फिर से जीने की आशा हमें हिम्मत देती है!
‘मैंने सब वस्तुओं की हानि उठाई है, जिससे कि मैं मसीह को और उसके जी उठने की सामर्थ को जानूं।’—फिलिप्पियों 3:8-10.
1, 2. (क) एक पादरी के मुताबिक मरे हुओं को कैसे जी उठाया जाएगा? (ख) असल में परमेश्वर मरे हुओं को कैसे जी उठाएगा?
करीब 1890 में अमरीका के एक पादरी ने बताया कि परमेश्वर मरे हुए इंसानों को कैसे ज़िंदा करेगा। उसने कहा कि चाहे एक आदमी आग में पूरी तरह भस्म हो गया हो, ऐक्सिडॆंट में उसके चिथड़े-चिथड़े उड़ गए हों, या जंगली जानवर ने उसकी हड्डी-हड्डी नोंच ली हो, तोभी उसके हाथ, पाँव, उँगलियाँ, हड्डियाँ और हर छोटे-से-छोटा अंग इकट्ठा होकर जुड़ जाएँगे और इस तरह उसे वही पुराना शरीर मिल जाएगा। इसके बाद स्वर्ग या नरक में से आत्मा निकलकर उस शरीर में प्रवेश करेगी। इस तरह वह मरा हुआ आदमी अपने पुराने शरीर के साथ फिर से जी उठेगा।
2 पादरी की यह बात बेतुकी लगती है। क्यों? क्योंकि इसके दो कारण हैं। पहला। परमेश्वर यहोवा शक्तिशाली है। उसे पुराना शरीर फिर से तैयार करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि वह मरे हुए लोगों के लिए नया शरीर बना सकता है। यहोवा ने मरे हुओं को जिलाने का अधिकार अपने बेटे, यीशु मसीह को सौंपा है। (यूहन्ना 5:26) इसीलिए यीशु ने कहा: “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।” (यूहन्ना 11:25, 26) यीशु के इस वादे से हम यहोवा के गवाहों को हर तरह की मुसीबत से, यहाँ तक कि मौत से भिड़ जाने की ताकत मिलती है।
3. पौलुस को मरे हुओं के जी उठने के बारे में क्यों दलीलें देनी पड़ी?
3 दूसरा कारण यह है कि इंसान में आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती जो मरने के बाद भी अमर रहती है। (सभोपदेशक 9:5, 10; यहेजकेल 18:4) अमर आत्मा की बात तो यूनानी तत्वज्ञानी प्लेटो के दिमाग की उपज थी, जिस पर कई यूनानी विश्वास करते थे। इसलिए जब प्रेरित पौलुस ने ऐसे यूनानियों से यीशु मसीह के जी उठने की बात की, तब उनमें से कई लोग “ठट्ठा करने लगे।” (प्रेरितों 17:29-34) उस समय यीशु के ऐसे कई शिष्य ज़िंदा थे जिन्होंने यीशु को उसके जी उठने के बाद खुद अपनी आँखों से देखा था और वे इस बात की गवाही भी दे रहे थे। फिर भी, कुरिन्थ की कलीसिया में कुछ झूठे उपदेशक कह रहे थे कि मरे हुओं का जी उठना मुमकिन नहीं है। इसीलिए पौलुस ने उस कलीसिया को एक ज़बरदस्त खत लिखा। उसकी दलीलें 1 कुरिन्थियों के 15 अध्याय में दर्ज़ हैं, जो साफ-साफ साबित करती हैं कि मरे हुओं का जी उठना ज़रूर होगा।
यीशु के जी उठने के ठोस सबूत
4. पौलुस ने किन-किन गवाहों का ज़िक्र किया जिन्होंने यीशु को जी उठने के बाद देखा था?
4 देखिए कि पौलुस अपनी दलील पेश करने से पहले क्या कहता है। (1 कुरिन्थियों 15:1-11) वह उन्हें याद दिलाता है कि यीशु उनके पापों के लिए मरा, फिर उसे दफनाया गया और जी उठाया गया। उन्हें अपनी मुक्ति के इस संदेश को थामे रहना है, वरना उनका विश्वास करना बेकार होगा। फिर पौलुस ऐसे कई मसीहियों का ज़िक्र करता है जिन्होंने खुद यीशु को जी उठने के बाद देखा था। मिसाल के तौर पर, यीशु कैफा (पतरस) को और फिर “बारहों को दिखाई दिया।” (यूहन्ना 20:19-23) फिर करीब 500 चेलों ने भी उसे देखा। शायद तभी यीशु ने यह आज्ञा दी: ‘जाकर चेला बनाओ।’ (मत्ती 28:19, 20) बाकी प्रेरितों की तरह खुद यीशु के भाई, याकूब ने भी उसे देखा। (प्रेरितों 1:6-11) और दमिश्क के पास यीशु ने पौलुस को भी दर्शन दिया, “जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा” था, यानी पौलुस ने समय से पहले ही, या स्वर्ग जाने से पहले ही यीशु को आत्मिक रूप में देख लिया था। (प्रेरितों 9:1-9) आगे पौलुस उन्हें याद दिलाता है कि जब उसने उन्हें शुभ-संदेश सुनाया था तब उन्होंने कैसे उसे कबूल करके विश्वास किया था।
5. पहला कुरिन्थियों 15:12-19 में पौलुस क्या दलील देता है?
5 अब पौलुस की दलील पर ध्यान दीजिए। (1 कुरिन्थियों 15:12-19) जब इतने सारे लोगों ने यीशु को जी उठने के बाद देखा था और उसकी गवाही भी दे रहे थे, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि मरे हुओं का जी उठना मुमकिन नहीं है? पौलुस आगे कहता है कि अगर यीशु को फिर से नहीं जिलाया गया, तो मसीहियों का विश्वास और उनका प्रचार करना सब व्यर्थ है। और वे सब परमेश्वर के खिलाफ झूठी गवाही दे रहे है। अगर मरे हुए जिलाए नहीं जाएँगे, तो मसीही “अब तक अपने पापों में फंसे” हैं और जो मसीही मर गए हैं, वे हमेशा-हमेशा के लिए नाश हो गए। और अगर ‘वे केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो वे सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।’
6. (क) पौलुस ने यीशु के जी उठाए जाने के बारे में क्या कहा? (ख) “अन्तिम बैरी” क्या है और कैसे उसका नाश किया जाएगा?
6 आगे पौलुस कहता है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठनेवाला “पहिला फल” है। तो इसका मतलब यही हुआ कि दूसरों को भी जिलाया जाएगा। (1 कुरिन्थियों 15:20-28) जिस तरह एक इंसान यानी आदम के पाप की वज़ह से मृत्यु आयी, उसी तरह मरे हुओं का जिलाया जाना भी एक इंसान यानी यीशु के द्वारा ही होगा। और मसीहियों का यह जी उठना यीशु की उपस्थिति के दौरान यानी, स्वर्ग में उसके राजा बनने के बाद होगा। फिर मसीह, परमेश्वर की हुकूमत के खिलाफ उठनेवाले “सभी शासकों, अधिकारियों, हर प्रकार की शक्तियों का अंत” करेगा। (ईज़ी टू रीड वर्शन) और वह तब तक राज करेगा जब तक यहोवा सभी बैरियों को उसके पावों तले न कर दे। सबसे “अन्तिम बैरी” यानी मृत्यु को भी नाश कर दिया जाएगा। कैसे? यीशु के बलिदान के ज़रिए। फिर यीशु अपने राज्य को अपने परमेश्वर और पिता, यहोवा के हाथों सौंप देगा और खुद को भी उसके अधीन कर देगा “ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।”
मरे हुओं के लिये बपतिस्मा?
7. कौन “मरने के उद्देश्य से बपतिस्मा” लेते हैं और इसका मतलब क्या है?
7 जो लोग कहते थे कि मरे हुओं का जिलाया जाना मुमकिन नहीं है, उनसे पौलुस पूछता है: “जो लोग मरे हुओं के लिये [“मरने के उद्देश्य से,” NW] बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे?” (1 कुरिन्थियों 15:29) यहाँ पौलुस का मतलब यह नहीं था कि मसीही मरे हुओं के लिए बपतिस्मा लेते हैं। ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि अगर एक व्यक्ति यीशु का शिष्य बनना चाहता है, तो उसे बपतिस्मा लेने से पहले मसीही शिक्षाओं को सीखना और उन पर विश्वास करना चाहिए। मरे हुए ऐसा नहीं कर सकते। (मत्ती 28:19, 20; प्रेरितों 2:41) तो फिर “मरने के उद्देश्य से बपतिस्मा” लेने का मतलब क्या है? सिर्फ अभिषिक्त मसीही यह बपतिस्मा लेते हैं। इन अभिषिक्त मसीहियों को स्वर्ग में जीवन पाने से पहले मरना ज़रूरी है। सो, जब परमेश्वर अपनी आत्मा से इन मसीहियों का अभिषेक करता है, तब उनका “मरने के उद्देश्य से बपतिस्मा” शुरू होता है और तब खत्म होता है जब वे मरकर जी उठते हैं।—रोमियों 6:3-5; 8:16, 17; 1 कुरिन्थियों 6:14.
8. चाहे शैतान या उसके पैरोकार मसीहियों को मार भी डालें, तोभी वे क्या विश्वास रख सकते हैं?
8 पौलुस कहता है कि जी उठने की आशा मसीहियों को हिम्मत देती है कि वे प्रचार की खातिर हर घड़ी खतरे, यहाँ तक कि मौत का भी सामना कर सकें। (1 कुरिन्थियों 15:30, 31) वे जानते हैं कि चाहे शैतान या उसके पैरोकार उन्हें मार भी डालें, तोभी यहोवा उन्हें फिर से जिला सकता है। क्योंकि शैतान नहीं, सिर्फ यहोवा ही इंसान को ज़िंदगी दे सकता है या गेहेन्ना में डालकर उसे हमेशा के लिए मिटा सकता है।—लूका 12:5.
होश में रहो
9. अगर हम चाहते हैं कि हमें बड़ी-से-बड़ी मुसीबत में टिके रहने की हिम्मत मिले, तो हमें क्या करना चाहिए?
9 इस आशा ने पौलुस को बड़े-से-बड़े खतरे का, यहाँ तक कि मौत का भी सामना करने की हिम्मत दी। एक बार इफिसुस में उसे मरवा डालने के लिए शायद जंगली जानवरों के बीच डाला गया था। (1 कुरिन्थियों 15:32) अगर ऐसा हुआ था, तो इसी आशा की वज़ह से वह हिम्मत से उनका सामना कर सका, और परमेश्वर ने उसे वहाँ से बचा लिया, जैसे उसने दानिय्येल को शेर की माँद से बचाया था। (दानिय्येल 6:16-22; इब्रानियों 11:32, 33) उसके लिए सिर्फ यही ज़िंदगी सब कुछ नहीं थी, वरना वह यशायाह के ज़माने के यहूदी धर्मद्रोहियों की तरह कहता: “आओ खाएं-पीएं, क्योंकि कल तो हमें मरना है।” (यशायाह 22:13) सो, अगर हम चाहते हैं कि हमें बड़ी-से-बड़ी मुसीबत में टिके रहने की हिम्मत मिले, तो हमें पूरा विश्वास करना होगा कि मरे हुओं का जी उठना ज़रूर होगा और उन धर्मद्रोहियों की तरह सोचनेवाले लोगों से दूर रहना होगा। इसलिए पौलुस चेतावनी देता है: “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।”—1 कुरिन्थियों 15:33.
10. अपनी आशा को हमेशा उज्ज्वल रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
10 दोबारा जिलाए जाने की आशा पर शक करनेवालों से पौलुस कहता है: “होश में आओ, अच्छा जीवन अपनाओ, जैसे कि तुम्हें होना चाहिये। पाप करना बंद करो। क्योंकि तुममें से कुछ तो ऐसे हैं जो परमेश्वर के बारे में कुछ भी नहीं जानते। मैं यह इसलिये कह रहा हूँ कि तुम्हें लज्जा आए।” (1 कुरिन्थियों 15:34, ईज़ी टू रीड वर्शन) जी हाँ, वो लोग परमेश्वर को नहीं जानते थे, इसीलिए वे उस आशा पर विश्वास नहीं करते थे। हम इस “अन्त समय” में जी रहे हैं, इसलिए हमें परमेश्वर और मसीह के बारे में सही-सही ज्ञान लेना चाहिए और उन पर चलते रहना चाहिए, ताकि हम हमेशा होश में रहें। (दानिय्येल 12:4; यूहन्ना 17:3) इस तरह हमारी आशा हमेशा उज्ज्वल रहेगी।
कैसी देह के साथ जी उठते हैं?
11. पौलुस ने अभिषिक्त मसीहियों के जी उठने के बारे में कौन-सा उदाहरण देकर समझाया?
11 इसके बाद पौलुस चंद सवालों पर ध्यान देता है। (1 कुरिन्थियों 15:35-41) लोगों के मन में शक पैदा करने के लिए शायद कोई सवाल उठाए: “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?” इसका जवाब देने के लिए पौलुस एक बीज का उदाहरण देता है। जब बीज बोया जाता है तो वह पहले मर जाता है, फिर उसमें से एक अंकुर फूटता है, जो बढ़कर पौधा बन जाता है। जैसे पौधा बनने से पहले बीज का मरना ज़रूरी है, उसी तरह स्वर्ग में रहने के लिए एक नया, आत्मिक शरीर पाने से पहले अभिषिक्त मसीही को मरना ज़रूरी है। और जिस तरह बीज, उसमें से निकले पौधे से अलग होता है, उसी तरह जी उठने के बाद अभिषिक्त मसीहियों का शरीर इंसानों के शरीर से अलग होता है। मगर उनका स्वभाव और व्यक्तित्व पहले जैसा ही रहता है। और जो लोग इसी पृथ्वी पर जीने के लिए जिलाए जाते हैं, उनका हड्डी-माँस का नया शरीर होगा।
12. “स्वर्गीय देह” और “पार्थिव देह” का मतलब क्या है?
12 पौलुस आगे कहता है कि इंसान का शरीर एक तरह का होता है, और जानवरों का शरीर दूसरी तरह का। यहाँ तक कि अलग-अलग तरह के जानवरों के शरीर भी अलग-अलग तरह के होते हैं। (उत्पत्ति 1:20-25) और इन सब की “पार्थिव देह” स्वर्ग में रहनेवालों की “स्वर्गीय देह” से अलग होती हैं। सूरज का तेज अलग है, चाँद की रोशनी अलग है, सितारों की चमक अलग है। मगर जी उठने के बाद अभिषिक्त मसीहियों का तेज और महिमा बाकी सबसे बढ़कर होगी।
13. पहला कुरिन्थियों 15:42-44 के मुताबिक अभिषिक्त मसीही किस दशा में मरते हैं और किस रूप में उठाए जाते हैं?
13 इसके बाद पौलुस कहता है: “जब मरे हुए जी उठेंगे तब भी ऐसा ही होगा। वह देह जिसे धरती में दफना कर ‘बोया’ गया है, नाशमान है किन्तु वह देह जिसका पुनरुत्थान हुआ है, अविनाशी है।” (1 कुरिन्थियों 15:42-44, ईज़ी टू रीड वर्शन) पृथ्वी पर अभिषिक्त मसीहियों का शरीर नाशमान होता है, मगर वे स्वर्ग में अविनाशी रूप में जी उठते हैं और पाप से मुक्त होते हैं। वे ‘अनादर के साथ बोए जाते हैं’ यानी दुनिया में उनका अनादर होता है, मगर वे ‘तेज के साथ जी उठते हैं’ और यीशु के साथ स्वर्ग में महिमा पाते हैं। (1 कुरिन्थियों 15:43; प्रेरितों 5:41; कुलुस्सियों 3:4) इसलिए, अगर परमेश्वर अभिषिक्त मसीहियों को स्वर्ग में जी उठा सकता है तो हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि वह बाकी सभी मरे हुओं को इस धरती पर जीने के लिए फिर से ज़रूर ज़िंदा कर सकता है।
14. आदम और यीशु के बीच में पौलुस ने कौन-सा फर्क बताया?
14 इसके बाद पौलुस यीशु और आदम के बीच फर्क बताता है। (1 कुरिन्थियों 15:45-49) पहला आदमी यानी आदम “जीवित प्राणी बना।” (उत्पत्ति 2:7) मगर “अन्तिम आदम” यानी यीशु “जीवनदायक आत्मा बना।” कैसे? उसने बहुतों को पाप और मौत से छुड़ाने के लिए अपनी जान दे दी। उसकी इस कुरबानी से सबसे पहले अभिषिक्त मसीहियों को छुटकारा मिलता है। (मरकुस 10:45) जब ये अभिषिक्त मसीही धरती पर होते हैं तब वे ‘उसका (आदम का) रूप धारण करते हैं जो मिट्टी का था,’ और जिलाए जाने पर वे अन्तिम आदम यानी यीशु की तरह बन जाते हैं। यीशु के बलिदान से बाकी के सभी वफादार इंसानों को भी छुटकारा मिलता है और जो मर चुके हैं, उन्हें इस धरती पर फिर एक बार जीने का मौका मिलता है।—1 यूहन्ना 2:1, 2.
15. स्वर्ग में अभिषिक्त मसीहियों को हड्डी-माँस का शरीर क्यों नहीं मिलता और जो अभिषिक्त मसीही यीशु की उपस्थिति के दौरान मरते हैं, उनका क्या होता है?
15 स्वर्ग में अभिषिक्त मसीहियों को हड्डी-माँस का शरीर नहीं मिलता क्योंकि ऐसे नाशमान शरीर अविनाशी जीवन और स्वर्ग के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते। (1 कुरिन्थियों 15:50-53) जो अभिषिक्त मसीही यीशु की उपस्थिति से पहले मर गए हैं, उन्हें उसकी उपस्थिति के दौरान जिलाया जाता है। मगर जो अभिषिक्त मसीही यीशु की उपस्थिति के दौरान मरता है, उसे “क्षण भर में, पलक मारते ही” स्वर्ग में जिलाया जाएगा। इन अभिषिक्त मसीहियों की संख्या 1,44,000 है और इस वर्ग को मसीह की “दुल्हिन” कहा जाता है।—प्रकाशितवाक्य 14:1; 19:7-9; 21:9; 1 थिस्सलुनीकियों 4:15-17.
मृत्यु पर जय!
16. पौलुस और दूसरे भविष्यवक्ताओं के मुताबिक, मौत का क्या होगा?
16 आगे पौलुस कहता है कि मौत को हमेशा-हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा। (1 कुरिन्थियों 15:54-57) जब नाशमान अविनाशी और अमर हो जाएँगे, तब यह भविष्यवाणी पूरी हो जाएगी: “जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा?” (यशायाह 25:8; होशे 13:14) पाप के डंक की वज़ह से मौत आयी; और पाप को व्यवस्था से बल मिलता है और व्यवस्था हर इंसान को पापी ठहराती है। मगर यीशु के बलिदान की वज़ह से आदम के पाप से आयी मौत को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा।—रोमियों 5:12; 6:23.
17. पहला कुरिन्थियों 15:58 से हम क्या सीख सकते हैं?
17 पौलुस आगे कहता है: “सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।” (1 कुरिन्थियों 15:58) आइए, हम चाहे अभिषिक्त हों या ‘अन्य भेड़’ के हों, हम दृढ़ और अटल रहें और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाएँ। (यूहन्ना 10:16) परमेश्वर के लिए की गयी हमारी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाएगी क्योंकि हमें पूरा यकीन है कि अगर हम मर भी जाएँ तो यहोवा हमें ज़रूर जी उठाएगा। तब हम खुशी से कह सकेंगे: “हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?”
जब मरे हुए जी उठेंगे!
18. पौलुस पर जी उठने की आशा का कितना गहरा असर हुआ था?
18 पहले कुरिन्थियों के 15 अध्याय से पता चलता है कि जी उठने की शिक्षा का पौलुस की ज़िंदगी पर काफी गहरा असर हुआ था। उसे पूरा यकीन था कि जैसे यीशु को जिलाया गया, उसी तरह बाकी लोगों को भी जिलाया जाएगा। क्या आपको भी इसका पूरा यकीन है? इसी आशा की वज़ह से उसने ‘सब कुछ का त्याग कर दिया,’ उन्हें ‘घृणा की वस्तु समझा,’ ताकि वह ‘मसीह को और उस शक्ति का अनुभव कर सके जिससे उसका पुनरुत्थान हुआ।’ वह “पहला पुनरुत्थान” पाने के लिए यीशु की तरह मरने को भी तैयार था। “पहला पुनरुत्थान” सिर्फ 1,44,000 अभिषिक्त मसीहियों को मिलता है। उन्हें स्वर्ग में आत्मिक जीवन के लिए जिलाया जाता है। इसके बाद “शेष मरे हुए” लोगों को इस पृथ्वी पर जीने के लिए जिलाया जाएगा।—फिलिप्पियों 3:8-11, ईज़ी टू रीड वर्शन; प्रकाशितवाक्य 7:4; 20:5, 6.
19, 20. (क) किन-किन लोगों को जी उठाया जाएगा? (ख) आप किसे फिर से ज़िंदा देखना चाहते हैं?
19 जो अभिषिक्त मसीही मरते दम तक वफादार रहे हैं, उन्हें फिर से जिलाया जा चुका है। (रोमियों 8:18; 1 थिस्सलुनीकियों 4:15-18; प्रकाशितवाक्य 2:10) और जो मसीही “बड़े क्लेश” से बच निकलेंगे, वे भी अपनी आँखों से लोगों को जी उठते हुए देखेंगे, जब ‘समुद्र उन मरे हुओं को जो उस में थे दे देगा और मृत्यु और अधोलोक उन मरे हुओं को जो उन में थे दे देंगे।’ (प्रकाशितवाक्य 7:9, 13, 14; 20:13) उस वक्त अय्यूब भी जिलाया जाएगा, जिसने एक-साथ अपने सात बेटे और तीन बेटियाँ खोयी थीं। ज़रा सोचिए, जब वह अपने हर बेटे, हर बेटी को अपनी बाँहों में भरेगा, उन्हें अपने कलेजे से लगाएगा, तो उसे कितनी खुशी होगी! साथ ही जब उसके मरे हुए बेटे-बेटियाँ अपने और भी सात भाइयों और तीन सुंदर बहनों को देखेंगे, तो वे भी कितने खुश होंगे!—अय्यूब 1:1, 2, 18, 19; 42:12-15.
20 वो क्या ही खुशी का आलम होगा, जब इब्राहीम और सारा, इसहाक और रिबका, और सभी धर्मी आदमी और औरतें, ‘सब भविष्यवक्ता’ इसी धरती पर फिर से जी उठेंगे! (लूका 13:28) इनमें से एक भविष्यवक्ता होगा दानिय्येल, जो कुछ 2,500 साल पहले मर चुका है और जिसे नई दुनिया में जिलाए जाने का वादा किया गया था। वह “अपना भाग प्राप्त करने के लिए मृत्यु से फिर उठ खड़ा होगा” और उसे भी एक “हाकिम” ठहराया जाएगा। (दानिय्येल 12:13, ईज़ी टू रीड वर्शन; भजन 45:16) ज़रा सोचिए, पुराने ज़माने के वफादार सेवकों को, और अपने माता, पिता, बेटा, बेटी, या अपने अज़ीज़ों को फिर से ज़िंदा देखना कितनी खुशी की बात होगी!
21. यह क्यों ज़रूरी है कि हम अभी दूसरों की भलाई करें?
21 शायद हमारे कुछ दोस्त या अज़ीज़ कई बरसों से यहोवा की सेवा करते-करते अब बूढ़े हो चले हैं और बुढ़ापा उन पर कहर ढा रहा है। यह कितना अच्छा होगा कि हम अभी ही उनकी मदद करें! अगर वे मौत की नींद सो जाएँ, तो हमें कोई गिला न होगा कि हमसे जो हो सकता था, वह हमने नहीं किया। (सभोपदेशक 9:11; 12:1-7; 1 तीमुथियुस 5:3, 8) दरअसल हमें सिर्फ बुज़ुर्गों की नहीं, बल्कि हर उम्र के लोगों की मदद करनी चाहिए। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारे भले कामों को कभी नहीं भूलेगा। पौलुस कहता है: “जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।”—गलतियों 6:10; इब्रानियों 6:10.
22. जब तक जी उठने की हमारी आशा पूरी न हो जाए, तब तक हमें क्या करना चाहिए?
22 यहोवा “दयालु पिता और समस्त शान्ति का परमेश्वर है।” (2 कुरिन्थियों 1:3, 4, NHT) इसीलिए उसने अपने वचन में हमें जी उठने की आशा दी है, जो हम सब को बहुत ही शांति देती है। जब तक हमारी यह आशा पूरी न हो जाए, आइए तब तक हम पौलुस की तरह पूरा विश्वास रखें कि मरे हुओं का जी उठना ज़रूर होगा। और सबसे बढ़कर हमें यीशु की तरह जी उठने की ताकत में पूरा यकीन रखना चाहिए। जैसे यीशु को जी उठाया गया था, वैसे ही जो अब कब्रों में हैं, वे जल्द ही यीशु की आवाज़ सुनकर जी उठेंगे। इस आशा से हमें कितना हौसला, कितनी खुशी मिलती है। यहोवा का लाख-लाख शुक्र है, जो यीशु के द्वारा मृत्यु को हमेशा के लिए नाश कर देगा!
आप क्या जवाब देंगे?
• पौलुस ने किन-किन गवाहों का ज़िक्र किया जिन्होंने यीशु को जी उठने के बाद देखा था?
• “अन्तिम बैरी” क्या है और कैसे उसका नाश किया जाएगा?
• अभिषिक्त मसीही किस दशा में मरते हैं और किस रूप में उठाए जाते हैं?
• बाइबल के किन वफादार सेवकों को आप फिर से ज़िंदा देखना चाहते हैं?
[पेज 16 पर तसवीर]
प्रेरित पौलुस ने मरे हुओं के जी उठने के बारे में ज़बरदस्त दलीलें दी
[पेज 20 पर तसवीरें]
अय्यूब, उसके परिवार, और बाकी लोगों का जी उठना हमारे लिए कितनी खुशी की बात होगी!