी थी। (निर्गमन १२:३७, ३८) इसके बाद, मोआबी रूत ने इस्राएली बोअज़ से शादी की और मसीहा की एक पूर्वज बनी। (रूत ४:१३-२२) केनी यहोनादाब और उसके वंशज और कूशी एबेदमेलेक ने सही सिद्धांतों पर बने रहने के द्वारा अपनी पहचान क़ायम की जब कई जन्मजात इस्राएली अविश्वासी हो गए थे। (२ राजा १०:१५-१७; यिर्मयाह ३५:१-१९; ३८:७-१३) फारसी साम्राज्य में, कई विदेशी मतधारक बने और उन्होंने इस्राएल के साथ मिलकर उसके दुश्मनों के ख़िलाफ़ लड़ाई की।—एस्तेर ८:१७, फुटनोट NW.
एक नई वाचा की ज़रूरत
१७. (क) यहोवा ने इस्राएल के उत्तरी और दक्षिणी राज्य को क्यों ठुकरा दिया? (ख) किस कारण यहूदियों को आख़िरी बार ठुकरा दिया गया?
१७ फिर भी, परमेश्वर के वादे की संपूर्ण पूर्ति के लिए, परमेश्वर की ख़ास जाति को वफ़ादार रहना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। माना कि ऐसे इस्राएली थे जिनका विश्वास बेमिसाल था। (इब्रानियों ११:३२-१२:१) फिर भी, भौतिक लाभ की उम्मीद में यह जाति कई बार विधर्मी देवताओं की ओर मुड़ी। (यिर्मयाह ३४:८-१६; ४४:१५-१८) लोगों ने व्यवस्था का ग़लत अनुप्रयोग किया या उसे बस नज़रअंदाज़ कर दिया। (नहेमायाह ५:१-५; यशायाह ५९:२-८; मलाकी १:१२-१४) सुलैमान की मृत्यु के बाद, इस्राएल उत्तरी और दक्षिणी राज्य में विभाजित हो गया। जब उत्तरी राज्य बिलकुल ही बाग़ी साबित हुआ, तब यहोवा ने कहा: “तू ने . . . ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिये मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा।” (होशे ४:६) दक्षिणी राज्य को भी कड़ी सज़ा दी गयी क्योंकि वह वाचा पर खरा नहीं उतरा। (यिर्मयाह ५:२९-३१) जब यहूदियों ने मसीहा के रूप में यीशु को ठुकराया, तो उसी तरह यहोवा ने उन्हें भी ठुकरा दिया। (प्रेरितों ३:१३-१५; रोमियों ९:३१-१०:४) आख़िरकार, यहोवा ने इब्राहीमी वाचा की संपूर्ण पूर्ति के लिए एक नया प्रबंध किया।—रोमियों ३:२०.
१८, १९. यहोवा ने कौन-सा नया प्रबंध किया ताकि इब्राहीमी वाचा संपूर्ण रूप से पूरी हो सके?
१८ वह नया प्रबंध नई वाचा थी। यहोवा ने इसके बारे में पहले से बताया था और कहा था: “यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा। . . . जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।”—यिर्मयाह ३१:३१-३३.
१९ यही वह नई वाचा है जिसका ज़िक्र यीशु ने सा.यु. ३३ के निसान १४ के दिन किया था। उस मौक़े पर, उसने ज़ाहिर किया कि प्रतिज्ञात वाचा उसके शिष्यों और यहोवा के बीच बंधने ही वाली थी, जिसका मध्यस्थ यीशु होता। (१ कुरिन्थियों ११:२५; १ तीमुथियुस २:५; इब्रानियों १२:२४) इस नई वाचा के ज़रिए, इब्राहीम के साथ यहोवा के वादे की और भी महिमावान और स्थायी पूर्ति होनेवाली थी, जैसे कि हम अगले लेख में देखेंगे।
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ यहोवा ने इब्राहीमी वाचा में क्या वादा किया?
◻ यहोवा ने शारीरिक इस्राएल पर इब्राहीमी वाचा की पूर्ति कैसे की?
◻ मतधारकों को पुरानी वाचा से कैसे फ़ायदा हुआ?
◻ नई वाचा की ज़रूरत क्यों थी?
[पेज 9 पर तसवीर]
इस व्यवस्था वाचा के ज़रिए, यहोवा ने इब्राहीमी वाचा की लाक्षणिक पूर्ति की