कदरदानी ज़ाहिर कीजिए
एक बार जब यीशु ने दस कोढ़ियों को चंगा किया, तो उनमें से सिर्फ एक ने वापस आकर उसे धन्यवाद दिया। इस पर यीशु ने उससे पूछा, “क्या दसों शुद्ध न हुए तो फिर नौ कहां हैं?” (लूका 17:11-19) हमारे लिए भी यह कितना ज़रूरी है कि हम अपने प्यार करनेवाले और उदार पिता, यहोवा के लिए कदरदानी दिखाएँ, जो हमें हरेक अच्छा वरदान और हरेक उत्तम दान देता है।—कुलु. 3:15; याकू. 1:17.
2 हम किन बातों के लिए परमेश्वर के एहसानमंद हो सकते हैं? एक है छुड़ौती बलिदान, जो इंसानों के लिए परमेश्वर का सबसे नायाब तोहफा है। (यूह. 3:16) हम इस बात के लिए भी यहोवा के शुक्रगुज़ार हो सकते हैं कि उसने हमें अपनी तरफ खींचा है। (यूह. 6:44) इसके अलावा, दुनिया-भर में फैली हमारी कलीसिया में जो एकता है, हम उसके लिए भी परमेश्वर के एहसानमंद हो सकते हैं। (भज. 133:1-3) बेशक, आप यहोवा से मिले ऐसे दूसरे कई तोहफों के बारे में भी सोच सकते हैं। इसलिए हम कभी उन एहसानफरामोश इस्राएलियों की तरह नहीं बनना चाहेंगे, जो यहोवा के कामों को भूल गए थे।—भज. 106:12, 13.
3 कदरदानी दिखाइए: हालाँकि सभी दस कोढ़ी यीशु के एहसानमंद थे, लेकिन सिर्फ एक ने ही आकर अपनी कदरदानी ज़ाहिर की। (लूका 17:15) हम भी पूरे जोश के साथ प्रचार में हिस्सा लेने के ज़रिए अपनी कदरदानी दिखाते हैं। हमारे प्यार करनेवाले और उदार पिता, यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ किया है, अगर हम सचमुच उसके लिए एहसानमंद हैं, तो हमारा दिल हमें उभारेगा कि हम उसके बारे में दूसरों को बताएँ। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम परमेश्वर की मिसाल पर चल रहे होते हैं। (लूका 6:45) इसके अलावा, जब हम यहोवा के उन ‘आश्चर्यकर्मों और विचारों’ के बारे में दूसरों को बताते हैं, जो उसने “हमारे लिये किए हैं,” तो परमेश्वर के लिए हमारा प्यार और कदरदानी बढ़ती है।—भज. 40:5, NHT.
4 दूसरों को कदरदानी ज़ाहिर करने का बढ़ावा दीजिए: हमें ऐसे मौकों की तलाश में रहना चाहिए जब हम अपने बच्चों और बाइबल विद्यार्थियों को यहोवा के लिए कदरदानी बढ़ा में मदद दे सकें। माता-पिताओं को ऐसा करने के कई मौके मिलते हैं, जैसे जब वे अपने बच्चों के साथ यहोवा की रचनाओं को निहारते हैं। (रोमि. 1:20) बाइबल अध्ययन चलाते वक्त हम अपने विद्यार्थी से पूछ सकते हैं, “यह बात आपको यहोवा की शख्सियत के बारे में क्या सिखाती है?” जैसे-जैसे विद्यार्थी के दिल में कदर बढ़ेगी, वैसे-वैसे यहोवा के लिए उसका प्यार बढ़ेगा। और परमेश्वर को खुश करने का उसका इरादा मज़बूत होता जाएगा।
5 आज के इन अंतिम दिनों में ज़्यादातर लोग ना तो दूसरों की कदर करते हैं और ना ही एहसान मानते हैं। (2 तीमु. 3:1, 2) तो ज़रा सोचिए, ऐसे में यहोवा को यह देखकर कितनी खुशी होती होगी कि उसके समर्पित सेवक जोश के साथ प्रचार करके अपनी कदरदानी ज़ाहिर करते हैं।—याकू. 1:22-25.