लालच के फंदे से बचने में सफल होइए
“जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे . . . में फंसते हैं।”—१ तीमुथियुस ६:९.
१. हमें फंदों के बारे में क्यों चिन्तित होना चाहिए?
इस “फंदे” शब्द से शायद आपके मन में एक शिकारी का विचार आए, जो असंदेही शिकार को पकड़ने के लिए एक छद्मावरण किया यंत्र रखता है। लेकिन, परमेश्वर स्पष्ट करता है कि हमारे लिए सबसे ख़तरनाक फंदे, इस प्रकार के शाब्दिक यंत्र नहीं, बल्कि ऐसे फंदे हैं जो हमें आध्यात्मिक या नैतिक रीति से फाँसते हैं। इब्लीस ऐसे फंदों को डालने में निपुण है।—२ कुरिन्थियों २:११; २ तीमुथियुस २:२४-२६.
२. (क) यहोवा कैसे हमें ख़तरनाक फंदों से बचने में मदद करता है? (ख) किस विशेष प्रकार के फंदे पर अब ध्यान दिया जा रहा है?
२ शैतान के अनेक तथा विभिन्न फंदों में से कुछेक की पहचान कराने के ज़रिए यहोवा हमारी मदद करता है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर हमें चेतावनी देता है कि यदि हम मूर्खता से, जल्दबाज़ी में, या अनुचित बातों के बारे में बात करें, तो हमारे होठ, या मुँह, हमारे लिए एक फंदा बन सकते हैं। (नीतिवचन १८:७; २०:२५) घमंड एक फंदा हो सकता है, ठीक उसी तरह जैसे क्रोधी लोगों की संगति रखना एक फंदा हो सकता है। (नीतिवचन २२:२४, २५; २९:२५) लेकिन, आइए हम एक और फंदे की ओर ध्यान दें: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।” (१ तीमुथियुस ६:९) उस फंदे के पीछे क्या है या उसका आधार क्या है, इसका सारांश “लालच” शब्द में दिया जा सकता है। जबकि लालच अकसर धनी बनने की इच्छा से दिखाई पड़ता है, वास्तव में लालच एक ऐसा फंदा है जिसके अनेक पहलू हैं।
यहोवा हमें ख़तरे के प्रति सावधान करता है
३, ४. लालच के बारे में प्राचीन मानव इतिहास में क्या सबक़ पाया जाता है?
३ मूलतः, लालच किसी भी चीज़ को अधिक पाने की एक अत्यधिक या असंयत इच्छा है, चाहे यह पैसा, सम्पत्ति, ताक़त, कामक्रिया, या कोई अन्य चीज़ हो। हम पहले व्यक्ति नहीं हैं जो लालच के फंदे में पड़ने के ख़तरे में हैं। बहुत समय पहले अदन के बाग में, लालच ने हव्वा और फिर आदम को फाँस लिया। हव्वा का पति, जो जीवन की बातों में उससे अधिक अनुभवी था, यहोवा द्वारा वैयक्तिक रूप से निर्देशित किया गया था। परमेश्वर ने उनके लिए एक परादीस घर का प्रबन्ध किया था। वे अदूषित भूमि पर बहुतायत में उगाए गए अच्छे और विभिन्न प्रकार के भोजन का आनन्द ले सकते थे। वे परिपूर्ण बच्चों को पैदा करने की प्रत्याशा कर सकते थे, जिनके साथ मिलकर वे अनन्तकाल तक जी सकते और परमेश्वर की सेवा कर सकते थे। (उत्पत्ति १:२७-३१; २:१५) क्या यह किसी भी मनुष्य को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त प्रतीत नहीं होता?
४ फिर भी, किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त चीज़ें होना, लालच को एक फंदा बनने से नहीं रोकता है। हव्वा परमेश्वर के समान बनने, अधिक स्वतंत्रता प्राप्त करने और अपने ही स्तर बनाने की प्रत्याशा द्वारा फँस गई। ऐसा प्रतीत होता है कि आदम किसी भी क़ीमत पर अपनी खूबसूरत पत्नी के साथ एक निरंतर सहचारिता चाहता था। चूँकि ये परिपूर्ण मनुष्य भी लालच के फंदे में फँस गए, तो आप क़दर कर सकते हैं कि क्यों लालच हमारे लिए एक ख़तरा हो सकता है।
५. लालच के फंदे से बचना हमारे लिए कितना महत्त्वपूर्ण है?
५ हमें लालच के फंदे में पड़ने के विरुद्ध सावधान रहना चाहिए क्योंकि प्रेरित पौलुस हमें चेतावनी देता है: “क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी। न चोर, न लोभी . . . परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।” (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) पौलुस ने हमें यह भी कहा: “तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो।” (इफिसियों ५:३) इस प्रकार, हमारे अपरिपूर्ण शरीर को संतुष्ट करने के उद्देश्य से, लालच को बातचीत का विषय भी नहीं बनना चाहिए।
६, ७. (क) लालच कितना शक्तिशाली हो सकता है, इस बात पर कौन-से बाइबल उदाहरण ज़ोर देते हैं? (ख) इन उदाहरणों को हमारे लिए एक चेतावनी क्यों होना चाहिए?
६ यहोवा ने हमें लालच के ख़तरे के प्रति सर्तक करने के लिए बहुत से उदाहरणों को लेखबद्ध किया है। आकान के लालच को याद कीजिए। परमेश्वर ने कहा कि यरीहो को नाश किया जाना था, लेकिन उसका सोना, चाँदी, पीतल, और लोहा उसके भण्डार के लिए थे। हो सकता है कि शुरू में आकान का उद्देश्य उस निर्देशन का अनुकरण करना था, लेकिन वह लालच में फँस गया। यरीहो पहुँचते ही, उसे लगा कि वह ख़रीदारी करने निकला था जहाँ उसने अविश्वसनीय रियायती सौदों को देखा, और साथ ही एक ऐसा सुन्दर वस्त्र देखा जो बिलकुल उसके लिए सही प्रतीत होता था। हज़ारों डॉलर के मूल्य का सोना और चाँदी उठाते हुए, शायद वह सोच सकता था, ‘क्या खज़ाना है! यह तो एकदम चोरी के बराबर है।’ बिलकुल सही! जिन चीज़ों को नाश किया जाना या दे देना चाहिए था, उनका लोभ करने से आकान ने परमेश्वर से चोरी की, और इसके कारण वह अपनी जान खो बैठा। (यहोशू ६:१७-१९; ७:२०-२६) साथ ही, गेहजी और यहूदा इस्करियोती के उदाहरणों पर भी विचार कीजिए।—२ राजा ५:८-२७; यूहन्ना ६:६४; १२:२-६.
७ हमें इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि ऊपर उल्लिखित तीनों व्यक्ति विधर्मी नहीं थे जिन्हें यहोवा के स्तरों का ज्ञान नहीं था। इसके बजाय, वे परमेश्वर के साथ एक समर्पित सम्बन्ध में थे। उन सभी व्यक्तियों ने ऐसे चमत्कार देखे थे जिनके द्वारा उन पर परमेश्वर की शक्ति का और उसके अनुग्रह को क़ायम रखने के महत्त्व का प्रभाव पड़ना चाहिए था। तब भी, लालच का फंदा उनके पतन का कारण बना। हम भी परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध को ख़राब कर सकते हैं यदि हम अपने आपको किसी भी प्रकार के लालच में फँसने देते हैं। हमारे लिए किस प्रकार या ढंग के लालच ख़ासकर ख़तरनाक हैं?
धन या सम्पत्ति के लालच में फँसना
८. बाइबल धन के सम्बन्ध में क्या चेतावनी देती है?
८ अधिकतर मसीहियों ने समृद्धि का प्रेम, और धन के लिए लालसा विकसित करने के विरुद्ध बाइबल से स्पष्ट चेतावनियाँ सुनी हैं। क्यों न इन में से कुछ चेतावनियों पर पुनर्विचार करें, जो कि मत्ती ६:२४-३३; लूका १२:१३-२१; और १ तीमुथियुस ६:९, १० में पायी जाती हैं? जबकि आप शायद महसूस करें कि आप ऐसी सलाह को स्वीकार करते हैं और इसका अनुसरण करते हैं, क्या यह संभव नहीं कि आकान, गेहजी और यहूदा भी यही कहते कि वे इससे सहमत हैं? स्पष्टतः, हमें मात्र बौद्धिक रीति से सहमत होने से अधिक करना होगा। हमें ध्यान रखना होगा कि धन या सम्पत्ति के लालच का फंदा हमारी प्रतिदिन की ज़िन्दगी को प्रभावित न करे।
९. हमें ख़रीदारी के प्रति अपनी मनोवृत्ति को क्यों जाँचना चाहिए?
९ रोज़ाना ज़िन्दगी में, हमें अकसर ख़रीदारी करनी पड़ती है—भोजन, कपड़ा, और घर के लिए वस्तुएँ। (उत्पत्ति ४२:१-३; २ राजा १२:११, १२; नीतिवचन ३१:१४, १६; लूका ९:१३; १७:२८; २२:३६) लेकिन वाणिज्यिक संसार अधिकतर और नवीनतर वस्तुओं की इच्छा को बढ़ाता है। समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, और टेलीविजन स्क्रीन पर दिखाए जानेवाले बहुत से विज्ञापन, लालच को जगाने के नक़ाबपोश आकर्षण हैं। ऐसे आकर्षण दुकानों पर भी हो सकते हैं जहाँ ब्लाउज़, कोट, कपड़ों, और स्वेटरों से रैक भरे होते हैं, और ताक़ पर नए जूते, इलेक्ट्रोनिक साज़-सामान, और कैमरे होते हैं। मसीही लोग अपने आप से पूछना चाहेंगे, ‘क्या ख़रीदारी मेरे जीवन की विशेष बात या मुख्य आनन्द बन गई है?’ ‘जो नई वस्तुएँ मैं देखता हूँ, क्या उनकी मुझे वास्तव में ज़रूरत है, या वाणिज्यिक संसार मेरे में केवल लालच के बीज उपजाऊ बना रहा है?’—१ यूहन्ना २:१६.
१०. लालच का ख़ासकर कौन-सा फंदा पुरुषों के लिए एक ख़तरा है?
१० यदि ख़रीदारी करना औरतों के लिए एक सामान्य फंदा प्रतीत होता है, तो असंख्य पुरुषों के लिए अधिकतर पैसा कमाना एक फंदा है। यीशु ने इस फंदे को एक धनी आदमी के दृष्टांत द्वारा समझाया, जो एक अच्छी आमदनी होने के बावजूद भी दृढ़ संकल्प था कि वह ‘अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाएगा; और वहां अपना सब अन्न और सम्पत्ति रखेगा।’ यीशु ने इस ख़तरे के बारे में कोई संदेह न छोड़ा: “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ” या लालच “से अपने आप को बचाए रखो।” (लूका १२:१५-२१) हम धनी हों या न हों, हमें इस सलाह पर ध्यान देना चाहिए।
११. एक मसीही कैसे अधिक पैसा कमाने के लालच में फँस सकता है?
११ अधिक पैसे, या पैसों से प्राप्य वस्तुओं, का लालच अकसर छद्मावरण के नीचे पलता है। हो सकता है कि शीघ्र धनी बनने की एक योजना पेश की जाए—शायद एक जोखिम-भरे पूँजी निवेशन द्वारा आर्थिक सुरक्षा के लिए जीवन-में-एक-बार प्राप्त होनेवाला अवसर। या एक व्यक्ति शंकास्पद या ग़ैरकानूनी व्यवसाय द्वारा पैसा कमाने के लिए प्रलोभित हो सकता है। यह लालसापूर्ण इच्छा एक ज़बरदस्त प्रभाव, एक फंदा बन सकती है। (भजन ६२:१०; नीतिवचन ११:१; २०:१०) मसीही कलीसिया में कुछ व्यक्तियों ने इस प्रत्याशा के साथ व्यवसाय शुरू किया है कि उनके विश्वस्त भाई उनके मुख्य ग्राहक होंगे। यदि उनका उद्देश्य केवल ‘भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करने’ के द्वारा एक आवश्यक उत्पादन या सेवा का प्रबन्ध करना नहीं है, बल्कि संगी मसीहियों की क़ीमत पर शीघ्र पैसा बनाना है, तो वे लालच से काम कर रहे हैं। (इफिसियों ४:२८; नीतिवचन २०:२१; ३१:१७-१९, २४; २ थिस्सलुनीकियों ३:८-१२) पैसे के लालच के कारण कुछ लोग लाटरी, घुड़दौड़ के जूए, या भाग्यदा के फंदे में पड़ गए हैं। अन्य लोगों ने, तदनुभूति और तर्क-संगति की उपेक्षा करते हुए, बड़े अर्थदण्ड या भुगतान की आशा में शीघ्रतापूर्वक मुकद्दमा चलाया है।
१२. हम क्यों जानते हैं कि धन के लालच पर विजय पाई जा सकती है?
१२ पूर्ववर्ती ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें एक आत्म-परीक्षण उपयुक्त होगा ताकि हम ईमानदारी से देख सकें कि कहीं लालच हम में कार्य तो नहीं कर रहा है। यदि यह कर भी रहा हो, तो हम अपने में परिवर्तन ला सकते हैं। याद कीजिए कि जक्कई परिवर्तित हुआ था। (लूका १९:१-१०) यदि कोई व्यक्ति यह पाए कि उसमें धन या सम्पत्ति के लालच की समस्या है, तो उसे उस फंदे से छूटने में उतना ही दृढ़ संकल्प होना चाहिए जितना कि जक्कई था।—यिर्मयाह १७:९.
जीवन के अन्य पहलुओं में लालच
१३. भजन १०:१८ लालच के कौन-से अन्य फंदे की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है?
१३ कुछ लोग पाते हैं कि पैसे या सम्पत्ति के सम्बन्ध में लालच के ख़तरे को देखना ज़्यादा आसान है, बजाय उन अन्य तरीक़ों के जिनमें लालच प्रकट होता है। एक यूनानी शब्दकोश कहता है कि उन शब्दों का समूह जिन्हें “लालच” या “लोभ” अनुवादित किया जाता है, “ताक़त इत्यादि के साथ-साथ सम्पत्ति के विषय में ‘अधिक चाहने’” का अर्थ रखता है। जी हाँ, हम दूसरों पर ताक़त का प्रयोग करने, शायद अपने अधिकार द्वारा उन्हें भयभीत करने की लालची इच्छा के फंदे में फँस सकते हैं।—भजन १०:१८.
१४. किन क्षेत्रों में ताक़त के लिए लालसा हानिकर रही है?
१४ प्राचीन समयों से, अपरिपूर्ण मनुष्यों ने दूसरों पर अधिकार जताकर आनन्द प्राप्त किया है। परमेश्वर ने पूर्वानुमान लगाया कि मानवीय पाप के दुःखद परिणामस्वरूप, बहुत से पति अपनी पत्नियों पर “प्रभुता” करेंगे। (उत्पत्ति ३:१६) लेकिन यह कमज़ोरी वैवाहिक क्षेत्र के बाहर भी फैल चुकी है। हज़ारों सालों के बाद, एक बाइबल लेखक ने देखा कि “एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर अधिकारी होकर अपने ऊपर हानि लाता है।” (सभोपदेशक ८:९) संभवतः आप जानते हैं कि यह बात राजनीतिक और सैनिक मामलों में कितनी सच है, लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि हमारे अपने ही क्षेत्रों में हम अधिक निजी ताक़त या नियंत्रण पाने की कोशिश करते हैं?
१५, १६. किन तरीक़ों से एक मसीही अधिक ताक़त की इच्छा में फँस सकता है? (फिलिप्पियों २:३)
१५ हम सभों का अन्य मनुष्यों से सम्बन्ध होता है—अपने सन्निकट या विस्तारित परिवारों में, अपने कार्य-स्थल या स्कूल में, दोस्तों के बीच, और कलीसिया में। कभी-कभार, या अकसर, निर्णय लेने में हमारा एक भाग होता है कि क्या किया जाएगा, और कैसे या कब किया जाएगा। यह ख़ुद में ग़लत या बुरा नहीं है। लेकिन, क्या हमारे किसी भी अधिकार को प्रयोग करने में हम अत्यधिक आनन्द लेते हैं? क्या ऐसा हो सकता है कि हम अंतिम निर्णय लेना पसन्द करते हैं और यह अधिकार हम अधिकाधिक चाहते हैं? सांसारिक प्रबन्धक या मालिक अकसर ऐसी मनोवृत्ति दिखाते हैं जब वे अपने आस-पास ऐसे जीहुज़ूरों को रखते हैं, जो कुछ विरोधी विचार पेश नहीं करते और जो अपने उच्च-अधिकारियों की ताक़त के लिए सांसारिक खोज (लालच) का विरोध नहीं करते हैं।
१६ संगी मसीहियों के साथ व्यवहार करते समय इस फंदे से बचना चाहिए। यीशु ने कहा: “तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने।” (मत्ती २०:२५, २६) ऐसी विनम्रता प्रकट होनी चाहिए जब मसीही प्राचीन एक दूसरे के साथ, सहायक सेवकों के साथ, और झुंड के साथ व्यवहार करते हैं। उदाहरण के लिए, क्या एक प्रिसाइडिंग ओवरसियर द्वारा ताक़त की इच्छा प्रतिबिम्बित हो सकती है, जो संगी प्राचीनों से केवल साधारण मामलों पर परामर्श करता है लेकिन मुख्य निर्णय ख़ुद-ब-ख़ुद लेता है? क्या वह वास्तव में ज़िम्मेदारियों को बाँटने के लिए इच्छुक है? समस्याएँ उठ सकती हैं यदि क्षेत्र सेवा के लिए सभा को सम्भालनेवाला एक सहायक सेवक अपने प्रबन्धों में अत्यधिक माँग करे, यहाँ तक कि अपने नियम भी बनाए।—१ कुरिन्थियों ४:२१; ९:१८; २ कुरिन्थियों १०:८; १३:१०; १ थिस्सलुनीकियों २:६, ७.
१७. लालच के फंदे की चर्चा करते समय भोजन पर विचार करना क्यों उपयुक्त है?
१७ भोजन एक और क्षेत्र है जिस में बहुत से लोग लालच में फँस जाते हैं। निःसंदेह, खाने-पीने में आनन्द प्राप्त करना स्वाभाविक है; बाइबल इसे अच्छा समझती है। (सभोपदेशक ५:१८) तो भी, यह असामान्य बात नहीं कि इस सम्बन्ध में एक इच्छा समय के साथ-साथ बढ़ती जाए, और जो तर्क-संगत रीति से आनन्ददायक तथा पर्याप्त है, उसके हद से भी आगे बढ़ जाए। यदि यह यहोवा के सेवकों द्वारा चिन्तित होने का एक उपयुक्त क्षेत्र न होता, तो यहोवा का वचन नीतिवचन २३:२० में क्यों कहता: “दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना”? फिर भी, हम इस फंदे से कैसे बच सकते हैं?
१८. हम खाने-पीने के बारे में क्या आत्म-परीक्षण कर सकते हैं?
१८ परमेश्वर यह सुझाव नहीं देता है कि उसके लोग किसी अतिसंयमी भोजन पथ्य पर जीवित रहें। (सभोपदेशक २:२४, २५) लेकिन वह इस बात की भी स्वीकृति नहीं देता कि हम खाने-पीने को अपनी बातचीत और योजना का मुख्य भाग बनाएँ। हम अपने आप से पूछ सकते हैं, ‘क्या मैं अकसर किसी ऐसे भोजन का वर्णन करते समय अत्यधिक उत्साही हो जाता हूँ, जो मैंने खाया था या खाने की योजना बना रहा हूँ?’ ‘क्या मैं हमेशा खाने-पीने की बात करता रहता हूँ?’ एक और संकेत यह हो सकता है कि हम उस समय कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं जब हमें ऐसा भोजन मिलता है जो हम ने तैयार नहीं किया या जिसके लिए हम ने पैसे नहीं दिए, शायद जब हम किसी और के घर में मेहमान होते हैं या जब मसीही सम्मेलन में भोजन उपलब्ध होता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम उस समय आम भोजन से कहीं ज़्यादा खाने की ओर प्रवृत्त होते हैं? हमें याद आता है कि एसाव ने भोजन को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बनने दिया, जिसके कारण उसकी स्थायी हानि हुई।—इब्रानियों १२:१६.
१९. किस तरह लैंगिक विलास के सम्बन्ध में लालच एक समस्या हो सकता है?
१९ पौलुस हमें एक और फंदे में अंतर्दृष्टि देता है: “जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो।” (इफिसियों ४:१७-१९; ५:३) निःसंदेह, लैंगिक विलास के लिए लालच विकसित हो सकता है। निश्चय ही, यह आनन्द विवाह के बंधनों के अंदर उपयुक्त रीति से व्यक्त किया जाता है। इस आनन्द से सम्बन्धित घनिष्ठ स्नेह, विवाह के अनेक सालों के दौरान पति और पत्नी को एक दूसरे के प्रति निष्ठा बनाए रखने में मदद करने की भूमिका अदा करता है। फिर भी, कम ही लोग इस बात से इनकार करेंगे कि आज की दुनिया ने कामक्रिया पर अत्यधिक ज़ोर दिया है, और उन बातों को स्वाभाविक कहकर पेश किया है जो वास्तव में पौलुस द्वारा उल्लिखित लालच का प्रतिबिम्बन है। लैंगिक विलास के ऐसे ग़लत दृष्टिकोण को ख़ासकर वे लोग आसानी से अपना लेते हैं जो अपने आपको आज के अनेक फिल्मों, वीडियो, पत्रिकाओं, और साथ ही मनोरंजन स्थानों में आम पायी जानेवाली अनैतिकता और नग्नता के ख़तरे में डालते हैं।
२०. मसीही लोग लैंगिक मामलों में लालच के ख़तरे के प्रति अपने आपको कैसे सतर्क दिखा सकते हैं?
२० बतशेबा के साथ दाऊद के पाप का विवरण दिखाता है कि परमेश्वर का एक सेवक भी लैंगिक लालच के फंदे में फँस सकता है। जबकि उसे अपने विवाह में विलास का आनन्द लेने की स्वतंत्रता थी, दाऊद ने अनुचित लैंगिक इच्छा को बढ़ने दिया। यह देखते हुए कि ऊरिय्याह की पत्नी कितनी सुन्दर थी, उसने उसके साथ अनुचित भोगविलास करने के विचार—और कार्य—को नहीं रोका। (२ शमूएल ११:२-४; याकूब १:१४, १५) निश्चय ही हमें इस प्रकार के लालच से बचे रहना चाहिए। विवाह में भी लालच से बचना उचित है। वहशी कामक्रियाओं से परे रहना इसमें सम्मिलित होता है। इस क्षेत्र में लालच से बचने के लिए एक दृढ़ संकल्पी पति अपनी पत्नी में सचमुच दिलचस्पी रखेगा, ताकि परिवार नियोजन के बारे में वे दोनों जो भी चुनाव करें, उससे यह प्रतीत नहीं होगा कि वह अपने विलास को अपनी पत्नी के वर्तमान या भविष्य स्वास्थ्य से अधिक महत्त्वपूर्ण समझता है।—फिलिप्पियों २:४.
लालच से बचने के लिए दृढ़ रहिए
२१. लालच के बारे में हमारी चर्चा से हमें निराश क्यों नहीं होना चाहिए?
२१ यहोवा किसी अविश्वास के कारण सावधानी या चेतावनी का प्रबन्ध नहीं करता है। वह जानता है कि उसके समर्पित सेवक निष्ठा के साथ उसकी सेवा करना चाहते हैं, और वह विश्वस्त है कि अधिकांश सेवक ऐसा ही करते रहेंगे। एक समूह के तौर पर वह अपने लोगों के बारे में वैसी ही अभिव्यक्ति कर सकता है जो उसने शैतान से बात करते समय अय्यूब के बारे में कहा था: “क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” (अय्यूब १:८) हमारा प्रेममय, विश्वासी स्वर्गीय पिता हमें ख़तरनाक फंदों, जैसे कि लालच के विभिन्न प्रकार से सम्बन्धित फंदों के प्रति सावधान करता है, क्योंकि वह चाहता है कि हम उसके प्रति निष्कलंक और वफ़ादार बने रहें।
२२. हमें क्या करना चाहिए यदि हमारे अध्ययन ने एक निजी ख़तरे या कमज़ोरी का क्षेत्र प्रकट किया है?
२२ हम में से हरेक ने लालच की प्रवृत्ति को उत्तराधिकार में पाया है, और शायद हम ने इस दुष्ट संसार के प्रभाव के अधीन इसे और विकसित किया है। तब क्या यदि—धन, सम्पत्ति, ताक़त तथा अधिकार, भोजन, या लैंगिक विलास के सम्बन्ध में—लालच के विषय में हमारे अध्ययन के दौरान आपको कोई कमज़ोरी का क्षेत्र दिखाई दिया है? तब आप यीशु की सलाह को गम्भीरता से ग्रहण कीजिए: ‘यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल; टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक में डाला जाए।’ (मरकुस ९:४३) मनोवृत्ति या रुचियों में आवश्यक परिवर्तन कीजिए। लालच के घातक फंदे से बचिए। इस प्रकार आप परमेश्वर की मदद से, “जीवन में प्रवेश” कर सकेंगे।
मैंने क्या सीखा है?
▫ हमें लालच के फंदे के बारे में क्यों चिन्तित होना चाहिए?
▫ धन या सम्पत्ति का लालच हमें किन तरीक़ों से फाँस सकता है?
▫ जीवन के अन्य क्षेत्रों में लालच कैसे असल ख़तरे पेश कर सकता है?
▫ लालच के सम्बन्ध में हमारी किसी भी कमज़ोरी के प्रति हमारी क्या मनोवृत्ति होनी चाहिए?