“आशाभरी दृष्टि से” इंतज़ार करना
“सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।”—रोमियों ८:१९.
१. आज के मसीहियों और पहली सदी के मसीहियों की हालत में कौन-सी समानता है?
आज सच्चे मसीही उसी मोड़ पर हैं जिस पर पहली सदी के मसीही थे। पहली सदी के यहोवा के ये सेवक एक भविष्यवाणी से यह समझ सके कि मसीहा कब आएगा। (दानिय्येल ९:२४-२६) उसी भविष्यवाणी ने यरूशलेम के विनाश के बारे में भी बताया। मगर उसमें ऐसी कोई बात नहीं थी जिससे मसीही पहले ही पता लगा पाते कि उस शहर का नाश कब होगा। (दानिय्येल ९:२६ख, २७) उसी तरह परमेश्वर की मदद से १९वीं सदी के सच्चे बाइबल विद्यार्थी एक भविष्यवाणी की बदौलत आस लगाए हुए थे। दानिय्येल ४:२५ (NHT) के “सात काल” का ‘अन्य जातियों के समय’ के साथ मेल बिठाने की वज़ह से, उन्होंने उम्मीद की कि मसीहा को १९१४ में राज्य का अधिकार मिल जाएगा। (लूका २१:२४; यहेजकेल २१:२५-२७) जबकि दानिय्येल की किताब में कई भविष्यवाणियाँ दी गयी हैं, फिर भी इनमें से कोई भी आज बाइबल विद्यार्थियों को इसका ठीक-ठीक पता लगाने में मदद नहीं करती कि शैतान की पूरी दुनिया का नाश कब होगा। (दानिय्येल २:३१-४४; ८:२३-२५; ११:३६, ४४, ४५) मगर, ऐसा जल्द ही होगा, क्योंकि हम “अन्त समय” में जी रहे हैं।—दानिय्येल १२:४.a
मसीहा की उपस्थिति के दौरान जागते रहना
२, ३. (क) इस बात का कौन-सा बड़ा सबूत है कि हम राज के अधिकार में मसीहा की उपस्थिति के दौरान जी रहे हैं? (ख) कौन-सी बात दिखाती है कि मसीहियों को यीशु मसीह की उपस्थिति के दौरान जागते रहना था?
२ माना कि एक भविष्यवाणी की वज़ह से मसीही इसकी आस लगाए हुए थे कि १९१४ में मसीहा को राज्य का अधिकार दिया जाएगा। मगर यीशु ने अपनी उपस्थिति और इस रीति-व्यवस्था के अंत का जो “चिन्ह” दिया, उसकी खासियत थी घटनाएँ। और इनमें से ज़्यादातर घटनाएँ उसकी उपस्थिति की शुरुआत होने के बाद होतीं। ऐसी घटनाएँ—युद्ध, अकाल, भूकंप, महामारियाँ, बढ़ता हुआ अपराध, मसीहियों का सताया जाना, और दुनिया भर में राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया जाना—इस बात के काफी सबूत पेश करती हैं कि अब हम राज्य के अधिकार में यीशु की उपस्थिति के दौरान जी रहे हैं।—मत्ती २४:३-१४; लूका २१:१०, ११.
३ लेकिन, अपने शिष्यों से विदा होते समय जब यीशु ने उन्हें सलाह दी, तो उन सभी सलाहों का निचोड़ था: ‘सावधान रहो, जागते रहो।’ (मरकुस १३:३३, ३७, NHT; लूका २१:३६) जागते रहने के बारे में इन सलाहों के संदर्भ को अगर हम ध्यान से पढ़ें, तो यह पता चलेगा कि मसीहा यहाँ पर खासकर अपनी उपस्थिति की शुरुआत के चिन्ह के प्रति सचेत रहने के लिए नहीं कह रहा था। इसके बजाय, वह अपने सच्चे शिष्यों को अपनी उपस्थिति के दौरान जागते रहने के लिए कह रहा था। सच्चे मसीहियों को किस लिए जागते रहना था?
४. यीशु ने जो चिन्ह दिया, उससे कौन-सा मकसद पूरा होता?
४ चेलों ने यीशु से यह सवाल पूछा था कि “ये बातें [यानी, यहूदी रीति-व्यवस्था के विनाश की ओर ले जानेवाली घटनाएँ] कब होंगी? और तेरे आने [उपस्थिति] का, और जगत [रीति-व्यवस्था] के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३) इस सवाल के जवाब में यीशु ने अपनी ज़बरदस्त भविष्यवाणी कही। जिस चिन्ह के बारे में भविष्यवाणी की गयी थी, वह मसीहा की उपस्थिति की पहचान कराने में मदद करता। साथ ही, वह इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अंत की ओर ले जानेवाली घटनाओं की भी पहचाने कराने में मदद करता।
५. यीशु ने कैसे दिखाया कि हालाँकि वह आत्मिक रूप से उपस्थित है, फिर भी वह ‘आएगा’?
५ यीशु ने दिखाया कि अपनी ‘उपस्थिति’ (यूनानी में पारूसिया) के दौरान वह अधिकार और महिमा के साथ आएगा। ऐसे ‘आने’ के बारे में (जो यूनानी शब्द एरखोमाई के अलग-अलग रूपों द्वारा सूचित होता है) उसने कहा: “तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे। . . . अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो: जब उस की डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्म काल निकट है। इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह [मसीहा] निकट है, बरन द्वार ही पर है। . . . इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। . . . इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (तिरछे टाइप हमारे)—मत्ती २४:३०, ३२, ३३, ४२, ४४.
यीशु मसीह क्यों आता है?
६. ‘बड़े बाबुल’ का विनाश कैसे होगा?
६ हालाँकि वह १९१४ से एक राजा की हैसियत से उपस्थित है, यीशु मसीह को दुष्ट लोगों को न्यायदंड देने से पहले समूहों का और लोगों का न्याय करना है। (२ कुरिन्थियों ५:१० से तुलना कीजिए।) यहोवा जल्द ही राजनेताओं के मन में डालेगा कि “बड़ा बाबुल,” यानी झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य का नाश करें। (प्रकाशितवाक्य १७:४, ५, १६, १७) प्रेरित पौलुस ने खास तौर पर कहा कि यीशु मसीह ‘पाप के पुरुष’ का विनाश करेगा—यानी मसीहीजगत के धर्मत्यागी पादरियों का, जो ‘बड़े बाबुल’ का एक बड़ा हिस्सा हैं। पौलुस ने लिखा: “वह अधर्मी प्रगट होगा, जिसे प्रभु यीशु अपने मुंह की फूंक से मार डालेगा, और अपने आगमन के तेज से भस्म करेगा।”—२ थिस्सलुनीकियों २:३, ८.
७. जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, तब वह कैसा न्याय करेगा?
७ जल्द ही भविष्य में, मसीहा जातियों के लोगों का इस आधार पर न्याय करेगा कि वे अभी पृथ्वी पर जीवित उसके भाइयों के साथ किस तरह पेश आते हैं। यूँ लिखा है: “जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। और वह भेड़ों को अपनी दहिनी ओर और बकरियों को बाईं ओर खड़ी करेगा। राजा [भेड़ों] से कहेगा, . . . मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। . . . और [बकरियाँ] अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”—मत्ती २५:३१-४६.
८. पौलुस अधर्मी लोगों का न्याय करने के लिए मसीहा के आने का वर्णन कैसे करता है?
८ जैसे भेड़ और बकरियों के दृष्टांत में बताया गया है, यीशु सभी अधर्मी लोगों का हमेशा-हमेशा के लिए न्याय कर देता है। पौलुस ने दुःख-तकलीफ सहनेवाले संगी विश्वासियों को यकीन दिलाया कि उन्हें “चैन” मिलेगा, जब “प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा। और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा। वे प्रभु के साम्हने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाश का दण्ड पाएंगे। यह उस दिन होगा, जब वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने . . . को आएगा।” (२ थिस्सलुनीकियों १:७-१०) सो, क्योंकि इतनी सारी ज़बरदस्त घटनाएँ हमारे भविष्य में होनेवाली हैं, तो क्या हमें विश्वास करके मसीहा के आने के लिए पूरी तरह जागते नहीं रहना चाहिए?
मसीहा के प्रकट होने का आशाभरी दृष्टि से इंतज़ार
९, १०. ऐसे अभिषिक्त जन जो अब भी इस पृथ्वी पर हैं, यीशु मसीह के प्रकट होने का आशाभरी दृष्टि से क्यों इंतज़ार कर रहे हैं?
९ ‘प्रभु यीशु का स्वर्ग से प्रकट होना’ सिर्फ बुरे लोगों का नाश करने के लिए ही नहीं होगा, बल्कि धर्मी लोगों को इनाम देने के लिए भी होगा। मसीहा के अभिषिक्त भाई जो अभी पृथ्वी पर हैं, उन्हें शायद उसके प्रकट होने से पहले दुःख-तकलीफ सहनी पड़े, मगर वे अपनी शानदार स्वर्गीय आशा की वज़ह से खुश होते हैं। प्रेरित पतरस ने अभिषिक्त मसीहियों को लिखा: “जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो।”—१ पतरस ४:१३.
१० अभिषिक्त लोगों ने तब तक वफादार रहने की ठान ली है जब तक मसीहा ‘उन्हें अपने पास इकट्ठा नहीं कर लेता,’ ताकि उनका “परखा हुआ विश्वास, . . . यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।” (२ थिस्सलुनीकियों २:१; १ पतरस १:७) ऐसे वफादार, आत्मा से अभिषिक्त मसीहियों के बारे में यह कहा जा सकता है: “मसीह की गवाही तुम में पक्की निकली। यहां तक कि किसी बरदान में तुम्हें घटी नहीं, और तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने की बाट जोहते रहते हो।”—१ कुरिन्थियों १:६, ७.
११. यीशु मसीह के प्रकट होने का इंतज़ार करते समय, अभिषिक्त मसीही क्या करते हैं?
११ अभिषिक्त शेषवर्ग भी पौलुस की तरह महसूस करते हैं। पौलुस ने लिखा: “मैं समझता हूं, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।” (रोमियों ८:१८) उन लोगों के विश्वास को तारीख की ज़रूरत नहीं होती। वे लोग यहोवा की सेवा में लौलीन रहते हैं, और अपने साथियों, यानी ‘अन्य भेड़ों’ के लिए शानदार मिसाल कायम करते हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW) इन अभिषिक्त लोगों को पता है कि इस बुरी रीति-व्यवस्था का अंत नज़दीक है, और वे पतरस की इस सलाह को मानते हैं: “अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलनेवाला है।”—१ पतरस १:१३.
“सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से” इंतज़ार कर रही है
१२, १३. इंसान “व्यर्थता के आधीन” कैसे कर दिए गए, और अन्य भेड़ें किसके लिए तरस रही हैं?
१२ क्या अन्य भेड़ों के पास भी आशाभरी दृष्टि से देखने के लिए कुछ है? जी हाँ, बिलकुल है। उन लोगों की शानदार आशा के बारे में बात करने के बाद, जिन्हें यहोवा ने अपने आत्मा-अभिषिक्त ‘पुत्रों’ और स्वर्गीय राज्य में ‘मसीह के संगी वारिसों’ के तौर पर चुना है, पौलुस ने कहा: “सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करनेवाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई। कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।”—रोमियों ८:१४-२१; २ तीमुथियुस २:१०-१२.
१३ आदम के पाप की वज़ह से उसके सभी वंशज “व्यर्थता के आधीन” कर दिए गए थे, और पाप और मृत्यु की जकड़ में पैदा हो रहे थे। वे लोग खुद को इस जकड़ से छुड़ा नहीं पाए हैं। (भजन ४९:७; रोमियों ५:१२, २१) ये अन्य भेड़ें “विनाश के दासत्व से छुटकारा” पाने के लिए कितनी तरस रही हैं! मगर उससे पहले, यहोवा के समयों और कालों के अनुसार कुछ होना ज़रूरी है।
१४. “परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने” में क्या शामिल होगा, और इसकी वज़ह से मनुष्यजाति को “विनाश के दासत्व से छुटकारा” कैसे मिलेगा?
१४ “परमेश्वर के [अभिषिक्त] पुत्रों” के शेषवर्ग को पहले ‘प्रकट’ होना है। इसमें क्या शामिल है? परमेश्वर के अपने ठहराए गए समय पर, अन्य भेड़ों को पता चल जाएगा कि अभिषिक्त लोगों पर आखिरकार “मुहर” लगा दी गयी है और मसीह के साथ राज्य करने के लिए वे महिमा में पहुँच गए हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:२-४) ‘परमेश्वर के [फिर से जिलाए गए] पुत्र’ तब भी ‘प्रकट’ किए जाएँगे जब वे मसीहा के साथ शैतान की इस दुष्ट रीति-व्यवस्था का नाश करने में भाग लेते हैं। (प्रकाशितवाक्य २:२६, २७; १९:१४, १५) उसके बाद, मसीहा के हज़ार साल के शासन के दौरान, वे लोग और ज़्यादा ‘प्रकट’ किए जाएँगे जब वे इंसानी “सृष्टि” को यीशु के छुड़ौती बलिदान का लाभ पहुँचाने के लिए याजकों के तौर काम करेंगे। इसका नतीजा यह होगा कि मनुष्यजाति “विनाश के दासत्व से छुटकारा” पाएगी और बाद में “परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता” में प्रवेश करेगी। (रोमियों ८:२१; प्रकाशितवाक्य २०:५; २२:१, २) सो जबकि हमारे सामने ऐसा शानदार भविष्य रखा है, तो क्या इसमें कोई ताज्जुब की बात है कि अन्य भेड़ें “बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है”?—रोमियों ८:१९.
यहोवा के धीरज का मतलब उद्धार है
१५. घटनाओं के लिए यहोवा के ठहराए हुए समय के बारे में हमें कौन-सी बात कभी नहीं भूलनी चाहिए?
१५ यहोवा अपने समय का पाबंद है। घटनाओं के लिए उसका ठहराया हुआ समय बिलकुल ठीक होगा। हो सकता है कि घटनाएँ उसी तरह नहीं घटें जिस तरह हम चाहते हैं। मगर, हम पूरा विश्वास कर सकते हैं कि परमेश्वर के सभी वादे पूरे होंगे। (यहोशू २३:१४) शायद वह इस व्यवस्था को और ज़्यादा चलने दे रहा हो, जिसकी अपेक्षा कई लोगों ने नहीं की थी। मगर आइए हम उसके तौर-तरीकों को समझने की कोशिश करें और उसकी बुद्धिमानी की दाद दें। पौलुस ने लिखा: “आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! प्रभु की बुद्धि को किस ने जाना? या उसका मंत्री कौन हुआ?”—रोमियों ११:३३, ३४.
१६. यहोवा के धीरज से किसे फायदा होता है?
१६ पतरस ने लिखा: “हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों [पुराने “आकाश” और “पृथ्वी” का विनाश और उसकी जगह परमेश्वर के वादे के अनुसार “नया आकाश” और “नई पृथ्वी”] की आस देखते हो तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके साम्हने [“आखिरकार,” NW] निष्कलंक और निर्दोष ठहरो। और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो।” यहोवा के धीरज की वज़ह से, करोड़ों अन्य लोगों को “परमेश्वर के उस दिन” से बच निकलने का मौका दिया जा रहा है, जो अचानक “चोर की नाईं” आएगा। (२ पतरस ३:९-१५) उसका धीरज हमें “डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य्य पूरा करते” रहने का भी मौका दे रहा है। (फिलिप्पियों २:१२) यीशु ने कहा कि हमें ‘सावधान रहना’ है और ‘जागते रहना’ है, अगर हम परमेश्वर को खुश करना चाहते हैं और न्याय के समय “मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य” होना चाहते हैं।—लूका २१:३४-३६; मत्ती २५:३१-३३.
धीरज के साथ इंतज़ार करते रहो
१७. हमें प्रेरित पौलुस की कौन-सी बात माननी चाहिए?
१७ पौलुस ने अपने आध्यात्मिक भाइयों से कहा कि अपनी आँखों से “देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते” रहो। (२ कुरिन्थियों ४:१६-१८) वह नहीं चाहता था कि कोई भी चीज़ उनके सामने रखे गए स्वर्गीय इनाम को धूमिल कर दे। चाहे हम अभिषिक्त मसीही हों या अन्य भेड़ के हों, आइए हम अपने सामने रखी गयी शानदार आशा को कभी न भूलें और कभी हार न मानें। और “धीरज से उस की बाट जोहते” रहें, और साबित करें कि “हम हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।”—रोमियों ८:२५; इब्रानियों १०:३९.
१८. हम ‘समयों और कालों’ को यहोवा के हाथों में पूरे यकीन के साथ क्यों छोड़ सकते हैं?
१८ हम पूरे यकीन के साथ समयों और कालों को यहोवा के हाथों में छोड़ सकते हैं। उसके ठहराए हुए समय के मुताबिक, उसके वादों के पूरे होने में “देर न होगी।” (हबक्कूक २:३) और तीमुथियुस को दी गयी पौलुस की सलाह हमारे लिए और भी अर्थ रखती है। उसने कहा: “परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं। कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, . . . सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।”—२ तीमुथियुस ४:१-५.
१९. यहोवा के लोगों के लिए अब भी क्या करने का समय चल रहा है, और क्यों?
१९ ज़िंदगी दाँव पर लगी है—हमारी और हमारे पड़ोसियों की। पौलुस ने लिखा: “अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख। इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।” (१ तीमुथियुस ४:१५, १६) इस बुरी रीति-व्यवस्था का बहुत ही कम समय बाकी है। सो जबकि हम आनेवाली रोमांचक घटनाओं का आशाभरी दृष्टि से इंतज़ार कर रहे हैं, यह हमेशा याद रखें कि अब भी यहोवा का ठहराया हुआ समय और काल चल रहा है कि उसके लोग राज्य के सुसमाचार का प्रचार करें। इस काम को तब तक करना होगा जब तक परमेश्वर चाहता है। “तब” जैसे यीशु ने कहा, “अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१४.
[फुटनोट]
a वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित ज्ञान जो अनंत जीवन की ओर ले जाता है, इस पुस्तक के अध्याय १० और ११ देखिए।
दोहराने के लिए
◻ जहाँ तक तारीखों की बात है, हमारी हालत पहली सदी के मसीहियों की तरह कैसे है?
◻ मसीहियों को यीशु की उपस्थिति के दौरान भी क्यों ‘जागते रहना’ है?
◻ इंसान “परमेश्वर के पुत्रों के प्रकट होने” का आशाभरी दृष्टि से इंतज़ार क्यों करते हैं?
◻ हम पूरे यकीन के साथ ‘समयों और कालों’ को यहोवा के हाथों में क्यों छोड़ सकते हैं?
[पेज 17 पर तसवीर]
मसीहियों को यीशु के आने के इंतज़ार में जागते रहना है
[पेज 18 पर तसवीर]
अभिषिक्त शेषवर्ग यहोवा की सेवा में लौलीन रहते हैं, और अपने विश्वास को तारीखों पर आधारित नहीं करते