शिक्षण क्षमता (ht) सलाह से उन्नति होती है ज्ञानप्रद विषय, स्पष्टतः प्रस्तुत प्रभावकारी प्रस्तावनाएँ आवाज़ और ठहराव बाइबल की ओर ध्यान निर्दिष्ट करना शास्त्रवचनों को पढ़ना और लागू करना दोहराव और हाव-भाव का इस्तेमाल मूल-विषय और मुख्य मुद्दों को विशिष्ट करना श्रोतागण सम्पर्क और नोट्स का इस्तेमाल उचित उच्चारण के साथ वाक्पटु, वार्तालापी प्रस्तुति भाषण का सुसंगत विकसन अपने श्रोतागण को विश्वास दिलाइए, उनके साथ तर्क कीजिए भाव बलाघात और स्वर-परिवर्तन उत्साह और स्नेह-भाव व्यक्त करना उपयुक्त दृष्टान्त विषय क्षेत्र सेवकाई के लिए अनुकूल किया गया उपयुक्त समाप्ति और आपका समय ठवन और व्यक्तिगत दिखाव-बनाव आपकी उन्नति प्रकट हो