अध्याय 9
खुशखबरी सुनाने के तरीके
यीशु ने पूरे जोश से राज की खुशखबरी का प्रचार किया और अपने चेलों के लिए एक बेहतरीन मिसाल कायम की। उसने खुद लोगों के पास जाकर उन्हें संदेश सुनाया। वह लोगों के घर जाता था और ऐसी जगहों पर भी जाता था जहाँ अकसर लोग आते-जाते थे। (मत्ती 9:35; 13:36; लूका 8:1) यीशु ने कभी-कभी एक-एक इंसान को अलग से सिखाया तो कभी हज़ारों लोगों की भीड़ को। वह कई बार अपने चेलों को अलग से भी सिखाता था। (मर. 4:10-13; 6:35-44; यूह. 3:2-21) उसे जहाँ भी मौका मिलता, वह लोगों की हिम्मत बँधाता और उन्हें आशा देता था। (लूका 4:16-19) उसने गवाही देने का एक भी मौका हाथ से नहीं जाने दिया, उस वक्त भी नहीं जब वह थका हुआ होता था। (मर. 6:30-34; यूह. 4:4-34) जब हम बाइबल में यीशु की सेवा के बारे में पढ़ते हैं, तो क्या हमारा भी मन नहीं करता कि उसकी तरह जोश से प्रचार करें? बेशक करता है। उसके प्रेषितों ने भी उसकी तरह प्रचार किया था।—मत्ती 4:19, 20; लूका 5:27, 28; यूह. 1:43-45.
2 यीशु मसीह ने 2,000 साल पहले जो काम शुरू किया था, उसे आज मसीही किन-किन तरीकों से कर सकते हैं, आइए देखें।
घर-घर प्रचार कीजिए
3 हम यहोवा के साक्षी जानते हैं कि घर-घर जाकर व्यवस्थित तरीके से प्रचार करना कितना ज़रूरी है। हमने इस तरीके से इतना ज़्यादा प्रचार किया है कि हम घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। घर-घर प्रचार करने के बहुत बढ़िया नतीजे मिलते हैं। इससे पता चलता है कि इस तरीके से प्रचार करने से हम थोड़े समय के अंदर लाखों लोगों को संदेश सुना सकते हैं। (मत्ती 11:19; 24:14) घर-घर जाकर प्रचार करके हम दिखाते हैं कि हम यहोवा और पड़ोसी से प्यार करते हैं।—मत्ती 22:34-40.
4 यहोवा के साक्षियों ने घर-घर प्रचार करने का काम आज नहीं शुरू किया बल्कि यह काम पहली सदी में भी होता था। जैसे, प्रेषित पौलुस ने लिखा कि वह कैसे लोगों के घर जाकर उन्हें सिखाता था। उसने अपनी सेवा के बारे में इफिसुस के प्राचीनों से कहा, “जिस दिन से मैंने एशिया प्रांत में कदम रखा उस दिन से . . . मैं तुम्हें ऐसी कोई भी बात बताने से पीछे नहीं हटा जो तुम्हारे फायदे की थी, न ही . . . घर-घर जाकर सिखाने से रुका।” पौलुस ने घर-घर जाकर और दूसरे तरीकों से प्रचार किया। उसने “यहूदी और यूनानी, दोनों को परमेश्वर के सामने पश्चाताप करने और हमारे प्रभु यीशु पर विश्वास करने के बारे में अच्छी तरह गवाही दी।” (प्रेषि. 20:18, 20, 21) उस समय रोमी सम्राट मूर्तिपूजा को बढ़ावा देते थे और बहुत-से लोग झूठे “देवताओं के भक्त” थे। इसलिए यह बहुत ज़रूरी था कि लोग उस “परमेश्वर” को जानें जिसने “पूरी दुनिया और उसकी सब चीज़ें बनायीं” और जो “हर जगह ऐलान कर रहा है कि सब लोग पश्चाताप करें।”— प्रेषि. 17:22-31.
5 आज लोगों तक खुशखबरी पहुँचाना और भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। इस दुष्ट दुनिया का अंत तेज़ी से करीब आ रहा है। इसलिए हमें प्रचार करने में और भी मेहनत करनी चाहिए। जो लोग सच्चाई के प्यासे हैं उन्हें ढूँढ़ने का सबसे बढ़िया तरीका है घर-घर जाना। यह तरीका आज भी उतना ही असरदार है जितना यीशु और प्रेषितों के दिनों में था।—मर. 13:10.
6 क्या आप जितना ज़्यादा हो सके घर-घर जाकर प्रचार करते हैं? अगर हाँ, तो आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपसे खुश है। (यहे. 9:11; प्रेषि. 20:35) घर-घर प्रचार करना शायद आपके लिए इतना आसान न हो। हो सकता है आप बीमार रहते हों या चल-फिर नहीं सकते या आपके इलाके में ज़्यादातर लोग खुशखबरी सुनना नहीं चाहते। हो सकता है सरकार ने हमारे काम पर कुछ पाबंदियाँ लगा दी हों। या शायद आप शर्मीले स्वभाव के हों और आपको अजनबियों से बात शुरू करना मुश्किल लगता हो। इसलिए जब भी आप घर-घर के प्रचार में जाते हैं तो शायद आपको थोड़ी घबराहट होती हो। फिर भी निराश मत होइए। (निर्ग. 4:10-12) दूसरी जगहों में रहनेवाले भाई-बहन भी आपके जैसे ही हालात से गुज़र रहे हैं।
7 यीशु ने वादा किया है, “मैं दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त तक हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” (मत्ती 28:20) इसलिए हमें चेला बनाने का काम करने के लिए हिम्मत मिलती है। हम वैसा ही महसूस करते हैं, जैसा प्रेषित पौलुस ने महसूस किया। उसने कहा, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्ति मिलती है।” (फिलि. 4:13) घर-घर के प्रचार काम के लिए मंडली जो इंतज़ाम करती है, उसमें जितना ज़्यादा हो सके हिस्सा लीजिए। दूसरों के साथ काम करने से आपका हौसला बढ़ेगा और आप यह काम अच्छी तरह कर पाएँगे। आपके सामने जो भी मुश्किल है उसका सही तरह से सामना करने के लिए प्रार्थना कीजिए और खुशखबरी का प्रचार करने में कड़ी मेहनत कीजिए।—1 यूह. 5:14.
8 जब आप दूसरों को खुशखबरी सुनाएँगे, तो आप उन्हें अपनी “आशा की वजह” बता सकेंगे। (1 पत. 3:15) दिन-ब-दिन आप साफ देख पाएँगे कि जिनके पास राज की आशा है और जिनके पास कोई आशा नहीं है, उनके बीच कितना फर्क है। (यशा. 65:13, 14) आप यीशु की आज्ञा मानकर अपनी ‘रौशनी चमका’ रहे होंगे। इससे आपको खुशी मिलेगी। यह भी हो सकता है कि आपके प्रचार करने से कुछ लोग यहोवा को जानें और हमेशा की ज़िंदगी पाएँ।—मत्ती 5:16; यूह. 17:3; 1 तीमु. 4:16.
9 शनिवार-रविवार को और हफ्ते के बाकी दिन भी घर-घर प्रचार करने का इंतज़ाम किया जाता है। कुछ मंडलियाँ शाम को गवाही देती हैं क्योंकि कुछ इलाकों में लोग दिन के वक्त घर पर नहीं होते। लोग सुबह के बजाय दोपहर या शाम को ज़्यादा फुरसत में रहते हैं और ऐसे में घर आनेवालों से बात करना पसंद करते हैं।
योग्य लोगों को ढूँढ़िए
10 यीशु ने अपने चेलों को हिदायत दी थी कि वे योग्य लोगों को ‘ढूँढ़ें।’ (मत्ती 10:11) यीशु ने सिर्फ घर-घर जाकर योग्य लोगों को नहीं ढूँढ़ा। उसे जहाँ कहीं मौका मिलता, वह लोगों को गवाही देता था। (लूका 8:1; यूह. 4:7-15) प्रेषितों ने भी अलग-अलग जगहों पर लोगों को गवाही दी थी।—प्रेषि. 17:17; 28:16, 23, 30, 31.
हमारी कोशिश यही रहती है कि हम हर व्यक्ति को राज का संदेश सुनाएँ
11 उसी तरह आज हमारा मकसद है कि जहाँ तक हो सके हम हर व्यक्ति को राज का संदेश सुनाएँ। इसके लिए ज़रूरी है कि हम चेले बनाने के लिए यीशु और उसके प्रेषितों का तरीका अपनाएँ। हमें ध्यान रखना है कि दौर बदलता रहता है और लोगों के हालात भी बदलते हैं, इसलिए हमें प्रचार के लिए नए-नए तरीके अपनाने पड़ते हैं। (1 कुरिं. 7:31) मिसाल के लिए कुछ प्रचारकों को बिज़नेसवाली जगहों पर गवाही देने से अच्छे नतीजे मिले हैं। बहुत-से देशों में प्रचारक सड़क पर, पार्कों में, गाड़ियाँ खड़ी करने की जगह या जहाँ कहीं लोग मिलते हैं, वहाँ गवाही देते हैं। कुछ मंडलियाँ अपने प्रचार के इलाके में ही टेबल या ट्रॉली लगाकर गवाही देती हैं। इसके अलावा, शाखा दफ्तर बड़े-बड़े शहरों में भीड़-भाड़वाले इलाकों में सरेआम गवाही देने के खास इंतज़ाम भी कर सकता है। ऐसे मौकों पर कई मंडलियाँ सरेआम गवाही देती हैं। इसलिए उन लोगों को भी हमारा संदेश मिल जाता है जो हमें घर पर नहीं मिलते।
12 जिन जगहों पर लोगों का आना-जाना रहता है वहाँ अगर कोई दिलचस्पी दिखाए तो आप उसकी ज़रूरत के हिसाब से प्रकाशन दे सकते हैं। उससे दोबारा मिलकर दिलचस्पी बढ़ाने के लिए आप अपना फोन नंबर वगैरह दे सकते हैं। आप अगली मुलाकात के लिए समय तय कर सकते हैं, उसे jw.org के बारे में बता सकते हैं या पास की किसी मंडली का पता दे सकते हैं ताकि वह सभाओं में जा सके। जहाँ बहुत सारे लोग होते हैं वहाँ प्रचार करने में आपको मज़ा आएगा। इसलिए आप ज़्यादा सेवा करना चाहेंगे।
13 लेकिन मसीहियों का काम सिर्फ खुशखबरी सुनाना नहीं है। अगर आप चाहते हैं कि लोग सच्चाई अपनाएँ जिससे उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है, तो आपको दिलचस्पी रखनेवालों से बार-बार जाकर मिलना चाहिए। तब वे तरक्की करके प्रौढ़ मसीही बन सकेंगे।
वापसी भेंट कीजिए
14 यीशु ने अपने चेलों से कहा था, ‘तुम दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में मेरे बारे में गवाही दोगे।’ (प्रेषि. 1:8) उसने यह भी कहा था, ‘जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ। उन्हें वे सारी बातें मानना सिखाओ जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।’ (मत्ती 28:19, 20) वापसी भेंट करने से हमें बहुत खुशी मिलती है। जिन लोगों ने पहली मुलाकात में अच्छी तरह सुना है, उनसे जब आप दोबारा मिलेंगे तो वे शायद और सुनना चाहेंगे। उन्हें बाइबल की ज़्यादा जानकारी देने से आप परमेश्वर पर उनका विश्वास मज़बूत कर सकेंगे। साथ ही, आप उन्हें एहसास दिला सकेंगे कि उन्हें यहोवा के बारे में और सीखने की ज़रूरत है। (मत्ती 5:3) अगर आप वापसी भेंट के लिए अच्छी तैयारी करें और घर-मालिक के लिए जो समय ठीक रहेगा उस समय पर जाएँ, तो आप उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू कर सकते हैं। बाइबल अध्ययन शुरू करना ही वापसी भेंट का खास मकसद होना चाहिए। हमें न सिर्फ सच्चाई का बीज बोना है बल्कि उसे सींचना भी है।—1 कुरिं. 3:6.
15 कुछ लोगों को वापसी भेंट करना मुश्किल लगता है। शायद आपको भी मुश्किल लगता हो। हो सकता है आपने पहली मुलाकात में चंद शब्दों में गवाही देना सीख लिया है और इसी में आपको मज़ा आ रहा हो। मगर घर-मालिक से दोबारा मिलकर उनसे बातचीत करने के खयाल से शायद आपको घबराहट हो। लेकिन अगर आप अच्छी तैयारी करेंगे, तो आप वापसी भेंट में पूरे यकीन के साथ बात कर सकेंगे। हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में जो सुझाव दिए जाते हैं, उन्हें आज़माइए। आप चाहे तो वापसी भेंट पर अपने साथ किसी अनुभवी प्रचारक को ले जा सकते हैं।
बाइबल अध्ययन चलाइए
16 पहली सदी में प्रचारक फिलिप्पुस ने जब यहूदी धर्म अपनानेवाले एक आदमी को परमेश्वर का वचन पढ़ते देखा, तो उससे पूछा, “तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?” उस आदमी ने कहा, “जब तक कोई मुझे न समझाए, मैं भला कैसे समझ सकता हूँ?” प्रेषितों की किताब के अध्याय 8 में बताया गया है कि वह आदमी शास्त्र का जो भाग पढ़ रहा था, उसके बारे में फिलिप्पुस ने उसे समझाया और फिर “उसे यीशु के बारे में खुशखबरी सुनायी।” (प्रेषि. 8:26-36) हम यह तो नहीं जानते कि फिलिप्पुस ने उस आदमी के साथ कितना वक्त बिताया। मगर हम इतना ज़रूर जानते हैं कि फिलिप्पुस ने उसे खुशखबरी के बारे में इतनी अच्छी तरह समझाया कि वह विश्वासी बन गया और उसने कहा कि वह बपतिस्मा लेना चाहता है। इस तरह वह यीशु मसीह का चेला बन गया।
17 आज ऐसे बहुत-से लोग हैं जिन्हें बाइबल के बारे में कुछ नहीं मालूम। इस वजह से हमें शायद ऐसे लोगों के पास कई दफा वापसी भेंट करना पड़े और कई हफ्तों, महीनों या फिर एक साल या उससे भी ज़्यादा समय तक उनके साथ बाइबल अध्ययन करना पड़े। तब जाकर शायद उनके अंदर विश्वास बढ़ेगा और वे बपतिस्मे के काबिल बनेंगे। उन्हें सिखाने के लिए आपको सब्र से काम लेना है और चेला बनने में उनकी प्यार से मदद करनी है। ऐसा करने से आपको बहुत खुशी मिलेगी क्योंकि यीशु ने कहा था, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”—प्रेषि. 20:35.
18 आप किसी ऐसे प्रकाशन से अध्ययन करा सकते हैं जो खास बाइबल अध्ययन के लिए तैयार किया गया है। हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में बाइबल अध्ययन चलाने के बारे में जो निर्देश दिए जाते हैं, उन्हें लागू कीजिए। मंडली के अनुभवी भाई-बहनों के साथ बाइबल अध्ययन पर जाइए। तब आप तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चला सकेंगे और यीशु के चेले बनने में लोगों की मदद कर सकेंगे।
19 अगर आपको बाइबल अध्ययन शुरू करने या चलाने में मदद की ज़रूरत है, तो आप बेझिझक किसी प्राचीन से या ऐसे भाई या बहन से मदद माँग सकते हैं जो अच्छी तरह सिखाता है। मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका में जो सुझाव दिए जाते हैं और जिनका सभा में प्रदर्शन दिखाया जाता है, उनसे भी आप काफी कुछ सीख सकते हैं। यहोवा पर भरोसा रखिए और उससे प्रार्थना कीजिए कि आपको अध्ययन शुरू करने और चलाने में मदद की ज़रूरत है। (1 यूह. 3:22) हो सकता है आप परिवार के किसी व्यक्ति का बाइबल अध्ययन करा रहे हों। मगर इसके अलावा किसी और व्यक्ति के साथ भी अध्ययन करने का लक्ष्य रखिए। बाइबल अध्ययन चलाने से प्रचार सेवा में आपकी खुशी बढ़ जाएगी।
विद्यार्थी का ध्यान संगठन की ओर खींचिए
20 जब हम लोगों को यहोवा के बारे में सिखाते हैं और यीशु के चेले बनने में उनकी मदद करते हैं, तब वे मंडली का हिस्सा बन जाते हैं। बाइबल विद्यार्थी अच्छी तरक्की करें, इसके लिए ज़रूरी है कि वे यहोवा के संगठन को जानें और उसके निर्देशों को मानें। इस वजह से हमें उन्हें संगठन के बारे में भी सिखाना चाहिए। आज कौन यहोवा की मरज़ी पूरी कर रहे हैं? ब्रोशर और कुछ ऐसे वीडियो आपकी मदद कर सकते हैं जिन्हें खास इसी मकसद से तैयार किया गया है। इस किताब के अध्याय 4 में दी जानकारी भी मददगार हो सकती है।
21 बाइबल विद्यार्थी को शुरू से ही समझाइए कि धरती पर यहोवा का एक संगठन है और उसी संगठन के ज़रिए यहोवा प्रचार का काम करवा रहा है। उसे समझाइए कि हम जिन प्रकाशनों से बाइबल का अध्ययन करते हैं, वे बहुत अनमोल हैं। उसे बताइए कि स्वयंसेवक कैसे इन प्रकाशनों को तैयार करते हैं और पूरी दुनिया में बाँटते हैं। विद्यार्थी को बताइए कि राज-घर में सभाएँ कैसे चलायी जाती हैं और उसे सभाओं में बुलाइए। वहाँ उसे भाई-बहनों से मिलवाइए। आप सम्मेलनों और अधिवेशनों में और भी कई साक्षियों से उसकी जान-पहचान करवा सकते हैं। ऐसी सभाओं में और दूसरे मौकों पर विद्यार्थी देख पाएगा कि यहोवा के लोगों में कितना प्यार है जो कि सच्चे मसीहियों की पहचान है। (यूह. 13:35) जब विद्यार्थी के दिल में यहोवा के संगठन के लिए कदरदानी बढ़ेगी, तो वह यहोवा के और भी करीब आएगा।
बाइबल पर आधारित किताबें-पत्रिकाएँ दीजिए
22 पहली सदी के मसीही परमेश्वर के वचन का बड़े जोश से प्रचार करते थे। वे शास्त्र की कॉपियाँ बनाते थे ताकि वे खुद अध्ययन कर सकें और उनसे मंडली में भी सिखा सकें। उन्होंने दूसरों को सच्चाई के वचन का अध्ययन करने का बढ़ावा दिया। उनके पास हाथ से लिखी शास्त्र की कॉपियाँ बहुत कम हुआ करती थीं और इन्हें वे बहुत सँभालकर रखते थे। (कुलु. 4:16; 2 तीमु. 2:15; 3:14-17; 4:13; 1 पत. 1:1) आज यहोवा के साक्षी छपाई के नए-नए तरीके इस्तेमाल करके लाखों बाइबलें और बाइबल के साहित्य छापते हैं। जैसे ट्रैक्ट, ब्रोशर, किताबें और पत्रिकाएँ जो सैकड़ों भाषाओं में निकाली जाती हैं।
23 दूसरों को खुशखबरी सुनाते वक्त संगठन के दिए साहित्य का इस्तेमाल कीजिए। आपने खुद भी ये साहित्य पढ़कर और उनका अध्ययन करके काफी फायदा पाया होगा। इसलिए दूसरों को भी ये साहित्य दीजिए।—इब्रा. 13:15, 16.
24 आज ज़्यादातर लोग जानकारी पाने के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर जाते हैं। इसलिए खुशखबरी सुनाने में छपे हुए साहित्य के अलावा हमारी आधिकारिक वेबसाइट jw.org भी बहुत मददगार है। इस वेबसाइट पर सैकड़ों भाषाओं में बाइबलें और हमारे साहित्य और उनकी रिकॉर्डिंग उपलब्ध हैं इसलिए पूरी दुनिया में लोग कंप्यूटर से ये जानकारी पा सकते हैं। जो लोग हमसे बात करने से झिझकते हैं या ऐसे इलाकों में रहते हैं जहाँ उन्हें साक्षियों से बात करने का मौका नहीं मिलता, वे घर बैठे jw.org से हमारी शिक्षाओं के बारे में जान सकते हैं।
25 हमें जब भी मौका मिलता है हम लोगों को jw.org वेबसाइट के बारे में बताते हैं। अगर कोई हमारी शिक्षाओं के बारे में सवाल पूछता है, तो हम उसे मोबाइल या टैबलेट से उसी वक्त जवाब दे सकते हैं। अगर हमें कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जो दूसरी भाषा बोलता है, फिर चाहे साइन लैंग्वेज ही क्यों न हो, तो हम उसे अपनी वेबसाइट दिखा सकते हैं। वहाँ वह अपनी भाषा में बाइबल और बाइबल पर आधारित साहित्य देख सकता है। बहुत-से प्रचारकों ने वेबसाइट पर दिया कोई वीडियो दिखाकर बाइबल पर चर्चा शुरू की है।
मौके ढूँढ़कर गवाही दीजिए
26 यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम दुनिया की रौशनी हो। . . . तुम्हारी रौशनी लोगों के सामने चमके ताकि वे तुम्हारे भले काम देखकर स्वर्ग में रहनेवाले तुम्हारे पिता की महिमा करें।” (मत्ती 5:14-16) उन चेलों ने इस बात का ध्यान रखा कि यीशु की तरह उनका चालचलन परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक हो। यीशु ने यह भी कहा, “मैं दुनिया की रौशनी हूँ।” उसने दिखाया कि वे “जीवन की रौशनी” कैसे फैला सकते हैं ताकि जो उनका संदेश सुनेंगे उन्हें फायदा हो।—यूह. 8:12.
27 प्रेषित पौलुस ने भी हमारे लिए एक अच्छी मिसाल रखी। (1 कुरिं. 4:16; 11:1) जब वह एथेन्स में था, तो वह हर दिन उन लोगों को गवाही देता था जो बाज़ार में मिलते थे। (प्रेषि. 17:17) फिलिप्पी में रहनेवाले मसीही पौलुस की मिसाल पर चले। इसी वजह से पौलुस ने उनको लिखा कि वे ‘एक टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी के बीच रौशनी की तरह चमक रहे’ हैं। (फिलि. 2:15) हम भी अगर अच्छा चालचलन बनाए रखेंगे और गवाही देंगे, तो सच्चाई की रौशनी चमका सकते हैं। यह सच है कि हमारी ईमानदारी देखकर लोग समझ जाएँगे कि हम बाकी लोगों से अलग हैं। लेकिन अगर हम उन्हें खुशखबरी सुनाएँगे, तो वे जान पाएँगे कि हम क्यों दूसरों से अलग हैं।
28 कई भाई-बहन काम की जगह पर, स्कूल में, बस या ट्रेन में या रोज़मर्रा के काम करते वक्त दूसरों को गवाही देते हैं। जब हम सफर करते हैं, तो हम पास बैठे यात्रियों को गवाही दे सकते हैं। जब हम किसी से यूँ ही बातचीत करते हैं, तब भी हमें किसी तरह उन्हें गवाही देने की कोशिश करनी चाहिए। तो आइए हम हर मौके पर दूसरों को गवाही देने के लिए तैयार रहें!
29 हमें याद रखना है कि जब हम गवाही देते हैं, तो हमारे सृष्टिकर्ता की तारीफ होती है और उसके नाम की महिमा होती है। नेकदिल लोग यहोवा को जान पाते हैं और उसके सेवक बन पाते हैं और यीशु मसीह पर विश्वास करने की वजह से उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका मिलता है। हमारी मेहनत देखकर यहोवा खुश होता है और इसे वह पवित्र सेवा समझता है।—इब्रा. 12:28; प्रका. 7:9, 10.
प्रचार का इलाका
30 यहोवा की यह मरज़ी है कि राज का संदेश पूरी दुनिया में सुनाया जाए, शहरों में भी और गाँवों में भी। इसलिए शाखा दफ्तर मंडलियों को और दूर-दराज़ इलाकों में सेवा करनेवाले साक्षियों को प्रचार करने का इलाका देता है। (1 कुरिं. 14:40) पहली सदी में भी परमेश्वर के निर्देश के मुताबिक ऐसा इंतज़ाम किया गया था। (2 कुरिं. 10:13; गला. 2:9) इन आखिरी दिनों में राज का काम तेज़ी से बढ़ रहा है। इसलिए जब मंडलियाँ अपने प्रचार के इलाके को अच्छी तरह व्यवस्थित करती हैं और उसके हिसाब से प्रचार करती हैं, तो अच्छे नतीजे मिलते हैं।
31 प्रचार के इलाके को व्यवस्थित करने का काम सेवा निगरान के निर्देश में होता है। मगर प्रचारकों को इलाका बाँटने का काम एक सहायक सेवक कर सकता है। प्रचार के इलाके दो तरह के होते हैं, एक प्रचार समूह का इलाका और दूसरा निजी इलाका जो किसी एक प्रचारक को सौंपा जाता है। जिस मंडली का इलाका बहुत छोटा होता है, उस मंडली के समूह निगरान अपने-अपने समूह के लिए इलाका लेंगे। वहाँ समूह के सब लोग गवाही दे सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ जिस मंडली का इलाका बहुत बड़ा है, वहाँ प्रचारक चाहे तो अलग से अपना इलाका ले सकते हैं।
32 एक प्रचारक जब अपने लिए इलाका लेता है, तो वह कभी-कभी ऐसे समय पर प्रचार कर सकता है जब प्रचार की सभा नहीं होती या जब वह प्रचार समूह से मिल नहीं सकता। उदाहरण के लिए, कुछ प्रचारक अपने काम की जगह के आस-पास का इलाका लेते हैं और वहाँ लंच-ब्रेक में या काम के बाद प्रचार करते हैं। कुछ परिवार अपने घर के आस-पास का इलाका लेते हैं और वहाँ वे कभी-कभी शाम को प्रचार करते हैं। जब एक प्रचारक अपनी सुविधा के मुताबिक इलाका लेता है, तो वह ज़्यादा सेवा कर सकता है। एक प्रचारक चाहे तो दूसरे प्रचारकों को अपने निजी इलाके में बुला सकता है। वह चाहे तो एक समूह के साथ प्रचार की सभा में हाज़िर होने के बाद ऐसा कर सकता है। अगर आप एक इलाका चाहते हैं, तो प्रचार के इलाकों की देखरेख करनेवाले भाई से पूछ सकते हैं।
33 चाहे एक समूह निगरान अपने समूह के लिए इलाका ले या एक प्रचारक अपने लिए निजी इलाका ले, उन्हें हर घर पर गवाही देने की कोशिश करनी चाहिए। पूरे इलाके में प्रचार करने के लिए ऐसा इंतज़ाम किया जाना चाहिए जो डेटा सुरक्षा नियमों के मुताबिक हो। जो समूह निगरान या प्रचारक एक इलाका लेता है, उसे वह इलाका 4 महीने के अंदर खत्म करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। एक बार जब इलाका पूरा हो जाए, तो उसे इलाकों की देखरेख करनेवाले भाई को बताना चाहिए। हालात को देखते हुए समूह निगरान या प्रचारक चाहे तो वह इलाका अपने पास रख सकता है ताकि वहाँ दोबारा प्रचार कर सके। या फिर वह इलाकों की देखरेख करनेवाले भाई को वह इलाका वापस दे सकता है।
34 अगर मंडली के सभी लोग प्रचार के इलाके के बारे में निर्देशों को मानेंगे, तो पूरे इलाके में अच्छी गवाही मिलेगी। तब एक ही इलाके के घरों में एक ही वक्त पर दो-तीन प्रचारक गवाही नहीं देंगे। वरना घर-मालिक गुस्सा हो सकता है। अगर हम निर्देशों को मानते हैं, तो अपने भाई-बहनों का और इलाके के लोगों का लिहाज़ करेंगे।
सभी भाषाओं के लोगों को गवाही देने के लिए सहयोग दीजिए
35 दुनिया के हर इंसान को यहोवा परमेश्वर, उसके बेटे और उसके राज के बारे में जानने की ज़रूरत है। (प्रका. 14:6, 7) हम हर भाषा के लोगों की मदद करना चाहते हैं ताकि वे उद्धार पाने के लिए यहोवा का नाम लें और मसीही शख्सियत पहनें। (रोमि. 10:12, 13; कुलु. 3:10, 11) लेकिन जब हम ऐसे इलाके में प्रचार करते हैं जहाँ कई भाषाओं के लोग रहते हैं, तो कुछ मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। आइए जानें कि हम इन मुश्किलों को कैसे पार कर सकते हैं ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग अपनी भाषा में संदेश सुन सकें।—रोमि. 10:14.
36 एक मंडली की सभाएँ जिस भाषा में होती हैं, उसी भाषा का इलाका उसे दिया जाता है। कुछ इलाके ऐसे हैं जिनमें कई भाषाएँ बोली जाती हैं। वहाँ एक-से-ज़्यादा मंडलियाँ प्रचार करती हैं। ऐसे में हर मंडली के प्रचारकों को सिर्फ उन लोगों को गवाही देनी चाहिए जो उनकी मंडली की भाषा बोलते हैं। हर साल जब न्यौता बाँटने का अभियान होता है, तब भी उन्हें अपनी मंडली की भाषा बोलनेवालों को ही न्यौता देना चाहिए। मगर सरेआम गवाही देते समय या मौके ढूँढ़कर गवाही देते समय हम किसी भी भाषा के व्यक्ति से बात कर सकते हैं और किसी भी भाषा का साहित्य दे सकते हैं।
37 दूसरी भाषा बोलनेवाली कुछ मंडलियों का इलाका बहुत दूर तक फैला होता है और वे नियमित तौर पर वहाँ प्रचार नहीं कर पातीं। ऐसे में उस इलाके में रहनेवाली मंडलियों के सेवा-निगरानों को आपस में बात करके कुछ ऐसा इंतज़ाम करना चाहिए कि उस इलाके में अच्छी तरह प्रचार हो सके। तब वहाँ के सब लोग संदेश सुन पाएँगे और एक ही घर पर एक से ज़्यादा मंडली के प्रचारक नहीं जाएँगे।—नीति. 15:22.
38 अगर घर-घर के प्रचार में हमें कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जो दूसरी भाषा बोलता है, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि जो प्रचारक उसकी भाषा बोलते हैं वे उससे संपर्क करेंगे। कुछ प्रचारकों ने दूसरी भाषा में आसान-सी पेशकश याद की है क्योंकि उस भाषा के लोग उन्हें अकसर मिलते हैं। हम दूसरी भाषा बोलनेवाले को यह भी दिखा सकते हैं कि वह कैसे हमारी jw.org वेबसाइट से अपनी भाषा में साहित्य पढ़ सकता है या डाउनलोड कर सकता है। या फिर हम कह सकते हैं कि हम अगली बार उसकी भाषा में साहित्य लाकर देंगे।
39 अगर वह दिलचस्पी दिखाता है, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें पता करना चाहिए कि क्या ऐसा कोई काबिल प्रचारक है जो उसकी भाषा जानता है ताकि वह उससे मिल सके। हम उस व्यक्ति को यह भी बता सकते हैं कि उसकी भाषा में उसके नज़दीक सभाएँ कहाँ होती हैं और उस मंडली का पता दे सकते हैं। या फिर हम उसे बता सकते हैं कि वह jw.org पर अपना पता वगैरह कैसे भर सकता है। फिर शाखा दफ्तर यह पता लगाएगा कि कौन-सा प्रचारक, समूह या मंडली उस व्यक्ति के सबसे नज़दीक है और उसकी मदद कर सकता है।
40 हमें दिलचस्पी दिखानेवाले व्यक्ति से तब तक मिलते रहना चाहिए जब तक उसकी भाषा बोलनेवाला प्रचारक उससे संपर्क नहीं करता। अगर व्यक्ति की भाषा बोलनेवाला कोई भी प्रचारक नज़दीक नहीं रहता, तो शाखा दफ्तर यह बात प्राचीनों को बताएगा। ऐसे में हमें उस व्यक्ति की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए अपना भरसक करते रहना चाहिए। मुमकिन हो तो उसकी भाषा में अध्ययन के किसी साहित्य से हम उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू कर सकते हैं। हम साहित्य में दी तसवीरों से उसे समझाने की कोशिश कर सकते हैं और वहाँ लिखी आयतें उसे पढ़ने के लिए कह सकते हैं। तब वह एक हद तक बाइबल की बुनियादी बातें समझ लेगा। अगर उसके परिवार का कोई सदस्य उसकी भाषा और आपकी भाषा दोनों जानता है, तो वह आपके और उसके लिए अनुवादक का काम कर सकता है।
41 हम चाहते हैं कि दिलचस्पी दिखानेवाला व्यक्ति परमेश्वर के संगठन के बारे में जाने। इसलिए ज़रूरी है कि हम उसे सभाओं के लिए बुलाएँ, भले ही वह कार्यक्रम पूरी तरह न समझ पाए। अगर उसके पास अपनी भाषा में बाइबल है, तो जब आयतें पढ़ी जाती हैं, तब हम बाइबल में आयतें ढूँढ़ने में उसकी मदद कर सकते हैं। मंडली में दूसरों की संगति करने से भी उसका जोश बढ़ सकता है और वह अच्छी तरक्की कर पाएगा।
42 शुरूआती समूह: कुछ मंडलियों में ऐसे कई प्रचारक होते हैं जो मंडली की भाषा के अलावा किसी और भाषा में प्रचार करते हैं। उन भाई-बहनों के समूह को शुरूआती समूह कहा जाता है, फिर चाहे उनकी भाषा में सभाएँ चलानेवाला कोई काबिल प्राचीन या सहायक सेवक न हो। शाखा दफ्तर आगे बतायी बातों को ध्यान में रखकर तय करता है कि एक मंडली में शुरूआती समूह हो सकता है या नहीं:
(1) मंडली के इलाके में मंडली की भाषा के अलावा दूसरी भाषा बोलनेवाले काफी लोग हों।
(2) कम-से-कम कुछ प्रचारकों को वह भाषा आती हो या उसे सीखने के लिए तैयार हों।
(3) प्राचीनों का निकाय उस भाषा के लोगों को प्रचार करने का इंतज़ाम करने के लिए तैयार हो।
अगर प्राचीनों का निकाय शुरूआती समूह की देखरेख करने के लिए तैयार है, तो उन्हें सर्किट निगरान से बात करनी चाहिए। उसे शायद पता हो कि क्या उसी भाषा में प्रचार करने के लिए कुछ और मंडलियाँ भी कोशिश कर रही हैं। इस वजह से वह बता सकता है कि कौन-सी मंडली शुरूआती समूह की अच्छी देखरेख कर सकती है। जब यह तय हो जाएगा कि कौन-सी मंडली समूह की देखरेख कर सकती है, तो उस मंडली के प्राचीन शाखा दफ्तर को खत लिखकर गुज़ारिश करेंगे कि उन्हें शुरूआती समूह की देखरेख करने की मंज़ूरी दी जाए।
43 समूह: शाखा दफ्तर आगे बतायी बातों को ध्यान में रखकर तय करता है कि एक मंडली में दूसरी भाषा बोलनेवाला एक समूह हो सकता है या नहीं:
(1) मंडली के इलाके में उस भाषा के काफी लोग दिलचस्पी रखते हों और अच्छी तरक्की की गुंजाइश हो।
(2) कम-से-कम कुछ प्रचारक ऐसे हों जो वह भाषा बोलते हों या सीख रहे हों।
(3) एक काबिल प्राचीन या सहायक सेवक हो जो उस भाषा के समूह की अगुवाई करे और हफ्ते में कम-से-कम एक सभा चलाए। या फिर उस भाषा में सभा का कम-से-कम एक भाग चलाए। जैसे, जन भाषण या प्रहरीदुर्ग अध्ययन।
अगर एक समूह में ऊपर बतायी सारी बातें हों, तो मंडली के प्राचीन शाखा दफ्तर को एक खत लिखकर पूरी जानकारी देंगे और गुज़ारिश करेंगे कि उन्हें समूह चलाने की मंज़ूरी दी जाए। अगर समूह की अगुवाई करने की ज़िम्मेदारी एक प्राचीन को दी जाती है, तो उसे “समूह निगरान” कहा जाएगा और अगर सहायक सेवक को दी जाती है, तो उसे “समूह सेवक” कहा जाएगा।
44 एक बार जब एक समूह शुरू हो जाता है, तो प्राचीनों का निकाय तय करेगा कि सभाओं के और कौन-कौन से भाग शामिल किए जा सकते हैं और सभाएँ महीने में कितनी बार होंगी। समूह के लिए अलग से प्रचार की सभाएँ भी रखी जा सकती हैं। समूह के सभी लोग उस मंडली के प्राचीनों के निकाय की निगरानी में काम करते हैं जिसमें यह समूह होता है। प्राचीन समूह को ज़रूरत के हिसाब से निर्देश देंगे और उसकी देखरेख करते रहेंगे। जब सर्किट निगरान मंडली का दौरा करेगा, तो वह समूह के साथ भी प्रचार करेगा। वह शाखा दफ्तर को समूह की तरक्की के बारे में और उसकी खास ज़रूरतों के बारे में छोटी-सी रिपोर्ट भेजेगा। कुछ समय बाद वह समूह एक मंडली बन सकता है। अगर सब लोग संगठन के निर्देशों को मानें, तो यहोवा खुश होगा।—1 कुरिं. 1:10; 3:5, 6.
प्रचार समूह के साथ गवाही दीजिए
45 खुशखबरी सुनाना हर समर्पित मसीही की ज़िम्मेदारी है। वैसे तो यह काम कई तरीकों से किया जा सकता है, मगर हममें से बहुतों को दूसरों के साथ मिलकर प्रचार करने में ज़्यादा खुशी होती है। (लूका 10:1) इसी वजह से मंडलियों में शनिवार-रविवार को और कभी-कभी हफ्ते के दौरान साथ मिलकर प्रचार करने का इंतज़ाम किया जाता है। छुट्टीवाले दिन भी हमें प्रचार समूह के साथ मिलकर काम करने के मौके मिलते हैं, क्योंकि तब ज़्यादातर भाई-बहन आते हैं। मंडली सेवा-समिति प्रचार की सभाओं का इंतज़ाम करती है। ये सभाएँ दिन में या शाम को रखी जाती हैं। ये ऐसे समय पर और ऐसी जगह रखी जाती हैं जो भाई-बहनों की सहूलियत के हिसाब से हो।
46 प्रचार समूह के साथ मिलने से सबको एक-दूसरे के साथ काम करने का मौका मिलता है और सबका “हौसला” बढ़ता है। (रोमि. 1:12) नए प्रचारक अनुभवी भाई-बहनों के साथ प्रचार कर सकते हैं और उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं। कुछ जगहों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अच्छा होगा कि दो या तीन प्रचारक एक-साथ प्रचार करें। आप चाहे अकेले ही प्रचार करने की सोच रहे हों, फिर भी अगर आप समूह के साथ इकट्ठा हों, तो सभी की हौसला-अफज़ाई हो सकती है। यह जानकर ही आपको काफी हिम्मत मिल सकती है कि जिस इलाके में आप प्रचार कर रहे हैं, वहाँ आस-पास दूसरे भाई-बहन भी प्रचार कर रहे हैं। पायनियरों और दूसरों को ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें प्रचार की हर सभा में जाना है। अगर हर दिन यह सभा रखी जाती है, तो जाना ज़रूरी नहीं है। फिर भी अच्छा होगा कि वे हर हफ्ते कम-से-कम कुछ प्रचार की सभाओं में जाएँ।
47 आइए हम सब यीशु और उसके प्रेषितों के नमूने पर चलें! अगर हम राज की खुशखबरी सुनाने में जी-जान से लगे रहें, तो हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारी मेहनत पर ज़रूर आशीष देगा।—लूका 9:57-62.