क्या दुष्टात्माएँ हमें बीमार करती हैं?
दुनिया में बीमारी का कोई नामो-निशान ही नहीं होता। क्योंकि परमेश्वर ने तो हमें अच्छी सेहत में हमेशा-हमेशा के लिए जीने के लिए बनाया था। यह दरअसल एक आत्मिक प्राणी, शैतान की करतूत थी जिसने हमारे पहले माता-पिता आदम और हव्वा से पाप करवाया और इसी वज़ह से बीमारी, दुःख-दर्द और मौत से मनुष्यों को जूझना पड़ता है।—उत्पत्ति ३:१-५, १७-१९; रोमियों ५:१२.
तोक्या इसका मतलब यह है कि सभी बीमारियाँ आत्माओं की वज़ह से होती हैं? जैसा हमने पिछले लेख में देखा, काफी लोग ऐसा ही सोचते हैं। नन्ही ओमाजी की दादी ने तो ऐसा ही सोचा। अकसर दस्त की बीमारी गर्म प्रदेश में रहनेवाले छोटे बच्चों को हो जाती है जिससे उनकी जान को खतरा रहता है। लेकिन क्या ओमाजी को जो दस्त हुआ था, वह अदृश्य आत्माओं की वज़ह से हुआ था?
शैतान का कहाँ तक हाथ है?
बाइबल इसका जवाब एकदम स्पष्ट रूप से देती है। पहले, वह यह बताती है कि जब लोग मर जाते हैं तो वे “कुछ भी नहीं जानते।” उनमें आत्मा नाम की कोई चीज़ नहीं होती जो मौत के बाद ज़िंदा रहती हो। इसलिए हमारे पूर्वज जो मर चुके हैं, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। क्योंकि मरे हुए लोग तो मौत की नींद सो रहे हैं, जहाँ न कोई “काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।” (सभोपदेशक ९:५, १०) सो, वे किसी भी तरह से ज़िंदा लोगों को बीमार कर ही नहीं सकते!
लेकिन, बाइबल यह ज़रूर बताती है कि दुष्ट आत्माएँ हैं। पूरे विश्व में सबसे पहला विरोधी एक आत्मिक प्राणी था जो अब शैतान के नाम से जाना जाता है। बाद में उसके साथ दूसरे आत्मिक प्राणी भी हो लिए और उन्हें पिशाच कहा जाने लगा। क्या शैतान और पिशाच लोगों को बीमार कर सकते हैं? हाँ, ऐसा हुआ है। क्योंकि यीशु ने चमत्कार करके जिन लोगों को चंगा किया था, उनमें से कुछ रोगी ऐसे थे जिनमें दुष्टात्मा थी और यीशु ने उन्हें निकाला। (लूका ९:३७-४३; १३:१०-१६) मगर, ज़्यादातर बीमारियाँ, जिन्हें यीशु ने ठीक किया, वे सभी पिशाचों की वज़ह से नहीं थीं। (मत्ती १२:१५; १४:१४; १९:२) उसी तरह आज भी, बीमारियाँ हमारी शारीरिक कमज़ोरियों की वज़ह से होती हैं, किसी अलौकिक शक्ति की वज़ह से नहीं।
मगर, जादू-टोना के बारे में क्या? नीतिवचन १८:१० यह कहकर हमारा हौसला बुलंद करता है: “यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है।” याकूब ४:७ कहता है: “शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।” जी हाँ, परमेश्वर अपने वफादार लोगों को जादू-टोना और दूसरी अलौकिक शक्तियों से बचा सकता है। जब यीशु ने कहा, “सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा,” तो इसका एक अर्थ यह भी है कि परमेश्वर हमें खतरनाक शक्तियों के प्रभाव से बचाएगा।—यूहन्ना ८:३२.
अब शायद कुछ लोग सवाल करें: ‘अय्यूब के बारे में क्या? क्या उसे एक दुष्टात्मा ने बीमार नहीं किया था?’ जी हाँ, बाइबल कहती है कि शैतान ने ही अय्यूब को बीमार किया था। लेकिन यह सिर्फ अय्यूब के मामले में ही हुआ था। अय्यूब पर परमेश्वर की छत्रछाया थी इसीलिए शैतान और पिशाच उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते थे। लेकिन जब एक बार शैतान ने अय्यूब की वफादारी पर कुछ सवाल खड़े किए तो इसका जवाब देने के लिए परमेश्वर ने कुछ समय के लिए अय्यूब पर से अपनी छत्रछाया हटा ली।
मगर परमेश्वर ने शैतान को पूरी छूट नहीं दे दी थी। जब यहोवा ने शैतान को अनुमति दी कि वह अय्यूब पर मुसीबतें लाएँ, तब शैतान अय्यूब को कुछ समय के लिए बीमार तो कर सकता था मगर उसकी जान नहीं ले सकता था। (अय्यूब २:५, ६) आखिरकार, अय्यूब की दुःख-तकलीफों का दौर खत्म हुआ और यहोवा ने उसे उसकी वफादारी के लिए भरपूर आशीष दी। (अय्यूब ४२:१०-१७) अय्यूब के वफादार रहने के द्वारा सभी सवालों के जवाब मिल गए और इन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए बाइबल में लिखवाया ताकि यह हम सबके लिए मिसाल साबित हो। सो, इस तरह की दूसरी परीक्षा की और ज़रूरत नहीं है।
शैतान काम कैसे करता है?
लगभग हर बार, इंसानों को होनेवाली बीमारियों और शैतान के बीच बस यही संबंध है कि शैतान ने प्रथम मानव दंपति को लालच दिया और वे पाप कर बैठे। लेकिन शैतान और उसके पिशाच आज हर बीमारी के लिए दोषी नहीं हैं। मगर, शैतान इस कोशिश में ज़रूर लगा रहता है कि वह हमसे गलत फैसले करवाए और हम अपने विश्वास से समझौता कर बैठें, जिससे कभी-कभी हमारी सेहत को नुकसान पहुँच सकता है। उसने आदम और हव्वा पर न तो जादू-टोना किया, ना सीधे उनका कतल किया, ना ही उन्हें बीमार किया। उसने तो बस हव्वा को परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ जाने के लिए उकसाया। और हव्वा की देखा-देखी आदम भी परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ गया। इसका अंजाम यह हुआ कि बीमारी और मौत सबमें फैल गयी।—रोमियों ५:१९.
इस्राएल की जाति मोआब की सीमाओं के बहुत ही पास डेरा डाले हुई थी। इसलिए बिलाम नाम के एक दुष्ट भविष्यवक्ता को एक बार मोआब के राजा ने इस्राएल की जाति को शाप देने के लिए बुलवा भेजा। बिलाम ने इस्राएल जाति को शाप देने की लाख कोशिश की मगर सब व्यर्थ रहा क्योंकि वह जाति यहोवा की छत्रछाया में सुरक्षित थी। जब वे इसमें कामयाब नहीं हुए तब मोआबी लोग इस्राएल को मूर्तिपूजा करने और अनैतिक काम करने के लिए लुभाने लगे। उनका यह पैंतरा कामयाब हुआ और इस्राएल पर से यहोवा की छत्रछाया उठ गयी।—गिनती २२:५, ६, १२, ३५; २४:१०; २५:१-९; प्रकाशितवाक्य २:१४.
पुराने ज़माने में हुई उस घटना से हम एक बहुत ही ज़रूरी सबक सीख सकते हैं। परमेश्वर की छत्रछाया उसके वफादार सेवकों पर होती है इसलिए शैतान उन पर सीधे हमला नहीं कर सकता। मगर शैतान किसी धूर्त तरीके से उसके सेवकों की वफादारी को तोड़ने की कोशिश कर सकता है। वह शायद उन्हें अनैतिक काम करने के लिए लुभाए। या फिर, जिस तरह एक शेर दहाड़ मारकर अपने शिकार को डराकर फँसा लेता है, उसी तरह शैतान भी शायद लोगों को डराकर उनसे कुछ ऐसा काम करवाने की कोशिश करे जिससे कि उन पर से परमेश्वर की छत्रछाया उठ जाए। (१ पतरस ५:८) इसीलिए तो प्रेरित पौलुस शैतान के बारे में कहता है कि उसके “पास मारने की शक्ति है।”—इब्रानियों २:१४, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।
ओमाजी की दादी ने बीमारी से बचने के लिए हावा को भूत-प्रेत को दूर रखने की चीज़ों और तावीज़ों का इस्तेमाल करने के लिए उकसाया। अगर हावा, अपनी सास की बातों में आ जाती तो क्या होता? वह यही दिखाती कि उसे यहोवा परमेश्वर पर पूरा भरोसा नहीं है और उसे विश्वास नहीं है कि यहोवा उसकी रक्षा कर सकता है।—निर्गमन २०:५; मत्ती ४:१०; १ कुरिन्थियों १०:२१.
शैतान ने अय्यूब से गलत काम करवाने की काफी कोशिश की। उसने उससे उसका परिवार, उसकी दौलत यहाँ तक कि उसकी सेहत भी छीन ली। मगर इतना करके वह रुका नहीं। अय्यूब की पत्नी ने भी उसे बुरी सलाह ही दी। उसने कहा: “परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।” (अय्यूब २:९) उसके बाद, अय्यूब से मिलने उसके तीन ‘मित्र’ आए और उन्होंने मिलकर उसे यह यकीन दिलाने की जमकर कोशिश की कि अपनी बीमारी का दोषी खुद वही है। (अय्यूब १९:१-३) इस तरह शैतान ने अय्यूब की कमज़ोर स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश की जिससे वह निराश हो जाए और यहोवा की धार्मिकता पर से उसका भरोसा टूट जाए। मगर फिर भी, अय्यूब ने यहोवा को नहीं छोड़ा। उसने अपना पूरा भरोसा और आशा यहोवा पर ही बनाए रखी।—भजन ५५:२२ से तुलना कीजिए।
जब हम बीमार होते हैं, तो शायद हम भी मायूस हो जाएँ। शैतान ऐसी ही स्थिति का फायदा उठाने की ताक में रहता है और फिर वह हमसे कुछ ऐसा काम करवाने की कोशिश करता है जो हमारे विश्वास के खिलाफ हो। इसीलिए, जब हम बीमार हो जाते हैं तो यह बात याद रखना बहुत ज़रूरी है कि हम विरासत में मिली असिद्धता की वज़ह से बीमार हैं, किसी खतरनाक या अलौकिक प्रभाव की वज़ह से नहीं। याद कीजिए, अपनी मौत से कुछ साल पहले वफादार इसहाक की आँखें कमज़ोर पड़ गयी थीं। (उत्पत्ति २७:१) इसकी वज़ह दुष्टात्माएँ नहीं बल्कि बुढ़ापा था। राहेल बच्चे को जन्म देते वक्त चल बसी और यह शैतान की वज़ह से नहीं बल्कि शारीरिक कमज़ोरी की वज़ह से हुआ। (उत्पत्ति ३५:१७-१९) आखिरकार पुराने ज़माने के सभी वफादार जन मर गए, लेकिन वे किसी मंत्र या शाप की वज़ह से नहीं बल्कि विरासत में मिली असिद्धता की वज़ह से मरे।
अगर हम ऐसा सोच लेते हैं कि हमें होनेवाली हर छोटी-बड़ी बीमारी का वास्ता अदृश्य आत्माओं से है तो यह खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि इससे हमारे मन में आत्माओं का भयानक खौफ समा सकता है। फिर जब हम बीमार पड़ते हैं तब हम शायद आत्माओं से दूर रहने के बजाय उन्हें खुश करने की कोशिश में लग जाएँ। और अगर शैतान हममें इतना खौफ पैदा कर सकता है कि हम प्रेतात्मवादी कामों का आसरा लेने लगें, तो क्या यह सच्चे परमेश्वर यहोवा के प्रति दगाबाज़ी नहीं होगी? (२ कुरिन्थियों ६:१५) दरअसल हममें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय होना चाहिए, परमेश्वर के दुश्मन के प्रति अंधविश्वासी खौफ नहीं।—प्रकाशितवाक्य १४:७.
नन्ही ओमाजी के पास तो दुष्टात्माओं के खिलाफ पहले से ही सबसे बेहतरीन सुरक्षा थी। प्रेरित पौलुस के मुताबिक, परमेश्वर की नज़रों में वह “पवित्र” है क्योंकि उसकी माँ परमेश्वर की उपासक है और वह परमेश्वर से प्रार्थना कर सकती है कि वह अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए उसकी बेटी की मदद करे। (१ कुरिन्थियों ७:१४) हावा को परमेश्वर के बारे में सही-सही ज्ञान है, सो उसने तावीज़ों पर भरोसा करने के बजाय ओमाजी का सबसे अच्छा इलाज करवाया।
बीमारियों की वज़हें
ज़्यादातर लोग आत्माओं में विश्वास नहीं करते। सो बीमार पड़ने पर अगर उनके पास डॉक्टर के पास जाने के लिए पैसे हैं, तो वे डॉक्टर के पास जाते हैं। हाँ, यह बात तो माननी पड़ेगी कि बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाने के बावजूद शायद ठीक न हो पाए। क्योंकि डॉक्टर करिश्मे नहीं कर सकते। लेकिन बात यह है कि ऐसे कई अंधविश्वासी लोग हैं जो अपने रोग का सही समय पर इलाज करा सकते हैं लेकिन जब तक वे डॉक्टर के पास जाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। वे पहले तंत्र-मंत्र और झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं और जब इन सबसे कोई फायदा नहीं होता, तब अंतिम आसरे के तौर पर डॉक्टर के पास जाते हैं। इस कारण, कई लोग बेवज़ह मर जाते हैं।
अज्ञानता की वज़ह से भी कई लोग समय से पहले ही मर जाते हैं। वे बीमारियों के लक्षण को पहचान नहीं पाते और यह भी नहीं जानते कि फलाना-फलाना बीमारी को रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाने चाहिए। अगर इन सब की जानकारी हो तो व्यक्ति बेवज़ह की दुःख-तकलीफ से खुद को बचा सकता है। यहाँ गौर करने की बात यह है कि पढ़ी-लिखी माताओं की तुलना में ज़्यादातर अनपढ़ माताओं के बच्चे बीमार होकर मर जाते हैं। जी हाँ, अज्ञानता की वज़ह से बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
बीमारी की एक और वज़ह है लापरवाही। मसलन, कई लोग इस बात की बिलकुल परवाह नहीं करते कि उनके भोजन पर मक्खियाँ भिनभिना रही हैं या कीड़े-मकोड़े व चींटियाँ आ रही हैं। वे लोग ऐसे गंदे भोजन को खा लेते हैं और फिर इस वज़ह से बीमार पड़ जाते हैं। कभी-कभी कुछ लोग खाना बनाने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह से धोते भी नहीं हैं। और, जिस इलाके में मलेरिया का बोल-बाला है, वहाँ रात को बिन मच्छरदानी के सोना वैसा है जैसा बीमारी से कह रहे हों, आ बैल मुझे मार।a सेहत के मामले में यह सच ही तो कहा जाता है कि “थोड़ी-सी सावधानी, दूर करे परेशानी।”
लाखों लोग गंदे-गंदे काम करते हैं जिसकी वज़ह से वे बीमार होकर समय से पहले ही मौत के मुँह मे चले जाते हैं। पियक्कड़पन, अनैतिक काम, ड्रग्स का सेवन करना और तंबाकू खाने की वज़ह से बहुत लोगों ने अपनी सेहत बिगाड़ ली है। और अगर कोई व्यक्ति इस तरह के गलत-सलत काम करता है और फिर इसकी वज़ह से बीमार हो जाता है, तो क्या कोई कह सकता है कि उस पर किसी ने जादू-टोना किया है या फिर किसी आत्मा ने उस पर हमला किया है? बिलकुल भी नहीं! अपनी बीमारी का दोषी वह खुद है। वह इसका दोष किसी और के मत्थे नहीं मढ़ सकता। अगर वह इसका दोष आत्माओं पर लगाता है तो इसका मतलब यही है कि वह बहाना बना रहा है और ऐसी जीवन-शैली को छोड़ना नहीं चाहता।
यह बात भी सच है कि कुछ-कुछ बातों पर हमारा बस नहीं चलता। मसलन, हम शायद ऐसे माहौल में रह रहे हों जहाँ चारों तरफ बीमारी फैलानेवाले कीटाणु हैं या फिर वातावरण काफी प्रदूषित है। यही तो ओमाजी के साथ हुआ। उसकी माँ को पता नहीं चल रहा था कि उसे दस्त किस वज़ह से हुआ था। उसके बच्चे दूसरों के बच्चों की तरह आए-दिन बीमार नहीं पड़ते थे क्योंकि वह अपने घर और आँगन को साफ रखती थी और खाना बनाने से पहले हमेशा अपने हाथ धोती थी। मगर सभी बच्चे कभी-न-कभी तो बीमार पड़ेंगे ही। कुछ २५ अलग-अलग संक्रमण की वज़ह से दस्त हो सकता है। शायद कभी किसी को यह मालूम नहीं पड़ेगा कि इन पच्चीसों में से किस संक्रमण की वज़ह से ओमाजी को दस्त हुआ था।
हमेशा-हमेशा का हल
बीमारियाँ परमेश्वर की वज़ह से नहीं होती हैं क्योंकि “न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।” (याकूब १:१३) अगर उसका कोई उपासक बीमार हो भी जाता है, तो यहोवा उसे आध्यात्मिक तौर पर सँभाले रखता है। “जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।” (भजन ४१:३) जी हाँ, परमेश्वर करुणामयी है। वह हमें तकलीफ देना नहीं बल्कि हमारी मदद करना चाहता है।
सचमुच, यहोवा ने बीमारी को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा देने के लिए एक प्रबंध किया है और वह प्रबंध है यीशु की मौत और उसका पुनरुत्थान। यीशु के छुड़ौती बलिदान के ज़रिए, नेकदिल इंसानों को उनकी पापमय स्थिति से छुटकारा मिलेगा और आखिर में उन्हें पृथ्वी पर बगीचे-समान माहौल में तंदुरुस्ती के साथ हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। (मत्ती ५:५; यूहन्ना ३:१६) जब यीशु पृथ्वी पर था तब उसने चंगाई का काम करके दिखाया कि वह परमेश्वर के राज्य में और कितने बड़े पैमाने पर ऐसा करेगा। परमेश्वर, शैतान और उसके पिशाचों को भी नाश कर देगा। (रोमियों १६:२०) सच, यहोवा अपने विश्वासी लोगों को बहुत ही बढ़िया आशीषें देगा। हमें बस इंतज़ार करने और धीरज धरने की ज़रूरत है।
तब तक, परमेश्वर हमें बाइबल और पूरी दुनिया के वफादार भाइयों के ज़रिए व्यावहारिक बुद्धि और आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे रहा है। इस तरह वह हमें दिखाता है कि हम किस तरह उन बुरे कामों से दूर रह सकते हैं जिनसे हमें बीमारियाँ हो सकती हैं। और पूरी दुनिया के भाई-बहनों में हमें सच्चे दोस्त मिलते हैं जो मुसीबत के समय हमारी मदद करते हैं।
ज़रा अय्यूब के बारे में फिर से सोचिए। अगर अय्यूब किसी ओझा-तांत्रिक के पास जाता तो यह उसकी बहुत बड़ी गलती होती! और उसके सिर पर से परमेश्वर की छत्रछाया उठ जाती और परीक्षा के बाद जो भी प्रतिफल और आशीष उसे मिलनेवाली थी, उससे वह हाथ धो बैठता। परीक्षा के समय परमेश्वर अय्यूब को नहीं भूला, ना ही वह हमें भूलेगा। शिष्य याकूब कहता है, “तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है।” (याकूब ५:११) अगर हम भी कभी हार न मानें, तो परमेश्वर के नियत समय पर हमें भी बढ़िया आशीषें मिलेंगी।
नन्ही ओमाजी का क्या हुआ? उसकी माँ को याद आया कि ओरल रिहाइड्रेशन थरॆपीb के बारे में प्रहरीदुर्ग के साथ प्रकाशित होनेवाली पत्रिका सजग होइए! में एक लेख छपा था। उसने उस लेख में दिए गए निर्देश के अनुसार काम किया और ओमाजी के लिए एक घोल तैयार किया। अब वह नन्ही लड़की भली-चंगी और स्वस्थ है।
[फुटनोट]
a तकरीबन ५० करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं। और इसकी वज़ह से हर साल लगभग २० लाख लोग अपनी जान गँवा बैठते हैं और इसमें ज़्यादातर लोग अफ्रीका के होते हैं।
b अंग्रेज़ी सजग होइए! में सितंबर २२, १९८५, पेज २४-५, लेख “एक नमकीन घोल जिससे जान बचती है!” देखिए।
[पेज 7 पर तसवीरें]
यहोवा ने बीमारी को हमेशा-हमेशा के लिए मिटाने का प्रबंध किया है