अपने घराने के उद्धार के लिए कठिन परिश्रम कीजिए
“प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।”—इफिसियों ६:४.
१, २. आज माता-पिता किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं?
एक प्रचलित पत्रिका ने उसे एक क्रांति कहा। यह एक लेख में था जिस ने हाल ही के वर्षों में परिवार में हुए चौंकानेवाले परिवर्तनों का वर्णन किया। इन्हें “तलाक़, पुनर्विवाह, पुनःतलाक़, जारजता, और अलगाव या तलाक़ द्वारा अविभाजित परिवारों में नए तनावों की महामारी का परिणाम” कहा गया। ऐसे खिंचाव और तनाव आश्चर्यजनक नहीं हैं, क्योंकि बाइबल ने भविष्यवाणी की थी कि इन “अन्तिम दिनों” में लोग “कठिन समय” का सामना करेंगे।—२ तीमुथियुस ३:१-५.
२ इसलिए आज माता-पिता ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं जो पिछली पीढ़ियों को मालूम भी नहीं थीं। हालाँकि हमारे मध्य कुछ माता-पिताओं ने “बालकपन” से अपने बच्चों का पालन-पोषण ईश्वरीय तरीक़ों से किया है, अनेक परिवारों ने हाल ही में ‘सत्य पर चलना’ शुरू किया है। (२ तीमुथियुस ३:१५; ३ यूहन्ना ४) उनके बच्चे शायद बड़े हों जब माता-पिता ने उन्हें परमेश्वर के तरीक़े सिखाना शुरू किया। इसके अतिरिक्त, हमारे मध्य एक-जनक परिवारों और सौतेले परिवारों की बढ़ती संख्या मिलती है। आपकी परिस्थितियाँ चाहे जो भी हों, प्रेरित पौलुस की सलाह लागू होती है: “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।”—इफिसियों ६:४.
मसीही माता-पिता और उनकी भूमिकाएँ
३, ४. (क) कौन-से तत्त्व पिताओं की भूमिका को कम करने का कारण बने हैं? (ख) मसीही पिताओं को क्यों रोटी कमाऊ से ज़्यादा होना चाहिए?
३ नोट कीजिए कि इफिसियों ६:४ (NW) में पौलुस ने अपने शब्द मुख्यतः “पिताओं” को सम्बोधित किए। एक लेखक ने व्याख्या की कि पिछली पीढ़ियों में “पिता अपने बच्चों के नैतिक और आध्यात्मिक पालन-पोषण के लिए ज़िम्मेदार थे; पिता अपने बच्चों की शिक्षा के लिए ज़िम्मेदार थे। . . . लेकिन औद्योगिक क्रांति ने यह घनिष्ठता छीन ली; पिताओं ने अपने खेत और दुकानें छोड़ दीं, कारख़ानों और बाद में दफ़्तरों में काम करने के लिए अपने घर छोड़ दिए। माताओं ने अनेक ऐसे कर्तव्य सम्भाले जिनके लिए एक समय पर पिता ज़िम्मेदार थे। वर्धमान रूप से, पितृत्व अभ्यास के बजाय मात्र एक सैद्धान्तिक धारणा बन गया।”
४ मसीही पुरुषों: मात्र रोटी-कमाऊ होने में ही संतुष्ट मत होइए। अपने बच्चों का सारा प्रशिक्षण और पालन-पोषण अपनी पत्नियों पर मत छोड़िए। नीतिवचन २४:२७ ने प्राचीन समय के पिताओं से आग्रह किया: “अपना बाहर का कामकाज ठीक करना, और खेत में उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना।” उसी प्रकार आज, श्रमिक होने के नाते आपको जीविका कमाने के लिए शायद लम्बे समय तक और कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत हो सकती है। (१ तीमुथियुस ५:८) लेकिन, उसके बाद, भावात्मक और आध्यात्मिक रूप से ‘अपना घर बनाने’ के लिए कृपया समय निकालिए।
५. किस प्रकार मसीही पत्नियाँ अपने घराने के उद्धार के लिए परिश्रम कर सकती हैं?
५ मसीही पत्नियों: आपको भी अपने घराने के उद्धार के लिए कठिन परिश्रम करने की ज़रूरत है। नीतिवचन १४:१ कहता है: “हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है।” विवाह साथियों के रूप में, आप और आपके पति दोनों पर अपनी सन्तानों को प्रशिक्षित करने की ज़िम्मेदारी है। (नीतिवचन २२:६; मलाकी २:१४) इसमें अपने बच्चों को अनुशासित करना, उन्हें मसीही सभाओं और क्षेत्र सेवकाई के लिए तैयार करना, या जब आपका पति पारिवारिक अध्ययन संचालित करने में असमर्थ है तो वह भी करना सम्मिलित हो सकता है। आप अपने बच्चों को घरेलू कौशल, अच्छे शिष्टाचार, शारीरिक स्वास्थ्य-विज्ञान, और अन्य अनेक सहायक बातें सिखाने में भी बहुत कुछ कर सकती हैं। (तीतुस २:५) जब पति-पत्नी इस प्रकार एकसाथ कार्य करते हैं, तो वे अपने बच्चों की ज़रूरतों को ज़्यादा अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं। उनमें से कुछ ज़रूरतें क्या हैं?
उनकी भावात्मक ज़रूरतों की परवाह करना
६. अपने बच्चों के भावात्मक विकास में माता और पिता क्या भूमिकाएँ निभाते हैं?
६ जब “माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है,” तब वे भय रहित, सुरक्षित और प्रेम महसूस करते हैं। (१ थिस्सलुनीकियों २:७; भजन २२:९) कुछ ही माताएँ अपने शिशुओं पर अत्यधिक ध्यान देने की ललक का विरोध कर सकती हैं। भविष्यवक्ता यशायाह ने पूछा: “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे?” (यशायाह ४९:१५) अतः माताएँ बच्चों के भावात्मक विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेकिन, इस सम्बन्ध में पिता भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पारिवारिक शिक्षक पॉल लूइस कहता है: “मुझे कभी कोई समाज सेवक नहीं मिला जिसने कभी किसी [अपचारी] बच्चे को यह कहते हुए सुना हो कि उसका अपने पिता के साथ एक स्वास्थ्यकर सम्बन्ध था। सैकड़ों बच्चों में से एक ने भी नहीं कहा।”
७, ८. (क) यहोवा परमेश्वर और उसके पुत्र के बीच एक मज़बूत बंधन का क्या प्रमाण है? (ख) किस प्रकार पिता अपने बच्चों के साथ एक प्रेममय बंधन विकसित कर सकते हैं?
७ इसलिए यह अनिवार्य है कि मसीही पिता ध्यानपूर्वक अपने बच्चों के साथ एक प्रेममय बंधन विकसित करें। उदाहरण के लिए, यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह पर विचार कीजिए। यीशु के बपतिस्मा पर यहोवा ने घोषणा की: “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं।” (लूका ३:२२) उन चंद शब्दों में कितना कुछ अभिव्यक्त है! यहोवा ने (१) अपने पुत्र को स्वीकार किया, (२) यीशु के लिए अपना प्रेम खुलेआम व्यक्त किया, और (३) यीशु के लिए अपना अनुमोदन ज्ञात करवाया। फिर भी, यह एकमात्र समय नहीं था जब यहोवा ने अपने पुत्र के लिए अपना प्रेम व्यक्त किया। यीशु ने बाद में अपने पिता से कहा: “तू ने जगत की उत्पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा।” (यूहन्ना १७:२४) लेकिन, वास्तव में क्या सभी आज्ञाकारी पुत्र और पुत्रियों को अपने पिताओं से स्वीकृति, प्रेम और अनुमोदन की ज़रूरत नहीं है?
८ यदि आप एक पिता हैं, तो नियमित रूप से प्रेम की उचित शारीरिक और मौखिक अभिव्यक्तियाँ करने के द्वारा आप संभवतः अपने बच्चों के साथ एक प्रेममय बंधन विकसित करने के लिए काफ़ी कुछ कर सकते हैं। यह सच है कि कुछ पुरुषों के लिए अपनी प्रीति दिखाना कठिन होता है, ख़ासकर यदि उन्होंने स्वयं अपने पिता से कभी प्रकट प्रीति प्राप्त नहीं की। लेकिन अपने बच्चों के प्रति प्रेम व्यक्त करने के अकुशल प्रयास का भी शक्तिशाली प्रभाव हो सकता है। आख़िरकार, “प्रेम से उन्नति होती है।” (१ कुरिन्थियों ८:१) यदि आपके बच्चे आपके पितृवत् प्रेम के कारण सुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे ‘असली पुत्र और पुत्रियाँ’ होने के लिए और आप को अपनी गुप्त बातें बताने में मुक्त महसूस करने के लिए ज़्यादा प्रवृत्त होंगे।—नीतिवचन ४:३.
उनकी आध्यात्मिक ज़रूरतों की परवाह करना
९. (क) किस प्रकार परमेश्वर का भय-माननेवाले इस्राएली माता-पिताओं ने अपने परिवारों की आध्यात्मिक ज़रूरतों की परवाह की? (ख) अनौपचारिक रूप से अपने बच्चों को सिखाने के लिए मसीहियों के पास कौन-से अवसर हैं?
९ बच्चों की आध्यात्मिक ज़रूरतें भी होती हैं। (मत्ती ५:३) मूसा ने इस्राएली माता-पिताओं को प्रोत्साहन दिया: “ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।” (व्यवस्थाविवरण ६:६, ७) यदि आप एक मसीही जनक हैं, तो आप अपना अधिकतर शिक्षण अनौपचारिक रूप से, जैसे कि “मार्ग पर चलते” हुए दे सकते हैं। एकसाथ यात्रा करते, ख़रीदारी करते, या अपने बच्चों के साथ मसीही सेवकाई में दर-दर चलते हुए बिताया गया समय तनावरहित स्थिति में शिक्षण देने के लिए हितकर अवसर प्रदान करता है। भोजन के समय परिवारों के लिए बातचीत करने का ख़ासकर एक अच्छा समय होता है। “हम भोजन के समय दिन के दौरान हुई बातों के बारे में बात करते हैं,” एक माता व्याख्या करती है।
१०. पारिवारिक अध्ययन कभी-कभी एक चुनौती क्यों होता है, और माता-पिताओं को क्या निश्चय करना चाहिए?
१० फिर भी, अपने बच्चों के साथ एक नियमित बाइबल अध्ययन के माध्यम द्वारा औपचारिक शिक्षण भी अनिवार्य है। यह स्वीकार किया जाता है कि बच्चों के “मन में मूढ़ता बन्धी रहती है।” (नीतिवचन २२:१५) कुछ माता-पिता कहते हैं कि उनके बच्चे पारिवारिक अध्ययन में जानबूझकर बाधा डाल सकते हैं। कैसे? अशान्त होने और ऊबने का दिखावा करने के द्वारा, चिढ़ दिलानेवाले विकर्षण उत्पन्न करने के द्वारा (जैसे कि सहोदर भाई-बहनों के साथ झगड़े), या मूल बाइबल सच्चाइयों से अनजान होने का ढोंग करने के द्वारा। यदि यह माता-पिता और बच्चों की इच्छा के बीच मुक़ाबले की हद तक पहुँच जाता है, तो माता-पिता की इच्छा प्रबल होनी चाहिए। मसीही माता-पिताओं को हार मानकर बच्चों को घराने पर प्रभुत्व नहीं करने देना चाहिए।—गलतियों ६:९ से तुलना कीजिए।
११. पारिवारिक अध्ययन को कैसे आनन्ददायक बनाया जा सकता है?
११ यदि आपके बच्चे पारिवारिक अध्ययन का आनन्द नहीं लेते हैं, तो शायद कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, क्या अध्ययन का प्रयोग आपके बच्चों की नवीनतम कमियों की आलोचना करने के लिए एक बहाने के रूप में किया जाता है? शायद ऐसी समस्याओं पर अकेले में चर्चा करना सबसे अच्छा होगा। क्या आपका अध्ययन नियमित रूप से किया जाता है? यदि आप इसे एक मनपसन्द टेलीविज़न कार्यक्रम या खेलकूद स्पर्धा के लिए रद्द कर देते हैं, संभवतः आपके बच्चे अध्ययन को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेंगे। क्या अध्ययन को संचालित करने के तरीक़े में आप गंभीर और उत्साही हैं? (रोमियों १२:८) जी हाँ, अध्ययन आनन्ददायक होना चाहिए। सभी बच्चों को अंतर्ग्रस्त रखने की कोशिश कीजिए। सकारात्मक और प्रोत्साहक बनिए, बच्चों की सहभागिता के लिए स्नेहपूर्वक उनकी सराहना कीजिए। मात्र विषय को ही पूरा मत कीजिए, बल्कि हृदय तक पहुँचने की कोशिश कीजिए।—नीतिवचन २३:१५.
धार्मिकता में अनुशासन देना
१२. क्यों अनुशासन में हमेशा शारीरिक सज़ा सम्मिलित नहीं होती?
१२ बच्चों को अनुशासन की भी बहुत ज़रूरत होती है। एक माता या पिता के रूप में आपको उनके लिए सीमाएँ बान्धनी चाहिए। नीतिवचन १३:२४ कहता है: “जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उसको शिक्षा [अनुशासन, NW] देता है।” लेकिन, बाइबल का यह अर्थ नहीं है कि अनुशासन हमेशा शारीरिक रूप से ही दिया जाना चाहिए। नीतिवचन ८:३३ कहता है: “शिक्षा [अनुशासन, NW] को सुनो,” और हमें बताया गया है कि “एक घुड़की समझनेवाले के मन में जितनी गड़ जाती है, उतना सौ बार मार खाना मूर्ख के मन में नहीं गड़ता।”—नीतिवचन १७:१०.
१३. बाल-अनुशासन किस प्रकार दिया जाना चाहिए?
१३ समय-समय पर कुछ शारीरिक अनुशासन उपयुक्त हो सकता है। लेकिन, यदि क्रोध में आकर दिया जाए तो संभवतः यह अत्यधिक होगा और प्रभावकारी भी नहीं होगा। बाइबल सतर्क करती है: “हे बच्चेवालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।” (कुलुस्सियों ३:२१) सचमुच, “अन्धेर से बुद्धिमान बावला हो जाता है।” (सभोपदेशक ७:७) एक कटु युवा धर्मी स्तरों के विरुद्ध भी विद्रोह कर सकता है। अतः अपने बच्चों को धार्मिकता में अनुशासन देने के लिए माता-पिताओं को शास्त्रवचनों का प्रयोग एक दृढ़ लेकिन संतुलित तरीक़े से करना चाहिए। (२ तीमुथियुस ३:१६) ईश्वरीय अनुशासन प्रेम और कोमलता के साथ दिया जाता है।—२ तीमुथियुस २:२४, २५ से तुलना कीजिए।a
१४. माता-पिता को क्या करना चाहिए यदि वे क्रोध प्रदर्शित करने के लिए प्रवृत्त महसूस करते हैं?
१४ निःसंदेह, “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं।” (याकूब ३:२) एक सामान्यतः प्रेममय जनक भी परिस्थिति के दबाव का शिकार होकर कुछ कठोर बात कह सकता है या क्रोध प्रदर्शित कर सकता है। (कुलुस्सियों ३:८) यदि ऐसा होता है, तो सूर्य अस्त होने तक अपने बच्चे को अति व्यथित न रहने दीजिए, न ही आप स्वयं क्रोध में रहिए। (इफिसियों ४:२६, २७) अपने बच्चे के साथ मामला सुलझा लीजिए, यदि उपयुक्त प्रतीत हो तो क्षमा माँग लीजिए। (मत्ती ५:२३, २४ से तुलना कीजिए।) ऐसी नम्रता दिखाना आपको और आपके बच्चे को क़रीब ला सकता है। यदि आपको लगता है कि आप अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख सकते और क्रोध के आगे हार मान जाएँगे, तो कलीसिया के नियुक्त प्राचीनों से मदद माँगिए।
एक-जनक घराने और सौतेले परिवार
१५. एक-जनक परिवारों में बच्चों की मदद कैसे की जा सकती है?
१५ लेकिन, सभी बच्चों को माता-पिता दोनों का समर्थन नहीं मिलता। अमरीका में, ४ में से १ बच्चे का पालन-पोषण एक-जनक द्वारा किया जा रहा है। बाइबल समय में “अनाथ बालक” सामान्य थे, और उनके बारे में चिन्ता का उल्लेख शास्त्रवचनों में बारंबार किया गया है। (निर्गमन २२:२२) आज, एक-जनक मसीही घराने भी उसी तरह दबावों और कठिनाइयों का सामना करते हैं, लेकिन वे यह जानकर सांत्वना प्राप्त करते हैं कि यहोवा “अनाथों का पिता और विधवाओं का न्यायी है।” (भजन ६८:५) मसीहियों से आग्रह किया गया है कि “अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें।” (याकूब १:२७) संगी विश्वासी एक-जनक परिवारों की मदद करने के लिए काफ़ी कुछ कर सकते हैं।b
१६. (क) स्वयं अपने घराने के हित के लिए एक-जनकों को क्या करना चाहिए? (ख) अनुशासन क्यों मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह क्यों दिया जाना चाहिए?
१६ यदि आप एक एक-जनक हैं, तो अपने घराने के लाभ के लिए आप स्वयं क्या कर सकते हैं? आपको पारिवारिक बाइबल अध्ययन, सभा उपस्थिति, और क्षेत्र सेवकाई के बारे में अध्यवसायी होने की ज़रूरत है। लेकिन, अनुशासन एक ख़ासकर मुश्किल कार्य हो सकता है। शायद आप अभी तक प्रिय साथी को मृत्यु में खोने का शोक मना रहे हैं। या आप विवाह टूटने के कारण दोष या क्रोध की भावनाओं के साथ संघर्ष कर रहे हों। यदि आप और आपका साथी बच्चों की क़ानूनी अभिरक्षा में हिस्सेदार हैं, तो आपको शायद यह डर भी हो कि आपका बच्चा आपके अलग हुए या तलाक़शुदा साथी के साथ रहना शायद ज़्यादा पसंद करे। ऐसी परिस्थितियाँ संतुलित अनुशासन देना भावात्मक रूप से मुश्किल बना सकती हैं। लेकिन, बाइबल हमें बताती है कि “जो लड़का योंही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है।” (नीतिवचन २९:१५) सो दोष, पश्चात्ताप, या भूतपूर्व विवाह-साथी द्वारा आए भावात्मक दबाव के आगे हार न मानिए। तर्कसंगत और निश्चित स्तर निर्धारित कीजिए। बाइबल सिद्धान्तों पर समझौता मत कीजिए।—नीतिवचन १३:२४.
१७. किस प्रकार एक एक-जनक घराने में परिवार सदस्यों की भूमिकाएँ धुँधली हो सकती हैं, और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
१७ लेकिन, मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं यदि कोई एक-जनक माता अपने पुत्र के साथ एक प्रतिनियुक्त पति—घर के पुरुष के रूप में—या अपनी पुत्री के साथ एक विश्वासपात्र के रूप में व्यवहार करती है, और उस पर आन्तरिक समस्याओं का भार डालती है। ऐसा करना एक बच्चे के लिए अनुपयुक्त और उलझाने वाला होता है। जब जनक और बच्चे की भूमिकाएँ धुँधली हो जाती हैं, तो अनुशासन टूट सकता है। यह स्पष्ट कर दीजिए कि आप जनक हैं। यदि आप एक माता हैं जिसे बाइबल-आधारित सलाह की ज़रूरत है, तो प्राचीनों या शायद एक परिपक्व बूढ़ी बहन से सलाह लीजिए।—तीतुस २:३-५ से तुलना कीजिए।
१८, १९. (क) सौतेले परिवारों को कौन-सी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? (ख) एक सौतेले परिवार में किस प्रकार माता-पिता और बच्चे बुद्धि और समझ दिखा सकते हैं?
१८ उसी तरह सौतेले परिवारों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अकसर, सौतेले माता-पिता पाते हैं कि “सौतेले बच्चों से तुरंत प्रेम” शायद ही कभी मिलता है। उदाहरण के लिए, जैविक बच्चों की ओर दिखाए गए किसी भी प्रतीयमान पक्षपात के प्रति सौतेले बच्चे बहुत संवेदनशील हो सकते हैं। (उत्पत्ति ३७:३, ४ से तुलना कीजिए।) असल में, सौतेले बच्चे छोड़कर गए जनक के लिए शोक से जूझ रहे हों और डरते हों कि एक सौतेले जनक से प्रेम करना अपने जैविक पिता या माता से किसी तरह का विश्वासघात होगा। ज़रूरी अनुशासन देने की कोशिश करने पर बच्चा क्रोधित होकर आपको फिर से याद दिला सकता है, ‘आप मेरे असली जनक नहीं हैं!’
१९ नीतिवचन २४:३ कहता है: “घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।” हाँ, एक सौतेले परिवार की सफलता के लिए सभी से बुद्धि और समझ की माँग की जाती है। समय आने पर, बच्चों को यह अकसर दर्दनाक सत्य स्वीकार करना होगा कि परिस्थितियाँ बदल गयी हैं। उसी तरह सौतेले माता-पिता को भी धीरजवन्त और सहानुभूतिशील होना सीखने की ज़रूरत है, ठुकराए जाने का आभास होते ही जल्दी से नाराज़ नहीं होना चाहिए। (नीतिवचन १९:११; सभोपदेशक ७:९) अनुशासक की भूमिका अपनाने से पहले, सौतेले बच्चे के साथ मित्रता स्थापित करने की कोशिश कीजिए। कुछ लोग शायद इसे बेहतर समझें कि जब तक एक ऐसा बंधन स्थापित न हो जाए, तब तक जैविक जनक को ही अनुशासन देने दें। जब तनाव होते हैं तो संचार करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। “जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है,” नीतिवचन १३:१० कहता है।c
अपने घराने के उद्धार के लिए परिश्रम करते रहिए!
२०. मसीही परिवार के सिरों को क्या करते रहना चाहिए?
२० मज़बूत मसीही परिवार कोई संयोग नहीं हैं। आप, परिवार के सिरों को अपने घराने के उद्धार के लिए कठिन परिश्रम करते रहना है। चौकस रहिए, अहितकर लक्षणों या सांसारिक प्रवृत्तियों को नोट कीजिए। बोली, आचरण, प्रेम, विश्वास, और पवित्रता में एक अच्छा उदाहरण रखिए। (१ तीमुथियुस ४:१२) परमेश्वर की आत्मा के फल प्रदर्शित कीजिए। (गलतियों ५:२२, २३) अपने बच्चों को परमेश्वर के तरीक़े सिखाने में धीरज, विचारशीलता, क्षमा, और कोमलता आपके प्रयासों को मज़बूत करेंगे।—कुलुस्सियों ३:१२-१४.
२१. एक व्यक्ति के घर में किस प्रकार एक स्नेही, आनन्दित वातावरण क़ायम रखा जा सकता है?
२१ परमेश्वर की मदद से अपने घर में एक आनन्दित, स्नेही आत्मा को बनाए रखने की कोशिश कीजिए। परिवार के रूप में एकसाथ समय बिताइए, हर दिन कम-से-कम एक भोजन एकसाथ खाने का प्रयत्न कीजिए। मसीही सभाएँ, क्षेत्र सेवा, और पारिवारिक अध्ययन अनिवार्य हैं। लेकिन, ‘हंसने का भी समय, और नाचने का भी समय है।’ (सभोपदेशक ३:१, ४) जी हाँ, प्रोत्साहक मनोरंजन की अवधियों का प्रबन्ध कीजिए। संग्रहालयों, चिड़ियाघरों, और समान स्थानों की सैर करना पूरे परिवार के लिए आनन्ददायक होता है। या आप शायद टी.वी. बन्द करके गाना गाने, संगीत सुनने, खेल खेलने, और बातचीत करने में समय बिता सकते हैं। यह परिवार को एकसाथ क़रीब लाने में मदद कर सकता है।
२२. आपको अपने घराने के उद्धार के लिए कठिन परिश्रम क्यों करना चाहिए?
२२ ऐसा हो कि आप सभी मसीही माता-पिता यहोवा को पूरी तरह प्रसन्न करने के लिए परिश्रम करते रहें और आप में ‘हर प्रकार के भले कामों का फल लगे और परमेश्वर के यथार्थ ज्ञान में बढ़ते जाएँ।’ (कुलुस्सियों १:१०, NW) अपने घराने को परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञाकारिता की मज़बूत नींव पर बनाइए। (मत्ती ७:२४-२७) और आश्वस्त रहिए कि “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए” अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के आपके प्रयासों पर उसका अनुमोदन होगा।—इफिसियों ६:४.
[फुटनोट]
a सितम्बर ८, १९९२ की अवेक! (अंग्रेज़ी) में “बाइबल का दृष्टिकोण: ‘अनुशासन की छड़ी’—क्या यह पुरानी हो गयी है?” लेख देखिए।
b सितम्बर १५, १९८० की द वॉचटावर के पृष्ठ १५-२६ देखिए।
c अक्तूबर १५, १९८४ की द वॉचटावर के पृष्ठ २१-५ देखिए।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ किस प्रकार पति-पत्नी दोनों अपने घराने को बनाने में सहयोग दे सकते हैं?
▫ बच्चों की कुछ भावात्मक ज़रूरतें क्या होती हैं, और इन्हें कैसे पूरा किया जा सकता है?
▫ किस प्रकार परिवार के सिर अपने बच्चों को औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीक़ों से सिखा सकते हैं?
▫ माता-पिता धार्मिकता में अनुशासन कैसे दे सकते हैं?
▫ एक-जनक परिवारों और सौतेले परिवारों के लाभ के लिए क्या किया जा सकता है?
[पेज 29 पर तसवीर]
एक बच्चे के भावात्मक विकास के लिए पिता का प्रेम और अनुमोदन महत्त्वपूर्ण हैं