“देखो! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”
“देखो! मैं दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”—मत्ती 28:20.
1. (क) चंद शब्दों में गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल बताइए। (ख) यीशु ने इस मिसाल का मतलब कैसे समझाया?
यीशु ने राज के बारे में कई मिसालें दीं, जिनमें से एक है गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल। इस मिसाल में एक किसान गेहूँ के बढ़िया बीज बोता है और एक दुश्मन उसी खेत में जंगली पौधे के बीज बो देता है। जंगली पौधे गेहूँ की बालों से ज़्यादा दिखायी देने लगते हैं, लेकिन किसान अपने दासों से कहता है, “कटाई के वक्त तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो।” कटाई के दिनों में, जंगली पौधों को नाश कर दिया जाता है और गेहूँ को जमा कर लिया जाता है। यीशु ने खुद समझाया कि इस मिसाल का क्या मतलब है। (मत्ती 13:24-30, 37-43 पढ़िए।) हम इस मिसाल से क्या सीख सकते हैं? (चार्ट “गेहूँ और जंगली पौधे” देखिए।)
2. (क) गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल में बतायी घटनाएँ क्या दिखाती हैं? (ख) मिसाल के कौन-से हिस्से पर इस लेख में चर्चा की जाएगी?
2 इस मिसाल में बतायी घटनाएँ दिखाती हैं कि यीशु कब और कैसे इंसानों में से गेहूँ वर्ग को, यानी अभिषिक्त मसीहियों के पूरे समूह को इकट्ठा करेगा, जो उसके साथ स्वर्ग में राज करेंगे। यीशु ने गेहूँ के ये बीज ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन बोने शुरू किए। इस गेहूँ वर्ग का इकट्ठा किया जाना तब खत्म होगा, जब इस दुनिया की व्यवस्था के अंत के वक्त इस धरती पर बचे अभिषिक्त जनों पर आखिरी मुहर लगा दी जाएगी और आगे चलकर उन्हें स्वर्ग में उठा लिया जाएगा। (मत्ती 24:31; प्रका. 7:1-4) गेहूँ और जंगली पौधों की यह मिसाल हमें उन घटनाओं को और भी अच्छी तरह समझने में मदद देती है, जो करीब 2,000 साल के दौरान पूरी होतीं। आज हमें राज से जुड़ी किन घटनाओं के पूरा होने की समझ मिली है? यह मिसाल बीज बोने, बीज के बढ़ने और उनकी कटाई के समय के बारे में बताती है। इस लेख में खास तौर पर कटाई के समय के बारे में चर्चा की जाएगी।—पेज 14 पर दिया फुटनोट 1 पढ़िए।a
यीशु की निगरानी में
3. (क) पहली सदी के बाद क्या हुआ? (ख) मत्ती 13:28 के मुताबिक, क्या सवाल पूछा गया और वह सवाल किसने पूछा? (पेज 14 पर दिया फुटनोट 2 भी देखिए।)
3 ईसवी सन् दूसरी सदी की शुरूआत में, खेत में ‘जंगली पौधे दिखायी देने लगे,’ यानी इस दुनिया में नकली मसीही नज़र आने लगे। (मत्ती 13:26) चौथी सदी के आते-आते, इन नकली मसीहियों की गिनती अभिषिक्त मसीहियों से ज़्यादा हो गयी। याद कीजिए कि मिसाल में, दासों ने अपने मालिक से जंगली पौधों को उखाड़ने की इजाज़त माँगी। (पेज 14 पर दिया फुटनोट 2 पढ़िए।b) (मत्ती 13:28) मालिक ने उन्हें क्या जवाब दिया?
4. (क) यीशु के जवाब से क्या ज़ाहिर होता है? (ख) गेहूँ वर्ग के मसीहियों को पहचानना कब मुमकिन हुआ?
4 गेहूँ और जंगली पौधों के बारे में मालिक ने, यानी यीशु ने कहा: “कटाई के वक्त तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो।” यह आज्ञा दिखाती है कि पहली सदी से आज तक, इस धरती पर हमेशा कुछ गेहूँ-समान अभिषिक्त मसीही रहे हैं। यह इस बात से भी साबित होता है, जो यीशु ने बाद में अपने चेलों से कही थी: “मैं दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” (मत्ती 28:20) इसका मतलब है कि यीशु अंत आने से पहले तक हमेशा अभिषिक्त मसीहियों की हिफाज़त करता। लेकिन क्योंकि जंगली पौधे समान नकली मसीहियों की गिनती ज़्यादा हो गयी थी, इसलिए हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि उस लंबे समय के दौरान गेहूँ वर्ग का हिस्सा कौन थे। मगर कटाई का समय शुरू होने से करीब 40 साल पहले, गेहूँ वर्ग के सदस्यों को पहचानना दोबारा मुमकिन हो गया। यह कैसे हुआ?
एक दूत ‘जिसने मार्ग सुधारा’
5. मलाकी की भविष्यवाणी पहली सदी में कैसे पूरी हुई?
5 यीशु के यह मिसाल देने से सदियों पहले, यहोवा ने अपने नबी मलाकी को प्रेरित किया कि वह कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी करे, जिनके बारे में यीशु ने इस मिसाल में बताया था। (मलाकी 3:1-4 पढ़िए।) यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, मलाकी की भविष्यवाणी में बताया वह ‘दूत था जिसने मार्ग सुधारा,’ यानी रास्ता तैयार किया। (मत्ती 11:10, 11) जब वह ईसवी सन् 29 में आया, तब इसराएल राष्ट्र का न्याय बहुत करीब था। मलाकी की भविष्यवाणी में बताया दूसरा दूत, यानी ‘वाचा का दूत,’ यीशु था। यीशु ने यरूशलेम के मंदिर को दो बार शुद्ध किया। पहली बार, अपनी सेवा की शुरूआत में और दूसरी बार अपनी सेवा के आखिर में। (मत्ती 21:12, 13; यूह. 2:14-17) इसका मतलब है, यीशु ने मंदिर को शुद्ध करने का जो काम किया, वह कुछ वक्त तक चला।
6. (क) मलाकी की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई? (ख) यीशु ने आध्यात्मिक मंदिर का मुआयना कब से लेकर कब तक किया? (पेज 14 पर दिया फुटनोट 3 भी देखिए।)
6 मलाकी की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई? सन् 1914 से बहुत साल पहले, भाई चार्ल्स टेज़ रसल और उनके साथ काम करनेवाले भाइयों ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की तरह काम किया। उन्होंने बाइबल का अध्ययन किया ताकि वे बाइबल का सही ज्ञान पा सकें। इन ‘बाइबल विद्यार्थियों’ ने सिखाया कि मसीह के फिरौती बलिदान का असल मतलब क्या है, इस बात का परदाफाश किया कि नरक की शिक्षा झूठी है और ऐलान किया कि राष्ट्रों के लिए तय किया हुआ वक्त सन् 1914 में खत्म होगा। उस समय दूसरे बहुत-से धार्मिक समूह भी थे, जो मसीह के चेले होने का दम भरते थे। तो एक अहम सवाल उठता है कि आखिर इनमें से गेहूँ-समान लोग कौन थे? इस सवाल का जवाब देने के लिए यीशु ने सन् 1914 में आध्यात्मिक मंदिर (उपासना के लिए परमेश्वर का ठहराया इंतज़ाम) का मुआयना करना शुरू किया। आध्यात्मिक मंदिर का मुआयना करने और उसे शुद्ध करने का यह काम कुछ वक्त तक चला, यानी सन् 1914 से सन् 1919 की शुरूआत तक।—पेज 14 पर दिया फुटनोट 3 पढ़िए।c
मुआयना करने और शुद्ध करने का समय
7. सन् 1914 में जब यीशु ने मुआयना करना शुरू किया, तो उसने क्या पाया?
7 जब यीशु ने मुआयना करना शुरू किया, तो उसने क्या पाया? जोशीले ‘बाइबल विद्यार्थियों’ का एक छोटा-सा समूह, पिछले 30 से भी ज़्यादा सालों से अपनी ताकत और अपना पैसा राज की खुशखबरी फैलाने में लगाता आ रहा था। (पेज 14 पर दिया फुटनोट 4 पढ़िए।d) यीशु और स्वर्गदूत यह देखकर कितने खुश हुए होंगे कि ये थोड़ी-सी गेहूँ की बालें इतनी मज़बूत थीं कि शैतान के जंगली पौधे उन्हें दबा न सके! लेकिन फिर भी, “लेवियों” को, यानी इन अभिषिक्त मसीहियों को शुद्ध करने की ज़रूरत थी। (मला. 3:2, 3; 1 पत. 4:17) ऐसा क्यों?
8. सन् 1914 के बाद क्या हुआ?
8 सन् 1914 के आखिर में कुछ ‘बाइबल विद्यार्थी’ निराश हो गए, क्योंकि वे अब तक स्वर्ग नहीं गए थे। सन् 1915 और 1916 के दौरान, संगठन के बाहर के लोगों से आनेवाले विरोध की वजह से प्रचार काम मंद पड़ गया। इससे भी बदतर, अक्टूबर 1916 में भाई रसल की मौत के बाद, संगठन में से ही विरोध आना शुरू हो गया। वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के सात में से चार निर्देशकों ने इस फैसले का विरोध किया कि अब से भाई रदरफर्ड संगठन की अगुवाई करेंगे। उन्होंने भाइयों के बीच फूट डालने की कोशिश की, लेकिन अगस्त 1917 में वे बेथेल छोड़कर चले गए। यह एक तरीका था जिससे संगठन शुद्ध हुआ। इसके अलावा, उस वक्त इंसान के डर से कुछ ‘बाइबल विद्यार्थियों’ ने परमेश्वर की सेवा करनी छोड़ दी। लेकिन ज़्यादातर ‘बाइबल विद्यार्थी’ परमेश्वर की नज़र में शुद्ध बनने के लिए बदलाव करने को तैयार थे। इसलिए जब यीशु न्याय करने आया, तो उसने उन्हें गेहूँ-समान सच्चे मसीही ठहराया। लेकिन उसने मंडली में और ईसाईजगत के चर्चों में पाए गए सभी नकली मसीहियों को ठुकरा दिया। (मला. 3:5; 2 तीमु. 2:19) इसके बाद क्या हुआ? यह जानने के लिए आइए फिर से गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल पर गौर करें।
कटाई के दिन शुरू होने के बाद क्या हुआ?
9, 10. (क) अब हम कटाई के दिनों के बारे में क्या चर्चा करेंगे? (ख) कटाई के दिनों में सबसे पहले कौन-सी घटना हुई?
9 यीशु ने कहा था: “कटाई, दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त है।” (मत्ती 13:39) कटाई के दिन सन् 1914 में शुरू हुए। अब हम उन पाँच घटनाओं पर चर्चा करेंगे, जो यीशु ने कही थी कि कटाई के दिनों में होंगी।
10 पहली, जंगली दाने के पौधे उखाड़ना। यीशु ने कहा: “कटाई के दिनों में मैं काटनेवालों से कहूँगा, पहले जंगली दाने के पौधे उखाड़ लो और उन्हें . . . गट्ठरों में बाँध दो।” सन् 1914 के बाद, स्वर्गदूतों ने जंगली दाने के पौधे ‘उखाड़ने’ शुरू कर दिए, यानी नकली मसीहियों को अभिषिक्त ‘राज के बेटों’ से अलग करने का काम शुरू किया।—मत्ती 13:30, 38, 41.
11. खासकर किस बात ने सच्चे मसीहियों को नकली मसीहियों से अलग साबित किया है?
11 जैसे-जैसे जंगली दाने के पौधों को उखाड़ने का काम आगे बढ़ता गया, दोनों समूहों के बीच का अंतर और भी साफ होने लगा। (प्रका. 18:1, 4) सन् 1919 के आते-आते, यह बात साफ हो गयी कि महानगरी बैबिलोन गिर चुकी है, क्योंकि अब सच्चे मसीही उसके चंगुल से आज़ाद हो चुके थे। सच्चे मसीहियों को खास तौर से किस बात ने नकली मसीहियों से अलग साबित किया? प्रचार काम ने। ‘बाइबल विद्यार्थियों’ के बीच अगुवाई करनेवालों ने इस बात पर ज़ोर देना शुरू किया कि मंडली के हरेक सदस्य को राज का प्रचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, सन् 1919 में प्रकाशित पुस्तिका टू हूम द वर्क इज़ एनट्रस्टेड (जिन्हें यह काम सौंपा गया है) में सभी अभिषिक्त मसीहियों को घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए उकसाया गया था। इसमें लिखा था: “यह काम बहुत बड़ा है, मगर यह काम प्रभु का है इसलिए हम उसकी मदद से इसे ज़रूर पूरा कर सकेंगे। और आपको इस काम में हिस्सा लेने का सम्मान मिला है।” इसका क्या नतीजा हुआ? सन् 1922 की प्रहरीदुर्ग बताती है कि उस समय से ‘बाइबल विद्यार्थियों’ ने प्रचार काम करने की अपनी रफ्तार तेज़ कर दी। कुछ ही समय में, घर-घर का प्रचार करना उन वफादार मसीहियों की पहचान बन गया और आज भी वफादार मसीहियों की यही पहचान है।
12. गेहूँ वर्ग को कब से इकट्ठा किया जा रहा है?
12 दूसरी घटना है, गेहूँ को जमा करना। यीशु ने अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा दी थी: “जाकर . . . गेहूँ को मेरे गोदाम में जमा करो।” (मत्ती 13:30) अभिषिक्त जनों को सन् 1919 से शुद्ध की गयी मसीही मंडली में इकट्ठा किया जा रहा है। जो अभिषिक्त मसीही दुनिया की व्यवस्था के अंत के वक्त इस धरती पर रह जाएँगे, उन्हें आखिरी बार तब इकट्ठा किया जाएगा जब वे स्वर्ग में अपना इनाम पाएँगे।—दानि. 7:18, 22, 27.
13. प्रकाशितवाक्य 18:7 से हमें वेश्या या महानगरी बैबिलोन के रवैए के बारे में क्या पता चलता है, जिसमें ईसाईजगत भी शामिल है?
13 तीसरी घटना है, रोना और दाँत पीसना। जब स्वर्गदूत जंगली पौधों को गट्ठरों में बाँध देते हैं, उसके बाद क्या होता है? जंगली पौधों से दर्शाए गए लोगों की हालत कैसी होगी, इस बारे में बताते हुए यीशु कहता है: “[वहाँ] उनका रोना और दाँत पीसना होगा।” (मत्ती 13:42) क्या आज ऐसा हो रहा है? जी नहीं, क्योंकि ईसाईजगत, जो वेश्या का एक भाग है, आज भी अपने बारे में कहती है: “मैं तो रानी बन बैठी हूँ, मैं विधवा नहीं हूँ और मैं कभी मातम नहीं देखूँगी।” (प्रका. 18:7) बेशक, ईसाईजगत का अब भी यही मानना है कि सब कुछ उसके हाथ में है, यहाँ तक कि वह राजनैतिक नेताओं के ऊपर भी ‘रानी बन बैठी है।’ इसलिए नकली मसीही, जिन्हें जंगली पौधों से दर्शाया गया है, इस वक्त रो नहीं रहे हैं, बल्कि आज भी अपनी ताकत पर डींग मार रहे हैं। लेकिन जल्द ही उनकी हालत बदलनेवाली है।
14. (क) जो लोग पहले झूठे धर्मों को मानते थे, वे कब और क्यों ‘अपने दाँत पीसेंगे’? (ख) मत्ती 13:42 के बारे में हमारी समझ में जो फेरबदल हुई है, वह भजन 112:10 में कही बात से कैसे मेल खाती है? (पेज 14 पर दिया फुटनोट 5 देखिए।)
14 महा-संकट के दौरान, जब सभी झूठे धर्मों का नाश हो चुका होगा, तब वे लोग जो पहले इन धर्मों को मानते थे, खुद को छिपाने के लिए भागेंगे, लेकिन उन्हें छिपने की कोई सुरक्षित जगह न मिलेगी। (लूका 23:30; प्रका. 6:15-17) फिर जब उन्हें एहसास होगा कि वे विनाश से नहीं बच सकते, तो वे अपनी बदतर हालत पर रोएँगे और गुस्से से अपने ‘दाँत पीसेंगे।’ और जैसे महा-संकट के बारे में यीशु ने अपनी भविष्यवाणी में बताया था, उस समय वे ‘विलाप करते हुए छाती पीटेंगे।’ (पेज 14 पर दिया फुटनोट 5 पढ़िए।e)—मत्ती 24:30; प्रका. 1:7.
15. जंगली पौधों का क्या होगा? और यह घटना कब होगी?
15 चौथी घटना है, आग की भट्ठी में झोंक दिया जाना। जंगली पौधों के गट्ठरों का क्या होगा? “स्वर्गदूत उन्हें आग की भट्ठी में झोंक देंगे।” (मत्ती 13:42) इसका मतलब है कि उनका पूरी तरह से नाश हो जाएगा। तो फिर, जो लोग पहले झूठी धार्मिक शिक्षाएँ सिखानेवाले संगठनों से जुड़े थे, उन्हें महा-संकट के आखिरी भाग, यानी हर-मगिदोन, में नाश किया जाएगा।—मला. 4:1.
16, 17. (क) वह आखिरी घटना क्या है, जिसका ज़िक्र यीशु ने अपनी मिसाल में किया? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि यह आखिरी घटना भविष्य में होगी?
16 पाँचवी घटना है, तेज़ चमकना। यीशु अपनी भविष्यवाणी यह कहकर खत्म करता है: “जो परमेश्वर की नज़र में नेक हैं, वे उस वक्त अपने पिता के राज में सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे।” (मत्ती 13:43) ऐसा कब और कहाँ होगा? यीशु के बताए ये शब्द आज धरती पर पूरे नहीं हो रहे हैं, बल्कि ये भविष्य में स्वर्ग में पूरे होंगे। (फुटनोट 6 पढ़िए।f) हम इस नतीजे पर कैसे पहुँचे, यह जानने के लिए आइए दो वजहों पर गौर करें।
17 आइए पहले देखें कि क्यों हम इस नतीजे पर पहुँचे कि ये शब्द भविष्य में पूरे होंगे। यीशु ने कहा था: “जो परमेश्वर की नज़र में नेक हैं, वे उस वक्त चमकेंगे।” ज़ाहिर है शब्द “उस वक्त” उस समय को दर्शाते हैं जिसका ज़िक्र यीशु ने बस इससे पहले की आयत में किया था, जो ‘जंगली पौधों को आग की भट्ठी में झोंक दिए’ जाने की घटना के बारे में थी। और जैसा हम देख चुके हैं, यह घटना महा-संकट के आखिरी भाग में होगी। तो फिर अभिषिक्त जनों का ‘तेज़ चमकना’ भी भविष्य में ही होना चाहिए। अब आइए देखें कि हम क्यों कह सकते हैं कि यह स्वर्ग में होगा। यीशु ने कहा था कि नेक लोग ‘राज में चमकेंगे।’ इसका क्या मतलब है? महा-संकट का पहला भाग पूरा हो जाने के बाद जितने वफादार अभिषिक्त जन धरती पर ज़िंदा होंगे, उन पर आखिरी मुहर लग चुकी होगी। इसके बाद, जैसा यीशु की भविष्यवाणी में बताया गया था, उन्हें स्वर्ग में इकट्ठा किया जाएगा। (मत्ती 24:31) वहाँ वे “अपने पिता के राज में” चमकेंगे। और हर-मगिदोन की लड़ाई के बस कुछ ही समय बाद, वे “मेम्ने की शादी” में खुशियों से भरी यीशु की दुलहन का हिस्सा बनेंगे।—प्रका. 19:6-9.
हमें कैसे फायदा हुआ है
18, 19. यीशु की दी गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल के बारे में हमने जो सीखा, उससे हमें कैसे फायदा हुआ है?
18 इस मिसाल में बतायी घटनाओं के बारे में हमने जो सीखा, उससे हमें कैसे फायदा हुआ है? हमें तीन तरीकों से फायदा हुआ है। पहला, हमारी समझ और बढ़ गयी है। इस मिसाल से हम एक खास वजह जान पाए हैं कि क्यों यहोवा ने अब तक बुराई को बरदाश्त किया है। उसने “क्रोध के बर्तनों को . . . बरदाश्त किया” ताकि वह “दया के बर्तनों” या गेहूँ वर्ग को तैयार कर सके। (फुटनोट 7 देखिए।g) (रोमि. 9:22-24) दूसरा फायदा, इससे हमारा भरोसा बढ़ा है। जैसे-जैसे अंत नज़दीक आ रहा है, हमारे दुश्मन हम पर और भी ज़बरदस्त हमले करेंगे, ‘परन्तु वे प्रबल न होंगे।’ (यिर्मयाह 1:19 पढ़िए।) जिस तरह यहोवा सदियों से गेहूँ वर्ग की हिफाज़त करता आया है, उसी तरह वह यीशु और अपने स्वर्गदूतों के ज़रिए अंत तक “हमेशा” हमारे साथ रहेगा।—मत्ती 28:20.
19 तीसरा फायदा, इस मिसाल ने हमें यह पहचानने में मदद दी है कि गेहूँ वर्ग के लोग कौन हैं। यह जानना हमारे लिए इतना ज़रूरी क्यों है? क्योंकि तभी हम आखिरी दिनों के बारे में यीशु की भविष्यवाणी में पूछे गए सवाल का जवाब समझ पाएँगे। यीशु ने पूछा था: “असल में वह विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?” (मत्ती 24:45) अगले दो लेख इस सवाल का जवाब देंगे।
a पैराग्राफ 2: [1] मिसाल में बताए दूसरे भागों के मतलब के बारे में अपनी याददाश्त ताज़ा करने के लिए, हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप 15 मार्च, 2010 की प्रहरीदुर्ग के लेख, “जो नेक हैं वे सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे” के पैराग्राफ 1-9 पढ़ें।
b पैराग्राफ 3: [2] यीशु के प्रेषित मर चुके थे और धरती पर जीवित अभिषिक्त जनों को मिसाल में दास नहीं, मगर गेहूँ बताया गया है, इसलिए मिसाल में बताए दास स्वर्गदूत हैं। आगे चलकर जंगली पौधों की कटाई करनेवालों को स्वर्गदूत बताया गया है।—मत्ती 13:39.
c पैराग्राफ 6: [3] यह हमारी समझ में हुई फेरबदल है। पहले हम सोचते थे कि यीशु ने सन् 1918 में मंदिर का मुआयना किया था।
d पैराग्राफ 7: [4] सन् 1910 से 1914 तक, ‘बाइबल विद्यार्थियों’ ने करीब 40,00,000 किताबें और 20,00,00,000 से भी ज़्यादा ट्रैक्ट और पुस्तिकाएँ बाँटीं।
e पैराग्राफ 14: [5] यह मत्ती 13:42 के बारे में हमारी समझ में हुई फेरबदल है। पहले हमारे साहित्यों में बताया गया था कि नकली मसीही सालों से ‘रो रहे हैं और दाँत पीस रहे हैं,’ क्योंकि ‘राज के बेटों’ ने इन नकली मसीहियों का ‘दुष्ट के बेटों’ के तौर पर परदाफाश किया। (मत्ती 13:38) लेकिन यह बात गौर करने लायक है कि दाँत पीसने का ताल्लुक विनाश से है।—भज. 112:10.
f पैराग्राफ 16: [6] दानिय्येल 12:3 कहता है कि “सिखानेवालों [अभिषिक्त मसीहियों] की चमक आकाशमण्डल की सी होगी।” जब तक वे धरती पर हैं, वे प्रचार काम में हिस्सा ले रहे हैं और इस मायने में चमक रहे हैं। लेकिन मत्ती 13:43 में उस समय के बारे में बताया गया है जब वे स्वर्ग में परमेश्वर के राज में चमकेंगे। पहले हमारा मानना था कि ये दोनों आयतें प्रचार काम के बारे में बताती हैं।
g पैराग्राफ 18: [7] किताब यहोवा के करीब आओ के पेज 288-289 देखिए।