जनवरी 1 ‘परमेश्वर, आखिर तूने ऐसा क्यों होने दिया?’ दुःख-तकलीफ सहनेवालों को दिलासा आज, पहले से कहीं ज़्यादा जागते रहो! “जागते रहो”! उस पर्ची ने तो मेरी ज़िंदगी की कायापलट कर दी! उसे अपनी लगन का फल मिला सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाने में, क्या बात हमारी मदद कर सकती है? पाठकों के प्रश्न “तुमने बिलकुल सही कहा, ज़िंदगी वाकई खुशनुमा है!” क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले?