‘बेटा पिता को ज़ाहिर करना चाहता है’
“पिता कौन है, यह कोई नहीं जानता सिवा बेटे के और उसके जिस पर बेटा उसे ज़ाहिर करना चाहे।”—लूका 10:22.
आप क्या जवाब देंगे?
क्यों सिर्फ यीशु अपने पिता को सही मायनों में ज़ाहिर करने के काबिल था?
किन तरीकों से यीशु ने दूसरों पर पिता को ज़ाहिर किया?
यीशु की मिसाल पर चलते हुए आप किन तरीकों से पिता को ज़ाहिर कर सकते हैं?
1, 2. किस सवाल ने लोगों को उलझन में डाल रखा है और क्यों?
‘परमेश्वर कौन है?’ यह एक ऐसा सवाल है, जिसने कई लोगों को उलझन में डाल रखा है। मिसाल के लिए ज़्यादातर ईसाई विश्वास करते हैं कि परमेश्वर त्रिएक है, मगर उनमें से कई लोग मानते हैं कि इस शिक्षा को समझना नामुमकिन है। एक पादरी जो लेखक भी है, कहता है कि त्रिएक की शिक्षा को समझाया नहीं जा सकता क्योंकि कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें इंसान समझ ही नहीं सकता। दूसरी तरफ, विकासवाद में विश्वास करनेवाले ज़्यादातर लोग मानते हैं कि परमेश्वर है ही नहीं। वे कहते हैं कि हमारे चारों ओर सृष्टि में जो बेहतरीन चीज़ें दिखायी देती हैं वे महज़ इत्तफाक से आयी हैं। इसी शिक्षा को माननेवाले चार्ल्स डार्विन ने परमेश्वर के वजूद से इनकार नहीं किया, लेकिन उसने कहा: “मेरे हिसाब से तो [परमेश्वर के बारे में] समझना, इंसान के बस की बात नहीं है।”
2 लोग चाहे जो भी मानते हों, उनके मन में कभी-न-कभी परमेश्वर के वजूद को लेकर सवाल ज़रूर उठते हैं। लेकिन जब उन्हें सही-सही जवाब नहीं मिलते, तो वे तलाश बंद कर देते हैं। जी हाँ, शैतान ने ‘अविश्वासियों के मन अंधे’ कर दिए हैं। (2 कुरिं. 4:4) इसलिए यह ताज्जुब की बात नहीं कि क्यों ज़्यादातर लोग उलझन में हैं और नहीं जानते कि असल में सारे जहान का सृष्टिकर्ता परमेश्वर कौन है।—यशा. 45:18.
3. (क) यहोवा को किसने हम पर ज़ाहिर किया है? (ख) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
3 यह बेहद ज़रूरी है कि लोग परमेश्वर के बारे में सच्चाई सीखें। क्यों? क्योंकि जो कोई “यहोवा का नाम” पुकारता है वही उद्धार पाएगा। (रोमि. 10:13) यहोवा का नाम पुकारने का मतलब है एक व्यक्ति के तौर पर उसके गुणों को अच्छी तरह जानना। यीशु ने अपने चेलों को पिता के गुणों के बारे में बताया। जी हाँ, उसने उन पर पिता को ज़ाहिर किया। (लूका 10:22 पढ़िए।) किसी और के मुकाबले क्यों यीशु अपने पिता को अच्छी तरह ज़ाहिर कर सकता था? यीशु ने पिता को कैसे ज़ाहिर किया? यीशु की तरह, हम दूसरों पर पिता को कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं? आइए देखें।
यीशु मसीह—सही मायनों में काबिल
4, 5. क्यों सिर्फ यीशु ही पिता को सही तरह से ज़ाहिर करने के काबिल था?
4 सिर्फ यीशु ही पिता को सही तरह से ज़ाहिर करने के काबिल था। क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने सबसे पहले उसी की सृष्टि की थी। धरती पर आने से पहले यीशु एक आत्मिक प्राणी के तौर पर स्वर्ग में जीया। वह ‘परमेश्वर का इकलौता बेटा’ था। (यूह. 1:14; 3:18) उसे क्या ही अनोखा सम्मान मिला था! पूरे जहान में पिता और बेटे के अलावा और कोई नहीं था। उस वक्त पिता का सारा ध्यान अपने बेटे पर था और यीशु अपने पिता और उसके गुणों को अच्छी तरह जान पाया। लाखों-करोड़ों सालों के दरमियान उन्होंने एक-दूसरे से ढेर सारी बातें की होंगी और उनके बीच का प्यार बहुत गहरा गया होगा। (यूह. 5:20; 14:31) ज़रा सोचिए, यीशु अपने पिता की शख्सियत को कितनी अच्छी तरह जान पाया होगा!—कुलुस्सियों 1:15-17 पढ़िए।
5 पिता ने बेटे को “परमेश्वर का वचन” यानी अपना वक्ता होने की ज़िम्मेदारी सौंपी। (प्रका. 19:13) इस वजह से यीशु अपने पिता को सही मायनों में ज़ाहिर करने के काबिल था। इसीलिए खुशखबरी की किताब में यूहन्ना ने कहा कि “वचन” यानी यीशु “पिता के सीने के सबसे करीब” है। (यूह. 1:1, 18; फुटनोट) यूहन्ना ने उस ज़माने में खाना खाने के एक रिवाज़ को मन में रखकर यह बात लिखी थी। दो मेहमान, मेज़ पर टेक लगाकर एक-दूसरे के इतने करीब बैठते थे कि वे बड़ी आसानी से आपस में बात कर सकते थे। उसी तरह बेटा जो अपने “पिता के सीने के सबसे करीब” था, उससे खुलकर, प्यार-भरी बातचीत कर पाया।
6, 7. पिता और बेटे के बीच का रिश्ता कैसे गहरा होता चला गया?
6 पिता और बेटे के बीच का रिश्ता और गहरा होता चला गया। परमेश्वर “प्रति दिन” यीशु से प्रसन्न रहता था। (नीतिवचन 8:22, 23, 30, 31 पढ़िए।) तो फिर यह लाज़िमी है कि जैसे-जैसे दोनों ने साथ काम किया और बेटे ने पिता के गुण सीखे, वैसे-वैसे वे एक-दूसरे के और भी करीब आ गए। बाद में यीशु ने देखा होगा कि परमेश्वर दूसरे बुद्धिमान प्राणियों के साथ किस तरह पेश आया। इससे भी परमेश्वर के गुणों के लिए उसकी कदर और बढ़ गयी होगी।
7 इसके अलावा जब शैतान ने यहोवा की हुकूमत के खिलाफ बगावत की, तब भी यीशु को यह देखने का मौका मिला कि यहोवा किस तरह मुश्किल घड़ी में भी प्यार, न्याय, बुद्धि और शक्ति जैसे गुणों को ज़ाहिर करता है। इस तरह यीशु, उन मुश्किलों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हो पाया, जो धरती पर रहते वक्त उसके सामने आयीं।—यूह. 5:19.
8. खुशखबरी कि किताबों में दर्ज़ वाकयों से हम परमेश्वर के गुणों के बारे कैसे सीख सकते हैं?
8 पिता के साथ एक करीबी रिश्ता होने की वजह से यीशु, दूसरों के मुकाबले उसके बारे में ज़्यादा बारीक जानकारी दे पाया। तो फिर, पिता के बारे में समझने का सबसे बढ़िया तरीका है यह जानना कि यीशु ने क्या सिखाया और उसने क्या किया। मिसाल के लिए सोचिए कि अगर एक इंसान सिर्फ किताब में “प्यार” शब्द की परिभाषा पढ़े, तो वह किस हद तक इस गुण को समझ पाएगा। लेकिन जब हम यीशु की सेवा और दूसरों के लिए उसकी परवाह के बारे में खुशखबरी की किताबों में दिए वाकयों पर गौर करते हैं, तो हम समझ पाते हैं कि क्यों बाइबल कहती है कि “परमेश्वर प्यार है।” (1 यूह. 4:8, 16) धरती पर रहते वक्त यीशु ने अपने चेलों को परमेश्वर के दूसरे गुणों के बारे में भी इसी तरह समझने में मदद दी।
यीशु ने पिता को कैसे ज़ाहिर किया
9. (क) किन दो तरीकों से यीशु ने अपने पिता को ज़ाहिर किया? (ख) एक मिसाल देकर समझाइए कि यीशु ने अपनी शिक्षाओं के ज़रिए यहोवा को कैसे ज़ाहिर किया?
9 यीशु ने अपने चेलों पर और जो आगे चलकर उसके चेले बननेवाले थे, उन सब पर पिता को कैसे ज़ाहिर किया? दो तरीकों से। अपनी शिक्षाओं से और अपने कामों से। आइए पहले हम यीशु की शिक्षाओं पर गौर करें। उसने जो बातें अपने चेलों को सिखायीं, उससे हम जान पाते हैं कि वह अपने पिता की सोच, भावनाओं और तरीकों को कितनी अच्छी तरह समझता था। मिसाल के लिए यीशु ने पिता की तुलना भेड़ों के झुंड के मालिक से की, जो भटकी हुई एक भेड़ को ढूँढ़ने निकल पड़ता है। यीशु ने कहा कि जब मालिक को खोई हुई भेड़ मिलती है तो वह “उन निनानवे से बढ़कर, जो भटकी नहीं थीं, उस एक के लिए ज़्यादा खुशी मनाता है।” यीशु के इस दृष्टांत का क्या मतलब था? वह समझाता है, “इसी तरह मेरा पिता जो स्वर्ग में है, नहीं चाहता कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।” (मत्ती 18:12-14) इससे आप यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं? शायद आपको कभी-कभी लगे कि आप बिलकुल गए-गुज़रे हैं और किसी को आपकी फिक्र नहीं। मगर याद रखिए कि स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता, यहोवा को आपमें दिलचस्पी है और वह आपकी परवाह करता है। उसकी नज़रों में आप “इन छोटों में से एक” हैं।
10. अपने कामों के ज़रिए यीशु ने पिता को कैसे ज़ाहिर किया?
10 यीशु ने अपने कामों के ज़रिए भी चेलों पर पिता को ज़ाहिर किया। यही वजह थी कि जब फिलिप्पुस ने यीशु से कहा, “हमें पिता दिखा दे,” तो यीशु ने जवाब दिया, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।” (यूह. 14:8, 9) आइए कुछ मिसालों पर गौर करें, जो दिखाते हैं कि यीशु ने कैसे पिता के गुण ज़ाहिर किए। एक बार एक कोढ़ी ने यीशु से गिड़गिड़ाकर कहा कि वह उसे चंगा करे। यीशु ने क्या किया? उसने “पूरी तरह कोढ़ से ग्रस्त” उस आदमी को छुआ और कहा: “हाँ, मैं चाहता हूँ। शुद्ध हो जा।” इसमें कोई शक नहीं कि चंगा होने के बाद, उस कोढ़ी को एहसास हुआ होगा कि यीशु ने जो किया उसके पीछे यहोवा का हाथ है। (लूका 5:12, 13) इसके अलावा ध्यान दीजिए कि लाज़र की मौत पर क्या हुआ। यीशु का ‘दिल भर आया, उसने गहरी आह भरी’ और उसके “आंसू बहने लगे।” बेशक यह देखकर चेले पिता की करुणा को समझ पाए होंगे। हालाँकि यीशु जानता था कि वह लाज़र को जी उठानेवाला है, फिर भी उसने लाज़र के रिश्तेदारों और दोस्तों के दर्द को महसूस किया। (यूह. 11:32-35, 40-43) आप खुद भी ऐसे कई और किस्से जानते होंगे जिनमें यीशु ने अपने कामों के ज़रिए पिता की करुणा को ज़ाहिर किया।
11. (क) जब यीशु ने मंदिर को शुद्ध किया, तो उसने यहोवा के बारे में क्या ज़ाहिर किया? (ख) यह वाकया क्यों हमें दिलासा देता है?
11 आपको बाइबल में दिया वह ब्यौरा याद होगा जिसमें यीशु ने मंदिर को शुद्ध किया था। हम उस ब्यौरे से यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं? ज़रा वह नज़ारा देखने की कोशिश कीजिए। यीशु ने रस्सियों का एक कोड़ा बनाकर मवेशी और भेड़ बेचनेवालों को मंदिर के बाहर खदेड़ दिया। उसने पैसे बदलनेवाले सौदागरों के सिक्के बिखेर दिए और उनकी मेज़ें पलट दीं। (यूह. 2:13-17) यीशु को इस ज़बरदस्त तरीके से काम करता देख, चेलों को राजा दाविद की यह भविष्यवाणी याद आयी: “तेरे घर की धुन ने मुझे खा लिया।” (भज. 69:9, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) यह ठोस कदम उठाकर यीशु ने दिखाया कि उसके दिल में सच्ची उपासना की पैरवी करने का जोश कूट-कूटकर भरा है। क्या आप इस ब्यौरे से यहोवा के गुण देख पाते हैं? यह ब्यौरा हमें याद दिलाता है कि यहोवा में न सिर्फ इस धरती से दुष्टता को मिटाने की ताकत है बल्कि वह ऐसा करने की इच्छा भी रखता है। बुराई के खिलाफ यीशु ने जो सख्त कदम उठाया उससे हम समझ पाते हैं कि आज दुनिया-भर में फैली दुष्टता को देखकर पिता कैसा महसूस करता होगा। इस बात से हमें बहुत दिलासा मिल सकता है, खासकर तब, जब हमारे साथ नाइंसाफी होती है।
12, 13. यीशु अपने चेलों के साथ जिस तरह पेश आया उससे आप क्या सीख सकते हैं?
12 चेलों के साथ अपने बर्ताव में भी यीशु ने अपने पिता को ज़ाहिर किया। चेले इस बात को लेकर आपस में झगड़ते रहे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। (मर. 9:33-35; 10:43; लूका 9:46) पिता के साथ एक लंबे अरसे तक रहने की वजह से यीशु जानता था कि इस तरह के रवैए के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है। (2 शमू. 22:28; भज. 138:6) यही नहीं, यीशु ने शैतान को भी इस तरह का रवैया ज़ाहिर करते देखा था। उस घमंडी शख्स को सिर्फ अपने रुतबे और ओहदे की फिक्र थी। तो फिर, यीशु को यह देखकर कितना दुख हुआ होगा कि उसके अपने चेलों ने बड़ा बनने का रवैया नहीं छोड़ा था। यहाँ तक कि उसके चुने प्रेषितों में भी यह रवैया था। जिस दिन यीशु की मौत होनेवाली थी, उस दिन भी उनमें इस बात को लेकर बहस हुई कि कौन सबसे बड़ा है। (लूका 22:24-27) फिर भी यीशु दया दिखाते हुए उनकी सोच सुधारता रहा। उसने उम्मीद नहीं छोड़ी। उसे यकीन था कि एक-न-एक दिन वे उसकी तरह नम्र बन जाएँगे।—फिलि. 2:5-8.
13 यीशु ने जिस तरह धीरज दिखाते हुए अपने चेलों की गलत सोच सुधारी, क्या उससे आपको यहोवा के गुणों का पता नहीं चलता? क्या आपको यीशु की बातों और कामों में उस प्यारे पिता की झलक नहीं मिलती, जो अपने लोगों के बार-बार गलती करने के बावजूद उन्हें छोड़ नहीं देता? क्या परमेश्वर के गुणों को जानने से हम गलती करने पर उससे प्रार्थना करने और पश्चाताप दिखाने के लिए उभारे नहीं जाते?
बेटे ने खुशी-खुशी अपने पिता को ज़ाहिर किया
14. यीशु ने कैसे दिखाया कि वह पिता को ज़ाहिर करना चाहता है?
14 कई तानाशाह, लोगों को अपनी मुट्ठी में रखने के लिए उनसे वे बातें छिपाते हैं, जो उन्हें मालूम होनी चाहिए। लेकिन यीशु ऐसा नहीं था। वह चाहता था कि दूसरे पिता के बारे में जानें। इसलिए उसने खुशी-खुशी अपने सुननेवालों को पिता के बारे में वे सारी बातें बतायीं, जो उन्हें मालूम होनी चाहिए थीं। (मत्ती 11:27 पढ़िए।) इसके अलावा यीशु ने अपने चेलों को ‘दिमागी काबिलीयत दी ताकि वे सच्चे परमेश्वर यहोवा के बारे में ज्ञान हासिल कर सकें।’ (1 यूह. 5:20) इसका मतलब क्या है? यीशु ने अपने चेलों को वे शिक्षाएँ समझने में मदद दीं, जो उसने पिता के बारे में सिखायी थीं। उसने पिता को त्रिएक की शिक्षा के रहस्यमय बादल के पीछे छिपाकर नहीं रखा।
15. यीशु ने चेलों को पिता के बारे में सारी बातें क्यों नहीं बतायीं?
15 क्या यीशु ने चेलों को पिता के बारे में वे सारी बातें बता दीं, जो उसे मालूम थीं? जी नहीं, उसने सबकुछ नहीं बताया। ऐसा करके उसने समझदारी दिखायी। (यूहन्ना 16:12 पढ़िए।) क्यों? क्योंकि उस वक्त चेले सभी बातें “समझ नहीं सकते” थे। लेकिन यीशु ने बताया कि आगे चलकर जब “वह मददगार” आएगा, तो पिता के बारे में उन्हें और भी समझ मिलेगी। यहाँ यीशु पवित्र शक्ति की बात कर रहा था, जो “सच्चाई की पूरी समझ पाने में” उनकी मदद करता। (यूह. 16:7, 13) समझदार माता-पिता अपने बच्चों के बड़े होने तक उन्हें वे सारी बातें नहीं बताते जो वे बचपन में समझ नहीं पाएँगे। ठीक उसी तरह, यीशु ने अपने चेलों की हदें पहचानते हुए उन्हें पिता के बारे में और जानकारी तब तक नहीं दी, जब तक कि वे उसे समझने के लायक नहीं बन गए।
यहोवा के बारे में जानने में दूसरों की मदद कीजिए
16, 17. आप क्यों दूसरों को यहोवा के बारे में बताने के काबिल हैं?
16 जब आप किसी को करीब से जानने पर यह पाते हैं कि उनका स्वभाव बहुत ही प्यार-भरा है, तो क्या आप दूसरों को उनके बारे में बताने के लिए उभारे नहीं जाएँगे? जब यीशु धरती पर था, तो उसने लोगों को पिता के बारे में बताया। (यूह. 17:25, 26) क्या हम भी उसकी तरह दूसरों पर यहोवा को ज़ाहिर कर सकते हैं?
17 जैसा कि हमने देखा, यीशु जितनी नज़दीकी से यहोवा को जानता था, उतना कोई और नहीं जानता था। लेकिन वह दूसरों को पिता के बारे में सिखाने के लिए तैयार था। यहाँ तक कि उसने अपने चेलों को दिमागी काबिलीयत दी ताकि वे परमेश्वर की शख्सियत की गहरी समझ हासिल कर सकें। क्या आपको नहीं लगता कि हम यीशु की मदद से पिता के बारे में इतना कुछ जान पाए हैं, जितना आज दुनिया के ज़्यादातर लोग नहीं जानते? हम यीशु के कितने एहसानमंद हैं कि उसने अपनी शिक्षाओं और कामों के ज़रिए खुशी-खुशी हम पर पिता को ज़ाहिर किया! जी हाँ, हमें गर्व है कि हम पिता को जानते हैं। (यिर्म. 9:24; 1 कुरिं. 1:31) हमने यहोवा के करीब आने की कोशिश की है। नतीजतन यहोवा भी हमारे करीब आया है। (याकू. 4:8) इसलिए अब हम परमेश्वर के बारे में दूसरों को बताने के काबिल हैं। हम यह कैसे कर सकते हैं?
18, 19. किन तरीकों से आप दूसरों पर यहोवा को ज़ाहिर कर सकते हैं? समझाइए।
18 हमें भी यीशु की तरह अपनी बातों और कामों से पिता को ज़ाहिर करना चाहिए। हम अपनी बातों से पिता को कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं? याद रखिए कि प्रचार में हमें जो लोग मिलते हैं, उनमें से ज़्यादातर नहीं जानते कि सच्चा परमेश्वर कौन है। झूठी शिक्षाओं की वजह से उनके दिमाग में परमेश्वर के बारे में गलत धारणाएँ हो सकती हैं। इसलिए हमें उनको परमेश्वर के नाम, उसके मकसद और उसकी शख्सियत के बारे में बाइबल से सिखाना चाहिए। इसके अलावा हम अपने भाई-बहनों के साथ भी बाइबल में दर्ज़ ऐसे ब्यौरों के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जिनसे हमने यहोवा के गुणों के बारे कुछ नयी बातें सीखी हैं। इससे उन्हें भी फायदा होगा।
19 हम अपने कामों से पिता को कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं? जब लोग देखेंगे कि हम भी यीशु की तरह प्यार दिखाते हैं, तो वे खुद-ब-खुद पिता और यीशु की तरफ खिंचे चले आएँगे। (इफि. 5:1, 2) प्रेषित पौलुस ने हमें बढ़ावा दिया कि हम ‘उसकी मिसाल पर चलें, ठीक जैसे वह मसीह की मिसाल पर चलता था।’ (1 कुरिं. 11:1) अपने कामों से यहोवा को ज़ाहिर कर पाना हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है! आइए हम सभी यीशु की तरह दूसरों पर पिता को ज़ाहिर करते रहें!