परमेश्वर के प्रारम्भिक सेवकों के बीच स्त्रियों की सम्मानित भूमिका
“यहोवा परमेश्वर ने आगे कहा: ‘यह अच्छा नहीं कि पुरुष अकेला रहे। मैं उसके सम्पूरक के रूप में उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा।’”—उत्पत्ति २:१८, NW.
१. एक बाइबल शब्दकोश प्राचीन समय में स्त्रियों की जीवन-स्थिति का वर्णन कैसे करता है?
“प्राचीन भूमध्य में या निकट पूर्व में कहीं भी स्त्रियों को ऐसी आज़ादी नहीं दी गयी थी जिसका वे आधुनिक पश्चिमी समाज में आनन्द लेती हैं। पुरुषों के प्रति स्त्रियों की अधीनता सामान्य रीति थी, वैसे ही जैसे दास स्वाधीन लोगों के, और जवान वृद्ध लोगों के अधीन थे। . . . लड़कियों के मुक़ाबले लड़कों को ज़्यादा महत्ता दी जाती थी, और छोटी बच्चियों को कभी-कभी मरने के लिए खुला छोड़ दिया जाता था।” इस तरह एक बाइबल शब्दकोश प्राचीन समय में स्त्रियों की जीवन-स्थिति का वर्णन करता है।
२, ३. (क) एक रिपोर्ट के अनुसार, आज अनेक स्त्रियों की स्थिति क्या है? (ख) कौन-से सवाल उठाए जाते हैं?
२ आज संसार के अनेक भागों में स्थिति इससे बेहतर नहीं है। वर्ष १९९४ में, पहली बार अमरीकी राज्य विभाग की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट ने स्त्रियों के साथ व्यवहार पर ध्यान निर्देशित किया। इस रिपोर्ट के सम्बन्ध में न्यू यॉर्क टाइम्स् (अंग्रेज़ी) के शीर्षक ने कहा “१९३ देशों के आँकड़े दिखाते हैं कि दिन-प्रति-दिन का भेदभाव एक हक़ीक़त है।”
३ क्योंकि विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों की अनेक स्त्रियाँ पृथ्वी-भर में यहोवा के लोगों की कलीसियाओं से जुड़ी हुई हैं, कुछ सवाल उठाए जाते हैं: क्या अभी-अभी वर्णन किया गया व्यवहार उसी तरह का व्यवहार है जिसे परमेश्वर ने स्त्रियों के लिए आरम्भ में ठाना था? बाइबल समय में यहोवा के उपासकों के बीच स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था? और आज स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
“सहायक” और “सम्पूरक”
४. अदन की वाटिका में प्रथम पुरुष के कुछ समय तक अकेले रहने के बाद यहोवा ने क्या कहा, और फिर परमेश्वर ने क्या किया?
४ अदन की वाटिका में आदम के कुछ समय तक अकेले रहने के बाद, यहोवा ने कहा: “यह अच्छा नहीं कि पुरुष अकेला रहे। मैं उसके सम्पूरक के रूप में उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा।” (उत्पत्ति २:१८, NW) हालाँकि आदम एक परिपूर्ण पुरुष था, सृष्टिकर्ता के उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी और चीज़ की ज़रूरत थी। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए, यहोवा ने स्त्री की सृष्टि की और पहली शादी करायी।—उत्पत्ति २:२१-२४.
५. (क) “सहायक” अनुवादित इब्रानी संज्ञा का बाइबल लेखकों द्वारा अकसर कैसे इस्तेमाल किया गया है? (ख) इस तथ्य से क्या सूचित होता है कि यहोवा ने प्रथम स्त्री का उल्लेख “एक सम्पूरक” के रूप में किया?
५ क्या शब्द “सहायक” और “सम्पूरक” सूचित करते हैं कि स्त्री की परमेश्वर-नियुक्त भूमिका अपमानजनक है? इसका विपरीत सच है। बाइबल लेखक “सहायक” अनुवादित इब्रानी संज्ञा (एज़ेर) को अकसर परमेश्वर को लागू करते हैं। उदाहरण के लिए, यहोवा “हमारा सहायक और हमारी ढाल” साबित होता है। (भजन ३३:२०; निर्गमन १८:४; व्यवस्थाविवरण ३३:७) होशे १३:९ में, यहोवा ख़ुद का उल्लेख भी इस्राएल के “सहायक” के रूप में करता है। “सम्पूरक” अनुवादित इब्रानी शब्द (नेघेध) के बारे में एक बाइबल विद्वान समझाता है: “आशा की गयी मदद केवल अपने दैनिक कार्य में सहायता या बच्चे पैदा करने के लिए नहीं है . . . बल्कि वह परस्पर समर्थन है जो सहचारिता प्रदान करती है।”
६. स्त्री की सृष्टि के बाद क्या कहा गया, और क्यों?
६ अतः, यहोवा द्वारा स्त्री का वर्णन एक “सहायक” और “सम्पूरक” के तौर पर करने में कुछ भी अपमानजनक नहीं है। स्त्री के पास अपनी ही अनोखी मानसिक, भावात्मक, और शारीरिक रचना थी। वह पुरुष के लिए एक उपयुक्त प्रतिपूरक, सही सम्पूरक थी। दोनों व्यक्ति अलग-अलग थे, फिर भी सृष्टिकर्ता के उद्देश्य के अनुसार ‘पृथ्वी भरने’ के लिए दोनों की ज़रूरत थी। यह प्रत्यक्ष रूप से पुरुष और स्त्री, दोनों की सृष्टि के बाद ही था कि “परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।”—उत्पत्ति १:२८, ३१.
७, ८. (क) अदन में पाप के आरम्भ के बाद स्त्री की भूमिका कैसे प्रभावित होती? (ख) उत्पत्ति ३:१६ की पूर्ति के बारे में यहोवा के उपासकों के बीच कौन-से सवाल उठाए जाते हैं?
७ पाप के आरम्भ के बाद पुरुष और स्त्री के लिए स्थिति बदल गयी। यहोवा ने पापियों के रूप में दोनों के लिए दण्ड घोषित किया। उस परिणाम के बारे में बोलते हुए जिसकी वह अनुमति देता है, मानो ऐसा उसने ही किया हो, यहोवा ने हव्वा से कहा: “मैं . . . तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊंगा।” उसने आगे कहा: “तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (उत्पत्ति ३:१६) उस समय से लेकर, अनेक पत्नियों पर उनके पतियों ने अकसर कठोरता से प्रभुता की है। सहायक और सम्पूरक के रूप में समझे जाने के बजाय, उनके साथ प्रायः सेविकाओं और दासियों की तरह ज़्यादा व्यवहार किया गया है।
८ लेकिन, उत्पत्ति ३:१६ की पूर्ति का यहोवा की स्त्री उपासकों के लिए क्या अर्थ था? क्या उन्हें निम्नता और अवमानना के दर्जे पर ढकेल दिया गया था? यक़ीनन नहीं! लेकिन उन बाइबल वृत्तान्तों के बारे में क्या जो स्त्रियों को प्रभावित करनेवाले ऐसे रिवाज़ों और अभ्यासों के बारे में कहते हैं जो आज कुछ समाजों में शायद अस्वीकार्य प्रतीत हों?
बाइबलीय रिवाज़ों को समझना
९. जब हम बाइबल समय में स्त्रियों से सम्बन्धित रिवाज़ों पर ग़ौर करते हैं, तो हमें कौन-सी तीन बातों को मन में रखना चाहिए?
९ बाइबल समय में परमेश्वर के सेवकों के बीच स्त्रियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था। बेशक, उन दिनों में स्त्रियों से सम्बन्धित रिवाज़ों पर ग़ौर करते समय अनेक बातों को मन में रखना सहायक है। पहला, जब बाइबल ऐसी अप्रीतिकर स्थितियों के बारे में कहती है जो दुष्ट पुरुषों की स्वार्थी प्रभुता के कारण विकसित हुईं, तब उसका अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर ने स्त्रियों के साथ ऐसे व्यवहार को स्वीकृति दी। दूसरा, हालाँकि यहोवा ने अपने सेवकों के बीच थोड़े समय के लिए कुछ रिवाज़ों को बरदाश्त किया, उसने इन्हें स्त्रियों की हिफ़ाज़त करने के लिए समंजित किया। तीसरा, हमें सावधान रहना चाहिए कि प्राचीन रिवाज़ों को आधुनिक स्तरों से न आँकें। कुछ ऐसे रिवाज़ जो आज जी रहे लोगों को शायद अप्रीतिकर प्रतीत हों, ज़रूरी नहीं कि यह उस समय की स्त्रियों द्वारा अपमानजनक माने जाते थे। आइए कुछ उदाहरणों पर विचार करें।
१०. यहोवा ने बहुविवाह प्रथा को किस नज़र से देखा, और क्या बात सूचित करती है कि उसने एकविवाह के अपने आरम्भिक स्तर को कभी नहीं छोड़ा?
१० बहुविवाह:a यहोवा के आरम्भिक उद्देश्य के अनुसार, एक पत्नी अपने पति को किसी अन्य स्त्री के साथ नहीं बाँटती। परमेश्वर ने आदम के लिए केवल एक पत्नी बनायी। (उत्पत्ति २:२१, २२) अदन में बग़ावत के बाद, बहुविवाह की प्रथा पहले कैन के वंश में प्रकट हुई। समय आने पर यह एक रिवाज़ बन गया और यहोवा के कुछ उपासकों द्वारा इसे अपनाया गया। (उत्पत्ति ४:१९; १६:१-३; २९:२१-२८) हालाँकि यहोवा ने बहुविवाह की अनुमति दी और इसने इस्राएल की जनसंख्या बढ़ाने का काम किया, उसने इस प्रथा को समंजित करने के द्वारा स्त्रियों के लिए लिहाज़ दिखाया ताकि पत्नियाँ और उनके बच्चे हिफ़ाज़त से रहते। (निर्गमन २१:१०, ११; व्यवस्थाविवरण २१:१५-१७) इसके अतिरिक्त, यहोवा ने एकविवाह प्रथा के अपने आरम्भिक स्तर को कभी नहीं छोड़ा। नूह और उसके पुत्र, जिन्हें ‘फूलने-फलने और पृथ्वी में भर जाने’ की आज्ञा दोहरायी गयी थी, सभी एकविवाही थे। (उत्पत्ति ७:७; ९:१; २ पतरस २:५) इस्राएल के साथ अपने रिश्ते को चिन्हित करते समय यहोवा ने ख़ुद को एकविवाही पति के रूप में चित्रित किया। (यशायाह ५४:१, ५) और एकविवाह प्रथा का परमेश्वर का मूल स्तर यीशु मसीह ने भी पुनःस्थापित किया और इसका प्रारम्भिक मसीही कलीसिया में पालन किया गया।—मत्ती १९:४-८; १ तीमुथियुस ३:२, १२.
११. बाइबल समय में वधु-मूल्य क्यों दिया जाता था, और क्या यह स्त्रियों के लिए अपमानजनक था?
११ वधु-मूल्य देना: किताब प्राचीन इस्राएल—इसका जीवन और प्रथाएँ (अंग्रेज़ी) कहती है: “लड़की के परिवार को धन-राशि, या उसके तुल्य क़ीमत अदा करने की यह बाध्यता इस्राएली विवाह को प्रत्यक्ष रूप से एक ख़रीदारी का बाहरी रूप देता है। लेकिन वास्तविक रूप से [वधु-मूल्य] स्त्री के लिए अदा की गयी क़ीमत नहीं, लेकिन परिवार को दिया गया मुआवज़ा प्रतीत होता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) सो वधु-मूल्य के भुगतान ने, स्त्री के परिवार को उसकी सेवाओं के नुक़सान के लिए और उसके परिवार को उसकी देखभाल करने के लिए किए गए परिश्रम और ख़र्च के लिए मुआवज़े का कार्य किया। तो फिर, स्त्री को अपमानित करने के बजाय, इसने उसके परिवार के लिए उसके मूल्य की पुष्टि की।—उत्पत्ति ३४:११, १२; निर्गमन २२:१६; प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) जनवरी १५, १९८९, पृष्ठ २१-४ देखिए।
१२. (क) शास्त्र में कभी-कभी पुरुषों और स्त्रियों का उल्लेख किस तरह किया जाता था, और क्या ये पद स्त्रियों के लिए आपत्तिजनक थे? (ख) यहोवा ने अदन में जो पद इस्तेमाल किए, उनके बारे में क्या उल्लेखनीय है? (फुटनोट देखिए।)
१२ “स्वामी” के रूप में पति: लगभग सा.यु.पू. १९१८ में इब्राहीम और सारा के जीवन की एक घटना सूचित करती है कि उनके समय तक एक विवाहित पुरुष को “स्वामी” (इब्रानी, बाल) और एक विवाहित स्त्री को “स्वामी की सम्पत्ति” (इब्रानी, बेउलाह) के रूप में देखना प्रत्यक्षतः रिवाज़ी बन गया था। (उत्पत्ति २०:३, NW) इसके बाद इन अभिव्यक्तियों को शास्त्र में कभी-कभी इस्तेमाल किया गया है, और इसका कोई संकेत नहीं है कि मसीही-पूर्व स्त्रियों ने इन्हें आपत्तिजनक पाया।b (व्यवस्थाविवरण २२:२२) लेकिन, पत्नियों के साथ मेज़-कुर्सी की तरह व्यवहार नहीं किया जाना था। धन या सम्पत्ति को ख़रीदा, बेचा, और विरासत में भी लिया जा सकता था, लेकिन पत्नी के बारे में ऐसा नहीं था। “मकान और धन पूर्वजों से प्राप्त होते हैं,” एक बाइबल नीतिवचन कहता है, “परन्तु समझदार पत्नी यहोवा से प्राप्त होती है।”—नीतिवचन १९:१४, NHT; व्यवस्थाविवरण २१:१४.
एक सम्मानित भूमिका
१३. जब परमेश्वर का भय माननेवाले पुरुषों ने यहोवा के उदाहरण की नक़ल की और उसकी व्यवस्था का पालन किया, तब स्त्रियों के लिए इसका परिणाम क्या हुआ?
१३ तो फिर, मसीही-पूर्व समय में परमेश्वर के सेवकों के बीच स्त्रियों की क्या भूमिका थी? उन्हें किस नज़र से देखा जाता था और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता था? सरल शब्दों में कहें तो, जब परमेश्वर का भय माननेवाले पुरुषों ने ख़ुद यहोवा के उदाहरण की नक़ल की और उसकी व्यवस्था का पालन किया, तब स्त्रियों को उनका सम्मान दिया गया और उन्होंने अनेक अधिकारों और विशेषाधिकारों का आनन्द लिया।
१४, १५. इस बात के कौन-से संकेत हैं कि इस्राएल में स्त्रियों का आदर किया जाता था, और यहोवा अपने पुरुष उपासकों से उनका आदर करने के लिये उचित रूप से अपेक्षा क्यों कर सकता था?
१४ स्त्रियों का आदर किया जाना था। इस्राएल के लिए परमेश्वर की व्यवस्था में आज्ञा दी गयी थी कि माता और पिता, दोनों का आदर किया जाए। (निर्गमन २०:१२; २१:१५, १७) लैव्यव्यवस्था १९:३ कहता है: “तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना।” एक बार जब बतशेबा अपने पुत्र सुलैमान के पास गयी, तब आदर दिखाते हुए “राजा उसकी भेंट के लिये उठा, और उसे दण्डवत्” किया। (१ राजा २:१९) एनसाइक्लोपीडिया जुडायका (अंग्रेज़ी) कहती है: “इस्राएल के लिए परमेश्वर के प्रेम की भविष्यसूचक तुलना, अपनी पत्नी के लिए एक पति के प्रेम के साथ केवल उस समाज में की जा सकती थी जहाँ स्त्रियों का आदर किया जाता था।”
१५ यहोवा अपने पुरुष उपासकों से अपेक्षा करता है कि वे स्त्रियों का आदर करें क्योंकि वह उनका आदर करता है। इसके संकेत ऐसे शास्त्रवचनों में पाए जाते हैं जहाँ यहोवा स्त्रियों के अनुभवों को उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करता है और अपनी ख़ुद की भावनाओं की समानता स्त्रियों की भावनाओं से करता है। (यशायाह ४२:१४; ४९:१५; ६६:१३) यह पाठकों को इस बात को समझने में मदद करती है कि यहोवा कैसा महसूस करता है। यह दिलचस्पी की बात है कि “दया” या “तरस” के लिए इब्रानी शब्द, जिसे यहोवा ख़ुद पर लागू करता है, “कोख” के लिए शब्द से नज़दीकी से जुड़ा हुआ है, और इसे “मातृवत् भावना” के तौर पर वर्णित किया जा सकता है।—निर्गमन ३३:१९; यशायाह ५४:७.
१६. कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि धर्म-परायण स्त्रियों की सलाह को मूल्यवान समझा जाता था?
१६ धर्म-परायण स्त्रियों की सलाह को मूल्यवान समझा जाता था। जब एक बार परमेश्वर का भय माननेवाला इब्राहीम, अपनी धर्म-परायण पत्नी, सारा की सलाह मानने से हिचकिचाया, यहोवा ने उससे कहा: “उसकी सुन।” (उत्पत्ति २१:१०-१२, NHT) एसाव की हित्ती पत्नियों “के कारण इसहाक और रिबका के मन को खेद हुआ।” अगर उनका पुत्र याक़ूब एक हित्ती से विवाह करता, तो जिस दुःख का वह अनुभव करती उसे रिबका ने आख़िरकार व्यक्त किया। इसहाक की प्रतिक्रिया क्या थी? “तब,” वृत्तान्त कहता है, “इसहाक ने याक़ूब को बुलाकर आशीर्वाद दिया, और आज्ञा दी, कि तू किसी कनानी लड़की को न ब्याह लेना।” जी हाँ, हालाँकि रिबका ने एक स्पष्ट सलाह नहीं दी थी, उसके पति ने एक फ़ैसला किया जिसमें उसकी भावनाओं को ध्यान में लिया गया। (उत्पत्ति २६:३४, ३५; २७:४६; २८:१) बाद में राजा दाऊद रक्तदोष से बचा क्योंकि उसने अबीगैल की बिनती सुनी।—१ शमूएल २५:३२-३५.
१७. कौन-सी बात दिखाती है कि परिवार में स्त्रियों के पास कुछ हद तक अधिकार था?
१७ परिवार में स्त्रियों के पास कुछ हद तक अधिकार था। बच्चों से आग्रह किया गया था: “हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज।” (नीतिवचन १:८) नीतिवचन अध्याय ३१ में “भली पत्नी” का वर्णन प्रकट करता है कि एक मेहनती विवाहित स्त्री केवल घरबार ही नहीं चलाती, बल्कि भू-सम्पत्ति सौदा भी सम्भाल सकती है, एक उत्पादक खेत लगाकर सम्भाल सकती है, छोटा-मोटा व्यापार कर सकती है, और बुद्धिमानी के अपने शब्दों के लिए भी प्रसिद्ध हो सकती है। सबसे महत्त्वपूर्ण था स्तुतियोग्य स्त्री का यहोवा के प्रति श्रद्धामय भय। इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि एक ऐसी पत्नी का मूल्य “मूंगों से भी बहुत अधिक” था! बहुमूल्य लाल मूंगा गहनों और सजावटी कार्यों के लिए अति मूल्यवान समझा जाता था।—नीतिवचन ३१:१०-३१.
स्त्रियाँ जिन्होंने परमेश्वर का ख़ास अनुग्रह प्राप्त किया
१८. बाइबल समय में कुछ स्त्रियों को किन तरीक़ों से ख़ास अनुग्रह दिया गया?
१८ स्त्रियों के प्रति यहोवा का सम्मान बाइबल समय में उसके द्वारा कुछ स्त्रियों को दिए गए ख़ास अनुग्रह से प्रकट हुआ। हजिरा, सारा, और मानोह की पत्नी से स्वर्गदूतों ने भेंट की थी जिन्होंने उन तक ईश्वरीय निर्देशन पहुँचाया। (उत्पत्ति १६:७-१२; १८:९-१५; न्यायियों १३:२-५) निवासस्थान में ‘सेवा करनेवाली महिलाएं’ थीं और सुलैमान के दरबार में गायिकाएँ थीं।—निर्गमन ३८:८; १ शमूएल २:२२; सभोपदेशक २:८.
१९. कभी-कभी, यहोवा ने किस तरह अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए स्त्रियों का इस्तेमाल किया?
१९ इस्राएल के इतिहास में कई बार, यहोवा ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए या अपनी तरफ़ से बोलने के लिए एक स्त्री का इस्तेमाल किया। नबिया दबोरा के बारे में हम पढ़ते हैं: “इस्राएली उसके पास न्याय के लिये जाया करते थे।” (न्यायियों ४:५) इस्राएल के हाथों कनानी राजा याबीन की हार के बाद, दबोरा के पास सचमुच एक ख़ास विशेषाधिकार था। प्रत्यक्ष रूप से वह विजय गीत की संगीतकार थी, कम-से-कम उसके कुछ अंश की, जो आख़िरकार यहोवा के उत्प्रेरित अभिलेख का हिस्सा बन गया।c (न्यायियों, अध्याय ५) सदियों पश्चात्, यहोवा से सलाह लेने के लिए राजा योशिय्याह ने नबिया हुल्दा के पास एक शिष्टमण्डल को भेजा जिसमें महायाजक भी था। हुल्दा अधिकार के साथ जवाब दे सकी: “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है।” (२ राजा २२:११-१५) उस अवसर पर राजा ने शिष्टमण्डल को एक नबिया के पास जाने की आज्ञा दी, लेकिन यह यहोवा से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए किया गया था।—मलाकी २:७ से तुलना कीजिए।
२०. कौन-से उदाहरण स्त्रियों की भावनाओं और हित के लिए यहोवा की चिन्ता दिखाते हैं?
२० स्त्रियों के हित के लिए यहोवा की चिन्ता ऐसे उदाहरणों से स्पष्ट है जिनमें उसने अपनी कुछ स्त्री उपासकों के पक्ष में कार्य किया। दो बार उसने इब्राहीम की खूबसूरत पत्नी, सारा को अपवित्र किए जाने से बचाने के लिए हस्तक्षेप किया। (उत्पत्ति १२:१४-२०; २०:१-७) परमेश्वर ने याक़ूब की कम-प्रिय पत्नी, लिया पर ‘उसकी कोख खोलने’ के द्वारा अनुग्रह दिखाया जिससे उसने एक पुत्र जना। (उत्पत्ति २९:३१, ३२) जब परमेश्वर का भय माननेवाली दो इस्राएली धाइयों ने मिस्र में शिशुहत्या से इब्रानी लड़कों को बचाने के लिए अपनी जान ख़तरे में डाली, तब यहोवा ने क़दरदानी दिखाते हुए “उनके घर बसाए।” (निर्गमन १:१७, २०, २१) उसने हन्ना की हार्दिक प्रार्थना का भी उत्तर दिया। (१ शमूएल १:१०, २०) और जब एक भविष्यवक्ता की विधवा को एक ऐसे ऋणदाता का सामना करना पड़ा जो अपना ऋण वसूलने के लिए उसके बच्चों को ले जाने के लिए तैयार था, तब यहोवा ने उस विधवा को मझधार में नहीं छोड़ा। प्रेमपूर्ण रूप से, परमेश्वर ने भविष्यवक्ता एलीशा को उस विधवा के तेल के भण्डार को बढ़ाने के लिए समर्थ किया ताकि वह ऋण अदा कर सके। इस तरह उसने अपने परिवार और अपने सम्मान को बचाया।—निर्गमन २२:२२, २३; २ राजा ४:१-७.
२१. इब्रानी शास्त्र स्त्रियों की जीवन-स्थिति के बारे में कौन-सा संतुलित चित्र प्रस्तुत करता है?
२१ अतः, स्त्रियों के बारे में एक हीन दृष्टिकोण का प्रोत्साहन देने के बजाय, इब्रानी शास्त्र परमेश्वर के सेवकों के बीच उनकी जीवन-स्थिति का एक संतुलित चित्र प्रस्तुत करता है। हालाँकि यहोवा ने अपनी स्त्री उपासकों की उत्पत्ति ३:१६ की पूर्ति से रक्षा नहीं की, फिर भी यहोवा के उदाहरण की नक़ल करनेवाले और उसकी व्यवस्था को माननेवाले धर्म-परायण पुरुषों ने स्त्रियों के साथ सम्मान और आदर के साथ व्यवहार किया।
२२. यीशु के पृथ्वी पर प्रकट होने तक, स्त्रियों की भूमिका कैसे बदल गयी थी, और कौन-से सवाल पूछे जाते हैं?
२२ इब्रानी शास्त्र की समाप्ति के बाद की सदियों में, यहूदियों के बीच स्त्रियों की भूमिका बदल गयी। यीशु के पृथ्वी पर प्रकट होने तक, रब्बियों की परम्पराओं ने स्त्रियों को उनके धार्मिक विशेषाधिकारों में और उनके सामाजिक जीवन में बहुत ही प्रतिबन्धित कर दिया था। यीशु ने स्त्रियों के साथ जिस तरह व्यवहार किया, क्या उस पर ऐसी परम्पराओं का कोई प्रभाव पड़ा? आज मसीही स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए? इन सवालों की चर्चा अगले लेख में की जाएगी।
[फुटनोट]
a वॆबस्टर्स नाइंथ न्यू कॉलॆजिएट डिक्शनरी (अंग्रेज़ी) के अनुसार “बहुविवाह” का अर्थ है एक “विवाह जिसमें पुरुष या स्त्री के पास एक ही समय पर एक से ज़्यादा साथी हों।” अधिक स्पष्ट शब्द “बहुपत्नीत्व” को “एक ही समय पर एक से ज़्यादा पत्नी या स्त्री साथी रखने की अवस्था या प्रथा” के रूप में परिभाषित किया गया है।
b पूरे इब्रानी शास्त्र में, विवाहित पुरुषों और स्त्रियों का उल्लेख ज़्यादातर “पति” (इब्रानी, इश) और “पत्नी” (इब्रानी, इशशाह) के रूप में किया गया है। उदाहरण के लिए, अदन में यहोवा ने पद “स्वामी” और “स्वामी की सम्पत्ति” नहीं, बल्कि “पति” और “पत्नी” इस्तेमाल किया। (उत्पत्ति २:२४; ३:१६, १७) होशे की भविष्यवाणी में पूर्वबताया गया था कि निर्वासन से लौटने के बाद, इस्राएल की जाति यहोवा को पश्चातापपूर्ण रीति से “मेरा पति” कहेगी, और “मेरा स्वामी” नहीं। यह शायद सूचित करे कि शब्द “पति” का “स्वामी” से अधिक कोमल अर्थ था।—होशे २:१६, NHT, फुटनोट।
c न्यायियों ५:७ में दबोरा के सम्बन्ध में उत्तम पुरुष का इस्तेमाल उल्लेखनीय है।
आप कैसे उत्तर देंगे?
◻ शब्द “सहायक” और “सम्पूरक” स्त्री की परमेश्वर-नियुक्त भूमिका के बारे में क्या सूचित करते हैं?
◻ बाइबल समय में स्त्रियों को प्रभावित करनेवाले रिवाज़ों पर विचार करते समय हमें कौन-सी बात को मन में रखना चाहिए?
◻ क्या बात दिखाती है कि प्रारम्भिक समय में परमेश्वर के सेवकों के बीच स्त्रियों की एक सम्मानित भूमिका थी?
◻ मसीही-पूर्व समय में यहोवा ने किन तरीक़ों से स्त्रियों को ख़ास अनुग्रह दिया?