बेवजह बैर के शिकार
“उन्हों ने मुझ से व्यर्थ बैर किया।”—यूहन्ना 15:25.
1, 2. (क) जब मसीहियों को बदनाम किया जाता है, तो कुछ लोग क्यों उलझन में पड़ जाते हैं, मगर ऐसी बातों से क्यों हमें हैरान नहीं होना चाहिए? (ख) हम इस लेख में “बैर” शब्द के किस मतलब पर चर्चा करेंगे? (फुटनोट देखिए।)
यहोवा के साक्षी, परमेश्वर के वचन में पाए जानेवाले सिद्धांतों के मुताबिक जीने की पूरी कोशिश करते हैं। इस वजह से बहुत-से देशों में उन्होंने अच्छा नाम कमाया है। मगर कई बार उनके बारे में गलत खबरें भी फैलायी गयी हैं। मिसाल के लिए, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर के एक सरकारी अधिकारी ने कहा: “हमें बताया गया कि यहोवा के साक्षी लुक-छिपकर काम करनेवाला एक ऐसा पंथ है जिसके लोग अपने बच्चों का और खुद अपना कत्ल करते हैं।” मगर इसी अधिकारी ने एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन के सिलसिले में यहोवा के साक्षियों के साथ काम करने के बाद कहा: “अब मैं आम और हँसते-खेलते लोगों को देख रहा हूँ . . . इनमें कोई गड़बड़ी नहीं है, बल्कि वे शांत रहते हैं और एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं।” उसने आगे कहा: “मुझे यह समझ नहीं आता कि लोग इनके बारे में ऐसी झूठी बातें क्यों फैलाते हैं।”—1 पतरस 3:16.
2 परमेश्वर के सेवक इस बात से खुशी नहीं पाते कि उन्हें बुरे लोग कहकर बदनाम किया जाता है। मगर उन्हें इस बात से हैरानी भी नहीं होती कि लोग उनके खिलाफ बोल रहे हैं। यीशु ने अपने चेलों को पहले से खबरदार किया था: “यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा। . . . और यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उन की व्यवस्था में लिखा है, कि उन्हों ने मुझ से व्यर्थ बैर किया।”a (यूहन्ना 15:18-20, 25; भजन 35:19; 69:4) इससे पहले उसने अपने चेलों से कहा था: “जब उन्हों ने घर के स्वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालों को क्यों न कहेंगे?” (मत्ती 10:25) मसीही जानते हैं कि ऐसी बदनामी झेलना उस “यातना स्तंभ” को उठाने में शामिल है, जिसे उन्होंने मसीह के चेले बनने पर स्वीकार किया था।—मत्ती 16:24, NW.
3. सच्चे उपासकों को किस हद तक सताया गया है?
3 सच्चे उपासकों को सदियों से सताया गया है, और इसकी शुरूआत “धर्मी हाबील” से हुई थी। (मत्ती 23:34, 35) परमेश्वर के सेवकों को कहीं-कहीं या सिर्फ इक्का-दुक्का मामलों में ही नहीं सताया जाता। जैसे यीशु ने कहा था कि उसके नाम की खातिर ‘सब लोग’ उसके चेलों से ‘बैर करेंगे।’ (तिरछे टाइप हमारे; मत्ती 10:22) और फिर, प्रेरित पौलुस ने लिखा कि परमेश्वर के सभी सेवकों को, यानी हममें से हरेक को यह उम्मीद करनी चाहिए कि हमें सताया जाएगा। (2 तीमुथियुस 3:12) इसकी वजह क्या है?
बेबुनियाद नफरत भड़कानेवाला
4. बेबुनियाद नफरत भड़कानेवाले के बारे में बाइबल क्या बताती है?
4 परमेश्वर का वचन दिखाता है कि शुरू से ही परमेश्वर के लोगों के खिलाफ एक शख्स नफरत भड़काता रहा है जिसे हम देख नहीं सकते। गौर कीजिए, पहले विश्वासी पुरुष हाबिल को कैसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। बाइबल कहती है कि उसका कातिल भाई कैन, “उस दुष्ट से था” यानी शैतान इब्लीस से। (1 यूहन्ना 3:12) कैन ने शैतानी रवैया दिखाया और इब्लीस ने उसे अपनी घिनौनी चाल में एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया। बाइबल इस बात पर भी रोशनी डालती है कि अय्यूब और यीशु मसीह पर जो हिंसक हमले किए गए उनमें शैतान का हाथ था। (अय्यूब 1:12; 2:6, 7; यूहन्ना 8:37, 44; 13:27) प्रकाशितवाक्य की किताब साफ-साफ बताती है कि यीशु के चेलों को सतानेवाला असल में कौन है। यह कहती है: “शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ।” (तिरछे टाइप हमारे; प्रकाशितवाक्य 2:10) जी हाँ, शैतान ही परमेश्वर के लोगों के खिलाफ बेबुनियाद नफरत भड़काता है।
5. शैतान, सच्चे परमेश्वर के उपासकों पर क्यों कहर ढाता है?
5 सच्चे उपासकों के खिलाफ शैतान ने नफरत क्यों भड़कायी है? शैतान ने एक ऐसा षड्यंत्र रचा है, जिसमें उसने “सनातन राजा,” यहोवा परमेश्वर के खिलाफ जाने की गुस्ताखी की है। जी हाँ, अपने घमंड में वह सारी हदें पार कर चुका है! (1 तीमुथियुस 1:17; 3:6) उसका दावा है कि परमेश्वर अपनी सृष्टि के प्राणियों पर हुकूमत करते वक्त कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरतता है और कोई भी यहोवा की सेवा नेक इरादे से नहीं, बल्कि अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करता है। शैतान का दावा है कि अगर उसे इंसानों की परीक्षा लेने का मौका दिया जाए, तो वह हरेक को परमेश्वर की सेवा से दूर ले जा सकता है। (उत्पत्ति 3:1-6; अय्यूब 1:6-12; 2:1-7) यहोवा को ज़ुल्मी, झूठा और नाकाम शासक बताकर बदनाम करने में, शैतान का मकसद यही साबित करना है कि यहोवा के बजाय वह खुद सारे विश्व पर हुकूमत करने का हकदार है। इसलिए, सब लोगों से उपासना पाने की यह लालसा उसे परमेश्वर के सेवकों पर कहर ढाने के लिए भड़काती है।—मत्ती 4:8, 9.
6. (क) यहोवा की हुकूमत के मसले में हम खुद कैसे शामिल हैं? (ख) इस मसले को समझने से कैसे हमें अपनी खराई बनाए रखने में मदद मिलेगी? (पेज 16 पर दिया बक्स देखिए।)
6 क्या आप देख सकते हैं कि यह मसला आपकी ज़िंदगी से कैसे जुड़ा हुआ है? यहोवा के सेवक होने के नाते, आपने शायद अनुभव से जाना है कि परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने के लिए चाहे आपको कड़ा संघर्ष क्यों न करना पड़े, फिर भी इसके लाभ किसी भी तकलीफ से कहीं बढ़कर होते हैं। लेकिन, अगर आपकी ज़िंदगी में हालात ऐसे हैं कि यहोवा के नियमों और सिद्धांतों को मानना आपके लिए न सिर्फ मुश्किल, बल्कि दर्दनाक भी है, तब क्या? और अगर ऐसा लगे कि यहोवा की सेवा करने से आपको कोई लाभ नहीं मिल रहा, तब क्या? क्या आप इस नतीजे पर पहुँचेंगे कि यहोवा की सेवा करते रहना बेकार है? या क्या यहोवा के लिए प्यार और उसके महान गुणों के लिए गहरी श्रद्धा आपको उसके सभी मार्गों पर चलते रहने को उकसाएगी? (व्यवस्थाविवरण 10:12, 13) यहोवा ने शैतान को हम पर कुछ हद तक तकलीफें लाने की इजाज़त देकर, हममें से हरेक को यह मौका दिया है कि हम शैतान के झूठे दावे का जवाब खुद अपनी तरफ से दें।—नीतिवचन 27:11.
‘जब मनुष्य तुम्हारी निन्दा करें’
7. यहोवा से हमें दूर करने के लिए इब्लीस कौन-सा हथकंडा इस्तेमाल करता है?
7 शैतान अपना दावा सच साबित करने के लिए कई धूर्त चालें चलता है। अब आइए हम उनमें से एक की ज़्यादा नज़दीकी से जाँच करें। यह है झूठे इलज़ाम लगाना। यीशु ने शैतान को “झूठ का पिता” कहा। (यूहन्ना 8:44) शैतान के दूसरे नाम इब्लीस का मतलब है, “झूठी निंदा करनेवाला” जिससे साफ पता चलता है कि वह परमेश्वर की, लाभ देनेवाले उसके वचन की और उसके पवित्र नाम की झूठी निंदा करने में सबसे आगे है। इब्लीस झूठी अफवाहों का सहारा लेकर, झूठे इलज़ाम लगाकर और सीधे-सीधे झूठ बोलकर यहोवा की हुकूमत पर सवाल खड़ा करता है। यही हथकंडे अपनाकर वह परमेश्वर के वफादार सेवकों को भी बदनाम करता है। इन साक्षियों की दिन-रात बुराई करके वह एक कड़ी परीक्षा को और ज़्यादा मुश्किल बना देता है ताकि वे सह ना पाएँ।
8. शैतान ने कैसे अय्यूब को बदनाम किया, और इसका क्या असर हुआ?
8 गौर कीजिए कि शैतान अय्यूब पर कैसी-कैसी मुसीबतें लाया। अय्यूब के नाम का मतलब है, “दुश्मनी का शिकार।” उसकी रोज़ी-रोटी के ज़रियों को मिटाने के बाद, शैतान ने उससे उसके बच्चे छीन लिए और उसकी सेहत पर हमला किया। और इस तरह दिखाया कि अय्यूब एक पापी है जिसे परमेश्वर से सज़ा मिल रही है। पहले, अय्यूब की अपने रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों में बड़ी साख थी, पर अब वे भी उसका तिरस्कार करने लगे। (अय्यूब 19:13-19; 29:1, 2, 7-11) इसके अलावा, शैतान ने झूठा दिलासा देनेवालों की ‘बातों से अय्यूब को चूर चूर’ करने की कोशिश की। पहले उन्होंने चालाकी से यह बात उठायी कि अय्यूब ने ज़रूर कोई गंभीर पाप किया होगा और फिर बिना किसी जाँच-पड़ताल के उसे सीधे एक अपराधी करार दिया। (अय्यूब 4:6-9; 19:2; 22:5-10) ऐसे व्यवहार से अय्यूब किस कदर अंदर तक टूट गया होगा!
9. यीशु को एक पापी साबित करने की कोशिश कैसे की गयी?
9 यहोवा परमेश्वर के बेटे ने सबसे बढ़कर उसकी हुकूमत की हिमायत की है, इसलिए शैतान की दुश्मनी का सबसे बड़ा शिकार वही रहा है। जब यीशु पृथ्वी पर आया, तो शैतान ने उसे पापी और आध्यात्मिक तौर पर एक अधर्मी साबित करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया, ठीक जैसे उसने अय्यूब के साथ किया था। (यशायाह 53:2-4; यूहन्ना 9:24) लोग यीशु के बारे में कहते थे कि “उस में दुष्टात्मा है,” और वह शराबी और पेटू है। (मत्ती 11:18, 19; यूहन्ना 7:20; 8:48; 10:20) उस पर परमेश्वर की निंदा करने का झूठा इलज़ाम लगाया गया। (मत्ती 9:2, 3; 26:63-66; यूहन्ना 10:33-36) इससे यीशु तड़प उठा, क्योंकि वह जानता था कि इससे उसके पिता की बेवजह निंदा होगी। (लूका 22:41-44) आखिरकार, यीशु को एक शापित अपराधी की तरह काठ पर ठोंककर मार डाला गया। (मत्ती 27:38-44) पूरी तरह से खराई बनाए रखने के लिए, यीशु को ‘पापियों का इतना वाद-विवाद सहना’ पड़ा।—इब्रानियों 12:2, 3.
10. आज के ज़माने में, बचे हुए अभिषिक्त जनों को शैतान ने कैसे अपना निशाना बनाया है?
10 आज के ज़माने में, यीशु के अभिषिक्त चेलों में बाकी बचे हुए लोग भी इसी तरह इब्लीस की दुश्मनी का शिकार हुए हैं। शैतान को मसीह के “भाइयों पर दोष लगानेवाला” कहा गया है, “जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था।” (प्रकाशितवाक्य 12:9, 10) जब से उसे स्वर्ग से खदेड़ा गया है और पृथ्वी के आस-पास के इलाके तक रहने के लिए उसकी सीमाएँ बाँध दी गयी हैं, तब से शैतान ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाकर कोशिश की है कि मसीह के भाइयों को दुनिया के सामने ऐसे दिखाए जैसे वे कोई गंदे, नीच और अछूत लोग हैं। (1 कुरिन्थियों 4:13) कुछ देशों में, उन्हें एक खतरनाक पंथ कहकर बदनाम किया गया है, ठीक जैसे पहली सदी के मसीहियों को किया गया था। (प्रेरितों 24:5, 14; 28:22) जैसे शुरूआत में कहा गया था, उनके बारे में झूठी अफवाहें फैलाकर उन्हें बदनाम किया गया है। फिर भी, मसीह के अभिषिक्त भाइयों ने “आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से,” ‘अन्य भेड़ों’ का साथ पाकर, नम्रता से कोशिश की है कि ‘परमेश्वर की आज्ञाओं को मानें, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर रहें।’—2 कुरिन्थियों 6:8; यूहन्ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 12:17.
11, 12. (क) कभी-कभार मसीहियों की बदनामी की वजह क्या हो सकती है? (ख) अपने विश्वास की खातिर एक मसीही को शायद किन तरीकों से अन्याय सहना पड़े?
11 लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि परमेश्वर का एक सेवक हर बार “धार्मिकता के कारण” सताया जाए। (मत्ती 5:10) कुछ समस्याएँ हमारी अपनी असिद्धता की वजह से आती हैं। अगर हमने ‘पाप किया और हमारे साथ दुर्व्यवहार होता है, तब यदि हम बड़े धैर्य से सहते’ हैं, तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन, अगर एक मसीही “परमेश्वर के प्रति शुद्ध विवेक के कारण दुख उठाते हुए अन्याय को धीरज से सहता है,” तो यहोवा की नज़र में “वह प्रशंसा का पात्र है।” (1 पतरस 2:19, 20, NHT) किन हालात में मसीही को अन्याय सहना पड़ सकता है?
12 कुछ भाइयों के साथ इसलिए बुरा सलूक किया जाता है क्योंकि वे अंत्येष्टि की ऐसी रस्मों में शामिल नहीं होते जो बाइबल के खिलाफ हैं। (व्यवस्थाविवरण 14:1) नौजवान साक्षी दिन-रात दूसरों की गाली-गलौज का शिकार होते हैं, क्योंकि वे यहोवा के नैतिक स्तरों को मानते हैं। (1 पतरस 4:4) कुछ मसीही माता-पिता पर यह इलज़ाम लगाया जाता है कि वे अपने बच्चों के मामले में “लापरवाह” हैं या उनके साथ “बुरा सलूक” करते हैं, क्योंकि वे अपने बच्चों का इलाज बिना खून चढ़ाए करवाना चाहते हैं। (प्रेरितों 15:29) मसीहियों के रिश्तेदार और पड़ोसी उन्हें सिर्फ इसलिए पसंद नहीं करते क्योंकि वे यहोवा के सेवक बन गए हैं। (मत्ती 10:34-37) ऐसे सभी भाई-बहन, भविष्यवक्ताओं और खुद यीशु की मिसाल पर चल रहे हैं जिन्हें अन्याय की वजह से दुःख उठाना पड़ा।—मत्ती 5:11, 12; याकूब 5:10; 1 पतरस 2:21.
बदनामी सहते हुए धीरज धरना
13. बदनाम किए जाने पर क्या बात आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बने रहने और हिम्मत न हारने में हमारी मदद करेगी?
13 जब हमारे विश्वास की वजह से हमें बदनाम किया जाता है, तो हम भविष्यवक्ता यिर्मयाह की तरह शायद हिम्मत हार जाएँ और हमें ऐसा लगे कि आगे परमेश्वर की सेवा करते रहना हमारे बस में नहीं है। (यिर्मयाह 20:7-9) ऐसे में क्या बात आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बने रहने और हिम्मत न हारने में हमारी मदद करेगी? इस मामले को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिए। वह परीक्षा में वफादार रहनेवालों को विजेता मानता है, न कि शैतान की दुश्मनी के शिकार। (रोमियों 8:37) अपने मन में ऐसे लोगों की तसवीर लाने की कोशिश कीजिए जिन्होंने शैतान की तरफ से हर मुमकिन बेइज़्ज़ती बरदाश्त करने के बावजूद, यहोवा की हुकूमत की हिमायत की थी। हाबिल, अय्यूब, यीशु की माँ मरियम और प्राचीनकाल के दूसरे वफादार स्त्री-पुरुषों को, साथ ही हमारे ज़माने के वफादार भाई-बहनों को याद कीजिए। (इब्रानियों 11:35-37; 12:1) इन खराई रखनेवालों की ज़िंदगी पर मनन कीजिए। वफादार जनों का यह बड़ा बादल हमारा हौसला बढ़ाते हुए बुलावा दे रहा है कि हम उनके साथ विजेताओं के दल में आ मिलें, जिसमें सिर्फ वही शामिल होते हैं जो अपने विश्वास से संसार को जीत लेते हैं।—1 यूहन्ना 5:4.
14. सच्चे दिल से की गयी प्रार्थना कैसे हमें वफादार बने रहने के लिए मज़बूत कर सकती है?
14 अगर ‘हमारे मन में बहुत-सी चिन्ताएं हैं,’ तो हम सच्चे दिल से यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं और वह हमें शांति देकर मज़बूत करेगा। (भजन 50:15; 94:19) परीक्षा का सामना करने के लिए हमें जिस बुद्धि की ज़रूरत है, वह बुद्धि यहोवा हमें देगा और अपनी हुकूमत के सबसे बड़े मसले पर ध्यान लगाए रखने में हमारी मदद करेगा। क्योंकि यही वह मसला है जिसकी वजह से आज उसके सेवकों से बेवजह बैर किया जाता है। (याकूब 1:5) यहोवा हमें “परमेश्वर की शान्ति” भी दे सकता है, “जो समझ से बिलकुल परे है।” (फिलिप्पियों 4:6,7) परमेश्वर की तरफ से मिला यह चैन हमें हद-से-ज़्यादा दबाव सहते वक्त भी मज़बूत और शांत रहने के काबिल बनाता है जिससे हम शक या डर के शिकार नहीं होते। अपनी आत्मा की मदद देकर यहोवा हमें ऐसी हर मुसीबत में सँभाल सकता है, जिसे वह हम पर आने की इजाज़त देता है।—1 कुरिन्थियों 10:13.
15. जब हम पर दुःख आते हैं, तो क्या बात हमें कड़वाहट के ज़हर से दूर रखेगी?
15 क्या बात हमारी मदद कर सकती है कि हमसे बेवजह बैर करनेवालों के लिए हमारे मन में कड़वाहट का ज़हर न भर जाए? यह मत भूलिए कि हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं, शैतान और उसके पिशाच। (इफिसियों 6:12) यह सच है कि कुछ इंसान सब कुछ जानते-बूझते भी हमें सताते हैं, मगर ज़्यादातर लोग अनजाने में या दूसरों के बहकावे में आकर परमेश्वर के लोगों का विरोध करते हैं। (दानिय्येल 6:4-16; 1 तीमुथियुस 1:12, 13) यहोवा चाहता है कि “सब मनुष्यों” को मौका मिले ताकि “[उन]का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहचान लें।” (1 तीमुथियुस 2:4) दरअसल, पहले जो हमारे विरोधी थे वे अब बदलकर हमारे मसीही भाई बन गए हैं क्योंकि उन्होंने हमारा निर्दोष चालचलन देखा है। (1 पतरस 2:12) इसके अलावा, हम याकूब के बेटे यूसुफ की मिसाल से एक सबक सीख सकते हैं। यूसुफ को उसके सौतेले भाइयों ने बहुत दुःख दिया था, फिर भी उसने उनके खिलाफ दिल में दुश्मनी नहीं पाली। क्यों? क्योंकि उसने समझा कि जो कुछ हुआ उसमें यहोवा का हाथ था, जो अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए घटनाओं का रुख बदल देता है। (उत्पत्ति 45:4-8) उसी तरह जब हमारे साथ अन्याय होता है, तो यहोवा इसे भी अपने नाम की महिमा करवाने के लिए इस्तेमाल करता है।—1 पतरस 4:16.
16, 17. विरोधी जब प्रचार काम को रोकने की कोशिश करते हैं, तो हमें क्यों इस बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए?
16 अगर हमारे विरोधी सुसमाचार को फैलने से रोकने में कुछ वक्त के लिए कामयाब होते नज़र आते हैं, तो हमें इस बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। सारी दुनिया में दी जा रही गवाही से यहोवा आज सारी जातियों को कंपकंपा रहा है और मनभावनी वस्तुएँ परमेश्वर के भवन में आ रही हैं। (हाग्गै 2:7) अच्छे चरवाहे, मसीह यीशु ने कहा: “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, . . . और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (तिरछे टाइप हमारे; यूहन्ना 10:27-29) पवित्र स्वर्गदूत भी इस महान आध्यात्मिक कटनी में शामिल हैं। (मत्ती 13:39, 41; प्रकाशितवाक्य 14:6,7) इसलिए, विरोधी चाहे कुछ कह लें या कर लें, वे परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा होने से नहीं रोक सकते।—यशायाह 54:17; प्रेरितों 5:38, 39.
17 अकसर, विरोध करनेवालों की कोशिश का उलटा असर होता है। अफ्रीका के एक समुदाय में, यहोवा के साक्षियों के बारे में बहुत ही घिनौने झूठ फैलाए गए थे। इनमें से एक झूठ यह था कि वे शैतान की पूजा करते हैं। इस वजह से, ग्रेस नाम की स्त्री, जब साक्षियों को अपने घर आते देखती, तो भागकर अपने घर के पिछवाड़े छिप जाती थी और उनके जाने तक बाहर नहीं आती थी। एक दिन उसके चर्च के पादरी ने साक्षियों की एक किताब उठाकर सबको दिखायी और कहा कि कोई भी इसे ना पढ़े, क्योंकि इसे पढ़कर आप अपना विश्वास खो देंगे। इससे ग्रेस के मन में यह जानने की इच्छा जागी कि इस किताब में है क्या। अगली बार जब साक्षी आए, तो छिपने के बजाय उसने उनसे बातचीत की और उसे उस किताब की एक कॉपी मिली। बाइबल अध्ययन शुरू किया गया और सन् 1996 में उसने बपतिस्मा लिया। ग्रेस अब अपना वक्त ऐसे और लोगों को ढूँढ़ने में लगाती है जिन्हें यहोवा के साक्षियों के बारे में गलत बातें बतायी गयी हैं।
अपने विश्वास को अभी मज़बूत कीजिए
18. कड़ी परीक्षाएँ आने से पहले ही हमें क्यों अपने विश्वास को मज़बूत करने की ज़रूरत है, और यह हम कैसे कर सकते हैं?
18 शैतान बेवजह बैर की बाढ़ हमारे खिलाफ किसी भी वक्त ला सकता है, इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम अपने विश्वास को अभी मज़बूत करें। यह हम कैसे कर सकते हैं? एक देश में जहाँ यहोवा के लोगों को सताया जाता था, वहाँ की एक रिपोर्ट कहती है: “एक बात बहुत साफ हो चुकी है। आध्यात्मिक कामों की अच्छी आदतें और बाइबल की सच्चाई के लिए गहरी कदरदानी रखनेवाले भाई-बहनों को परीक्षाएँ आने पर मज़बूत बने रहने में कोई मुश्किल नहीं आयी। लेकिन, जो मसीही ‘सुविधा’ के समय में सभाओं में नहीं आते, नियमित रूप से प्रचार नहीं करते और छोटी-छोटी बातों में समझौता कर लेते हैं, वे ‘कड़ी’ परीक्षा आने पर अकसर गिर जाते हैं।” (2 तीमुथियुस 4:2, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) अगर आपको लगता है कि इनमें से आपको किसी मामले में सुधार करना है, तो बिना देर किए ऐसा कीजिए।—भजन 119:60.
19. बेबुनियाद नफरत का सामना करते हुए परमेश्वर के सेवकों की खराई से क्या साबित होता है?
19 शैतानी बैर का अभिशाप सहने के बावजूद, सच्चे उपासकों की खराई इस बात का जीता-जागता सबूत है कि यहोवा को इस विश्व पर हुकूमत करने का हक है, उसके सिवाय कोई और इसका हकदार नहीं और वह पूरी धार्मिकता के साथ हुकूमत करता है। उनकी वफादारी देखकर परमेश्वर का दिल खुशी से झूम उठता है। चाहे इंसान उन्हें बदनाम करें, मगर जिसका वैभव सारी धरती और आकाश से ऊँचा है, वह “उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता।” जी हाँ, ऐसे सभी वफादार जनों के बारे में यह कहना सही होगा: “संसार उन के योग्य न था।”—इब्रानियों 11:16, 39.
[फुटनोट]
a बाइबल में, शब्द “बैर” के कई मतलब बताए गए हैं, जिनके बीच हलका-सा फर्क है। कुछ जगहों पर इसका मतलब सिर्फ कम प्यार करना है। “बैर” का मतलब किसी से घृणा करना भी हो सकता है, मगर उसे नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं होता। इसके बजाय घृणा करनेवाला, उस चीज़ या इंसान से दूर रहना चाहता है जिसे देखते ही उसे घिन आती है। मगर, “बैर” शब्द का मतलब ज़बरदस्त दुश्मनी भी हो सकता है, ऐसी नफरत जो काफी समय तक कायम रहती है और अकसर दूसरे का बुरा करने के इरादे से होती है। बैर शब्द के इसी मतलब पर हम इस लेख में चर्चा करेंगे।
क्या आप समझा सकते हैं?
• सच्चे उपासकों से क्यों बेवजह नफरत की जाती है?
• शैतान ने, अय्यूब और यीशु की खराई तोड़ने की कोशिश करने के लिए बदनामी का इस्तेमाल कैसे किया?
• शैतानी बैर का सामना करने में, यहोवा हमें कैसे मज़बूत करता है ताकि हम टिके रहें?
[पेज 16 पर बक्स/तसवीर]
इन्होंने असली मसले को समझा
यूक्रेन में राज्य के प्रचार काम पर 50 से ज़्यादा साल से पाबंदी लगी हुई थी। वहाँ के एक साक्षी ने कहा: “यहोवा के साक्षियों का यह हाल सिर्फ इस वजह से नहीं कि लोगों ने उनके साथ बुरा सलूक किया है। . . . ज़्यादातर अफसर केवल अपना काम कर रहे थे। सरकार बदलने पर ये अफसर नयी सरकार के वफादार हो गए, मगर हम वही रहे। बाइबल में साफ बताया है कि इन सबके पीछे किसका हाथ है, और हम पर मुसीबतें लानेवाला असल में कौन है।
“हम खुद को सिर्फ ज़ुल्मी इंसानों के मासूम शिकार नहीं मानते। अदन के बाग में उठाए गए मसले की सही समझ ने हमें धीरज धरने में मदद दी। और वह मसला था, परमेश्वर को इंसान पर हुकूमत करने का हक है। . . . हमने जिस मसले का पक्ष लिया है, वह न सिर्फ इंसानों की भलाई से जुड़ा हुआ है, बल्कि इस विश्व के महाराजाधिराज की खुशी से भी जुड़ा है। असली मसलों की हमें कहीं अच्छी, कहीं श्रेष्ठ समझ हासिल हो चुकी थी। इस समझ ने हमें मज़बूत किया और बद-से-बदतर हालात में हमें अपनी खराई बनाए रखने के काबिल बनाया।”
[तसवीर]
विक्टर पॉपॉविच, जिसे सन् 1970 में गिरफ्तार किया गया था
[पेज 13 पर तसवीर]
यीशु को बदनाम करने के पीछे किसका हाथ था?
[पेज 15 पर तसवीर]
अय्यूब, मरियम और आज के ज़माने में परमेश्वर के सेवक, जैसे स्टैनली जोन्स् ने यहोवा की हुकूमत की हिमायत की है